मेघ आए : अध्याय 12

मेघ आए

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर …

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ग्राम श्री : अध्याय 11

ग्राम श्री

फैली खेतों में दूर तलक              मखमल की कोमल हरियाली,लिपटीं जिससे रवि की किरणें             चाँदी की सी उजली जाली!तिनकों के हरे हरे तन पर             हिल हरित …

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कैदी और कोकिला : अध्याय 10

कैदी और कोकिला

क्या गाती हो?क्यों रह-रह जाती हो?कोकिल बोलो तो ! क्या लाती हो?संदेशा किसका है?कोकिल बोलो तो! ऊँची काली दीवारों के घेरे में,डाकू, चोरों, बटमारों के …

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सवैये : अध्याय 9

सवैये

1 मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं व्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।जौ पसु हौं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मँझारन ।।पाहन …

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वाख : अध्याय 8

वाख

1 रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव।जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार।पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे।जी …

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साखियाँ एवं सबद : अध्याय 7

वैष्णव जन तो तेने कहीये

वैष्णव जन तो तेने कहीये …… वैष्णव जन तो तेने कहीयेजे पीड़ पराई जाणे रे।पर दुःखे उपकार करे तोयेमन अभिमाण न आणे रे। सकल लोकमां …

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मेरे बचपन के दिन : अध्याय 6

मेरे बचपन के दिन

बचपन की स्मृतियों में एक विचित्र-सा आकर्षण होता है। कभी-कभी लगता है जैसे सपने में सब देखा होगा। परिस्थितियाँ बहुत बदल जाती है। अपने परिवार …

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