रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण : अध्याय 1


अपने दैनिक जीवन की निम्नलिखित परिस्थितियों पर ध्यान दीजिए और विचार कीजिए अ कि क्या होता है जब

• गर्मियों में कमरे के ताप पर दूध को खुला छोड़ दिया जाता है।

• लोहे का तवा अथवा तसला अथवा कील को आर्द्र वायुमंडल में खुला छोड़ दिया जाता है।

• अंगूर का किण्वन हो जाता है।

• भोजन पकाया जाता है।

• हमारा शरीर भोजन को पचा लेता है।

• हम साँस लेते हैं।

इन सभी परिस्थितियों में प्रारंभिक वस्तु की प्रकृति तथा पहचान कुछ न कुछ बदल जाती है। पदार्थ के भौतिक तथा रासायनिक परिवर्तनों के बारे में हम पिछली कक्षाओं में पढ़ चुके हैं। जब कोई रासायनिक परिवर्तन होता है तो हम कह सकते हैं कि एक रासायनिक अभिक्रिया हुई है।

आप शायद सोच रहे होंगे कि रासायनिक अभिक्रिया का वास्तविक अर्थ क्या है। हम कैसे जान सकते हैं कि कोई रासायनिक अभिक्रिया हुई है? इन प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए आइए, हम कुछ क्रियाकलाप करते हैं।

सावधानी – इस क्रियाकलाप में शिक्षक के सहयोग की आवश्यकता है। सुरक्षा के लिए छात्र आँखों पर चश्मा पहन लें तो उचित होगा।

• लगभग 3-4 cm लंबे मैग्नीशियम रिबन को रेगमाल से रगड़कर साफ़ कर लीजिए।

• इसे चिमटे से पकड़कर स्पिरिट लैंप या बर्नर से इसका दहन करिए तथा इससे बनी राख को वॉच ग्लास में इकट्टा कर लीजिए जैसा कि चित्र 1.1 में दिखाया गया है। मैग्नीशियम रिबन का दहन करते समय इसे अपनी आँखों से यथासंभव दूर रखिए।

• आपने क्या प्रेक्षण किया?

आपने देखा होगा कि चमकदार श्वेत लौ के साथ मैग्नीशियम रिबन का दहन होता है और यह श्वेत चूर्ण में परिवर्तित हो जाता है। यह मैग्नीशियम ऑक्साइड का चूर्ण है। वायु में उपस्थित ऑक्सीजन तथा मैग्नीशियम के बीच होने वाली अभिक्रिया के कारण यह बनता है।

• एक परखनली में लेड (सीसा) नाइट्रेट का घोल लीजिए।

• इसमें पोटैशियम आयोडाइड का घोल मिला दीजिए।

• आपने क्या प्रेक्षण किया?

• एक शंक्वाकार फ्लास्क या परखनली में कुछ दानेदार जिंक लीजिए।

• इसमें तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल या सल्फ्यूरिक अम्ल मिला दीजिए (चित्र 1.2)

सावधानी- अम्ल का इस्तेमाल सावधानी से कीजिए।

• क्या जस्ते के दानों के आस-पास कुछ होता दिखाई दे रहा है?

• शंक्वाकार फ्लास्क या परखनली को स्पर्श कीजिए। क्या इसके तापमान में कोई परिवर्तन हुआ है?

ऊपर दिए गए तीनों क्रियाकलापों के आधार पर हम कह सकते हैं कि निम्न किसी भी प्रेक्षण की सहायता से हम निर्धारित कर सकते हैं कि एक रासायनिक अभिक्रिया हुई है-

•  अवस्था में परिवर्तन

•  रंग में परिवर्तन

•  गैस का निकास अथवा उत्सर्जन

• तापमान में परिवर्तन

यदि हम अपने आस-पास हो रहे परिवर्तनों को देखें, ता पाएँगे कि हमारे चारों ओर विविध प्रकार की रासायनिक अभिक्रियाएँ हो रही हैं। इस अध्याय में हम विभिन्न प्रकार की रासायनिक अभिक्रियाओं और उनके प्रतीकात्मक निरूपण का अध्ययन करगे।

1.1 रासायनिक समीकरण

क्रियाकलाप 1.1 का विवरण- जब ऑक्सीजन की उपस्थिति में मैग्नीशियम रिबन का दहन होता है तब यह मैग्नीशियम ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है। वाक्य के रूप में किसी रासायनिक अभिक्रिया का विवरण बहुत लंबा हो जाता है। इसे संक्षिप्त रूप में भी लिखा जा सकता है। इसे शब्द-समीकरण के रूप में लिखना सबसे सरलतम विधि है।

ऊपर दी गई अभिक्रिया का शब्द-समीकरण इस प्रकार होगा-

मैग्नीशियम ऑक्सीजन (अभिकारक) → मैग्नीशियम ऑक्साइड (उत्पाद) (1.1)

अभिक्रिया (1.1) में मैग्नीशियम तथा ऑक्सीजन ऐसे पदार्थ हैं, जिनमें रासायनिक परिवर्तन होता है, इन्हें अभिकारक कहते हैं। इस अभिक्रिया से एक नए पदार्थ मैग्नीशियम ऑक्साइड का निर्माण होता है, इसे उत्पाद कहते हैं।

शब्द-समीकरण में अभिकारकों के उत्पाद में परिवर्तन को उनके मध्य एक तीर का निशान लगाकर दर्शाया जाता है। अभिकारकों के बीच योग (+) का चिह्न लगाकर उन्हें बाईं ओर (LHS) लिखा जाता है। इसी प्रकार उत्पादों के बीच भी योग (+) का चिह्म लगाकर उन्हें दाईं ओर (RHS) लिखा जाता है। तीर का सिरा उत्पाद की ओर होता है तथा यह अभिक्रिया होने की दिशा को दर्शाता है।

1.1.1 रासायनिक समीकरण लिखना

क्या रासायनिक समीकरण के निरूपण की इससे भी संक्षिप्त विधि है? शब्दों की जगह रासायनिक सूत्र का उपयोग करके रासायनिक समीकरणों को अधिक संक्षिप्त तथा उपयोगी बनाया जा सकता है। रासायनिक समीकरण किसी रासायनिक अभिक्रिया को दर्शाता है। यदि आप मैग्नीशियम, ऑक्सीजन तथा मैग्नीशियम ऑक्साइड के सूत्रों का स्मरण करें तो उपरोक्त शब्द-समीकरण इस प्रकार लिखा जा सकता है:

Mg + O2 →  MgO (1.2)

