पर्वत प्रदेश में पावस : अध्याय 4

पर्वत प्रदेश में पावस

पावस ऋतु थी, पर्वत प्रदेश,पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश। मेखलाकार पर्वत अपारअपने सहस्र दृग-सुमन फाड़,अवलोक रहा है बार-बारनीचे जल में निज महाकार, जिसके चरणों में पला तालदर्पण-सा …

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मनुष्यता : अध्याय 3

मनुष्यता

पाठ प्रवेश प्रकृति के अन्य प्राणियों की तुलना में मनुष्य में चेतना शक्ति की प्रबलता होती ही है। वह अपने ही नहीं औरों के हिताहित …

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पद : अध्याय 2

पद

पाठ प्रवेश कहते हैं पारिवारिक संतापों से मुक्ति पाने के लिए मीरा घर-द्वार छोड़कर वृंदावन में जा बसी थीं और कृष्णमय हो गई थीं। इनकी …

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साखी :  अध्याय 1

साखी

पाठ प्रवेश ‘साखी’ शब्द ‘साक्षी’ शब्द का ही तद्भव रूप है। साक्षी शब्द साक्ष्य से बना है जिसका अर्थ होता है-प्रत्यक्ष ज्ञान। यह प्रत्यक्ष ज्ञान …

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