केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो : 55

सी.बी.आई1963 में गृह मंत्रालय के एक संकल्प के द्वारा हुई थी। बाद में इसे कार्मिक मंत्रालय को स्थानांतरित कर दिया गया और उसकी स्थिति वहाँ एक सम्बल कार्यालय के रूप में रही’। बाद में स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट (जो कि निगरानी के मामले देखता था) का भी सी.बी.आई में विलय कर दिया गया।

सी.बी.आई. की स्थापना की अनुशंसा भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए गठित संथानम् आयोग (1962-64) ने की थी। सी.बी. आई. कोई वैधानिक संस्था नहीं है। इसे शक्ति दिल्ली विशेष पुलिस अधिष्ठान अधिनियम, 1946 से मिलती है।

सी.बी.आई केन्द्र सरकार की मुख्य अनुसंधान एजेंसी है। शासन-प्रशासन में भ्रष्टाचार की रोकथाम तथा सत्यनिष्ठा एवं ईमानदारी बनाए रखने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका हैं। यह केन्द्रीय सतर्कता आयोग की भी सहायता करती है।

आदर्श वाक्य, उद्देश्य एवं दृष्टि (Motto, Mission and Vision of CBI)

आदर्श वाक्य (Motto): उद्यम, निष्पक्षता तथा ईमानदारी।

• उद्देश्य (Mission): संविधान तथा देश के कानून की रक्षा करना और इसके लिए गहराई से अनुसंधान करना तथा अपराधों के विकल सफल अभियोग दायर करना; पुलिस बल को नेतृत्व तथा दिशा-निर्देश देना तथा कानून लागू करने में अन्तर-राज्यीय तथा अन्तरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए नोडल एजेन्सी के रूप में कार्य करना।

• दृष्टि (Vision): अपने आदर्श वाक्य, उद्देश्य तथा व्यावसायिकता की जरूरत, पारदर्शिता, परिवर्तन के प्रति अनुकूलन तथा अपनी कार्य प्रणाली में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग के द्वारा सी.बी.आई अपने प्रयासों को निम्नलिखित पर केन्द्रित करेगी:

1. सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार से संघर्ष, आर्थिक एवं हिंसक अपराधों में सुविस्तारित अनुसंधान एवं अभियोग द्वारा कमी लाना।

2. विभिन्न न्यायालयों के लम्बित मामलों के सफल अनुसंधान एवं अभियोग दायर करने के लिए प्रभावी प्रणाली एवं प्रक्रिया विकसित करना।

3. साइबर तथा उच्च-प्रौद्योगिकी अपराधों से लड़ने में सहायता करना।

4. कार्यस्थल पर ऐसा सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाना, जिससे टीम-भावना, मुक्त संचार तथा आपसी विश्वास को बढ़ावा मिले।

5. राज्यों के पुलिस संगठनों तथा कानून लागू करने वाली एजेन्सियों के राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग, विशेषकर मामलों की छानबीन और अनुसंधान में सहायता करना।

6. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगठित अपराध लड़ाई में मुख्य भूमिका निर्वाह करना।

7. मानवाधिकारों की रक्षा करना तथा पर्यावरण, कलाओं, कला वस्तुओं (antiques) के साथ अपनी सभ्यता की विरासत की रक्षा करना।

8. वैज्ञानिक अभिवृत्ति, मानवता तथा जाँच-अनुसंधान तथा सुधार की भावना का अपने अंदर विकास करना।

9. कार्य-प्रणाली के प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्टता तथा व्यावसायिकता के लिए प्रयासरत रहना, जिससे कि संगठन अपने प्रयत्नों एवं उपलब्धियों में शिखर पर पहुँचे।

सी.बी.आई. का संगठन

वर्तमान में (2013) सी.बी.आई की निम्नलिखित शाखाएँ हैं:

1. भ्रष्टाचार निरोधक शाखा

2. आर्थिक अपराध शाखा

3. विशेष अपराध शाखा

4. नीतिगत एवं अंतरराष्ट्रीय पुलिस सहयोग शाखा

5. प्रशासनिक शाखा

6. अभियोग निदेशालय

7. केन्द्रीय फोरेन्सिक विज्ञान प्रयोगशाला

सी.बी.आई. का गठन

निदेशक सी.बी.आई का प्रमुख होता है। उसके सहयोग के लिए विशेष निदेशक अथवा अतिरिक्त निदेशक होता है। इसके अतिरिक्त अनेक संयुक्त निदेशक, उप-महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक तथा पुलिस कार्मिकों के अन्य रैंक होते हैं। कुल मिलाकर इसमें लगभग 5000 कार्मिक होते हैं, लगभग 125 फोरेन्सिक वैज्ञानिक तथा 250 विधि अधिकारी कार्य करते हैं।

सी.बी.आई निदेशक पुलिस महानिरीक्षक के रूप में, जबकि दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (Delhi Special Police Establishment) सी.बी.आई के प्रशासन के लिए जिम्मेदार होता है। 2003 में केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त अधिनियम (EVC Act 2003) पारित होने के पश्चात् दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के अधीक्षक भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 के अंतर्गत अपराध अनुसंधान का कार्य देखते हैं और इसका अधीक्षण केन्द्रीय सतर्कता आयोग करता है। केन्द्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 के द्वारा सी.बी.आई निदेशक को दो वर्षों की कार्य-अवधि की सुरक्षा मिली है। केन्द्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम में सी.बी.आई निदेशक के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एवं उससे ऊपर के सभी पदों पर नियुक्ति के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित है।

सी.बी.आई निदेशक की नियुक्ति केन्द्र सरकार गठित एक समिति की अनुशंसाओं पर होती है। इस समिति के अध्यक्ष केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त होते हैं और सतर्कता आयुक्त, गृह मंत्रालय के सचिव तथा मंत्रिमंडल सचिवालय के सचिव (समन्वय एवं लोक परिवाद) इसके सदस्य होते हैं।

सी.बी.आई. के कार्य

(i) केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के भ्रष्टाचार, घूसखोरी तथा दुराचार आदि मामलों का अनुसंधान करना।

(ii) राजकोषीय तथा आर्थिक कानूनों के उल्लंघन के मामलों का अनुसंधान करना, जैसे-आयात-निर्यात नियंत्रण से सम्बन्धित कानूनों का अतिक्रमण, सीमा शुल्क तथा केन्द्रीय उत्पाद शुल्क, विदेशी मुद्रा विनिमय विनियमन, आदि के उल्लंघन के मामले।

(iii) पेशेवर अपराधियों के संगठित गिरोहों द्वारा किए गए ऐसे गंभीर अपराधों का अनुसंधान, जिनका राष्ट्रीय या अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव हुआ हो।

(iv) भ्रष्टाचार निरोधक एजेन्सियों तथा विभिन्न राज्य पुलिस बलों के बीच समन्वय स्थापित करना।

(v) राज्य सरकार के अनुरोध पर किसी सार्वजनिक महत्व के मामले को अनुसंधान के लिए हाथ में लेना।

(vi) अपराध से सम्बन्धित आँकड़ों का अनुरक्षण तथा आपराधिक सूचनाओं का प्रसार।

सी.बी.आई भारत सरकार की एक बहु-अनुशासनिक अनुसंधान एजेंसी है, जो भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराध तथा पारम्परिक अपराधों के अनुसंधान के मामले हाथ में लेती है।

सामान्यतः यह केन्द्र सरकार, केन्द्रशासित प्रदेशों तथा उनके लोक उद्यमों के कर्मचारियों के भ्रष्टाचार के अनुसंधान तक अपने को सीमित रखती है। यह हत्या, अपहरण, बलात्कार आदि जैसे गंभीर अपराधों के मामले भी राज्य सरकारों द्वारा संदर्भित किए जाने पर हाथ में लेती है। ऐसे मामले सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देश प्राप्त होने पर भी हाथ में लेती है।

