पापा खो गए : अध्याय 5

पापा खो गए

सड़क। रात का समय। समुद्र के सामने फुटपाथ। वहीं पर एक स बिजली का खंभा। एक पेड़। एक लैटरबक्स। दूसरी ओर धीमे प्रकाश में एक …

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मिठाईवाला : अध्याय 4

मिठाईवाला

बहुत ही मीठे स्वरों के साथ वह गलियों में घूमता हुआ कहता- “बच्चों को बहलानेवाला, खिलौनेवाला।” इस अधूरे वाक्य को वह ऐसे विचित्र, किंतु मादक …

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कठपुतली : अध्याय 3

कठपुतली

कठपुतलीगुस्से से उबलीबोली-ये धागेक्यों हैं मेरे पीछे-आगे?इन्हें तोड़ दो;मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो। सुनकर बोलीं और-औरकठपुतलियाँकि हाँ,बहुत दिन हुएहमें अपने मन के छंद छुए। …

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हम पंछी उन्मुक्त गगन के : अध्याय 1

हम पंछी उन्मुक्त गगन के

हम पंछी उन्मुक्त गगन केपिंजरबद्ध न गा पाएँगे,कनक-तीलियों से टकराकरपुलकित पंख टूट जाएँगे। हम बहता जल पीनेवालेमर जाएँगे भूखे-प्यासे,कहीं भली है कटुक निबौरीकनक-कटोरी की मैदा …

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अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन : अध्याय 8

अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन

यदि आप मानचित्र 1 और 2 को ध्यानपूर्वक देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि अठारहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के दौरान उपमहाद्वीप में कुछ विशेष रूप …

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ईश्वर से अनुराग : अध्याय 6

ईश्वर से अनुराग

आपने लोगों को पूजा-पाठ करते अथवा भजन, कीर्तन या कव्वाली गाते या चुपचाप ईश्वर के नाम का जाप करते हुए देखा होगा। आपने यह भी …

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मुग़ल – सोलहवीं से सत्रहवीं शताब्दी : अध्याय 4

मुग़ल - सोलहवीं से सत्रहवीं शताब्दी

मध्यकाल में किसी भी शासक के लिए भारतीय उपमहाद्वीप जैसे बड़े क्षेत्र पर, जहाँ लोगों एवं संस्कृतियों में इतनी अधिक विविधताएँ हो, शासन कर पाना …

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