कोयला और पेट्रोलियम : अध्याय 3


हम अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए विभिन्न पदार्थों को उपयोग में लाते हैं। इनमें से कुछ प्रकृति में पाये जाते हैं और कुछ का निर्माण मानवीय प्रयासों से किया गया है।

क्रियाकलाप 3.1

अपने दैनिक जीवन में उपयोग में लाये जाने वाले पदार्थों की एक सूची बनाइए और उनका प्राकृतिक तथा मानव-निर्मित वर्गों में वर्गीकरण करिए।

प्राकृतिक मानव-निर्मित

क्या इस सूची में वायु, जल, मृदा और खनिज सम्मिलित हैं? क्योंकि ये सभी प्रकृति द्वारा उपलब्ध कराये जाते हैं, ये प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं।

क्या वायु, जल और मृदा मानवीय क्रियाकलापों द्वारा समाप्त हो सकते हैं? जल के बारे में आप कक्षा VII में पढ़ चुके हैं। क्या जल एक असीमित संसाधन है?

प्रकृति में विभिन्न संसाधनों की उपलब्धता की दृष्टि से, प्राकृतिक संसाधनों को व्यापक रूप से दो वर्गों में बाँटा जा सकता है।

अक्षय प्राकृतिक संसाधन

ये संसाधन प्रकृति में असीमित मात्रा में उपस्थित है और मानवीय क्रियाकलापों से समाप्त होने वाले नहीं हैं। उदाहरण हैं- सूर्य का प्रकाश, वायु।

समाप्त होने वाले प्राकृतिक संसाधन

प्रकृति में इन स्रोतों की मात्रा सीमित है। ये मानवीय क्रियाकलापों द्वारा समाप्त हो सकते हैं। इन संसाधनों के उदाहरण है वन, वन्यजीव, खनिज, कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, आदि।

क्रियाकलाप 3.2

यह कक्षाकक्ष हेतु सामूहिक क्रियाकलाप है

कुछ पात्र लीजिए। उन्हें पॉपकार्न/मूँगफली/भुने हुए चने/टॉफियों से भरिए। विद्यार्थियों को सात के समूहों में बाँट दीजिए। अब इन समूहों को 1, 2 और 4 विद्यार्थियों वाले उपसमूहों में बाँट दीजिए। उन्हें क्रमशः पहली, दूसरी और तीसरी पीढ़ी के रूप में चिह्नित करिए। ये उपसमूह उपभोक्ताओं को निरूपित करते हैं। जनसंख्या में वृद्धि के साथ-साथ दूसरी और तीसरी पीढ़ी में उपभोक्ताओं की संख्या अधिक है। प्रत्येक समूह के लिए मेज़ पर एक पूरा भरा पात्र रख दीजिए। प्रत्येक समूह की पहली पीढ़ी के उपभोक्ताओं से कहिए कि वे अपने समूह के पात्र से वस्तुओं का उपभोग करें। अब प्रत्येक समूह की दूसरी पीढ़ी को भी वैसा ही करने को कहिए। विद्यार्थियों से कहिए कि वे प्रत्येक पात्र में वस्तुओं की उपलब्धता को ध्यान से देखें। यदि पात्रों में कुछ शेष बचा है तो प्रत्येक समूह की तीसरी पीढ़ी को इसका उपभोग करने के लिए कहिए। अब अन्तिम रूप से देखिए कि तीसरी पीढ़ी के सभी उपभोक्तओं को खाने हेतु कुछ मिला या नहीं। यह भी देखिए कि क्या पात्रों में अब भी कुछ शेष बच गया है।

मान लीजिए कि पात्रों के खाद्य पदार्थ, कोयले, पेट्रोलियम, या प्राकृतिक गैस जैसे समाप्त होने वाले प्राकृतिक संसाधनों को प्रदर्शित करते हैं। प्रत्येक समूह का उपभोग प्रतिरूप भिन्न हो सकता है। क्या किसी समूह की पहली पीढ़ी बहुत अधिक लालची है? हो सकता है कि कुछ समूहों में पहली पीढ़ी आने वाली पीढ़ी (यों) के लिए प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता के विषय में चिन्तित हो।

