हम अनेक किंतु एक : पाठ -18

हम अनेक किंतु एक

हैं कई प्रदेश के,किंतु एक देश के,विविध रूप-रंग हैं,भारत के अंग हैं। भारतीय वेश एकहम अनेक किंतु एक। बोलियाँ हजार हैं,टोलियाँ हजार हैं,कंठ भी अनेक …

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बोलने वाली माँद : पाठ -17

बोलने वाली माँद

एक जंगल में खरनखर नाम का एक सिंह रहता था। एक दिन उसे बहुत भूख लगी। वह आहार की खोज में पूरे जंगल में घूमता …

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चंद्रयान : पाठ -16

चंद्रयान

(कक्षा में अध्यापिका का आगमन और सभी बच्चों का अभिवादन।) सभी विद्यार्थी – सुप्रभात अध्यापिका जी! अध्यापिका – सुप्रभात बच्चो! आज हम चाँद के बारे …

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भारत : पाठ -15

भारत

भारत तू है हमको प्यारा,तू है सब देशों से न्यारा। मुकुट हिमालय तेरा सुंदर,धोता तेरे चरण समुंदर। गंगा यमुना की हैं धारा,जिनसे है पवित्र जग …

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किसान की होशियारी : पाठ -14

किसान की होशियारी

एक किसान अपना खेत जोत रहा था। अचानक कहीं से एक भालू आ गया। भालू किसान को मारने झपटा। किसान ने कहा, “मुझे क्यों मारते …

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अपना-अपना काम:  पाठ -12

अपना-अपना काम

सिमरन बाग में बैठी स्कूल का काम कर रही थी। “ओ हो! मैं तो थक गई। इतना सारा लिखने-पढ़ने का काम !” वह सोचने लगी, …

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एक जादुई पिटारा : पाठ -11

एक जादुई पिटारा

एक पिटारा हमने खोला,उसमें से निकला गप्पू गोला।गोले पर जब बाँधी सुतली,लगा नाचने बन कठपुतली। कठपुतली ने गाड़े खूँट,उसमें निकले नौ सौ ऊँट।उन ऊँटों पर …

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रस्साकशी: पाठ -10

रस्साकशी

जोर लगाओ, हेई सा!हेई सा! भई, हेई सा! सीना ताने रहो अकड़ कर,रस्सा दोनों ओर पकड़ कर,तिरछे पड़ कर, कमर जकड़ कर,जोर लगाओ, हेई सा!हेई …

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