जैसा कि विदित है कि विद्युत आवेश सदैव ऊँचे विभव से नीचे विभव की ओर चलते हैं। चूँकि धनावेश का गमन नहीं होता और ऋणावेश गतिशील होता है अतः ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन ऊँचे विभव से कम विभव के स्थान की ओर गमन करते हैं। इलेक्ट्रॉनों का यह गमन तब तक जारी रहता है जब तक कि दोनों स्थान समान विभव वाले न बन जायें। किसी चालक में विद्युतावेशों (इलेक्ट्रॉनों) का चलना विद्युत धारा का प्रवाहित होना कहलाता है। किसी चालक के किसी बिन्दु से प्रति सेकण्ड गुजरने वाले विद्युत आवेश चालक में प्रवाहित विद्युत धारा से परिमाण को प्रकट करते हैं। यदि सेकण्ड में Q कूलॉम आवेश चालक के किसी बिन्दु से गुजरते हैं तो
विद्युत धारा का परिमाण = विद्युत आवेश/समय के अनुसार,
i= Q (कूलॉम)/t (सेकेण्ड)
इस तरह किसी चालक में विद्युत-आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं।
S.I. प्रणाली में विद्युत धारा का मात्रक एम्पियर है। यह नाम फ्रांस के भौतिकशास्त्री ए० एम० एम्पियर (A.M. Ampere) को सम्मान देने हेतु दिया गया है। किसी चालक के अनुप्रस्थ परिच्छेद (cross-section) से प्रति सेकण्ड यदि एक कूलॉम आवेश प्रवाहित होता है तो विद्युत धारा का मान एक एम्पियर होता है।
एक एम्पियर = एक कूलॉम/एक सेकण्ड
एम्पियर = कूलॉम/सेकण्ड
एम्पियर से छोटा मात्रक मिली एम्पियर होता है जिसका मान 10-3 एम्पियर होता है। इससे छोटा मात्रक माइक्रोएम्पियर है, यह 10-6 एम्पियर के तुल्य होता है। एक एम्पियर विद्युत धारा का अर्थ है प्रति सेकण्ड (1कूलॉम) / (1.6 × 10-19 कुलॉम अर्थात् 6.25 × 1018 इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह।
विद्युत धारा यह एक अदिश राशि है जबकि इसमें परिमाण एवं दिशा दोनों होती है। कारण यह कि यह जोड़ के त्रिभुज नियम (Vector Rule) का पालन नहीं करती।
पदार्थों में विद्युत धारा का प्रवाह (Flow of Electric Current in Substances)
(i) धातुओं में (In Metals)- सभी धातुएं विद्युत के लिए सुचालक (Good Conductor) होती हैं। इनमें धारा का प्रवाह युक्त इलेक्ट्रानों के गति के कारण होता है। चाँदी विद्युत का सबसे अच्छा चालक है।
(ii) विलयनों में (In Solutions)- आसुत (Pure) जल विद्युत का चालक नहीं होता परन्तु यदि जल में कोई अम्ल (acid), क्षार (base) या लवण (Salt) घुला हुआ हो तो वह चालक हो जाता है। अम्लों, क्षारों तथा लवणों के जलीय विलयनों में विद्युत धारा का प्रवाह, धनात्मक तथा ऋणात्मक दोनों प्रकार के आवेशों की गति से होता है। विद्युत सेलों के विलयनों में भी विद्युत धारा का प्रवाह इसी प्रकार होता है।
(iii) गैसों में (In Gasses)- सामान्यतया गैसें विद्युत की चालक नहीं होती परन्तु किसी बंद नलिका में बहुत कम दाब पर गैस में से विद्युत का प्रवाह हो सकता है।
(iv) अर्धचालकों में (In Semi Conductors)- जरमेनियम, सिलिकान आदि कुछ पदार्थ विद्युत के चालक नहीं होते परन्तु यदि इनमें कुछ अशुद्धियाँ मिला दी जायँ तो ये विद्युत के चालक बन जाते हैं। इसीलिए इन्हें अर्धचालक (Semi Conductor) कहते हैं।
विद्युत धारा के प्रकार (Kinds of Electric Current)
विद्युत धारा दो प्रकार की होती है-
(a) दिष्ट धारा (Direct Current)- यदि किसी परिपथ (Circuit) में प्रवाहित धारा की दिशा में कोई परिवर्तन न हो अर्थात् धारा एक ही दिशा में गतिमान रहे तो इसे हम दिष्ट धारा (D.C.) कहते हैं। जैसे-विद्युत सेल (electric Cell) युक्ति से प्राप्त विद्युत धारा दिष्ट धारा होती है।*
