मेघ आए : अध्याय 12

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’-
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

क्षितिज अटारी गहराई दामिनि दमकी,
‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’,
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

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प्रश्न-अभ्यास

1. बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए।
Ans.
बादलों के आने पर प्रकृति में निम्न गतिशील क्रियाएँ हुई

  • बयार नाचती-गाती चलने लगी।
  • पेड़ झुकने लगे, मानो वे गरदन उचकाकर बादलों को निहार रहे हों।
  • आँधी चलने लगी। धूल उठने लगी।
  • नदी मानो बाँकी नज़र उठाकर ठिठक गई। पीपल का पेड़ झुकने लगा।
  • लताएँ पेड़ों की शाखाओं में छिप गईं।
  • तालाब जल से भर गए।
  • क्षितिज पर बिजली चमकने लगी।
  • धारासार जल बरसने लगा जिसके कारण जगह-जगह से बाँध टूट गए।

2. निम्नलिखित किसके प्रतीक है?

•धूल
Ans.
मेघ रूपी मेहमान के आगमन से उत्साहित अल्हड़ बालिका का प्रतीक है।

• पेड़
Ans.
 गाँव के आम व्यक्ति का प्रतीक है जो मेहमान को देखने के लिए उत्सुक है।

• नदी
Ans.
गाँव की नवविवाहिता का प्रतीक है जो पूँघट की ओर से तिरछी नज़र से मेघ को देखती है।

• लता
Ans.
नवविवाहिता मानिनी नायिका का प्रतीक है जो अपने मायके में रहकर मेघ का इंतजार कर रही है।

• ताल
Ans.
घर के नवयुवक का प्रतीक है जो मेहमान के पैर धोने के लिए पानी लाता है।

3. लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों?
Ans.
लता ने बादल रूपी मेहमान को किवाड़ की ओट में छिपकर देखा।
क्यों—वह मानिनी है। वह अपने प्रियतम के कई दिनों के बाद आने पर उनसे रूठी हुई भी है और उन्हें देखे बिना भी नहीं रह पाती।

4. भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की
Ans.
नायिका को यह भ्रम था कि उसके प्रिय (मेघ) आएँगे या नहीं, परन्तु बादल रुपी नायक के आने से सारे भ्रम दूर हो गए। अपनी शंका पर दु:ख व्यक्त करती हुई नायिका अपने प्रिय से क्षमा याचना करती है।

(ख) बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके।
Ans.
 प्रकृति के अन्य सभी रुपों पर मेघ के आने का प्रभाव पड़ा। नदी ठिठकी तथा उठकर ऊपर देखने की चेष्टा में उसका घूँघट सरक गया। वह भी मेघ के आगमन की प्रतीक्षा कर रही थी।

5. मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
Ans.
मेघ के आगमन से दरवाज़े-खिड़कियाँ खुलने लगे। हवा के तेज़ बहाव के कारण आँधी चलने लगती है जिससे पेड़ अपना संतुलन खो बैठते हैं, कभी उठते हैं तो कभी झुक जाते हैं। धूल रुपी आँधी चलने लगती है। हवा के चलने से संपूर्ण वातावरण प्रभावित होता है – नदी की लहरें भी उठने लगती है, पीपल का पुराना वृक्ष भी झुक जाता है, तालाब के पानी में उथल-पुथल होने लगती है। अन्तत: बिजली कड़कती है और आसमान से मेघ पानी के रुप में बरसने लगते हैं।

6. मेघों के लिए ‘बन-उन के, सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?
Ans.
मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के आने की बात इसलिए कही गई है क्योंकि वर्षा के बादल काले-भूरे रंग के होते हैं। नीले आकाश में उनका रंग मनोहारी लगता है। इसके अलावा गाँवों में बादलों का बहुत महत्त्व है तथा उनका इंतजार किया जाता है।

7. कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकार के उदाहरण खोजकर लिखिए।
Ans.
मानवीकरण–

  • मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के
  • आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली
  • पेड़ झुक झाँकने लगे, गरदन उचकाए
  • धूल भागी घाघरा उठाए
  • बाँकी चितवन उठा, नदी ठिटकी
  • बूढे पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की
  • ‘बरस बाद सुधि लीन्हीं
    बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
  • हरसायो ताल लाया पानी परात भर के।

रूपक – क्षितिज-अटारी गहराई।

8. कविता में जिन रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है, उनका वर्णन कीजिए।
Ans.
कविता में अनेक रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है; जैसे-

  • मेहमान के आने की सूचना पाकर सारा गाँव उल्लसित हो जाना।
  • उत्साहित एवं जिज्ञासु होकर मेहमान को देखना।
  • घर के बुजुर्ग द्वारा मेहमान का आदर-सत्कार करना।
  • मेहमान के पैर धोने के लिए थाल में पानी भर लाना।
  • नवविवाहिता स्त्री द्वारा पूँघट की ओट से मेहमान को देखना
  • मायके वालों की उपस्थिति में नवविवाहिता नायिका द्वारा अपने पति से बात न करना।

