इनमें वैद्युत क्षेत्र (Electric field) तथा चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic field) दोनों उपस्थित रहता है तथा दोनों परस्पर लंबवत तल में लगते हैं। इनके संचरण की दिशा इन दोनों क्षेत्रों से लंबवत होती है। ब्रिटिश वैज्ञानिक मैक्सवेल ने सन् 1865 में प्रमाणित किया कि जब किसी वैद्युत परिपथ में विद्युत धारा बहुत उच्च आवृत्ति से बदलती है अर्थात् परिपथ में उच्च आवृत्ति के वैद्युत दोलन होते हैं, तो उस परिपथ से ऊर्जा तरंगों के रूप में चारों ओर को प्रसारित होने लगती है। इन तरंगों को ‘विद्युत चुंबकीय तरंगें’ कहते हैं। इन तरंगों में विद्युत क्षेत्र तथा चुम्बकीय क्षेत्र परस्पर लंबवत तथा तरंग के संचरण की दिशा के भी लंबवत होते हैं। इन तरंगों का तरंग दैर्ध्य परिसर (Wave Length Range) बहुत विस्तृत (10-14 मीटर से 104 मीटर तक) है।
विद्युत चुंबकीय तरंगों के प्रकार (Kinds of Electromagnetic Waves)
(1) गामा किरणें (‘y’ ‘Gama’ Rays)- रेडियो ऐक्टिव परमाणुओं के नाभिकों का विघटन होने पर, ये किरणें उत्पन्न होती हैं।
इनकी आवृत्ति बहुत अधिक होने के कारण ये अपने साथ बहुत अधिक ऊर्जा ले जाती हैं। इनकी वेधन क्षमता इतनी अधिक है कि ये 30 सेमी मोटी लोहे की चादर को भी भेद कर पार निकल जाती हैं। ये फोटोग्राफिक प्लेटों पर रासायनिक क्रिया करती हैं। ये प्रस्फुरक पदार्थों तथा सोडियम आयोडाइड से पुते पर्दे पर चमक (प्रस्फुर) उत्पन्न करती हैं। इन किरणों का प्रयोग नाभिकीय क्रियाओं तथा कृत्रिम रेडियों ऐक्टिवता उत्पन्न करने में किया जाता है। इन किरणों पर कोई आवेश नहीं होता तथा ये मनुष्य के लिए बहुत हानिकारक होती हैं।
(2) एक्स किरणें (X-Rays) तरंग दैर्ध्य परिसर 1 × 10 -10 मीटर से 3 × 10-8 मीटर तक।
आवृत्ति परिसर 3 × 1018 से 1 × 1016 हर्ट्ज तक। ये किरणें तीव्रगामी इलेक्ट्रानों के उच्च परमाणु क्रमांक वाले धातुओं पर टकराने से उत्पन्न होती है।
इनकी खोज रॉजन ने की थी इसलिए इन्हें रोंजन किरणें (Rongen Rays) भी कहते हैं। इनकी वेधन क्षमता गामा (γ) किरणों से कम होती है परन्तु अन्य गुण किरणों की भाँति ही होते हैं।
इनका उपयोग परमाणु के भीतरी इलेक्ट्रान कोश की संरचना जानने, टूटी हुई हड्डी तथा फेफड़े के रोगों का पता लगाने में किया जाता है।
(3) पराबैगनी किरणें (Ultra-violet Rays)- इसकी खोज ‘रिटर’ नामक वैज्ञानिक ने किया था। इसकी आवृत्ति परिसर 3.0 × 1016 हर्ट्ज से 8×1014 हर्ट्ज तक है तथा तरंग दैर्ध्य परिसर 1.0 × 10-8 मीटर से 4 × 10-7 मीटर तक है। ये किरणें सूर्य (sun), आर्क (Arc), स्पार्क (spark), गर्म निर्वात स्पार्क (Hot Vaccum Spark) तथा आयनित गैसों द्वारा उत्पन्न होती हैं। इनकी वेधन क्षमता X- किरणों से कम होती है। इन किरणों द्वारा प्रकाश वैद्युत प्रभाव (Photo-Electric Effect) उत्पन्न होता है। अन्य गुण गामा किरणों की तरह होते हैं। इनका उपयोग अदृश्य लिखाई (Secret Writing) नकली दस्तावेजों, अंगुली के निशानों (Finger Prints) का पता लगाने में, सिंकाई करने में तथा खाने की वस्तुओं के संरक्षण (Preservation) में होता है।*
जल शोधकों (Water Purifiers) में पराबैगनी विकिरण उत्पन्न करने वाले लैम्पों (U-V Lamps) का उपयोग जीवाणुओं (Bacteria) को मारने में होता है। परन्तु मानव शरीर पर इसका हानिकारक प्रभाव होता है। इससे त्वचा में जलन पैदा होती है तथा त्वचा कैंसर (Skin Cancer) होने का खतरा भी रहता है। यह खतरा और भी अधिक होता यदि इनकी अधिकांश मात्रा पृथ्वी के वायुमण्डल के समताप मंडल में स्थित ओजोन परत द्वारा अवशोषित न कर ली जाती। वैसे पराबैगनी किरणों को उनकी तरंग दैर्ध्य के आधार पर तीन भागों में विभाजित किया गया है।
