किसी तल (Surface) से प्रकाश का परावर्तन दो प्रकार का होता है-नियमित (Regular or Specular) परावर्तन व अनियमित परावर्तन या विसरण (Irregular Reflection or Diffusion)। नियमित परावर्तन पूर्णतः चिकने (Smooth) पृष्ठ जैसे- दर्पण पर होता है जबकि अनियमित परावर्तन या विसरण (Diffusion) किसी रूक्ष तल (Rough Surface) से होता है।
जब प्रकाश किसी ठोस वस्तु के रुक्ष तल (Rough Surface) जैसे- दीवार (Wall) से टकराती है तो तल के विभिन्न बिंदुओं पर प्रकाश का आपतन कोण भिन्न होता है। अतः परावर्तित प्रकाश की किरणें किसी एक निश्चित दिशा में न जाकर, विभिन्न दिशाओं में चारो ओर बिखर (Scatter) जाती हैं, इस क्रिया को प्रकाश का विसरण या विसरित परावर्तन कहते हैं। तल के प्रत्येक बिंदु पर प्रकाश किरण का परावर्तन, इस क्रिया में भी परावर्तन के नियमों के अनुसार ही होता है।
प्रकाश के विसरण या विसरित परावर्तन के कारण ही कमरे में अंधकार नहीं होता क्योंकि कमरे के आस-पास की वस्तुओं व दीवारों आदि से विसरित परावर्तन के द्वारा प्रकाश दरवाजों, खिड़कियों आदि के द्वारा कमरे में पहुँच जाता है।
प्रकाश का वर्ण विक्षेपण (Dispersion of Light)
श्वेत प्रकाश-किरण का अपने अवयवी रंगों की प्रकाश- किरणों में विभाजित होना प्रकाश का वर्ण विक्षेपण कहलाता है। जैसे- जब सूर्य की श्वेत प्रकाश किरण काँच के किसी प्रिज्म में से गुजरती है तो वह अपने मार्ग से विचलित होकर प्रिज्म के आधार की ओर झुककर विभिन्न रंगों की किरणों में विभाजित हो जाती है।
इस प्रकार से उत्पन्न विभिन्न रंगों के समूह को स्पेक्ट्रम कहते हैं। इस स्पेक्ट्रम का एक सिरा लाल तथा दूसरा सिरा बैगनी होता है। इन दोनों सिरों, लाल तथा बैगनी रंगों के बीच में असंख्य प्रकाश किरणों का रंग अविरत (Continue) रूप से बदलता जाता है। सामान्यतः हमारी आँख को ये रंग सात समूहों के रूप में दिखाई पड़ते हैं। प्रिज्म के आधार की ओर से ये रंग बैगनी (Violet), जामुनी (Indigo), नीला (Blue), हरा (Green), पीला (Yellow), नारंगी (Orange) तथा लाल (Red) के क्रम में होते हैं। रंगों के इस क्रम को अंग्रेजी के शब्द VIBGYOR में याद रखते हैं।
इससे स्पष्ट होता है कि जब श्वेत प्रकाश की किरण प्रिज्म में से गुजरती है तो श्वेत प्रकाश में उपस्थित भिन्न-भिन्न रंगों की किरणों में प्रिज्म द्वारा उत्पन्न विचलन (Deviation) भिन्न-भिन्न होता है। लाल प्रकाश की किरण का विचलन सबसे कम तथा बैगनी प्रकाश की किरण में विचलन सबसे अधिक होता है। अन्य रंगों की किरणों में विचलन लाल से बैगनी की तरफ बढ़ने पर बढ़ता जाता है। बैगनी रंग की तरंग दैर्ध्य (Wave length) सबसे कम तथा लाल रंग की तरंग दैर्ध्य सबसे अधिक होती है। यद्यपि इन रंगों की तरंग दैर्ध्य भिन्न- भिन्न होती है, परन्तु निर्वात में इनकी चाल समान (3.0 × 108 मी०/ से०) होती है।
सारणी : श्वेत किरण के अवयव रंगों की तरंग दैर्ध्य
क्र. | रंग | तरंगदैर्ध्य (A में) |
1. | लाल (Red) | 7800 Å से 6400 Å तक |
2. | नारंगी (Orange) | 6400 Å से 6000 Å तक |
3. | पीला (Yellow) | 6000 Å से 5700 Å तक |
4. | हरा (Green) | 5700 Å से 5000 Å तक |
5. | नीला (Blue) | 5000 Å से 4600 Å तक |
6. | जामुनी (Indigo) | 4600 Å से 4300 Å तक |
7. | बैगनी (Violet) | 4300 Å से 4000 Å तक |
• प्रिज्म द्वारा प्रकाश के वर्ण विक्षेपण का कारण (Reason of Dispersion of Light by the Prism)
किसी पारदर्शी (Transparent) पदार्थ, जैसे- कांच का अपवर्तनांक प्रकाश के अलग-अलग रंगों के लिए अलग-अलग होता है। यह लाल रंग के लिए न्यूनतम तथा बैगनी रंग के लिए अधिकतम होता है।
अपवर्तनांक (n) = प्रकाश की निर्वात में चाल (Ca)/ प्रकाश की माध्यम में चाल (Cm)
के अनुसार, माध्यम में किसी रंग के प्रकाश की चाल जितनी ज्यादा होगी, उसका अपवर्तनांक उतना ही कम होगा और अपवर्तन के पश्चात् उसमें उतना ही कम विचलन (Deviation) होगा और विपरीततः भी (vice-versa)। अतः लाल रंग के प्रकाश की किरण प्रिज्म के आधार की ओर सबसे कम तथा बैगनी रंग के प्रकाश की किरण प्रिज्म के आधार की ओर सबसे अधिक झुकती है। इस प्रकार श्वेत रंग के प्रकाश का प्रिज्म में से गुजरने पर वर्ण- विक्षेपण हो जाता है।
