दहन और ज्वाला : अध्याय 4

हम घर पर, उद्योगों में और वाहनों को चलाने के ह लिए विभिन्न प्रकार के ईंधनों का उपयोग विविध प्रयोजन के लिए करते हैं। क्या आप अपने घरों में प्रयुक्त होने वाले कुछ ईंधनों के नाम बता सकते हैं? व्यापार और उद्योगों में उपयोग होने वाले कुछ ईंधनों के नाम बताइए। मोटर-गाड़ियाँ चलाने में कौन से ईंधन काम में आते हैं? आपकी सूची में सम्मिलित ईंधन होंगे – गोबर, लकड़ी, कोयला, काष्ठ-कोयला, पेट्रोल, डीजल, संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) आदि।

आप मोमबत्ती के जलने से परिचित हैं। मोमबत्ती के जलने और कोयले जैसे ईंधन के जलने में क्या अंतर है? शायद आपका अनुमान सही था। मोमबत्ती ज्वाला के साथ जलती है जबकि कोयला नहीं। इसी प्रकार, आप अनेक ऐसे पदार्थ पाएँगे जो बिना ज्वाला के जलते हैं। आइए, जलने के रासायनिक प्रक्रम और इस प्रक्रम में उत्पन्न ज्वाला के प्ररूपों का अध्ययन करें।

4.1 दहन क्या है?

कक्षा VII में मैग्नीशियम दहन के क्रियाकलाप का स्मरण करिए। हमने देखा था कि मैग्नीशियम जलकर मैग्नीशियम ऑक्साइड बनाता है और ऊष्मा तथा प्रकाश उत्पन्न करता है (चित्र 4.1)।

इसी प्रकार का क्रियाकलाप हम एक काष्ठ-कोयले का टुकड़ा लेकर कर सकते हैं। काष्ठ-कोयले के टुकड़े को संडासी से पकड़िए और एक मोमबत्ती अथवा बुसेन बर्नर की ज्वाला के निकट लाइए। आप क्या देखते हैं?

हम पाते हैं कि काष्ठ-कोयला वायु में जलता है। हम जानते हैं कि काष्ठ-कोयला वायु में जलकर कार्बन डाइऑक्साइड, ऊष्मा और प्रकाश देता है।

रासायनिक प्रक्रम जिसमें पदार्थ ऑक्सीजन से अभिक्रिया कर ऊष्मा देता है, दहन कहलाता है। जिस पदार्थ का दहन होता है, वह दाह्य कहलाता है। इसे ईंधन भी कहते हैं। ईंधन ठोस, द्रव या गैस हो सकता है। कभी-कभी, दहन के समय ज्वाला के रूप में अथवा एक लौ के रूप में प्रकाश भी उत्पन्न होता है। ऊपर दी गई अभिक्रियाओं में मैग्नीशियम और काष्ठ-कोयला दाह्य पदार्थ हैं।

क्रियाकलाप 4.1

स्ट्रा, माचिस की तीलियाँ, मिट्टी का तेल, कागज, लोहे की कीलें, पत्थर के टुकड़े, शीशा, आदि कुछ पदार्थ इकट्ठे करिए। अपने शिक्षक की देख-रेख में, इन पदार्थों को एक-एक कर जलाइए।

यदि पदार्थ जलता है तो इसे दाह्य दिखाइए, अन्यथा उसे अदाह्य दिखाइए (सारणी 4.1)1

सारणी 4.1 : दाह्य और अदाह्य पदार्थ

पदार्थदाह्यअदाह्य
लकड़ीनहींहां
कागजनहींहां
लोहे की कीलेंनहींहां
मिट्टी का तेलहांनहीं
पत्थर का टुकड़ाहांनहीं
स्ट्राहांनहीं
काष्ठ-कोयलाहांनहीं
माचिस की तीलियाँहांनहीं
काँचहांनहीं

क्या आप कुछ और पदार्थों के नाम बता सकते हैं जो दाह्य हैं? आप इन्हें सारणी 4.1 में जोड़ सकते हैं। आइए, उन परिस्थितियों का पता लगाएँ जिनमें दहन होता है।

क्रियाकलाप 4.2

सावधानीः जलती मोमबत्ती को पकड़ते समय सावधानी रखिए।

एक जलती मोमबत्ती को मेज़ के ऊपर रखिए। काँच की चिमनी को मोमबत्ती के ऊपर लकड़ी के दो गुटकों की सहायता से इस प्रकार रखिए कि वायु का चिमनी में प्रवेश होता रहे [(चित्र 4.2(a)]। देखिए, ज्वाला को क्या होता है। अब लकड़ी के गुटके हटा कर चिमनी को मेज पर टिका दीजिए [(चित्र 4.2 (b)]। पुनः ज्वाला को देखिए। अंत में एक काँच की प्लेट चिमनी के ऊपर रख दीजिए। [(चित्र 4.2 (c)]। ज्वाला को पुनः देखिए। तीनों स्थितियों में क्या होता है? क्या ज्वाला कम्पन करती हुई बुझ जाती है? क्या यह कम्पन करती है और धुआँ देती है? क्या यह अप्रभावित जलती रहती है? क्या आप दहन प्रक्रम में वायु की भूमिका के बारे में कुछ निष्कर्ष निकाल सकते हैं?