इस अध्याय में हम कोयले, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैसों जैसे कुछ समाप्त होने वाले प्राकृतिक संसाधनों के विषय में अध्ययन करेंगे। इनका निर्माण सजीव प्राणियों के मृत अवशेषों (जीवाश्मों) से होता है। अतः इन्हें जीवाश्मी ईंधन कहते हैं।

3.1 कोयला

आपने कोयला देखा होगा या इसके बारे में सुना होगा (चित्र 3.1)। यह पत्थर जैसा कठोर और काले रंग का होता है।

खाना पकाने हेतु उपयोग आने वाले ईंधनों में कोयला एक है। पहले इसका उपयोग रेल इंजनों को चलाने के लिए भाप बनाने में होता था। इसका उपयोग तापीय शक्ति संयत्रों में विद्युत् उत्पन्न करते हेतु भी किया जाता है। कोयले का उपयोग विभिन्न उद्योगों में ईंधन के रूप में भी किया जाता है।

कोयले की कहानी

लगभग 300 मिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी पर निचले जलीय क्षेत्रों में घने वन थे। बाढ़ जैसे प्राकृतिक प्रक्रमों के कारण, ये वन मृदा के नीचे दब गए। उनके ऊपर अधिक मृदा जम जाने के कारण वे संपीडित हो गए। जैसे-जैसे वे गहरे होते गए उनका ताप भी बढ़ता गया। उच्च दाब और उच्च ताप पर, पृथ्वी के भीतर मृत पेड़-पौधे धीरे-धीरे कोयले में परिवर्तित हो गए। कोयले में मुख्य रूप से कार्बन होता है। मृत वनस्पति के, धीमे प्रक्रम द्वारा कोयले में परिवर्तन को कार्बनीकरण कहते हैं। क्योंकि यह वनस्पति के अवशेषों से बना है, अतः कोयले को जीवाश्म ईंधन भी कहते हैं। चित्र 3.2 में एक कोयले की खान को दिखाया गया है।

वायु में गर्म करने पर कोयला जलता है और मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न करता है।

उद्योग में कोयले के प्रक्रमण द्वारा कुछ उपयोगी उत्पाद प्राप्त किए जाते हैं, जैसे कोक, कोलतार और कोयला-गैस।

A. कोक

यह एक कठोर, सरंध्र और काला पदार्थ है। यह कार्बन का लगभग शुद्ध रूप है। कोक का उपयोग इस्पात के औद्योगिक निर्माण और बहुत से धातुओं के निष्कर्षण में किया जाता है।

B. कोलतार

यह एक अप्रिय गंध वाला काला गाढ़ा द्रव होता है (चित्र 3.3)। यह लगभग 200 पदार्थों का मिश्रण होता है। कोलतार से प्राप्त उत्पादों का उपयोग प्रारम्भिक पदार्थों के रूप में दैनिक जीवन में काम आने वाले विभिन्न पदार्थों के औद्योगिक निर्माण में तथा उद्योगों, जैसे-संश्लेषित रंग, औषधि, विस्फोटक, सुगंध, प्लास्टिक, पेन्ट, फोटोग्रैफिक सामग्री, छत-निर्माण सामग्री, आदि में होता है। रोचक तथ्य है कि मॉथ और अन्य कीटों को भगाने हेतु प्रयोग में लाई जाने वाली नैफ़्थलीन की गोलियाँ भी कोलतार से प्राप्त की जाती है।

आजकल पक्की सड़कों के निर्माण में कोलतार के स्थान पर एक पेट्रोलियम उत्पाद बिटुमेन का प्रयोग किया जाता है।

C. कोयला गैस

कोयले के प्रक्रमण द्वारा कोक बनाते समय कोयला-गैस प्राप्त होती है। यह कोयला प्रक्रमण संयंत्रों के निकट स्थापित बहुत से उद्योगों में ईंधन के रूप में उपयोग की जाती है।

लंदन में 1810 में तथा न्यूयार्क में 1820 के आस-पास कोयला-गैस का उपयोग प्रथम बार सड़कों पर रोशनी के लिए किया गया था। आजकल इसका उपयोग रोशनी के बजाय ऊष्मा के स्रोत के रूप में किया जाता है।