(a) UV-A विकिरण (400-320) नैनोमीटर या 4.00-3.2×10-7 मी०, (b) UV-B विकिरण (320 नैनोमी0-280 नैनोमी० या 3.20 × 10-7 मी० -2.80 × 10-7 मी०), तथा (c) UV-C विकिरण (280 – 100 नैनोमी० या 2.80 × 10-7-1.0 × 10-7 मी०)। A विकिरण ओजोन पर्त द्वारा अवशोषित नहीं किया जाता व सीधा पृथ्वी तक पहुँच जाता है। B विकिरण को ओजोन पर्त द्वारा कुछ मात्रा में अवशोषित किया जाता है व कुछ पृथ्वी तक पहुँच जाती है। परन्तु C प्रकार की विकिरण का अधिकांश हिस्सा ओजोन परत द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। ज्ञातव्य है कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी यही विकिरण (UV-C type radiation) सर्वाधिक हानि कारक है।*
(4) दृश्य प्रकाश (Visible Light)- दृश्य प्रकाश का तरंग दैर्ध्य 3.9×10-7 मीटर से 7.8×10-7 मीटर तक तथा आवृत्ति 8.0×1014 से 4.0×1012 हर्ज तक होती है। इनका उत्पादन स्रोत सूर्य, ज्वाला (Flame) विद्युत बल्ब, आर्क लैम्प आदि ताप दीप्ति (incandescent) वस्तुएँ तथा आयनित गैसों के उत्तेजित परमाणुओं द्वारा उत्पन्न विकिरण है। प्रकाश से ही हमें वस्तुएँ दिखाई देती हैं। ये फोटोग्राफिक प्लेट पर रासायनिक क्रिया करती है। परावर्तन, अपवर्तन, व्यतिकरण, विवर्तन, ध्रुवण, प्रकाश वैद्युत प्रभाव इत्यादि इसके महत्वपूर्ण गुण हैं। इनके संसूचन (detection) का प्रमुख साधन नेत्र हैं।
हमारे नेत्र तरंग दैर्ध्य के इसी परास (Range) के लिए संवेदनशील हैं। विभिन्न जंतु (Animal) तरंग दैर्ध्य के विभिन्न परासों के लिए संवेदनशील हैं। जैसे- सर्प के नेत्र 7.8 × 10-7 मीटर से अधिक तरंग दैर्ध्य के विकिरण (अवरक्त विकिरण) के लिए भी संवेदन शील हैं। इनका उपयोग वस्तुओं को देखने, अणुओं की संरचना तथा परमाणु के वाह्य कोशों (orbits) में इलेक्ट्रानों के प्रबन्ध का पता लगाने में होता है। इसकी खोज-न्यूटन ने की थी। (विस्तृत व्याख्या हेतु देखें अध्याय 5 (प्रकाशिकी) (optics)।)
(5) अवरक्त विकिरण (Infrared Radiation)- इसकी खोज हरशैल ने की थी। इनका तरंग दैर्ध्यपरास 7.8 × 10-7 से 5 × 10-3 मीटर तथा आवृत्ति परास 4 × 1012 से 6 × 1010 हर्ट्ज है। इनका मुख्य स्त्रोत सूर्य व अतितप्त (very Hot) वस्तुएं हैं। इसके अतिरिक्त अणुओं में घूर्णन तथा कंपनिक संक्रमणों द्वारा भी उत्पन्न होता है। इनके द्वारा ऊष्मा (Heat) का संचरण होता है। इन्हीं किरणों को ऊष्मीय विकिरण (Heat Radation) भी कहते हैं। ये जिस वस्तु पर पड़ती है उसका ताप बढ़ा देती हैं। इनका प्रकीर्णन लाल रंग के दृश्य प्रकाश से भी कम होता है इसलिए ये कुहरे व धुंध में भी काफी दूर तक चली जाती हैं। इसलिए खराब मौसम व कुहरे में फोटोग्राफी हेतु इन्हीं किरणों का उपयोग किया जाता है।* पौध घरों (Green Houses) में पौधों को गर्म रखने में तथा युद्ध के दौरान कोहरे व धुंध के पार देखने में भी इनका उपयोग होता है।* रोगियों की सिंकाई हेतु भी इनका उपयोग किया जाता है। इनका संसूचन तापपुंज अथवा तापमापी से किया जा सकता है। टेलीवीजन (T.V.) के रिमोट कंट्रोलिंग में इन्हीं किरणों का उपयोग होता है।*