तीर के निशान के बाईं और दाईं ओर के तत्वों के परमाणुओं की संख्या की गिनती कर उनकी तुलना करें। क्या दोनों ओर तत्वा के परमाणुओं की संख्या समान है? यदि है, तो समीकरण संतुलित है। यदि नहीं, तो समीकरण असंतुलित है, क्योकि समीकरण के दोनों ओर का द्रव्यमान बराबर नहीं है। किसी अभिक्रिया का ऐसा रासायनिक समीकरण ढाँचा रासायनिक समीकरण कहलाता है। इस प्रकार समीकरण (1.2) मग्नीशियम के वायु में जलने का ढाँचा समीकरण है।

1.1.2 संतुलित रासायनिक समीकरण का महत्व

आपको द्रव्यमान के संरक्षण का नियम स्मरण होगा, जिसका आपने नवीं कक्षा में अध्ययन किया था- किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान का न ता निर्माण होता हैन ही विनाश। अर्थात किसी भी रासायनिक अभिक्रिया के उत्पाद तत्वों का कुल द्रव्यमान अभिकारक तत्वों के कुल द्रव्यमान के बराबर होता है।

दूसरे शब्दों में, रासायनिक अभिक्रिया के पहल एवं उसके पश्चात प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या समान रहती है। इसलिए हमें कंकाली समीकरण को संतुलित करना आवश्यक है। क्या रासायनिक समीकरण (1.2) संतुलित है? आइए हम रासायनिक समीकरण को चरणबद्ध संतुलित करना सीखें।

क्रियाकलाप 1.3 के शब्द-समीकरण को इस प्रकार दर्शाया जा सकता है-

जिंक + सल्पयूरिक अम्ल  → जिंक सल्फेट + हाइड्रोजन

उपरोक्त शब्द-समीकरण को निम्नलिखित रासायनिक समीकरण से दर्शाया जा सकता है:

Zn + H₂SO₄ → ZnSO4 + H₂              (1.3)

आइए, समीकरण (1.3) में तीर के निशान के दोनों ओर के तत्वों के परमाणुओं की संख्या की तुलना करें।

तत्वअभिकारकों में परमाणुओं की संख्या (LHS)उत्पाद में परमाणुओं की संख्या (RHS)
Zn11
H22
S11
O44

समीकरण (1.3) में, तीर के निशान के दोनों ओर के प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या समान है इसलिए यह एक संतुलित रासायनिक समीकरण है।

अब हम निम्न रासायनिक समीकरण को संतुलित करने का प्रयास करते हैं-

Fe3 + H₂O → Fe3O4+ H₂                 (1.4)

चरण 1: रासायनिक समीकरण को संतुलित करने के लिए सबसे पहले प्रत्येक सूत्र के चारों ओर एक बॉक्स बना लीजिए। समीकरण को संतुलित करते समय बॉक्स के अंदर कुछ भी परिवर्तन नहीं कीजिए।

Fe +H₂O → Fe₂O4 + H₂ (1.5)

चरण 2: असंतुलित समीकरण (1.5) में उपस्थित विभिन्न तत्वों के परमाणुओं की संख्या की सूची बना लीजिए।

तत्वअभिकारकों में परमाणुओं की संख्या (LHS)उत्पाद में परमाणुओं की संख्या (RHS)
Fe13
H22
O14

चरण 3: सुविधा के लिए सबसे अधिक परमाणु वाले यौगिक को पहले संतुलित कीजिए चाहे वह अभिकारक हो या उत्पाद। उस यौगिक में सबसे अधिक परमाणु वाले तत्व को चुनिए। इस आधार पर हम Fe3O4 और उसके ऑक्सीजन तत्व को चुनते हैं। दाईं ओर ऑक्सीजन के चार परमाणु हैं जबकि बाईं ओर केवल एका

ऑक्सीजन परमाणु को संतुलित करने के लिए-

ऑक्सीजन के परमाणुअभिकारकों मेंउत्पादों में
(i) प्रारंभ में1 (H₂O में)4 (Fe3O4 में)
(ii) संतुलित करने के लिए1×44

यह याद रखना आवश्यक है कि परमाणुओं की संख्या को बराबर करने के लिए हम अभिक्रिया में शामिल तत्वों तथा यौगिकों के सूत्रों को नहीं बदल सकते हैं। जैसे कि ऑक्सीजन परमाणु को संतुलित करने के लिए हम ‘4’ गुणांक लगाकर 4 H2O लिख सकते हैं, लेकिन H2O4या (H2O)4नहीं। आंशिक रूप से संतुलित समीकरण अब इस प्रकार होगा-

चरण 4: Fe तथा H परमाणु अब भी संतुलित नहीं हैं। इनमें से किसी एक तत्व को चुनकर आगे बढ़ते हैं। अब हम आंशिक रूप से संतुलित समीकरण में हाइड्रोजन परमाणु को संतुलित करते हैं: हाइड्रोजन परमाणु को बराबर करने के लिए दाईं ओर हाइड्रोजन अणु की संख्या को ‘4’ कर देते हैं।

हाइड्रोजन के परमाणुअभिकारकों मेंउत्पादों में
(i) प्रारंभ में8 (4H2O में)2 (H2 में)
(ii) संतुलित करने के लिए82×4

समीकरण अब इस प्रकार होगा-

Fe + 4 H2O → Fe3O4 + 4H2      (1.7)     (आंशिक रूप से संतुलित समीकरण)

चरण 5: ऊपर दिए समाकरण का जाच कााजए तथा तासरा तत्व चुन लाजिए जा अब तक असंतुलित है। आप पाएँगे कि केवल लोहा ही एक तत्व है, जिस संतुलित करना शेष है।

लोहे (आयरन) के परमाणुअधिकारकों में   उत्पादों में
(i) प्रारंभ में 1 (Fe में)3 ( Fe3O4 में)
(ii) संतुलन के लिए1×33

Fe को संतुलित करने के लिए बाईं ओर हम Fe के 3 परमाणु लेते हैं।

3 Fe + 4 H2OFe3O4 + 4H2 (1.8)

चरण 6: अंत में, इस संतुलित समीकरण की जाँच के लिए हम समीकरण में दोनों ओर के तत्वों के परमाणुओं की संख्याओं का परिकलन करते हैं।

3 Fe + 4 H2O → Fe3O4 + 4H2          (1.9) (संतुलित समीकरण)

समीकरण (1.9) में दोनों ओर के तत्वों के परमाणुओं की संख्या बराबर है। अतः यह समीकरण अब संतुलित है। रासायनिक समीकरणों को संतुलित करने की इस विधि को हिट एंड ट्रायल विधि कहते हैं, क्योंकि सबसे छोटी पूर्णांक संख्या के गुणांक का उपयोग करके समीकरण को संतुलित करने का प्रयत्न करते हैं।