हम पाते हैं कि दहन के लिए वायु आवश्यक है। अवस्था (a) में मोमबत्ती निर्बाध रूप से जलती है, जबकि वायु चिमनी में नीचे से प्रवेश कर सकती है। अवस्था (b) में, जब चिमनी में नीचे से वायु प्रवेश नहीं कर पाती तो ज्वाला में कम्पन होता है और धुआँ उत्पन्न होता है। अवस्था (c) में, ज्वाला बुझ जाती है क्योंकि उसे वायु उपलब्ध नहीं हो पाती।

सूर्य में ऊष्मा और प्रकाश नाभिकीय अभिक्रियाओं द्वारा उत्पन्न होते हैं। आप इस प्रक्रम के बारे में आगे चलकर पढ़ेंगे।

क्रियाकलाप 4.3

एक लकड़ी या लकड़ी के कोयले का जलता हुआ टुकड़ा लोहे की प्लेट या तवे पर रखिए। इसे एक काँच के जार अथवा पारदर्शक प्लास्टिक जार से ढक दीजिए। देखिए, क्या होता है? क्या कुछ समय बाद लकड़ी का कोयला जलना बंद हो जाता है? क्या आप सोच सकते है कि यह जलना बंद क्यों हो जाता है?

आपने सुना होगा कि जब किसी व्यक्ति के वस्त्र आग पकड़ लेते हैं तो आग बुझाने के लिए व्यक्ति को कम्बल से ढक देते हैं (चित्र 4.3)। क्या आप बता सकते हैं कि ऐसा क्यों करते हैं?

अब अपने कुछ अनुभवों को स्मरण करिए।

क्या एक माचिस की तीली अपने आप जल उठती है? यह किस प्रकार जलाई जाती है?

आपको कागज़ के टुकड़े को जलाने का अनुभव अवश्य होगा। जब जलती हुई माचिस की तीली इसके पास लाते हैं तो क्या यह जल उठता है?

क्या आप लकड़ी के एक टुकड़े को, जलती माचिस की तीली उसके पास ला कर जला सकते हैं?

लकड़ी या कोयले को जलाने के लिए आपको कागज अथवा मिट्टी के तेल का उपयोग क्यों करना पड़ता है?

क्या आपने जंगल में लगने वाली आग के बारे में सुना है?

क्या ये अनुभव आपको बताते हैं कि विभिन्न पदार्थ विभिन्न ताप पर आग पकड़ते हैं?

वह न्यूनतम ताप जिस पर कोई पदार्थ जलने लगता है, उसका ज्वलन-ताप कहलाता है।

क्या अब आप बता सकते हैं कि कमरे के ताप पर माचिस की तीली अपने आप आग क्यों नहीं पकड़ लेती? माचिस की तीली, माचिस की डिबिया के बगल में रगड़ने पर क्यों जल जाती है?

माचिस का इतिहास बहुत पुराना है। पाँच हजार से अधिक वर्ष पूर्व प्राचीन मिश्र में गंधक में डुबोए गए चीड़ की लकड़ी के छोटे टुकड़े माचिस की तरह उपयोग किए जाते थे। आधुनिक निरापद माचिस का विकास लगभग दो सौ वर्ष पूर्व हुआ था। ऐन्टिमनी ट्राइसल्फाइड, पोटैशियम क्लोरेट और श्वेत फ़ॉस्फोरस का मिश्रण, कुछ गोंद और स्टार्च के साथ मिला कर उचित लकड़ी से बनी माचिस की तीली के सिरे पर लगाया जाता था। जब इसे किसी खुरदरी सतह से रगड़ा जाता था तो घर्षण की ऊष्मा के कारण श्वेत फ़ॉस्फोरस प्रज्वलित हो उठता था। इससे माचिस की तीली का दहन प्रारम्भ हो जाता था। परंतु, श्वेत फ़ॉस्फोरस माचिस उद्योग में काम करने वालों और माचिस का उपयोग करने वालों, दोनों के लिए खतरनाक सिद्ध हुआ। आजकल निरापद माचिस के सिरे पर केवल ऐन्टिमनी ट्राइसल्फाइड और पोटैशियम क्लोरेट लगा रहता है। रगड़ने वाली सतह पर चूर्णित काँच और थोड़ा सा लाल फ़ॉस्फोरस लगाते हैं जो कम खतरनाक होता है। जब माचिस की तीली को खुरदरी सतह पर रगड़ा जाता है तो कुछ लाल फ़ॉस्फोरस, श्वेत फ़ॉस्फोरस में परिवर्तित हो जाता है। यह तुरन्त माचिस की तीली के सिरे पर लगे पोटैशियम क्लोरेट से अभिक्रिया कर पर्याप्त ऊष्मा उत्पन्न कर देता है जिससे ऐन्टिमनी ट्राइसल्फाइड का दहन प्रारम्भ हो जाता है।