इन्द्रधनुष (Rainbow)
कभी-कभी वर्षा ऋतु में आकाश में सात रंगों की धनुषाकार पट्टी दिखाई देती है जिसे इंद्रधनुष (Rainbow) कहते हैं। इसका मुख्य कारण जल की बूँदों में से प्रकाश के अपवर्तन के कारण होने वाला वर्ण विक्षेपण (Dispersion) होता है। ऐसे में जल की बूँदें प्रिज्म जैसा व्यवहार करती हैं। यह दो प्रकार का हो सकता है-
1. प्राथमिक इंद्रधनुष (Primary Rainbow)
जब इंद्रधनुष में लाल रंग की पट्टी बाहर की ओर तथा नारंगी, पीला, हरा, नीला, इत्यादि क्रमशः अंदर की ओर व अंत में बैगनी पट्टी होती है तो उसे प्राथमिक इंद्रधनुष कहते हैं। इसमें सूर्य की किरणों का दो बार अपवर्तन व एक बार पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है।
2. द्वितीयक इंद्र धनुष (Secondary Rainbow)
इसमें बैगनी रंग की पट्टी सबसे बाहर की ओर तथा लाल रंग की पट्टी सबसे अंदर की ओर होती है। इसमें प्रकाश किरणों का दो बार अपवर्तन व दो बार पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है।
➤ वस्तुओं का रंग (Colour of Objects)
कोई वस्तु हमें तब दिखाई पड़ती है जब उससे परावर्तित अथवा उत्सर्जित प्रकाश हमारी आँखों पर पड़ता है। वस्तुएँ हमें विभिन्न रंगों की दिखाई पड़ती हैं और कोई वस्तु उसी रंग की दिखाई पड़ती है जिस रंग को वह परावर्तित या उत्सर्जित (emit) करती हैं।
जो वस्तु सभी रंगों को परावर्तित कर देती है वह श्वेत दिखाई पड़ती है क्योंकि सभी रंगों का मिश्रित प्रभाव सफेद होता है। जो वस्तु सभी रंगों को अवशोषित कर लेती है अर्थात् किसी रंग की किरण को परावर्तित नहीं करती वह काली दिखाई देती है। यही कारण है कि जब लाल रंग की वस्तु को हरे शीशे में से देखा जाता है तो वह काला दिखलाई पड़ता है क्योंकि उसे परावर्तित करने के लिए लाल रंग नहीं मिलता और हरे रंग को वह अवशोषित कर लेता है।
➤ प्रकाश तरंगों का ध्रुवण (Polarisation of Light Waves)
प्रकाश एक विद्युत चुंबकीय (Electromagnetic), अनुप्रस्थ (Transverse) तरंग होती है अर्थात् इन तरंगों का कंपन संचरण (Transmission) के लंबवत होता है और इसके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती। साधारण प्रकाश में कंपन, तरंग की गति के लंबवत तल में प्रत्येक दिशा में सममित रूप से (Symmetrically) होते हैं। यदि प्रकाश-तरंग के कंपन, प्रकाश संचरण की दिशा में लंबवत तल में एक ही दिशा में हो, प्रत्येक दिशा में सममित न हो तो इस प्रकाश को समतल ध्रुवित प्रकाश कहते हैं तथा प्रकाश संबंधी यह घटना ध्रुवण कहलाती है। अनुदैर्ध्य तरंग (Longitude waves) में ध्रुवण की घटना नहीं होती जबकि अनुप्रस्थ तरंग में ध्रुवण की घटना होती है।*
समतल ध्रुवित प्रकाश उत्पन्न करने के लिए पोलेराइड (Polaroids) का उपयोग किया जाता है। इसमें एक झिल्ली (Film) होती है जिसे कांच (Glass) की दो प्लेटों के बीच में रखा जाता है। यह पर्त (Film) ‘नाइट्रोसेलुलोज तथा हरपेथाइट के मिश्रण से बनी होती है।
नाइट्रोसेलुलोज की एक पतली शीट पर कार्बनिक यौगिक हरपेथाइट के अत्यंत सूक्ष्म आकार के क्रिस्टल इस प्रकार फैलाकर रखे जाते हैं कि सभी क्रिस्टलों के अक्ष एक दूसरे के समान्तर रहें। जब अध्रुवित प्रकाश पोलेराइड पर पड़ता है तो वही प्रकाश किरण उससे निकल पाती है जिसके कंपन क्रिस्टलों के अक्ष के समान्तर होते हैं। इस प्रकार पोलेराइड युक्ति से ध्रुवित प्रकाश ही निकलता है।
पोलेराइड युक्ति का अन्य जगहों पर भी उपयोग होता है। जैसे-
(i) प्रकाश की चकाचौंध से बचने के लिए धूप के चश्मों में।
(ii) पानी से भीगी सड़कों से परावर्तित प्रकाश की चकाचौंध से बचने में।
(iii) कार की खिड़की (Wind Screen) तथा हेड लाइट कवर ग्लास पर,
(iv) त्रिविमीय चित्रों (Three dimensional Pictures) को देखने के लिए बने विशेष चश्मों में,
(v) पोलेराइड फोटोग्राफी व कैमरा में,
(vi) धातुओं के प्रकाशीय गुणों के अध्ययन में तथा
(vii) किसी विलयन में शर्करा की सांद्रता इत्यादि ज्ञात करने में।
यह भी पढ़ें : प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light)
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