चरण 7: भौतिक अवस्थाओं के संकेत लिखना- ऊपर लिखे संतुलित समीकरण (1.9) की सावधानी से जाँच कीजिए। क्या इस समीकरण से हमें अभिकारकों तथा उत्पादों की भौतिक अवस्था के बारे में भी ज्ञान होता है? इस समीकरण में उनकी भौतिक अवस्थाओं की कोई जानकारी नहीं है।

रासायनिक समीकरण को अधिक सूचनापूर्ण बनाने के लिए अभिकारकों तथा उत्पादों के रासायनिक सूत्र के साथ उनकी भौतिक अवस्था को भी दर्शाया जाता है। अभिकारकों तथा उत्पादों के गैस, द्रव, जलीय तथा ठोस अवस्थाओं को क्रमशः (g), (1), (aq) तथा (s) से दर्शाया जाता है। अभिकारक या उत्पाद जब जल में घोल के रूप में उपस्थित होते हैं तब हम (aq) लिखते हैं। अब संतुलित समीकरण (1.9) इस प्रकार होगा-

3Fe(s) + 4 H2O(g) → Fe3O4(s) + 4H2 (1.10)

ध्यान दीजिए समीकरण (1.10) में H₂O के साथ (g) चिह्न का उपयोग किया गया है। यह दर्शाता है कि इस अभिक्रिया में जल का उपयोग भाप के रूप में किया गया है। प्रायः हर रासायनिक समीकरण में भीतिक अवस्था को शामिल नहीं किया जाता है, जब तक कि यह आवश्यक न हो।

कभी-कभी अभिक्रिया की परिस्थितियाँ जैसे कि ताप, दाब, उत्प्रेरक आदि को भी तीर के निशान के ऊपर या नीचे दर्शाया जाता है, जैसे-

CO(g) +2 H2(g) → CH3OH(1)

6CO2(aq) + 12 H2O(1) → C6H12O6(aq) + 6O2(aq) + 6H2O(1) (1.12)

1.2 रासायनिक अभिक्रियाओं के प्रकार

कक्षा 9 में हम अध्ययन कर चुके हैं कि रासायनिक क्रिया के समय किसी एक तत्व का परमाणु दूसरे तत्व के परमाणु में नहीं बदलता है। न तो कोई परमाणु मिश्रण से बाहर जाता है और न ही बाहर से मिश्रण में आता है। वास्तव में, किसी रासायनिक अभिक्रिया में परमाणुओं के आपसी आबंध के टूटने एवं जुड़ने से नए पदार्थों का निर्माण होता है। परमाणुओं के बीच विभिन्न प्रकार के आबंध के बारे में आप अध्याय 3 तथा 4 में अध्ययन करेंगे।

1.2.1 संयोजन अभिक्रिया

चित्र 1.3 जल के साथ कैल्सियम ऑक्साइड की अभिक्रिया से बुझे हुए चूने का निर्माण

• एक बीकर में थोड़ा कैल्सियम ऑक्साइड तथा बुझा हुआ चूना लीजिए।

• इसमें धीरे-धीरे जल मिलाइए।

• अब बीकर को स्पर्श कीजिए जैसा चित्र 1.3 में दिखाया गया है।

• क्या इसके ताप में कोई परिवर्तन हुआ?

कैल्सियम ऑक्साइड जल के साथ तीव्रता से अभिक्रिया करके बुझे हुए चूने (कैल्सियम हाइड्रोक्साइड) का निर्माण करके अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न करता है।

CaO(s) + H₂O(1)→ Ca(OH)₂ (aq) + ऊष्मा (1.13)

इस अभिक्रिया में कैल्सियम ऑक्साइड तथा जल मिलकर एकल उत्पाद, कैल्सियम हाइड्रोक्साइड बनाते हैं। ऐसी अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एकल उत्पाद का निर्माण करते हैं उसे संयोजन अभिक्रिया कहते हैं।

आइए, संयोजन अभिक्रिया के कुछ और उदाहरणों पर चर्चा करें।

(i) कोयले का दहन

C(s) + O2(g) → CO2(g)       ( 1.15)

(ii) H₂ (g) तथा O2 (g) से जल का निर्माण

2H,(g)+O,(g) → 2H₂O(1)             (1.16)

सरल शब्दों में हम कह सकते हैं कि जब दो या दो से अधिक पदार्थ (तत्व या यौगिक) संयोग करके एकल उत्पाद का निर्माण करते हैं, ऐसी अभिक्रियाओं को संयोजन अभिक्रिया कहते हैं।

क्रियाकलाप 1.4 में हमने यह भी देखा कि अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न हुई। इससे अभिक्रिया मिश्रण गर्म हो जाता है। जिन अभिक्रियाओं में उत्पाद के निर्माण के साथ-साथ ऊष्मा भी उत्पन्न होती है उन्हें ऊष्माक्षेपी रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं। ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाओं के कुछ अन्य उदाहरण है-

(i) प्राकृतिक गैस का दहन –

CH4(g) + 2O2 (g) → CO2 (g) + 2H₂O (g) + ऊर्जा  (1.17)

(ii) क्या आप जानते हैं कि श्वसन एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है?

हम सभी जानते हैं कि जीवित रहने के लिए हमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा हमें भोजन से प्राप्त होती है। पाचन क्रिया के समय खाद्य पदार्थ छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं। जैसे चावल, आलू तथा ब्रेड में कार्बोहाइड्रेट होता है। इन कार्बोहाइड्रेट के टूटने से ग्लूकोज प्राप्त होता है। यह ग्लूकोज़ हमारे शरीर की कोशिकाओं में उपस्थित ऑक्सीजन से मिलकर हमें ऊर्जा प्रदान करता है। इस अभिक्रिया का विशेष नाम श्वसन है, जिसका अध्ययन आप अध्याय 6 में करेंगे।
C6H12O6(aq) + 6O2(aq) → 6O2(aq) + 6H₂O(1) + ऊर्जा 

(iii) शाक-सब्जियों (वनस्पति द्रव्य) का विघटित होकर कंपोस्ट बनना भी ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया का ही उदाहरण है।

क्रियाकलाप 1.1 में दी गई अभिक्रिया के प्रकार को पहचानिए, जिसमें एकल उत्पाद के निर्माण के साथ ऊष्मा उत्पन्न होती है।

1.2.2  वियोजन (अपघटन) अभिक्रिया

चित्र 1.4 फ़ेरस सल्फेट क्रिस्टल वाली परखनली को गर्म करने तथा गंध सूँघने की सही विधि

• एक शुष्क क्वथन नली में 2g फेरस सल्फेट के क्रिस्टल लीजिए।

• फेरस सल्फेट के क्रिस्टल के रंग पर ध्यान दीजिए।

• क्वथन नली को बर्नर या स्पिरिट लैंप की ज्वाला पर गर्म कीजिए, जेसा चित्र 1.4 में दिखाया गया है।