हमने पाया कि दाह्य पदार्थ तब तक आग नहीं पकड़ सकता या जल नहीं सकता जब तक उसका ताप उसके ज्वलन-ताप से कम रहता है। क्या आपने कभी भोजन पकाने वाले तेल को आग पकड़ते देखा है, जब तलने वाला बर्तन लम्बे समय तक जलते हुए स्टोव पर रखा रहता है? कमरे के ताप पर मिट्टी का तेल और लकड़ी अपने आप आग नहीं पकड़ते। परंतु यदि मिट्टी के तेल को थोड़ा गर्म कर दें तो वह आग पकड़ लेता है। क्या इसका ज्वलन-ताप लकड़ी के ज्वलन ताप से कम है? क्या इसका अर्थ है कि मिट्टी के तेल के रखने में हमें विशेष सावधानी बरतनी होगी? निम्नलिखित क्रियाकलाप प्रदर्शित करता है कि किसी पदार्थ के दहन के लिए उसका ताप, उसके ज्वलन-ताप तक पहुँचना आवश्यक है।

क्रियाकलाप 4.4

साबधानीः जलती हुई मोमबत्ती से सावधानी से काम लीजिए।

कागज के दो कप करिए। इनमें से एक कप में 50 mL जल डालिए। दोनों कपों को अलग-अलग मोमबत्ती द्वारा गर्म करिए। आप क्या देखते हैं?

कागज़ के खाली कप का क्या होता है? जल युक्त कागज़ के कप का क्या होता है? क्या इस कप का जल गर्म हो जाता है?

यदि हम कप को गर्म करना जारी रखें, तो हम कागज के कप में भी जल को उबाल सकते हैं।

क्या आप इस परिघटना का कोई स्पष्टीकरण सोच सकते हैं?

कागज़ के कप को दी जाने वाली ऊष्मा, चालन द्वारा जल में चली जाती है। अतः जल की उपस्थिति में ताप कागज़ के ज्वलन-ताप तक नहीं पहुँच पाता। इसलिए वह जलता नहीं।

जिन पदार्थों का ज्वलन-ताप बहुत कम होता है और जो ज्वाला के साथ सरलतापूर्वक आग पकड़ लेते हैं, ज्वलनशील पदार्थ कहलाते हैं। ज्वलनशील पदार्थों के उदाहरण है – पेट्रोल, ऐल्कोहल, द्रवित पेट्रोलियम गैस (LPG), आदि। क्या आप कुछ और ज्वलनशील पदार्थों की सूची बना सकते है?

4.2 हम आग पर नियंत्रण कैसे पाते हैं?

आपने घरों, दुकानों और कारखानों में आग लगते देखा या सुना होगा। यदि आपने इस प्रकार की कोई दुर्घटना देखी है तो उसका संक्षिप्त विवरण अपनी नोटबुक में लिखिए। यह अनुभव अपने कक्षा के साथियों के साथ भी बाँटिए।

अपने क्षेत्र की अग्नि सेवा के टेलीफोन नम्बर का पता लगाइए। यदि आपके या आपके पड़ोसी के घर में आग लग जाए तो सबसे पहले अग्निशमन सेवा को सूचित करिए।

क्या आपके शहर/नगर में फायर ब्रिगेड स्टेशन है? जब फायर ब्रिगेड आती है तो वह क्या करती है? वह आग पर जल डालती है।

जल, ज्वलनशील पदार्थों को ठंडा करता है जिससे उनका ताप उनके ज्वलन ताप से कम हो जाता है। ऐसा करने से आग का फैलना रुक जाता है। जलवाष्प, ज्वलनशील पदार्थ को घेर लेता है जिससे वायु की आपूर्ति बंद हो जाती है और आग बुझ जाती है।

आपने पढ़ा है कि आग उत्पन्न करने के लिए तीन आवश्यकताएँ होती हैं। क्या आप इन आवश्यकताओं की सूची बना सकते हैं?

