दीवानों की हस्ती : अध्याय 3
हम दीवानों की क्या हस्ती,हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले,मस्ती का आलम साथ चला,हम धूल उड़ाते जहाँ चले। आए बनकर उल्लास अभी,आँसू बनकर बह चले …
NCERT Book Hindi , Class 8
हम दीवानों की क्या हस्ती,हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले,मस्ती का आलम साथ चला,हम धूल उड़ाते जहाँ चले। आए बनकर उल्लास अभी,आँसू बनकर बह चले …
हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर …
सारे गाँव में बदलू मुझे सबसे अच्छा आदमी लगता था क्योंकि वह मुझे सुंदर-सुंदर लाख की गोलियाँ बनाकर देता था। मुझे अपने मामा के गाँव …