• गर्म करने के पश्चात क्रिस्टल के रंग को देखिए।

क्या आपने ध्यान दिया कि फेरस सल्फेट क्रिस्टल के हरे रंग में परिवर्तन हुआ है? सल्फर के दहन से उत्पन्न उस अभिलाक्षणिक (विशिष्ट) गंध को भी आप सूंघ सकते हैं।

2FeSO4(s) (फेरस सल्फेट) → Fe2O3 (s) + SO2(g) + SO3(g) (फेरिक ऑक्साइड) (1.19)

आप देख सकते हैं कि इस अभिक्रिया में एकल अभिकर्मक टूट कर छोटे-छोटे उत्पाद प्रदान करता है। यह एक वियोजन अभिक्रिया है। गर्म करने पर फेरस सल्फेट (FeSO4 7H₂O) का क्रिस्टल जल त्याग देता है और क्रिस्टल का रंग बदल जाता है। इसके उपरांत यह फेरिक ऑक्साइड (Fe2O3), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) तथा सल्फर ट्राइऑक्साइड (SO3) में वियोजित हो जाता है। फेरिक ऑक्साइड ठोस है, जबकि SO2 तथा SO3 गैसें हैं।

ऊष्मा देने पर कैल्सियम कार्बोनेट का कैल्सियम ऑक्साइड तथा कार्बन डाइऑक्साइड में वियोजित होना एक प्रमुख वियोजन अभिक्रिया है, जिसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में होता है। कैल्सियम, ऑक्साइड को चूना या बिना बुझा हुआ चूना कहते हैं। इसके अनेक उपयोगों में से एक उपयोग सीमेंट के निर्माण में होता है। ऊष्मा के द्वारा की गई वियोजन अभिक्रिया को ऊष्मीय वियोजन कहते हैं।

CaCO3 (s) (चूना पत्थर) → CaO(s) + CO2(g) (बुझा हुआ चूना)

उष्मीय वियोजन अभिक्रिया का एक अन्य उदाहरण क्रियाकलाप 1.6 में दिया गया है।

चित्र 1.5 लेड नाइट्रेट का तापन तथा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन

• एक क्वथन नली में 2 g लेड नाइट्रेट का चूर्ण लीजिए।

• चिमटे से क्वथन नली को पकड़कर ज्वाला के ऊपर रखकर इसे गर्म कीजिए जैसा चित्र 1.5 में दिखाया गया है।

• आपने क्या देखा? यदि कोई परिवर्तन हुआ है तो उसे नोट कर लीजिए।

आप देखेंगे कि भूरे रंग का धुआँ उत्सर्जित होता है। यह नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) का धुआँ है। यह अभिक्रिया इस प्रकार होती है-

2Pb(NO3)2(s) (लेड नाइट्रेट) → 2PbO(s) + 4NO2(g) + O2(g) (लेड ऑक्साइड) (नाइट्रोजन (ऑक्सीजन) डाइऑक्साइड)

आइए, क्रियाकलाप 1.7 तथा 1.8 में दी गई कुछ अन्य अपघटन अभिक्रियाएँ करें।

चित्र 1.6 जल का वैद्युत अपघटन

• एक प्लास्टिक का मग लीजिए। इसकी तली में दो छिद्र करके उनमें रबड़ की डाट लगा दीजिए। इन छिद्रों में कार्बन इलेक्ट्रोड डाल दीजिए जैसा कि चित्र 1.6 में दिखाया गया है।

• इन इलेक्ट्रोडों को 6 वोल्ट की बैटरी से जोड़ दीजिए।

• मग में इतना जल डालिए कि इलेक्ट्रोड उसमें डूब जाए। जल में तनु सल्फ्यूरिक अम्ल की कुछ बूँदें डाल दीजिए।

• जल से भरी दो अंशांकित परखनलियों को दोनों कार्बन इलेक्ट्रोडों के ऊपर उल्टा करके रख दीजिए।

• अब विद्युत धारा प्रवाहित करके इस उपकरण को थोड़ी देर के लिए छोड़ दीजिए।

• दोनों इलेक्ट्रोडों पर आप बुलबुले बनते हुए देखेंगे। ये बुलबुले अंशांकित नली से जल को विस्थापित कर देते हैं।

• क्या दोर्नो परखनलियों में एकत्रित गैस का आयतन समान है?

• जब दोनों परखनलियाँ गैस से भर जाएँ तब उन्हें सावधानीपूर्वक हटा लीजिए।

• एक जलती हुई मोमबत्ती को दोनों परखनलियों के मुँह के ऊपर लाकर इन गैसों की जाँच कीजिए।

सावधानी – इस चरण को शिक्षक द्वारा सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।

• दोनों स्थितियों में क्या होता है?

• दोनों परखनलियों में कौन सी गैस उपस्थित है?

चित्र 1.7 सूर्य के प्रकाश में सिल्वर क्लोराइड धूसर रंग का होकर सिल्वर धातु बनाता है।

• चायना डिश में 2 g सिल्वर क्लोराइड लीजिए।

• इसका रंग क्या है?

• इस चायना डिश को थोड़ी देर के लिए सूर्य के प्रकाश में रख दीजिए (चित्र 1.7)।

• थोड़ी देर पश्चात सिल्वर क्लोराइड के रंग को देखिए।

आप देखेंगे कि सूर्य के प्रकाश में श्वेत रंग का सिल्वर क्लोराइड धूसर रंग का हो जाता है। प्रकाश की उपस्थिति में सिल्वर क्लोराइड का सिल्वर तथा क्लोरीन में वियोजन के कारण से ऐसा होता है।

2AgCl(s) सूर्य का प्रकाश → 2Ag(s) + Cl2(g) (1.22)

सिल्वर ब्रोमाइड भी इसी प्रकार अभिक्रिया करता है।

2AgBr(s) सूर्य का प्रकाश → 2Ag(s) + Br (g) (1.23)

ऊपर दी गई अभिक्रिया का उपयोग श्याम श्वेत फोटोग्राफी में किया जाता है। किस प्रकार की ऊर्जा के कारण यह वियोजन अभिक्रिया होती है?