3.2 पेट्रोलियम

आप जानते हैं कि ईंधन के रूप में पेट्रोल का उपयोग हलके स्वचालित वाहनों, जैसे मोटर साइकिलों / स्कूटरों और कारों में होता है। भारी मोटर वाहनों जैसे ट्रकों और ट्रैक्टरों को चलाने के लिए डीज़ल काम आता है। ये ईंधन प्राकृतिक स्रोत से प्राप्त होते हैं जिसे पेट्रोलियम कहते हैं। पेट्रोलियम शब्द की उत्पत्ति पेट्रा (चट्टान) एवं ओलियम (तेल) से हुई है क्योंकि ये ज़मीन के नीचे की चट्टानों के मध्य से निकाला जाता है (चित्र 3.4)

क्या आप जानते हैं कि पेट्रोलियम कैसे बनता है?

पेट्रोलियम का निर्माण समुद्र में रहने वाले जीवों से हुआ। जब ये जीव मृत हुए, इनके शरीर समुद्र के पेंदे में जाकर जम गए और फिर रेत तथा मिट्टी की तहों द्वारा ढक गए। लाखों वर्षों में, वायु की अनुपस्थिति, उच्च ताप और उच्च दाब ने मृत जीवों को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस में परिवर्तित कर दिया।

चित्र 3.4 देखिए, जो पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के भण्डारों को दर्शाता है। आप देख सकते हैं कि पेट्रोलियम तेल और गैस की परत, जल की परत के ऊपर है। ऐसा क्यों है? याद करिए कि तेल और गैस, जल से हलके होते हैं और इसमें मिश्रित नहीं होते।

विश्व का पहला तेल का कुआँ, पेनसिलवेनिया, अमेरिका में 1859 में प्रवेधित (ड्रिल) किया गया था। आठ वर्ष बाद, 1867 में असम के माकुम नामक स्थान पर तेल का पता चला। भारत में तेल असम, गुजरात, बाम्बे हाई और गोदावरी तथा कृष्णा नदियों के बेसिन में पाया जाता है।

पेट्रोलियम का परिष्करण

पेट्रोलियम गहरे रंग का तेलीय द्रव है। इसकी गंध अप्रिय होती है। यह विभिन्न संघटकों, जैसे पेट्रोलियम गैस, पेट्रोल, डीजल, स्नेहक तेल, पैराफिन मोम, आदि का मिश्रण होता है। पेट्रोलियम के विभिन्न संघटकों/प्रभाजों को पृथक करने का प्रक्रम परिष्करण कहलाता है। यह कार्य पेट्रोलियम परिष्करणी में सम्पादित किया जाता है (चित्र 3.5)।

पेट्रोलियम के विभिन्न संघटक और उनके उपयोग सारणी 3.1 में दिए गए हैं।

सारणी 3.1: पेट्रोलियम के विभिन्न संघटक और उनके उपयोग

क्र.सं.पेट्रोलियम के संघटकउपयोग
1द्रवित पेट्रोलियम गैस (LPG)घरों और उद्योगों में ईंधन के रूप में
2पेट्रोलमोटर ईधन, शुष्क धुलाई के लिए विलायक
3मिट्टी का तेलस्टोव, लैम्प और जेट वायुयान के लिए इंधन
4डीजलभारी मोटर वाहनों और विद्युत जनित्रों के लिए ईधन
5स्नेहक तेलस्नेहन
6पैराफिन मोममरहम, मोमबत्ती, वैसलीन आदि में
7बिटुमेनपेन्ट एवं सड़क निर्माण में

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस से अनेक उपयोगी पदार्थ प्राप्त किए जाते हैं। इन्हें ‘पेट्रोरसायन’ कहते हैं। इनका उपयोग अपमार्जक, रेशे (पॉलिएस्टर, नाइलॉन, ऐक्रिलिक, आदि), पॉलिथीन, और अन्य मानव निर्मित प्लास्टिक, आदि के औद्योगिक निर्माण में किया जाता है। प्राकृतिक गैस से प्राप्त हाइड्रोजन गैस का उपयोग उर्वरकों (यूरिया) के उत्पादन हेतु किया जाता है। अपने बहुत अधिक व्यावसायिक महत्व के कारण पेट्रोलियम को ‘काला सोना’ भी कहते हैं।