9. कविता में कवि ने आकाश में बादल और गाँव में मेहमान (दामाद) के आने का जो रोचक वर्णन किया है, उसे लिखिए।
Ans.
मेघ रूपी शहरी पाहुन के आते ही पूरा गाँव उल्लास से भर उठा। शीतल बयार नाचती-गाती हुई पाहुन के आगे-आगे चलने लगी। सभी ग्रामवासियों ने अपने दरवाजे और खिड़कियाँ खोल लिए, ताकि वे पाहुन के दर्शन कर सकें। पेड़ उचक-उचककर पाहुन को देखने लगे। आँधी अपना घाघरा उठाए दौड़ चली। नदी बंकिम नयनों से मेघ की सज-धज को देखकर हैरान हो गई। गाँव के पुराने पीपल ने भी मानो झुककर नमस्ते की। आँगन की लता संकोच के मारे दरवाजे की ओट में सिकुड़ गई और बोली-तुमने तो बरसों बाद हमारी सुध ली है। गाँव का तालाब पाहुन के स्वागत में पानी की परात भर लाया। क्षितिज रूपी अटारी लोगों से लद गई। बिजली भी चमकने लगी। इस प्रकार पूरा गाँव उल्लास से तरंगित हो उठा।

10. काव्य-सौंदर्य लिखिए-

पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
Ans.
भाव सौंदर्य- इन पंक्तियों में शहर में रहने वाले दामाद का गाँव में सज-सँवरकर आने का सुंदर चित्रण है।
शिल्प-सौंदर्य

  • पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के’ में उत्प्रेक्षा अलंकार, ‘बड़े बन-ठनके’ में अनुप्रास तथा ‘मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के’ में मानवीकरण अलंकार है।
  • भाषा साहित्यिक खड़ी बोली है।
  • रचना तुकांतयुक्त है।
  • दृश्य बिंब साकार हो उठा है।
  • माधुर्य गुण है।

रचना और अभिव्यक्ति

11. वर्षा के आने पर अपने आसपास के वातावरण में हुए परिवर्तनों को ध्यान से देखकर एक अनुच्छेद लिखिए।
Ans.
वर्षा के आने पर आकाश बादलों से घिर जाता है। धूप अपना बस्ता समेटकर जाने कहाँ छिप जाती है। चारों ओर छायादार रोशनी दीखने लगती है। घरों में हलचल बढ़ जाती है। स्त्रियाँ आँगन में रखा अपना सामान समेटने लगती हैं। सड़कों पर आना-जाना कम हो जाता है। काले और रंगबिरंगे छाते दीखने लगते हैं। पशु-पक्षी किसी ओट की खोज में भटकने लगते हैं। मार्गों पर जल भर आता है। बच्चे बड़े उल्लास से वर्षा का आनंद लेते हैं। इस प्रकार वर्षाकाल मनमोहक हो उठता है।

12. कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है? पता लगाइए।
Ans.
पीपल का पेड़ आकार में विशाल, हरा-भरा, छायादार होने के साथ ही शुभ माना जाता है। पूजा-पाठ और हर मांगलिक कार्यों में इसका पूजन किया जाता है, इसीलिए कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग कहा है।

13. कविता में मेघ को ‘पाहुन’ के रूप में चित्रित किया गया है। हमारे यहाँ अतिथि (दामाद) को विशेष महत्व प्राप्त है, लेकिन आज इस परंपरा में परिवर्तन आया है। आपको इसके क्या कारण नजर आते हैं, लिखिए।
Ans.
पहले गाँव अपने-अपने दायरों में सीमित होते थे। गाँववासियों को बाहरी संपर्क बहुत कम होता था। अतः यदा-कदा आने वाले अतिथि का स्वागत भी बड़े मान-सम्मान और उल्लास से होता था। गाँववासियों के पास आवभगत के लिए समय और भाव भी होता था।

आज परिस्थितियाँ तेजी से बदल रही हैं। मनुष्य के बाहरी संपर्क और कार्य बढ़ रहे हैं। हर मनुष्य अधिक-से-अधिक व्यस्त होता जा रहा है। उसका समय व्यक्तिगत स्वार्थ पूरा करने में ही लगने लगा है। यही कारण है कि आज अतिथि-सत्कार की परंपरा का निरंतर ह्रास हो रहा है।

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का जन्म उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में सन् 1927 में हुआ। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उच्चशिक्षा ग्रहण की। आरंभ में उन्हें आजीविका हेतु काफ़ी संघर्ष करता पड़ा, बाद में दिनमान के उपसंपादक एवं चर्चित बाल पत्रिका पराग के संपादक बने। सन् 1983 में उनका आकस्मिक निधन हो गया।

काठ की घंटियाँ, बाँस का पुल, एक सूनी नाव, गर्म हवाएँ, कुआनो नदी, जंगल का दर्द, खूंटियों पर टंगे लोग उनके प्रमुख कविता संग्रह हैं। नई कविता के प्रमुख कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने उपन्यास, नाटक, कहानी, निबंध एवं प्रचुर मात्रा में बाल साहित्य भी लिखा है। दिनमान में प्रकाशित चरचे और चरखे स्तंभ के लिए सर्वेश्वर बहुत चर्चित रहे हैं। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

सर्वेश्वर के काव्य में ग्रामीण संवेदना के साथ शहरी मध्यवर्गीय जीवनबोध भी व्यक्त हुआ है। यह बोध उनके कथ्य में ही नहीं भाषा में भी दिखाई देता है। सर्वेश्वर की भाषा सहज एवं लोक की महक लिए हुए है।

संकलित कविता में कवि ने मेघों के आने की तुलना सजकर आए प्रवासी अतिथि (दामाद) से की है। ग्रामीण संस्कृति में दामाद के आने पर उल्लास का जो वातावरण बनता है, मेघों के आने का सजीव वर्णन करते हुए कवि ने उसी उल्लास को दिखाया है।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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