हमने देखा कि वियोजन अभिक्रिया में अभिकारकों को तोड़ने के लिए ऊष्मा, प्रकाश या विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता होती है। जिन अभिक्रियाओं में ऊर्जा अवशोषित होती है, उन्हें ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहते हैं।

1.2.3 विस्थापन अभिक्रिया

चित्र 1.8 (a) कॉपर सल्फेट के विलयन में डूबी हुई लोहे की कीलें

• लोहे की तीन कील लीजिए और उन्हें रेगमाल से रगड़कर साफ़ कीजिए।

• (A) तथा (B) से चिह्नित की हुई दो परखनलियाँ लीजिए। प्रत्येक परखनली में 10 ml कॉपर सल्फेट का विलयन लीजिए।

• दो कीलों को धागे से बाँधकर सावधानीपूर्वक परखनली (B) के कॉपर सल्फेट के विलयन में लगभग 20 मिनट तक (चित्र 1.8 a) डुबो कर रखिए। तुलना करने के लिए एक कील को अलग रखिए।

• 20 मिनट पश्चात दोनों कीलों को कॉपर सल्फेट के विलयन से बाहर निकाल लीजिए।

• परखनली (A) तथा (B) में कॉपर सल्फेट के विलयन के नीले रंग की तीव्रता की तुलना (चित्र 1.8 b) कीजिए।

• कॉपर सल्फेट के विलयन में डूबी कीलों के रंग की तुलना बाहर रखी कील (चित्र 1.8 b) से कीजिए।

चित्र 1.8 (b) प्रयोग से पहले तथा उसके उपरांत लोहे की कील तथा कॉपर सल्फेट के विलयन की तुलना

लोहे की कील का रंग भूरा क्यों हो गया तथा कॉपर सल्फेट के विलयन का नीला रंग मलीन क्यों पड़ गया?

इस क्रियाकलाप में निम्नलिखित अभिक्रिया हुई-

Fe(s) + CuSO4(aq) → FeSO4(aq) + Cu(s)

इस अभिक्रिया में लोहे (आयरन) ने टसरे तत्वं कॉपर को कॉपर सल्फेट के विलयन से विस्थापित कर दिया या हटा दिया। इस अभिक्रिया को विस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।

विस्थापन अभिक्रिया के कुछ अन्य उदाहरण-

Zn(s) + CuSO4(aq) → ZnSO4(aq) + Cu(s)

Pb(s) + CuCl2(aq) → PbCl2(aq) + Cu(s)

जिंक तथा लेड, कॉपर की अपेक्षा अधिक क्रियाशील तत्व हैं। वे कॉपर को उसके यौगिक से विस्थापित कर देते हैं।

1.2.4 द्विविस्थापन अभिक्रिया

चित्र 1.9 बेरियम सल्फेट तथा सोडियम क्लोराइड का निर्माण

• एक परखनली में 3 mL सोडियम सल्फेट का विलयन लीजिए।

• एक अन्य परखनली में 3 mL बेरियम क्लोराइड लीजिए।

• दोनों विलयनों को (चित्र 1.9) मिला लीजिए।

• आपने क्या देखा?

आप देखेंगे कि श्वेत रंग के एक पदार्थ का निर्माण होता है, जो जल में अविलेय है। इस अविलेय पदार्थ को अवक्षेप कहते हैं। जिस अभिक्रिया में अवक्षेप का निर्माण होता है, उसे अवक्षेपण अभिक्रिया कहते हैं।

Na2SO4 (aq) + BaCl2 (aq) → BaSO4 (s) + 2NaCl(aq) (1.27)

ऐसा क्यों होता है? Ba2+ तथा SO42 की अभिक्रिया से BaSO4 के अवक्षेप का निर्माण होता है। एक अन्य उत्पाद सोडियम कलोराइड का भी निर्माण होता है, जो विलयन में ही रहता है। वे अभिक्रियाएँ, जिनमें अभिकारकों के बीच आयनों का आदान-प्रदान होता है, उन्हें द्विविस्थापन अभिक्रियाएँ कहते हैं।

क्रियाकलाप 1.2 पर ध्यान दें, जिसमें आपने लंड (II) नाइट्रेट तथा पाटेशियम आयोडाइड के विलयनों को मिश्रित किया था।

(i) अवक्षेप किस रंग का था? क्या आप अवक्षेपित योगिक का नाम बता सकते हैं?

(ii) इस अभिक्रिया के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।

(iii) क्या यह भी द्विविस्थापन अभिक्रिया है?

1.2.5 उपचयन एवं अपचयन

• चायना डिश में 1 g कॉपर चूर्ण लेकर उसे गर्म कीजिए। (चित्र 1.10)

• आपने क्या देखा?

कॉपर चूर्ण की सतह पर कॉपर ऑक्साइड (II) की काली परत चढ़ जाती है। यह काला पदार्थ क्यों बना?

यह कॉपर ऑक्साइड कॉपर में ऑक्सीजन के योग से बना है।

2Cu +O2 तापन → 2CuO (1.28)

यदि इस गर्म पदार्थ (CuO) के ऊपर हाइड्रोजन गैस प्रवाहित की जाए तो सतह की काली परत भूरे रंग की हो जाती है, क्योंकि इस स्थिति में विपरीत अभिक्रिया संपन्न होती है तथा कॉपर प्राप्त होता है।

CuO + H2 तापन Cu + H2O (1.29)

अभिक्रिया के समय जब किसी पदार्थ में ऑक्सीजन की वृद्धि होती है तो कहते हैं कि उसका उपचयन हुआ है। तथा जब अभिक्रिया में किसी पदार्थ में ऑक्सीजन का हास होता है तो कहते हैं कि उसका अपचयन हुआ है।

अभिक्रिया (1.29) में कॉपर (II) ऑक्साइड में ऑक्सीजन का हास हो रहा है इसलिए यह अपचयित हुआ है। हाइड्रोजन में ऑक्सीजन की वृद्धि हो रही है इसलिए यह उपचयित हुआ है। अर्थात, किसी अभिक्रिया में एक अभिकारक उपचयित तथा दूसरा अभिकारक अपचयित होता है। इन अभिक्रियाओं को उपचयन-अपचयन अथवा रेडॉक्स अभिक्रियाएँ कहते हैं।

CuO +H2 → Cu + H2O      (1.30)

रेडॉक्स अभिक्रिया के कुछ अन्य उदाहरण है-

ZnO + C → Zn+CO (1.31)

MnO2+ 4HCl → MnCl2 + 2H2O + Cl2 (1.32)

अभिक्रिया (1.31) में र्काबन उपचवित होकर CO तथा ZnO अपचयित होकर Zn बनता है।

अभिक्रिया (1.32) में HCI, Cl2 में उपचयित तथा MnO2, MnCl2 में अपचयित हुआ है।

ऊपर के उदाहरणा के आधार पर हम कह सकते हैं कि यदि किसी अभिक्रिया में पदार्थ का उपचयन तब होता है, जब उसमें ऑक्सीजन की वृद्धि या हाइड़ाजन का हास होता है। पदार्थ का अपचयन तब होता है, जब उरामं ऑक्सीजन का हास या हाइड्रोजन की वृद्धि हाती है।

क्रियाकलाप 1.1 पर ध्यान दीजिए, जिसमें एक चमकदार ज्वाला के साथ मैग्नीशियम रिबन का वायु (ऑक्सीजन) में दहन होता है तथा यह श्वेत पदार्थ मैग्नीशियम ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है। इस अभिक्रिया में मैग्नीशियम का उपचयन होता है या अपचयन?