3.3 प्राकृतिक गैस

प्राकृतिक गैस एक बहुत महत्वपूर्ण जीवाश्म ईंधन है, क्योंकि इसका परिवहन पाइपों द्वारा सरलतापूर्वक हो जाता है। प्राकृतिक गैस को उच्च दाब पर संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) के रूप में भंडारित किया जाता है। सीएनजी का उपयोग ऊर्जा उत्पादन हेतु किया जाता है। अब इसका उपयोग परिवहन वाहनों में ईंधन के रूप में किया जा रहा है क्योंकि यह कम प्रदूषणकारी है। यह एक स्वच्छ ईंधन है।

सीएनजी का अधिक लाभ यह है कि इसे घरों और कारखानों में सीधा जलाया जा सकता है, जहाँ इसकी आपूर्ति पाइपों के माध्यम से की जा सकती है।

पाइपलाइनों का ऐसा जाल बड़ोदरा (गुजरात), दिल्ली के कुछ भागों और अन्य स्थानों पर उपलब्ध है।

प्राकृतिक गैस का उपयोग प्रारम्भिक पदार्थ के रूप में बहुत से रसायनों और उर्वरकों के औद्योगिक निर्माण में किया जाता है। भारत में प्राकृतिक गैस के विशाल भण्डार हैं। हमारे देश में प्राकृतिक गैस त्रिपुरा, राजस्थान, महाराष्ट्र और कृष्णा गोदावरी डेल्टा में पाई जाती है।

3.4 कुछ प्राकृतिक संसाधन सीमित है

आपने इस अध्याय के प्रारम्भ में पढ़ा है कि कुछ प्राकृतिक संसाधन, जैसे जीवाश्म ईंधन, वन, खनिज, आदि समाप्त होने वाले होते हैं।

आप जानते हैं कि कोयला और पेट्रोलियम जीवाश्म ईंधन हैं। मृत जीवों के ईंधन में परिवर्तन के लिए लाखों वर्ष का समय लग जाता है। दूसरी ओर, इनके ज्ञात भंडार कुछ सौ वर्ष और चलने वाले हैं। इसके अतिरिक्त, इन ईंधनों का जलना वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है। इनका संबंध विश्व ऊष्णन से भी है। अतः यह आवश्यक है कि हम इन ईंधनों का उपयोग तभी करें जब नितान्त आवश्यक हो। इसके परिणामस्वरूप पर्यावरण बेहतर बनेगा, विश्व ऊष्णन का कम खतरा रहेगा और ईंधनों की उपलब्धता लम्बे समय तक होगी।

भारत में पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान संघ (PCRA) लोगों को सलाह देती है कि गाड़ी चलाते समय किस प्रकार पेट्रोल/डीजल बचाएँ। उनके गुर है :

• जहाँ तक सम्भव हो गाड़ी समान और मध्यम गति से चलाइए।

• यातायात लाइटों पर अथवा जहाँ आपको प्रतीक्षा करनी हो, गाड़ी का इंजन बंद कर दीजिए।

• टायरों का दाब सही रखिए, और

• गाड़ी का नियमित रख-रखाव सुनिश्चित कीजिए।

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आपने क्या सीखा

• कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जीवाश्म ईंधन हैं।

• जीवाश्म ईंधन का निर्माण सजीवों के मृत अवशेषों से लाखों वर्ष पूर्व हुआ था।

• जीवाश्म ईंधन समाप्त होने वाले संसाधन हैं।

• कोक, कोलतार और कोयला-गैस, कोयले से प्राप्त उत्पाद हैं।

• पेट्रोलियम के परिष्करण से पेट्रोलियम गैस, पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल, पैराफिन मोम, स्नेहक तेल, आदि प्राप्त होते हैं।