ये आवश्यकताएँ हैं ईंधन, वायु (ऑक्सीजन आपूर्ति हेतु) और ऊष्मा (ईंधन का ताप उसके ज्वलन ताप से अधिक करने हेतु) । इनमें से एक या अधिक आवश्यकताओं को हटाकर आग को नियंत्रित किया जा सकता है। आग बुझाने वाले का कार्य वायु का प्रवाह काटना या ईंधन का ताप कम करना या दोनों होते हैं। ध्यान दीजिए कि अधिकांश स्थितियों में ईंधन को हटाया नहीं जा सकता। उदाहरण के लिए, यदि किसी भवन में आग लगती है तो सम्पूर्ण भवन ही ईंधन होता है।

जल सबसे अधिक प्रचलित अग्निशामक है। परन्तु जल तभी कार्य कर पाता है जब लकड़ी और कागज़ जैसी वस्तुओं में आग लगी हो। यदि विद्युत् उपकरणों में आग लगी हो तो जल विद्युत् का चालन कर सकता है और आग बुझाने वालों को हानि हो सकती है। तेल और पेट्रोल में लगी आग बुझाने हेतु भी जल का उपयोग उचित नहीं होता। क्या आपको याद है कि जल तेल से भारी होता है? अतः यह तेल के नीचे चला जाता है और तेल ऊपर, जलता रहता है। विद्युत उपकरण और पेट्रोल जैसे ज्वलनशील पदार्थों में लगी आग के लिए कार्बन डाइऑक्साइड (CO) सबसे अच्छा अग्निशामक है। ऑक्सीजन से भारी होने के कारण CO, आग को एक कम्बल की तरह लपेट लेती है। इससे ईधन और ऑक्सीजन के बीच सम्पर्क टूट जाता है, अतः आग पर नियंत्रण हो जाता है। CO, का अतिरिक्त लाभ यह है कि सामान्यतः यह विद्युत उपकरणों को कोई हानि नहीं पहुंचाती।

हमें कार्बन डाइऑक्साइड की आपूर्ति कहाँ से मिलती है? उच्च दाव पर यह द्रव के रूप में सिलिंडरों में परी जा सकती है। एलपीजी किस रूप में सिलिंडरों में रखी जाती है? सिलिंडर से छोड़े जाने पर CO, बहुत अधिक फैलती है और ठंडी हो जाती है। अतः यह न केवल आग को चारों ओर से घेर लेती है बल्कि इंधन के ताप को भी नीचे ले आती है। इसीलिए यह अति उत्तम अग्निशामक है। CO, प्राप्त करने का एक दूसरा तरीका, सोडियम बाइकार्बोनेट (बेकिंग सोडा) या पोटैशियम बाइकार्बनिट जैसे रसायनों के पाउडर का भारी मात्रा में छिड़‌काव है। आग के निकट इन पदार्थों से बहुत सी कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है जो आग बुझा देती है।

4.3 दहन के प्रकार

एक जलती हुई माचिस की तीली अथवा गैस लाइटर को रसोई में गैस स्टोव के निकट लाइए।

सावधानीः स्वयं गैस स्टोव का प्रयोग न कीजिए। अपने माता-पिता को सहायता के लिए कहिए।

गैस स्टोव की घुंडी (नॉब) घुमाकर गैस चालू कर दीजिए। आप क्या देखते हैं?

हम पाते हैं कि गैस तेज़ी से जलने लगती है तथा ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न करती है। इस प्रकार का दहन तीव्र दहन कहलाता है।

फ़ॉस्फोरस जैसे कुछ पदार्थ हैं जो कमरे के ताप पर वायु में जल उठते हैं।

इस प्रकार का दहन जिसमें पदार्थ, बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के, अचानक लपटों के साथ जल उठता है, स्वतः दहन कहलाता है।

कोयले की खानों में कोयले की धूल के स्वतः दहन से कई बार खतरनाक अग्निकाण्ड हो चुके हैं। जंगल के स्वतः अग्निकाण्ड कभी अधिक गर्मी के कारण होते हैं, कभी आकाश से बिजली गिरने से होते हैं। परन्तु जंगल में आग अधिकतर मनुष्य की लापरवाही से लगती है। जंगल में यदि आप पिकनिक अथवा शिविर में जाते हैं और केम्पफायर का आयोजन करते हैं तो स्थान छोड़ने से पूर्व आग को पूर्णतया बुझाना अवश्य याद रखिए।

हम त्योहारों पर अक्सर अतिशबाजी करते हैं। जब पटाखे को जलाते हैं तो एक आकस्मिक अभिक्रिया होने से ऊष्मा, प्रकाश और ध्वनि पैदा होती है। अभिक्रिया में बनी गैस बड़ी मात्रा में निकलती है। इस प्रकार की अभिक्रिया विस्फोट कहलाती है। पटाखे पर दाब डालने पर भी विस्फोट हो सकता है।

4.4 ज्वाला

एलपीजी ज्वाला का प्रेक्षण करिए। क्या आप ज्वाला का रंग बता सकते हैं? एक मोमबत्ती की ज्वाला का रंग कैसा होता है?