1.3 क्या आपने दैनिक जीवन में उपचयन अभिक्रियाओं के प्रभावों को देखा है?

1.3.1 संक्षारण

आपने अवश्य देखा होगा कि लोहे की बनी नई वस्तुएँ चमकीली होती हैं, लेकिन कुछ समय पश्चात उन पर लालिमायुक्त भूरे रंग की परत चढ़ जाती है। प्रायः इस प्रक्रिया को लोहे पर जंग लगना कहते हैं। कुछ अन्य धातुओं में भी ऐसा ही परिवर्तन होता है। क्या आपने चाँदी तथा ताँबे पर चढ़ने वाली परत के रंग पर ध्यान दिया है? जब कोई धातु अपने आस-पास अम्ल, आर्द्रता आदि के संपर्क में आती है तब ये संक्षारित होती हैं और इस प्रक्रिया को संक्षारण कहते हैं। चाँदी के ऊपर काली पर्त व ताँबे के ऊपर हरी पर्त चढ़ना संक्षारण के अन्य उदाहरण हैं।

संक्षारण के कारण कार के ढाँचे, पुल, लोहे की रेलिंग, जहाज तथा धातु, विशेषकर लोहे से बनी वस्तुओं की बहुत क्षति होती है। लोहे का संक्षारण एक गंभीर समस्या है। क्षतिग्रस्त लोहे को बदलने में हर वर्ष अधिक पैसा खर्च होता है। अध्याय 3 में आपको संक्षारण के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त होगी।

1.3.2 विकृतगंधिता

वसायुक्त अथवा तैलीय खाद्य सामग्री जब लंबे समय तक रखी रह जाती है तब उसका स्वाद या गंध कैसी होती है?

उपचयित होने पर तेल एवं वसा विकृतगंधी हो जाते हैं तथा उनके स्वाद तथा गंध बदल जाते हैं। प्रायः तैलीय तथा वसायुक्त खाद्य सामग्रियों में उपचयन रोकने वाले पदार्थ (प्रति ऑक्सीकारक) मिलाए जाते हैं। वायुरोधी बर्तनों में खाद्य सामग्री रखने से उपचयन की गति धीमी हो जाती है। क्या आप जानते हैं कि चिप्स बनाने वाले चिप्स की थैली में से ऑक्सीजन हटाकर उसमें नाइट्रोजन जैसी कम सक्रिय गैस से युक्त कर देते हैं ताकि चिप्स का उपचयन न हो सके।

आपने क्या सीखा

• एक पूर्ण रासायनिक समीकरण अभिकारक, उत्पाद एवं प्रतीकात्मक रूप से उनकी भौतिक अवस्था को प्रदर्शित करता है।

• रासायनिक समीकरण को संतुलित किया जाता है, जिससे समीकरण में अभिकारक तथा उत्पाद, दोनों ही ओर रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले प्रत्येक परमाणु की संख्या समान हो। समीकरण का संतुलित होना आवश्यक है।

• संयोजन अभिक्रिया में दो या दो से अधिक पदार्थ मिलकर एक नया पदार्थ बनाते हैं।

• वियोजन अभिक्रिया संयोजन अभिक्रिया के विपरीत होती है। वियोजन अभिक्रिया में एकल पदार्थ वियोजित होकर दो या दो से अधिक पदार्थ देता है।

• जिन अभिक्रियाओं में उत्पाद के साथ ऊष्मा का भी उत्सर्जन होता है, उन्हें ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ कहते हैं।

• जिन अभिक्रियाओं में ऊष्मा का अवशोषण होता है, उन्हें ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ कहते हैं।

• जब कोई एक तत्व दूसरे तत्व को उसके यौगिक से विस्थापित कर देता है, विस्थापन अभिक्रिया होती है।

• द्विविस्थापन अभिक्रिया में दो अलग-अलग परमाणु या परमाणुओं के समूह (आयन) का आपस में आदान-प्रदान होता है।

• अवक्षेपण अभिक्रिया से अविलेय लवण प्राप्त होता है।

• अभिक्रिया में पदाथों से ऑक्सीजन या हाइड्रोजन का योग अथवा हास भी होता है। ऑक्सीजन का योग या हाइड्रोजन का हास ऑक्सीकरण या उपचयन कहलाता है। ऑक्सीजन का डास या हाइड्रोजन का योग अपचयन कहलाता है।

यह भी पढ़े : कारतूस : अध्याय 14

प्रश्न अभ्यास

1. नीचे दी गई अभिक्रिया के संबंध में कौन सा कथन असत्य है?

2PbO(s) + C(s) → 2Pb(s) + CO2(g)

(a) सीसा अपचयित हो रहा है।

(b) कार्बन डाइऑक्साइड उपचयित हो रहा है

(c) कार्बन उपचयित हो रहा है।

(d) लेड ऑक्साइड अपचयित हो रहा है।

(i) (a) एवं (b)
(ii) (a) एवं (c)
(iii) (a), (b) एवं (c)
(iv) सभी

Ans. (i) (a) एवं (b)

2. Fe2O3 +2Al → Al2O3 + 2Fe
ऊपर दी गई अभिक्रिया किस प्रकार की है-

(a) संयोजन अभिक्रिया
(b) द्विविस्थापन अभिक्रिया
(c) वियोजन अभिक्रिया
(d) विस्थापन अभिक्रिया

Ans. (d) विस्थापन अभिक्रिया

3. लौह-चर्ण पर तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल डालने से क्या होता है? सही उत्तर पर निशान लगाइए।

(a) हाइड्रोजन गैस एवं आयरन क्लोराइड बनता है।
(b) क्लोरीन गैस एवं आयरन हाइड्रॉक्साइड बनता है।
(c) कोई अभिक्रिया नहीं होती है।
(d) आयरन लवण एवं जल बनता है।

Ans. (a) हाइड्रोजन गैस एवं आयरन क्लोराइड बनता है।

4. संतुलित रासायनिक समीकरण क्या है? रासायनिक समीकरण को संतुलित करना क्यों आवश्यक है?
Ans.
वह रासायनिक समीकरण जिसमे दोनों पक्षों (अभिकारकों तथा उत्पादों ) में प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या बराबर होती है तो वह संतुलित रासायनिक समीकरण कहलाती है ।