(b) प्रत्यावर्ती धारा (Alternative Current)- यदि किसी परिपथ में धारा की दिशा लगातार बदलती है अर्थात् धारा का प्रवाह एकान्तर क्रम में समान्तर रूप से आगे और पीछे होता रहता है तो ऐसी धारा को हम प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) कहते हैं। घरों में विद्युत की सप्लाई प्रत्यावर्ती धारा के रूप में ही की जाती है।*
आवश्यकतानुसार विभिन्न उपकरणों का प्रयोग कर प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) को दिष्ट धारा (D.C.) में तथा दिष्ट धारा (DC) को प्रत्यावर्ती धारा (AC) में बदला जा सकता है।
विद्युत वाहक बल (Electromotive force)
किसी चालक में गतिमान मुक्त इलेक्ट्रानों को चालक के परमाणुओं द्वारा उत्पन्न बाधा के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। जिससे उनकी ऊर्जा का ह्रास होता है। अतः चालक में विद्युत धारा का प्रवाह बनाए रखने के लिए मुक्त इलेक्ट्रानों को किसी स्रोत से ऊर्जा देना आवश्यक होता है। यही ऊर्जा मुक्त इलेक्ट्रानों को प्रवाहमान बनाये रखने के लिए बल (Force) प्रदान करती है। अर्थात् ऐसा बल जो परिपथ में विद्युत धारा का प्रवाह लगातार बनाये रखता है। विद्युत वाहक बल (Electromotive Force) कहलाता है। इसे विद्युत सेल, जनित्र (Generator), तापयुग्म (Thermo Couple), प्रकाश विद्युत सेल (Photo electric cell) व पाइजो विद्युत स्रोत (Piezo electronic Source) इत्यादि से प्राप्त किया जाता है।
किसी सेल का विद्युत वाहक बल संपूर्ण परिपथ में आवेश को प्रवाहित कराने के लिए सेल द्वारा दी गई ऊर्जा प्रति एकांक आवेश के बराबर होता है।
यदि किसी परिपथ में q कूलाम आवेश को प्रवाहित कराने के लिए W W ऊर्जा प्राप्त हो तो, सेल का विद्युत वाहक बल E= w/q जूल/कूलाम या वोल्ट
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FAQs
Q1. किसी धातु के तार में विद्युत प्रवाह का क्या कारण है?
Ans. इलेक्ट्रानों का प्रवाह
Q2. गैसों व विलयनों में धारा का प्रवाह कैसे होता है?
Ans. आयनों के स्थानान्तरण तथा इलेक्ट्रानों के प्रवाह द्वारा।
Q3. विद्युत धारा में परिमाण व दिशा दोनों होती है फिर भी यह अदिश राशि है, सदिश नहीं। क्यों?
Ans. क्योंकि यह जोड़ के त्रिभुज नियम (Vector Rule) का पालन नहीं करता।
Q4. आपस में जुड़ी दो आवेशित वस्तुओं के बीच विद्युत धारा नहीं प्रवाहित होती है, यदि वे हों :
Ans. समान विभव पर
Q5. बैटरी का आविष्कार किसने किया ?
Ans. बोल्टा ने (1799 ई•)
Q6. विद्युत धारा कौन-सी राशि है?
Ans. अदिश राशि
Q7. विद्युत सेल में किस ऊर्जा का रूपान्तरण विद्युत ऊर्जा में होता है?
Ans. रासायनिक ऊर्जा का।
Q8. जनित्र अथवा डायनमो में किस ऊर्जा का रूपान्तरण वैद्युत ऊर्जा में होता है?
Ans. गतिज ऊर्जा का
Q9. ताप युग्म में किस ऊर्जा का रूपान्तरण वैद्युत ऊर्जा में होता है?
Ans. ऊष्मीय ऊर्जा का
Q10. प्रकाश वैद्युत सेल में किस ऊर्जा का रूपान्तरण वैद्युत ऊर्जा में होता है?
Ans. विकिरण ऊर्जा का
Q11. प्रत्यावर्ती धारा (AC) को दृष्टि धारा (DC) में बदलने के लिए किस उपकरण का प्रयोग करते हैं?
Ans. रेक्टिफायर
Q12. अर्द्धचालक की चालकता शून्य केल्विन (परम शून्य ताप) पर कितनी होती है?
Ans. शून्य/परम शून्य ताप पर अर्ध चालक एक आदर्श अचालक की भांति व्यवहार करते हैं।
Q13. अर्ध-चालकों में विद्युत प्रवाह होता है?
Ans. इलेक्ट्रॉन तथा होल द्वारा