• कोयले और पेट्रोलियम के संसाधन सीमित हैं। हमें इनका न्यायोचित उपयोग करना चाहिए।

अभ्यास

1. सीएनजी और एलपीजी का ईंधन के रूप में उपयोग करने के क्या लाभ हैं?
Ans.
सीएनजी का अधिक लाभ यह है कि इसे घरों और कारखानों में सीधा जताया जा सकता है। इसकी आपूर्ति पाइयों के माध्यम से की जा सकती है। इसका उपयोग ऊर्जा उत्पादन हेतु किया जाता है। इसका उपयोग परिवहन वाहनों में इंधन के रूप में किया जा है क्योंकि यह प्रदूषणकारी है और यह एक स्वच्छ इंधन है।

2 पेट्रोलियम का कौन सा उत्पाद सड़क निर्माण हेतु उपयोग में लाया जाता है?
Ans.
बिटुमिन।

3. वर्णन कीजिए, मृत वनस्पति से कोयला किस प्रकार बनता है? यह प्रक्रम क्या कहलाता है?
Ans.
लगभग 30 करोड़ वर्ष पूर्व पृथ्वी पर निचले जलीय क्षेत्रों में घने वन थे। बाढ़ जैसे प्राकृतिक प्रक्रमों के कारण, ये वन मृदा के नीचे दब गए। उनके ऊपर अधिक मृदा जम जाने के कारण ते संपीडित हो गए। जैसे-जैसे वे गहरे होते गए उनका ताप भी बढ़ता गया। उच्च दाब और उच्च ताप पर पृथ्वी के भीतर मृत पेड़-पौधे धीर-धीरे कोयले में परिवर्तित हो गए। कोयले में मुख्य रूप से कार्बन होता है। मृत वनस्पति के धीमे प्रक्रम द्वारा कोयले में परिवर्तन को कार्बनीकरण कहते हैं अर्थात यह प्रक्रम कार्बनीकरण कहलाता है।

4. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) *कोयला तथा पेट्रोलियम जीवाश्म ईंधन हैं।

(ख) पेट्रोलियम के विभिन्न संघटकों को पृथक करने का प्रक्रम परिष्करण कहलाता है।

(ग) वाहनों के लिए सबसे कम प्रदूषक ईंधन सीएनजी है।

5. निम्नलिखित कथनों के सामने सत्य/असत्य लिखिए

(क) जीवाश्म ईंधन प्रयोगशाला में बनाए जा सकते हैं। (असत्य)

(ख) पेट्रोल की अपेक्षा सीएनजी अधिक प्रदूषक ईंधन है। (असत्य)

(ग) कोक, कार्बन का लगभग शुद्ध रूप है। (सत्य)

(घ) कोलतार विभिन्न पदार्थों का मिश्रण है। (सत्य)

(ङ) मिट्टी का तेल एक जीवाश्म ईंधन नहीं है। (असत्य)

6 समझाइए, जीवाश्म ईंधन समाप्त होने वाले प्राकृतिक संसाधन क्यों हैं।
Ans.
जीवाश्म ईंधन समाप्त होने वाले प्राकृतिक संसाधन इसलिए है क्योंकि ये मृत जीवों के इंधन से बनते हैं और इन्हें परिवर्तन के लिए लाखों वर्ष का समय लग जाता है। ये उपयोग करने से खत्म हो सकते है, दोबारा शीघ्र प्राप्त नहीं हो सकते। जैसे:- वन, वन्यजीव, खनिज, कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस इत्यादि।

7. कोक के अभिलक्षणों और उपयोगों का वर्णन कीजिए।
Ans.
कोक, कार्बन का लगभग शुद्ध रूप है। यह सख्त, सरंध और काला होता है। सरंध्र का मतलब होता है कि इसमें असंख्य छेद होते हैं। स्टील के निर्माण और कई धातुओं को खनिज से निकालने में कोक का इस्तेमाल होता है।

8. पेट्रोलियम-निर्माण के प्रक्रम को समझाइए।
Ans.
पेट्रोलियम का निर्माण समुद्र में रहने वाले जीवों से हुआ। जब ये जीव मृत हुए इनके शरीर समुद्र के पेंदे में जाकर जम गए और फिर रेत तथा मिट्टी के तहों द्वारा ढक गए। लाखों वर्षों में वायु की अनुपस्थिति, उच्च ताप और उच्च दाब ने मृत जीवों को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस में परिवर्तित कर दिया।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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