समीकरण को संतुलित करना आवश्यक है क्योकि द्रव्यमान के संरक्षण के नियम के अनुसार, किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में न तो कोई परमाणु नष्ट होता है और न ही निर्माण । इस नियम के अनुसार दोनों और (अभिकारकों तथा उत्पादों) के द्रव्यमान समान होने चाहिए और वह तभी संभव है जब दोनों और तत्वों के परमाणुओं की संख्या समान हो ।

5. निम्न कथनों को रासायनिक समीकरण के रूप में परिवर्तित कर उन्हें संतुलित कीजिए।

(a) नाइट्रोजन हाइड्रोजन गैस से संयोग करक अमोनिया बनाता है।
Ans.
3H2 (g) + N2 (g) 2NH3 (g)

(b) हाइड्रोजन सल्फाइड गैस का वायु में दहन होने पर जल एवं सल्फर डाइऑक्साइड बनता है।
Ans.
2H2 S (g) + 3O2 (g) 2H2 O(1) + 2SO2 (g)

(c) ऐल्युमिनियम सल्फेट के साथ अभिक्रिया कर बेरियम क्लोराइड, ऐल्युमिनियम क्लोराइड एवं बेरियम सल्फेट का अवक्षेप देता है।
Ans.
3BaCl2 (aq) + Al2(SO4)3 (aq) 2AlCl3 (aq) + 3BaSO4 (s)

(d) पोटेशियम धातु जल के साथ अभिक्रिया करके पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड एवं हाइड्रोजन गैस देती है।
Ans.
2K(s) + 2H2 O(1) → 2KOH(aq) + H2 (g)

6. निम्न रासायनिक समीकरणों को संतुलित कीजिए-

(a) HNO3 + Ca(OH)2 → Ca(NO3)2+ H2O

Ans. 2HNO3 + Ca(OH)2 → Ca(NO3)2+ 2H2O

(b) NaOH + H2SO4 → Na2SO4 + H2O

Ans. 2NaOH + H2SO4 → Na2SO4 + 2H2O

(c) NaCl + AgNO3 → AgCl3 + NaNO2

Ans. NaCl + AgNO3 → AgCl + NaNO3

(d) BaCl2 + H2SO4→ BaSO4 + HCI

Ans. BaCl2 + H2SO4 → BaSO4 + 2HCI

7. निम्न अभिक्रियाओं के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए

(a) कैल्शियम हाइड्रोक्साइड + कार्बन डाइऑक्साइड → कैल्शियम कार्बनिट + जल

Ans. Ca(OH)2 + CO2 → CaCO3 + H2O

(b) जिंक + सिल्वर नाइट्रेट →  जिंक नाइट्रेट + सिल्वर

Ans. Zn + 2 AgNO3 → Zn(NO3) + 2Ag

(c) ऐल्युमिनियम + कॉपर क्लाराइट  → एल्युमिनियम क्लोराइड + कॉपर

Ans. 2Al + 3CuCl2 → 2AlCl3 + 3Cu

(d) बेरियम क्लोराइड + पोटेशियम सल्फट → बेरियम सल्फेट +  पोटेशियम क्लोराइड

Ans. BaCl2 + K2 SO4 → BaSO4 + 2KCl

8. निम्न अभिक्रियाओं के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए एवं प्रत्येक अभिक्रिया का प्रकार बताइए।

(a) पोटेशियम ब्रोमाइड (aq) + बेरियम आयोडाइड (aq) →  पोटैशियम आयोडाइड (aq) + बेरियम ब्रोमाइड (s)

Ans. 2KBr(aq) + BaI2 (aq) KI + BaBr2(s) द्विविस्थापन अभिक्रिया

(b) जिंक कार्बोनेट (s) → जिंक ऑक्साइड (3) )+ कार्बन डाइऑक्साइड (g)

Ans. ZnCO3 (s) ZnO(s) + CO2 (g) वियोजन अभिक्रिया

(c) हाइड्रोजन (g) + क्लॉरीन (g) → हाइड्रोजन क्लोराइड (g)

Ans. H2 (g) + Cl2 (g) 2HCl(g) संयोजन अभिक्रिया

(d) मैग्नीशियम (s) + हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (aq) → मेम्नीशियम क्लोराइड (aq) + हाइड्रोजन (g)

Ans. Mg(s) + 2HCl(aq) MgCl2 (aq) + H2 (g) विस्थापन अभिक्रिया

9. ऊष्माक्षपी एवं ऊष्माशोषी अभिक्रिया का क्या अर्थ है? उदाहरण दीजिए।
Ans.
उष्माक्षेपी अभिक्रिया-  जिन अभिक्रियाओं में उत्पाद के साथ  ऊष्मा का भी उत्सर्जन होता है उन्हें उष्माक्षेपी अभिक्रिया कहते हैंl

उदाहरण-
(1) प्राकृतिक गैस का दहन-
CH4 (g) +2O2 (g) → CO2 (g) + 2H2O (I) + ऊष्मा

(2) कोक का दहन-
C (s) + O2 (g) → CO2 (g) + ऊष्मा कोक

(3) श्वसन के दौरान शरीर में  ऊष्मा में उत्पन्न-
C6H12O6 (aq) + 6O2 (g) → 6CO2 (g) + 6H2O (I) + ऊर्जा

उष्माशोषी अभिक्रिया- जिन अभिक्रियाओं में ऊष्मा का अवशोषण होता है उन्हें उष्माशोषी अभिक्रिया कहते हैंl

उदाहरण-
(1) कोक की भाप के साथ प्रक्रिया-
C (s) + H2O (g) + ऊष्मा → CO (g) + H2 (g)

(2) N2 और O2 की प्रक्रिया-
N2 (g) + O(g) + ऊष्मा → 2NO (g)

(3) CaCO2 का गर्म होना-
CaCO3 + ऊष्मा → CaO (s) + CO2 (g)

10. श्वसन को ऊष्माक्षेपी अभिक्रया क्यों कहते हैं? वर्णन कीजिए।
Ans.
पाचन क्रिया के समय भोजन हमारे शरीर में उपस्थित ऑक्सीजन के साथ मिलकर ऊर्जा मुक्त करता ही | हमारे शरीर की कोशिकाओं को उर्जा मिलाती है। अत: श्वसन एक उषमाक्षेपी अभिक्रिया है।

C6H12O6 (aq) + 6O2 (g) → 6CO2 (g) + 6H2O(l) + ऊर्जा

11. वियोजन अभिक्रिया को संयोजन अभिक्रिया के विपरीत क्यों कहा जाता है? इन अभिक्रियाओं के लिए समीकरण लिखिए।
Ans.
संयोजन अभिक्रिया में दो या दो से अधिक पदार्थ मिलकर एक न्य पदार्थ प्रदान करता है। वियोजन अभिक्रिया, संयोजन अभिक्रिया के विपरीत होती है। वियोजन अभिक्रिया में एकल पदार्थ वियोजन होकर दो या दो से अधिक पदार्थ प्रदान करता है।