कक्षा VII के मैग्नीशियम रिबन को जलाने के अपने अनुभव को याद करिए। यदि आपको सारणी 4.2 की शेष वस्तुओं को जलाने का अनुभव नहीं है तो आप उन्हें अब कर सकते हैं।

अपने प्रेक्षण रिकार्ड करिए और सारणी में लिखिए कि पदार्थ ज्वाला देता है या नहीं।

सारणी  : दहन पर ज्याला देने वाले पदार्थ

क्र.सं.पदार्थ ज्वाला देता हैज्वाला नहीं देता
1.मोमबत्ती
2.मैग्नीशियम
3.कपूर
4.मिट्टी के तेल वाला स्टोव
5.लकड़ी का कोयला

क्रियाकलाप 4.5

एक मोमबत्ती जलाइए (सावधानी बरतिए)। एक काँच की 4-5cm पतली नली को संडासी द्वारा पकड़िए और उसका एक सिरा मोमबत्ती की अकम्पित ज्वाला के अदीप्त क्षेत्र (जोन) में प्रवेश करा दीजिए (चित्र 4.10)। काँच की नली के दूसरे सिरे के निकट एक जलती हुई माचिस की तीली लाइए। क्या वहाँ कुछ समय पश्चात् ज्वाला उत्पन्न होती है? यदि ऐसा है, तो वह क्या है जो ज्वाला उत्पन्न करता है? ध्यान दीजिए कि गर्म बत्ती के पास का मोम जल्द पिघल जाता है।

दहन के समय जो पदार्थ वाष्पित होते हैं वे ज्वाला का निर्माण करते हैं। उदाहरण के लिए, मिट्टी का तेल और पिघली हुई मोमबत्ती के साथ-साथ ऊपर उठते हैं और दहन के समय वाष्पित होकर ज्वाला का निर्माण करते हैं। इसके विपरीत लकड़ी का कोयला वाष्पित नहीं होता और कोई ज्वाला नहीं देता। क्रियाकलाप 4.5 में, क्या काँच की नली से बाहर निकलने वाला मोम का वाष्प क्या ज्वाला उत्पन्न होने का कारण हो सकता है?

जब मोमबत्ती की ज्वाला स्थिर हो तो ज्वाला के दीप्त क्षेत्र में एक स्वच्छ काँच की प्लेट/स्लाइड प्रविष्ट करिए (आकृति 4.11)। उसे संडासी से लगभग 10 सेकंड तक पकड़े रखिए। फिर उसे हटा लीजिए। आप क्या देखते हैं?

काँच की प्लेट/स्लाइड पर एक गोल काला वलय बन गया है। यह ज्वाला के दीप्त क्षेत्र में उपस्थित बिना जले कार्बन कणों के जमाव को दर्शाता है।

एक पतले लम्बे ताँबे के तार को लगभग 30 सेकंड तक ज्वाला के अदीप्त क्षेत्र में पकड़ कर रखिए (आकृति 4.12)।

ध्यान दीजिए कि तार का भाग जो ज्वाला के कुछ ही बाहर है, रक्त तप्त हो जाता है। क्या यह दर्शाता है कि ज्वाला के अदीप्त क्षेत्र का ताप बहुत अधिक है? वास्तव में ज्वाला का यह भाग सबसे अधिक गर्म होता है (चित्र 4.13)।

सोने और चाँदी को पिघलाने के लिए सुनार धातु की फुकनी से ज्वाला के सबसे बाहरी भाग को उस पर  फूंकते हैं (चित्र 4.14)। वे ज्वाला के सबसे बाहरी भाग का उपयोग क्यों करते हैं?

4.6 ईंधन क्या है ?

याद करिए कि घरेलू और औद्योगिक उपयोगों से संबंधित ऊष्मा ऊर्जा के प्रमुख स्रोत लकड़ी, काष्ठ-कोयला, पेट्रोल, मिट्टी का तेल, आदि हैं। ये पदार्थ ईंधन कहलाते हैं। अच्छा ईंधन वह है जो सहज उपलब्ध हो जाता है। यह सस्ता होता है और वायु में सामान्य दर से सुगमतापूर्वक जलता है। यह अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न करता है। यह जलने के उपरांत कोई अवांछनीय पदार्थ नहीं छोड़ता।

सम्भवतः ऐसा कोई भी ईंधन नहीं है जिसे एक आदर्श ईंधन माना जा सके। हमें ऐसा ईंधन ढूँढ़ना चाहिए जो किसी विशिष्ट उपयोग की अधिकांश आवश्यकताएँ पूरी करता हो।

ईंधन के मूल्यों में भिन्नता होती है। कुछ ईंधन अन्य ईंधनों की अपेक्षा सस्ते होते हैं।

जिन ईंधनों से आप परिचित हैं, उनकी सूची बनाइए। सारणी 4.3 की भांति इन्हें ठोस, द्रव और गैसीय ईंधनों में वर्गीकृत करिए।

4.7 ईंधन दक्षता

यदि आपसे कहा जाए कि गोबर के उपले, कोयला और एलपीजी को जला कर पानी की एक निश्चित मात्रा को उबालें, तो आप कौन से ईंधन को चुनेंगे? इसका कारण बताइए। आप अपने माता-पिता की मदद ले सकते हैं। क्या ये ईंधन बराबर मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न करते हैं? किसी ईंधन के 1 किलोग्राम के पूर्ण दहन से प्राप्त ऊष्मा ऊर्जा की मात्रा, उसका ऊष्मीय मान कहलाती है। ईंधन के उष्मीय मान को किलोजूल प्रति किलोग्राम (kJ/kg) मात्रक द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। कुछ ईंधनों के ऊष्मीय मान सारणी 4.4 में दिए गए हैं।

सारणी 4.3 : ईंधनों के प्ररूप

क्र.स.ठोस ईंधनद्रव ईधनगैसीय ईंधन
1.कोयलामिट्टी का तेलप्राकृतिक गैस
2.
3.