सी.बी.आई भारत में इंटरपोल के नेशनल सेंट्रल ब्यूरो के रूप में भी कार्य करती है। सी.बी.आई की इंटरपोल शाखा कानून लागू करने वाली भारतीय एजेन्सियों तथा इंटरपोल के सदस्य देशों के अनुसंधान सम्बन्धी गतिविधियों का समन्वय करती है।

सी.बी.आई. बनाम राज्य पुलिस

विशेष पुलिस प्रतिष्ठान [(Special Police Establishment (सी.बी.आई की एक शाखा)] राज्य पुलिस बलों का पूरक है। राज्य पुलिस बलों के साथ विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (SPE) दिल्ली पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम, 1946 के अंतर्गत अनुसंधान और अभियोग दायर करने को समवर्ती शक्तियों का उपयोग करती है। हालाँकि इन दोनों एजेन्सियों के बीच दोहराव या परस्पर व्यापन (overlapping) की स्थिति न आए, इसके लिए निम्नलिखित प्रशासनिक व्यवस्था की गई है:

(i) एस.पी.ई. उन्हीं मामलों को लेगा जो कि केन्द्र सरकार तथा इसके कर्मचारियों से अनिवार्यतः सम्बन्धित हैं; भले ही उनमें राज्य सरकार के कुछ कर्मचारी भी संलग्न हों।

(ii) राज्य पुलिस बल उन्हीं मामलों को लेगा जो कि राज्य सरकार तथा उसके कर्मचारियों से अनिवार्यतः सम्बन्धित हों, भले उनमें केन्द्र सरकार के कुछ कर्मचारी भी संलग्न हों

(iii) एस.पी.ई. लोक उद्यमों अथवा वैधानिक निकायों के कर्मचारियों के विरुद्ध मामलों को भी हाथ में लेगा जो केन्द्र सरकार द्वारा संस्थापित एवं वित्त पोषित हैं।

सी.बी.आई. अकादमी

सी.बी.आई अकादमी गाजियाबाद उत्तर प्रदेश में अवस्थित है। इसने 1996 से कार्यारम्भ किया। इसके पूर्व सी.बी.आई प्रशिक्षण केन्द्र, नई दिल्ली में प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित होते थे।

सी.बी.आई अकादमी दृष्टि-लक्ष्य (vision) है- “अपराध अनुसंधान अभियोग दायर करने तथा सतर्कता कार्य के प्रशिक्षण में उत्कृष्टता प्राप्त करना।” इसका लक्ष्य है सी.बी.आई के मानव संसाधन का प्रशिक्षण, साथ ही राज्य पुलिस तथा सतर्कता संगठनों को भी पेशेवर, उद्यमी, निष्पक्ष, निर्भीक तथा राष्ट्र के प्रति समर्पित बनाने के लिए प्रशिक्षण देना है।

अकादमी प्रशिक्षण गतिविधियों का केन्द्र है। यहाँ उपयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पहचान की जाती है तथा प्रशिक्षुओं के नामांकन को नियमित किया जाता है, साथ ही वार्षिक प्रशिक्षण कैलेण्डर का भी निर्माण किया जाता है।

गाजियाबाद की सी.बी.आई अकादमी के अतिरिक्त कोलकाता, मुंबई तथा चेन्नई में तीन क्षेत्रीय प्रशिक्षण केन्द्र भी कार्यरत हैं। प्रशिक्षण पाठ्यक्रम दो प्रकार के होते हैं-

(i) लघु अवधि का सेवा (in service) पाठ्यक्रमः सी. बी.आई. अधिकारियों, राज्य पुलिस, केन्द्रीय अर्द्ध-सैनिक बलों तथा केन्द्रीय लोक उद्यमों के लिए।

(ii) लम्बी अवधि का मूल पाठ्यक्रमः सीधे नियुक्त डी.एस.पी, उप-निरीक्षक तथा सी.बी.आई सिपाहियों के लिए।

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मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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