(6) सूक्ष्म तरंगें (Micro-waves)- इसकी खोज हेनरिक हर्ज ने किया था इसलिए इन्हें हर्जियन तरंगें भी कहते हैं। सामान्यतया इन्हें लघु रेडियों तरंग (Short Radio Waves) भी कहते हैं। इनका तरंग दैर्ध्य 1.0×10-3 मीटर से 3.0×10-2 मीटर तथा आवृत्ति 3×1010 से 1×108 हर्ज तक होता है। इनका उत्पादन विशेष निर्वातित नलिका (Vaccumised tube) में, दोलित्र धारा से तथा वैद्युत परिपथों में विद्युत चुंबकीय दोलित्रों द्वारा किया जाता है। इन तरंगों में परावर्तन व ध्रुवण (Polarisation) की घटनाएं भी होती हैं।* इनका उपयोग विमान संचालन में रडार प्रणाली के लिए होता है। रडार, उपग्रहों तथा लंबी दूरी वाले बेतार संचार (Wireless Communi- cation) में तथा माइक्रोवेव ओवन में खाना पकाने हेतु इन तरंगों का उपयोग किया जाता है।*
(7) रेडियों तरंगें (Radio Waves)- इसकी खोज मारकोनी ने की थी। इनका तंरग दैर्ध्य 1 ×10-1 मीटर से 1 × 104 मीटर तक तथा आवृत्ति 3 ×109 हर्ट्ज से 3 × 104 हर्ट्ज तक होती है। इनका उत्पादन दोलित्र विद्युत परिपथों (Oscillating Electric Circuits) में होता है। दृश्य प्रकाश की भाँति ये तरंगें भी परावर्तन व विवर्तन का गुण रखती हैं। इनका उपयोग रेडियो एवं दूरदर्शन की संचार प्रणालियों में, सेल्यूलर फोनों में अत्युच्च आवृत्ति (UHF) बैण्ड की रेडियों तरंगों का उपयोग करके ध्वनि सन्देशों के आदान-प्रदान की व्यवस्था की जाती है।*
विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम (Electromagnetic Spectrum)
सूर्य के प्रकाश (दृश्य प्रकाश) को यदि हम कांच के एक प्रिज्म से गुजारते हैं तो हमें सात रंगों (बैगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी व लाल) की एक पट्टी (Spectrum) दिखाई पड़ती है। इस पट्टी में लाल रंग के किरण का तरंग दैर्ध्य सबसे अधिक (लगभग 7.8×10-7 मीटर) व बैगनी रंग के प्रकाश किरण की तरंग दैर्ध्य सबसे कम (लगभग 4.0×10-7 मीटर) होता है। इसकी व्याख्या न्यूटन ने की थी। अन्वेषकों ने पता लगाया कि सूर्य के प्रकाश का स्पेक्ट्रम केवल लाल रंग से लेकर बैगनी रंग तक ही सीमित नहीं है बल्कि दोनों तरफ इसके आगे भी काफी विस्तृत है। स्पेक्ट्रम के इन भागों का मानव नेत्र की रेटिना पर कोई प्रभाव (संवेदन) नहीं होता। अतः इन्हें ‘अदृश्य स्पेक्ट्रम’ तथा स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाली सात रंगों की पट्टी को ‘दृश्य स्पेक्ट्रम’ (Visible Spectrum) कहते हैं। लाल रंग से बड़े तरंग दैर्ध्य वाले भाग को अवरक्त स्पेक्ट्रम (Infrared Spectrum) तथा बैगनी रंग से छोटी तरंग दैर्ध्य वाले भाग को ‘पराबैगनी स्पेक्ट्रम’ (Ultra-violet spectrum) कहते हैं। बाद में एक्स किरणों, गामा किरणों, सूक्ष्म तरंगों व रेडियों तरंगों की भी खोज हुई। ये सभी तरंगें भी विद्युत चुबंकीय तरंगें हैं जिन्हें तरंग दैर्ध्य के बढ़ते क्रम में क्रमानुसार एक साथ रखा जा सकता है। इस क्रम को विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम कहते हैं।
दृश्य प्रकाश स्पेक्ट्रम, जो कि विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम का बहुत छोटा सा भाग है, के अवयव (Component) विभिन्न 7 रंगों की पट्टी (Spectrum) के रूप में प्राप्त होते हैं, में क्रमशः बैगनी से लाल तक बढ़ते हुए तरंग दैर्ध्यानुसार क्रमशः रखे जा सकते हैं। सभी रंगों का सम्मिलत प्रभाव श्वेत (White) होता है।
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