सारणी 4.4 : विभिन्न ईंधनों के ऊष्मीय मान

ईंधनऊष्मीय मान (kJ/kg)
गोबर के उपले6,000-8,000
लकड़ी17,000-22,000
कोयला25,000-33,000
पेट्रोल45,000
मिट्टी का तेल45,000
डीजल45,000
मेथेन50,000
सीएनजी50,000
एलपीजी55,000
जैव गैस35,000-40,000
हाइड्रोजन150,000

ईंधन के दहन से हानिकारक उत्पाद प्राप्त होते हैं

ईंधन का बढ़ता हुआ उपभोग पर्यावरण प्रभाव डालता है। पर हानिकारक

1. लकड़ी, कोयले और पेट्रोल जैसे कार्बन ईंधन, बिना जले कार्बन कण छोड़ते हैं। ये सूक्ष्म कण खतरनाक प्रदूषक होते हैं जो दमा जैसे श्वास रोग उत्पन्न करते हैं।

सदियों से लकड़ी का उपयोग घरेलू तथा औद्योगिक ईंधन के रूप में हो रहा था। परंतु अब इसका स्थान कोयले और एलपीजी जैसे ईंधनों ने ले लिया है। अभी भी हमारे देश के बहुत से ग्रामीण क्षेत्रों में ईंधन के रूप में लकड़ी का उपयोग हो रहा है क्योंकि यह आसानी से उपलब्ध और सस्ती है। परंतु लकड़ी को जलाने से बड़ी मात्रा में धुआँ उत्पन्न होता है जो मनुष्यों के लिए हानिकारक है और श्वसन-कष्ट उत्पन्न करता है। साथ ही, वृक्ष हमें बहुत सी उपयोगी वस्तुएँ उपलब्ध कराते हैं जो ईंधन के रूप में लकड़ी का उपयोग करने पर हमें प्राप्त नहीं हो पातीं। इसके अतिरिक्त, वृक्षों की कटाई वनोन्मूलन का कारण बनती है जो पर्यावरण के लिए हानिप्रद है, जैसा कि आपने कक्षा VII में पढ़ा है।

2. इन ईंधनों का अपूर्ण दहन, कार्बन मोनोक्साइड गैस देता है। यह अत्यंत विषैली गैस है। बंद कमरे में कोयला जलाना खतरनाक होता है। उत्पन्न कार्बन मोनोक्साइड गैस से कमरे में सो रहे व्यक्तियों की मृत्यु भी हो सकती है।

3. अधिकांश ईंधनों के दहन से पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है। वायु में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की अधिक मात्रा सम्भवतः विश्व ऊष्णन (ग्लोबल वार्मिंग) का कारण बनती है।

पृथ्वी के वातावरण के तापमान में वृद्धि विश्व ऊष्णन कहलाती है। अन्य बातों के साथ-साथ इससे हिमनद पिघलने लगते हैं, जिससे समुद्र में जल स्तर बढ़ जाता है और तटीय क्षेत्र बाढ़ग्रस्त हो जाते हैं। ऐसा भी सम्भव है कि निचले स्तर वाले तटीय क्षेत्र स्थायी रूप से जलमग्न हो जाएँ।

4. कोयले और डीजल के दहन से सल्फर डाइऑक्साइड गैस निकलती है। यह अत्यंत दमघोंटू और संक्षारक गैस है। इसके अतिरिक्त पेट्रोल इंजन नाइट्रोजन के गैसीय ऑक्साइड छोड़ते हैं। सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड वर्षा जल में घुल जाते हैं तथा अम्ल बनाते हैं। ऐसी वर्षा अम्ल वर्षा कहलाती है जो फसलों, भवनों और मृदा के लिए बहुत हानिकारक होती है।

मोटर वाहनों में ईंधन के रूप में डीजल और पेट्रोल का स्थान अब सीएनजी (संपीडित प्राकृतिक गैस) ले रही है क्योंकि सीएनजी सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइडों का उत्पादन अल्प मात्रा में करती है। सीएनजी एक अधिक स्वच्छ ईंधन है।

आपने क्या सीखा

• जो पदार्थ वायु में जलते हैं, दाह्य कहलाते हैं।

• दहन के लिए ऑक्सीजन (वायु में) आवश्यक है।

• दहन के प्रक्रम में ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न होते हैं।