वियोजन अभिक्रिया AB + ऊर्जा → A + B

2AgCl(s) → 2Ag(s) + Cl2 (g)

संयोजन अभिक्रिया A + B → AB + ऊर्जा

C + O2 → CO2 + ऊर्जा

12. उन वियांजन अभिक्रियाओं के एक-एक समीकरण लिखिए, जिनमें ऊष्मा, प्रकाश एवं विद्युत के रूप में ऊर्जा प्रदान की जाती है।
Ans.
(i) ऊष्मा के द्वारा वियोजन-

2Pb(NO3)2  → 2PbO + 4NO2 + O2

(ii) प्रकाश के द्वारा वियोजन-

2AgBr → 2Ag + Br2

विद्युत के द्वारा वियोजन-

2H2O → 2H2 + O2

13. विस्थापन एवं द्विविस्थापन अभिक्रियाओं में क्या अंतर है? इन अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए।
Ans.
विस्थापन अभिक्रिया-जब अधिक क्रियाशील तत्व, कम क्रियाशील तत्व को उसके यौगिक से विस्थापित कर देता है तो विस्थापन अभिक्रिया होती है।

Zn(s) + CuCl2(aq) → ZnCl2(aq) + Cu (s)
यहाँ, Zn, Cu से अधिक क्रियाशील है जो CuCl, से Cu को विस्थापित कर देता है।

द्विविस्थापन अभिक्रिया-द्विविस्थापन अभिक्रिया में अभिकारकों के बीच आयनों का आदान-प्रदान होता है।

जैसे : AB + CD → AC + BD
NaOH + HCl → NaCl + H2O

14. सिल्वर के शोधन में, सिल्वर नाइट्रेट के विलयन से सिल्वर प्राप्त करने के लिए कॉपर धातु द्वारा विस्थापन किया जाता है। इस प्रक्रिया के लिए अभिक्रिया लिखिए।
Ans.
 Cu(s) + 2AgNO3(3) → Cu(NO3)2(aq) + 2Ag(s)

15. अवक्षेपण अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।
Ans.
ऐसी रासायनिक अभिक्रिया जिसमें अविलेय लवण बनता है, जो विलयन से पृथक हो जाता है, अवक्षेपण अभिक्रिया कहलाती है।

उदाहरण : AgNO3 + NaCl → AgCl + NaNO3

16. ऑक्सीजन के योग या हास के आधार पर निम्न पदों की व्याख्या कीजिए। प्रत्येक के लिए दो उदाहरण दीजिए।

(a) उपचयन
Ans.
ऑक्सीकरण का योग या हाइड्रोज़न का हास ऑक्सीकरण या उपचयन कहलाता है।

उदाहरण : (i) 2Mg + O2 → 2 MgO

(ii) CuO + H2 → Cu + H2O

(b) अपचयन
Ans.
पदार्थ का अपचयन तब होता है जब उसमे ऑक्सीजन का हास या हाइड्रोज़न की वृद्धि होती है।

उदाहरण : (i) ZnO + C → Zn + CO

(ii) Fe2O3 + Al → 2 Fe + Al2O3

17. एक भूरे रंग का चमकदार तत्व ‘X’ को वायु की उपस्थिति में गर्म करने पर वह काले रंग का हो जाता है। इस तत्व ‘X’ एवं उस काले रंग के यौगिक का नाम बताइए।
Ans.
यह चमकदार तत्व ‘X’ कॉपर धातु (Cu) है। जब इसे वायु की उपस्थिति में गर्म किया जाता है, तो यह उपचयित होकर काले रंग की कॉपर (II) ऑक्साइड (CuO) बनाती है। अभिक्रिया इस प्रकार होती है-

2Cu + O2 → 2CuO

18. लोहे की वस्तुओं को हम पेंट क्यों करते हैं?
Ans.
लोहे की वस्तु हवा एवं आर्द्रता के संपर्क में आकर संक्षारित हो जाती है। अतः पेंट करने पर लोहे की सतह हवा या नमी (आर्द्रता) के प्रत्यक्ष संपर्क में नहीं रहती है, जिसके कारण संक्षारण (जंग लगना) नहीं हो पाता है। इस तरह लोहा पेंट करने पर क्षतिग्रस्त नहीं होता।

19. तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थों को नाइट्रोजन से प्रभावित क्यों किया जाता है?
Ans.
तेल एवं वसा युक्त खाद्य पदार्थों को नाइट्रोजन से इसलिए प्रभावित किया जाता है, क्योंकि इन पदार्थों का गंध एवं स्वाद उपचयित होने के कारण बदल जाता है। नाइट्रोजन एक प्रतिऑक्सीकारक है, जो इन पदार्थों को उपचयित (आक्सीकृत) होने से बचाता है। अतः तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थों की विकृतगंधिता नहीं हो पाती है। इस तरह वसायुक्त पदार्थ; जैसे-चिप्स खराब नहीं होते।

20. निम्नलिखित पदों का वर्णन कीजिए तथा प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए-
(a) संक्षारण
Ans. जब कोई धातु वायुमंडल में उपस्थित आर्द्रता एवं अम्ल के संपर्क में आती है तो उसके सतहों पर एक परत चढ़ जाती है। इस प्रक्रिया को संक्षारण कहते हैं। जब लोहे का संक्षारण होता है, तो उसे जंग लगना कहते हैं।

उदाहरण- सिल्वर धातु (चाँदी) के ऊपर सिल्वर सल्फाइड की काली परत, कॉपर के ऊपर हरे रंग का कॉपर कार्बोनेट की परत चढ़ना तथा लोहे के ऊपर लालिमायुक्त भूरे रंग की हाइड्रेटेड फेरिक ऑक्साइड की परत चढ़ना।

(b) विकृतगंधिता
Ans. तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थ हवा (ऑक्सीजन) के सम्पर्क में आने से उपचयित (आक्सीकृत) होकर विकृतगंधी हो जाते हैं, जिसके कारण इसका स्वाद एवं गंध बदल जाता है। इस प्रक्रिया को विकृतगंधिता कहते हैं।
विकृतगंधिता रोकने के उपाय-

  1. नाइट्रोजन प्रति ऑक्सीकारक मिलाकर
  2. वायुरोधी बर्तनों में खाद्य सामग्री रखकर

उदाहरण-चिप्स की थैली लंबे समय बाद उपचयित होकर विकृतगंधी हो जाती है और मक्खन को कमरे के तापमान पर लंबे समय तक रखने पर इसका स्वाद खट्टा हो जाता है तथा इससे खराब गंध आने लगती है, क्योंकि यह उपचयित हो जाता है।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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