• ज्वलन-ताप वह निम्नतम ताप है जिस पर दाह्य पदार्थ आग पकड़ लेता है।

• ज्वलनशील पदार्थों का ज्वलन ताप बहुत कम होता है।

• आग उत्पन्न करने हेतु आवश्यकताओं में से एक या अधिक को हटा कर आग पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

• आग पर नियंत्रण पाने हेतु सामान्यतः जल का प्रयोग किया जाता है।

• विद्युत उपकरणों और तेलों में लगी आग को नियंत्रित करने के लिए जल का उपयोग नहीं किया जाता।

• दहन विभिन्न प्रकार के हैं, जैसे तीव्र दहन, स्वतः दहन, विस्फोट, आदि।

• ज्वाला के तीन भिन्न क्षेत्र होते हैं अदीप्त क्षेत्र, दीप्त क्षेत्र और ज्योतिहीन क्षेत्र।

• आदर्श ईंधन सस्ता, आसानी से उपलब्ध, आसानी से जलने वाला और आसानी से वहन योग्य होता है। इसका ऊष्मीय मान उच्च होता है। यह ऐसी गैसें या अवशेष नहीं छोड़ता जो पर्यावरण को प्रदूषित करते हों।

• ईंधनों की दक्षता और मूल्य परस्पर भिन्न हो सकते हैं।

• ईंधन दक्षता को ऊष्मीय मान द्वारा प्रदर्शित किया जाता है जिसका मात्रक “किलोजूल प्रति किलोग्राम” होता है।

• वायु में बिना जले कार्बन कण खतरनाक प्रदूषक होते हैं और श्सवन कष्टों को उत्पन्न करते हैं।

• ईंधन के अपूर्ण दहन से विषैली कार्बन मोनोक्साइड गैस बनती है।

• वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की बड़ी हुई मात्रा को विश्व ऊष्णन का कारण बताया जाता है।

• कोयले, डीजल और पेट्रोल के दहन से उत्पन्न सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड, अम्ल वर्षा उत्पन्न करते हैं जो फसलों, भवनों और मृदा के लिए हानिकारक होती है।

यह भी पढ़ें : कोयला और पेट्रोलियम : अध्याय 3

अभ्यास

1. दहन की परिस्थितियों की सूची बनाइए।
Ans.
दहन की परिस्थितियाँ: एक दाह्य पदार्थ या ईंधन, ऑक्सीजन, ज्वलन ताप

2 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) लकड़ी और कोयला जलने से वायु का प्रदूषण होता है।

(ख) घरों में काम आने वाला एक द्रव ईंधन मिट्टी का तेल है।

(ग) जलना प्रारम्भ होने से पहले ईंधन को उसके ज्वलन ताप तक गर्म करना आवश्यक है।

(घ) तेल द्वारा उत्पन्न आग को पानी द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता।

3. समझाइए कि मोटर वाहनों में सीएनजी के उपयोग से हमारे शहरों का प्रदूषण किस प्रकार कम हुआ है।
Ans.
पेट्रोल और डीजल की तुलना में सीएनजी एक स्वच्छ ईंधन है, यानि इसके दहन से बहुत ही कम प्रदूषण होता है। इसलिए मोटर वाहनों में सीएनजी के उपयोग से हमारे शहरों का प्रदूषण काफी हद तक कम हुआ है।

4. ईंधन के रूप से एलपीजी और लकड़ी की तुलना कीजिए।
Ans. 

लकड़ी एलपीजी
यह भारी होती है और इसकी दुलाई में बहुत मेहनत लगती है।एलपीजी की ढुलाई आसान होती है।
लकड़ी को जलाने से अधिक प्रदूषण होता है।एलपीजी को जलाने से बहुत कम प्रदूषण होता है।
ऊष्मीग मान 17000 से 22000 किलोजूल प्रति किलोग्राम है।ऊष्मीय मान 55000 किलोजूल प्रति किलोग्राम है।

5. कारण बताइए

(क) विद्युत उपकरण से संबद्ध आग पर नियंत्रण पाने हेतु जल का उपयोग नहीं किया जाता।
Ans.
विद्युत उपकरण से संबद्ध आग को पानी से बुझाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। सामान्य जल, विद्युत का चालक होता है क्योंकि उसमें कुछ लवण घुले रहते हैं। इससे आग बुझाने वालों को बिजली का झटका लगने का खतरा रहता है।

(ख) एलपीजी लकड़ी से अच्छा घरेलू ईंधन है।
Ans.
लकड़ी की तुलना में एलपीजी का ऊष्मीय मान बहुत अधिक है, जैसा कि प्रश्न 4 के उत्तर में दिखाया गया है। इसका मतलब है कि एलपीजी अधिक दक्ष ईंधन है। लकड़ी को जलाने से काफी धुंआ निकलता है और राख भी निकलती है। यह समस्या एलपीजी के साथ नहीं होती है। इसलिए एलपीजी, लकड़ी से अच्छा घरेलू ईंधन है।

(ग) कागज स्वयं सरलता से आग पकड़ लेता है जबकि ऐलुमिनियम पाइप के चारों ओर लपेटा गया कागज का टुकड़ा आग नहीं पकड़ता।
Ans.
जब ऐलुमिनियम पाइप के चारों ओर लपेटे गए कागज को गर्म किया जाता है तो अधिकतर ऊष्मा का चालन ऐलुमिनियम पाइप तक हो जाता है। इससे कागज का तापमान उसके ज्वलन ताप से कम बना रहता है और कागज में आग नहीं लगती है।

6 मोमबत्ती की ज्वाला का चिह्नित चित्र बनाइए।
Ans.

7. ईंधन के ऊष्मीय मान को किस मात्रक द्वारा प्रदर्शित किया जाता है?
Ans.
ईंधन के ऊष्मीय मान को किलोजूल प्रति किलोग्राम मापक द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

8. समझाइए कि CO₂ किस प्रकार आप को निवाँरत करती है।
Ans.
विद्युत उपकरण और पेट्रोल जैसे ज्वलनशील पदार्थों में लगी आग के लिए कार्बन डाइऑक्साइड सबसे अच्छा अग्निशामक है। ऑक्सीजन से भारी होने के कारण CO₂ आग को एक कम्बल की तरह लपेट लेती है। इससे ईधन और ऑक्सीजन के बीच सम्पर्क टूट जाता है। अतः आग पर नियंत्रण हो जाता है। CO₂ का एक अतिरिक्त लाभ यह है कि सामान्यतः यह विद्‌युत उपकरणों को हानि नहीं पहुंचाती।

9. हरी पत्तियों के ढेर को जलाना कठिन होता है परन्तु सूखी पत्तियों में आग आसानी से लग जाती है, समझाइए।
Ans
. हरी पत्तियों में पानी मौजूद होता है। इसलिए जब हरी पत्तियों में आग लगाने की कोशिश की जाती है तो अधिकतर ऊष्मा पानी को गर्म करने में इस्तेमाल हो जाती है। इसलिए हरी पत्तियों के ढेर को जलाना कठिन होता है। सूखी पत्तियों में पानी न होने कारण आग आसानी से तग जाती है।

10. सोने और चाँदी को पिघलाने के लिए स्वर्णकार ज्वाला के किस क्षेत्र का उपयोग करते हैं और क्यों?
Ans.
ज्वाला के सबसे बाहरी क्षेत्र का तापमान सबसे अधिक होता है। इसले सोने और चाँदी को पिघलाने के लिए स्वर्णकार ज्वाला के बाहा क्षेत्र का उपयोग करते हैं।

11. एक प्रयोग में 4.5 kg ईंधन का पूर्णतया दहन किया गया। उत्पन्न ऊष्मा का माप 180.000 kJ था। ईंधन का ऊष्मीय मान परिकलित कीजिए।
Ans.
इंधन का द्रव्यमान = 4.5 kg
उत्पन्न ऊष्मा का माप = 1,80,000 kj
अब इंधन का ऊष्मीय मान = उत्पन्न ऊष्मा का मान/ द्रव्यमान
= 1,80,000kj / 4.5kg
= 40000kj/ kg

12. क्या जंग लगने के प्रक्रम को दहन कहा जा सकता है? विवेचना कीजिए।
Ans.
जंग लगने के प्रक्रम में लोहा और ऑक्सीजन के बीच प्रतिक्रिया होती है। लेकिन इस प्रतिक्रिया में ऊष्मा या प्रकाश नहीं निकलता है। इसलिए जंग लगने के प्रक्रम को दहन नहीं कहा जा सकता है।

अथवा

नहीं, जंग लगने के प्रक्रम को हम दहन नहीं कह सकते हैं क्योंकि जब तोहे को नमी युक्त वायु में रखा जाता है, तो यह जलीय आयरन ऑक्साइड की परत से ढक जाता है। यह प्रक्रम जंग लगना कहलाता है और परत को जंग कहते है। रासायनिक जंग, आयरन ऑक्साइड का जलीय रूप है अर्थात् Fe2O3 xH₂O यह भूरे लाल रंग का होता है। जंग लगना एक ऑक्सीजन अभिक्रिया है. परन्तु धीमी गति से होने वाली अभिक्रिया है।
Fe2O3 + XH2O → Fe2O3.XH2O

13. आबिदा और रमेश ने एक प्रयोग किया जिसमें बीकर में रखे जल को गर्म किया गया। आबिदा ने बीकर को मोमबत्ती ज्वाला के पीले भाग के पास रखा। रमेश ने बीकर को ज्वाला के सबसे बाहरी भाग के पास रखा। किसका पानी कम समय में गर्म हो जाएगा?
Ans.
ज्वाला के सबसे बाहरी भाग का तापमान सबसे अधिक होता है। इसलिए रमेश का पानी कम समय में गर्म हो जाएगा।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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