पर्यावरण : अध्याय 1

लंबी छुट्टियों के बाद जब रवि स्कूल जा रहा था, तब उसने देखा कि उसके स्कूल के निकट के खेल के मैदान में खुदाई हो गई थी। वही एक मैदान उनके खेलने के लिए वहाँ पर था। लोगों ने बताया कि वहाँ अनेक फ़्लैटों वाली एक बड़ी इमारत बनेगी। जब रवि को समझ में आया कि मुलायम घास, गेंदे के फूल एवं तितलियों वाला विशाल मैदान अब हमेशा के लिए नष्ट हो चुका है तो उसकी आँखों से आँसू छलकने लगे। उसने यह बात अपने सहपाठियों को बताई। सुबह की सभा में प्रधानाचार्य ने भी बहुत उदासी से कहा, “देखो, कैसे हमारा पर्यावरण बदल रहा है।

कक्षा में पहुँचकर रवि ने अपने शिक्षक से पूछा, “पर्यावरण क्या है?” “जो कुछ भी आप अपने आस-पास देखते हो,” शिक्षक ने बताया।

रवि कहने लगा, “इसका अर्थ है, स्कूल भवन, मेज, कक्षा में रखी कुर्सियाँ, यहाँ तक कि खुला मैदान, सड़क, कूड़ा-करकट, मेरे दोस्त, ये सभी हमारे पर्यावरण के अंग हैं।”

“हाँ”, शिक्षक ने कहा, “लेकिन जरा रुको… कुछ वस्तुओं का निर्माण प्रकृति ने किया है-जैसे, पर्वत, नदियाँ, पेड़, प्राणी। जबकि अन्य का निर्माण मानव ने किया है-जैसे, सड़क, कार, कपड़े, किताब आदि।”

अब दो-दो छात्र मिलकर कार्य कीजिए। अपने निकट बैठे सहपाठी के साथ मिलकर प्रकृति एवं मानव द्वारा निर्मित वस्तुओं की सूची बनाइए।

रवि, परमजीत, जेस्सी, मुस्तफ़ा, आशा सभी यह सूची बनाने के लिए उत्सुक थे। इकबाल ने पूछा, “हमारा पर्यावरण क्यों बदल रहा है?” शिक्षक ने उत्तर दिया, “ऐसा हमारी जरूरतों के कारण होता है। ये दिन-प्रतिदिन बढ़ती रहती हैं।

इसलिए हम प्राकृतिक वातावरण में परिवर्तन करते हैं और कभी-कभी उसे नष्ट भी कर देते हैं।”

ऊपर के वार्तालाप से आप समझ गए होंगे कि किसी भी जीवित प्राणी के चारों ओर पाए जाने वाले लोग, स्थान, वस्तुएँ एवं प्रकृति को पर्यावरण कहते हैं। यह प्राकृतिक एवं मानव-निर्मित परिघटनाओं का मिश्रण है। प्राकृतिक पर्यावरण में पृथ्वी पर पाई जाने वाली जीवीय एवं अजीवीय दोनों परिस्थितियाँ सम्मिलित हैं, जबकि मानवीय पर्यावरण में मानव की परस्पर क्रियाएँ, उनकी गतिविधियाँ एवं उनके द्वारा बनाई गई रचनाएँ सम्मिलित हैं।

प्राकृतिक पर्यावरण

भूमि, जल, वायु, पेड़-पौधे एवं जीव-जंतु मिलकर प्राकृतिक पर्यावरण बनाते हैं। स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल एवं जैवमंडल से आप पहले से ही परिचित होंगे। आइए, अब हम इनके संबंध में कुछ और तथ्यों की जानकारी प्राप्त करते हैं।

पृथ्वी की ठोस पर्पटी या कठोर ऊपरी परत को स्थलमंडल कहते हैं। यह चट्टानों एवं खनिजों से बना होता है एवं मिट्टी की पतली परत से ढँका होता है। यह पहाड़, पठार, मैदान, घाटी आदि जैसी विभिन्न स्थलाकृतियों वाला विषम धरातल होता है। ये स्थलाकृतियाँ महाद्वीपों के अलावा महासागर की सतह पर भी पाई जाती हैं।

स्थलमंडल वह क्षेत्र है, जो हमें वन, कृषि एवं मानव बस्तियों के लिए भूमि, पशुओं को चरने के लिए घासस्थल प्रदान करता है। यह खनिज संपदा का भी एक स्रोत है।

जल के क्षेत्र को जलमंडल कहते हैं। यह जल के विभिन्न स्रोतों जैसे-नदी, झील, समुद्र, महासागर आदि जैसे विभिन्न जलाशयों से मिलकर बनता है। यह सभी प्राणियों के लिए आवश्यक है।

पृथ्वी के चारों ओर फैली वायु की पतली परत को वायुमंडल कहते हैं। पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल अपने चारों ओर के वायुमंडल को थामे रखता है। यह सूर्य की झुलसाने वाली गर्मी एवं हानिकारक किरणों से हमारी रक्षा करता है। इसमें कई प्रकार की गैस, धूल-कण एवं जलवाष्प उपस्थित रहते हैं। वायुमंडल में परिवर्तन होने से मौसम एवं जलवायु में परिवर्तन होता है।

पादप एवं जीव-जंतु मिलकर जैवमंडल या सजीव संसार का निर्माण करते हैं। यह पृथ्वी का वह संकीर्ण क्षेत्र है, जहाँ स्थल, जल एवं वायु मिलकर जीवन को संभव बनाते हैं।

पारितंत्र क्या है?

रवि की कक्षा के एक एन.सी.सी. कैंप में जेस्सी ने आश्चर्य से कहा, “कितनी मूसलाधार वर्षा हो रही है। इससे मुझे अपना केरल याद आ गया। तुम सबको आकर देखना चाहिए कि कैसे हरे-भरे खेतों एवं नारियल के बागानों में लगातार बारिश होती रहती है।”

तभी जैसलमेर के रहने वाले हीरा ने आश्चर्य से कहा, “हमारे यहाँ वर्षा होती ही नहीं है। हमें तो दूर-दूर तक केवल कीकर एवं रेत ही नजर आती है।” “लेकिन वहाँ ऊँट भी तो मिलते हैं,” रवि ने कहा।

हीरा ने कहा, “ऊँट तो मिलेंगे ही! जब तुम हमारे रेगिस्तान आओगे, तो तुम्हें साँप, छिपकली एवं अनेक कीट भी देखने को मिलेंगे।”

रवि हैरत में पड़ गया, “विभिन्न स्थानों पर पाए जाने वाले जीव-जंतु, वनस्पति एवं लोगों के रहन-सहन के तरीके इतने भिन्न क्यों हैं? क्या सभी का एक-दूसरे के साथ संबंध है?”

“बिलकुल, बहुत संबंध है”, शिक्षक ने कहा।

सभी पेड़-पौधे, जीव-जंतु एवं मानव अपने आस-पास के पर्यावरण पर आश्रित होते हैं। प्रायः वे एक-दूसरे पर भी आश्रित हैं। जीवधारियों का आपसी एवं अपने आस-पास के पर्यावरण के बीच का संबंध ही पारितंत्र का निर्माण करता है। अधिक वर्षा वाले वन, घासस्थल, रेगिस्तान, पर्वत, झील, नदी, महासागर एवं छोटे-से ताल का भी एक पारितंत्र हो सकता है।।

क्या आपको लगता है कि जिस पार्क में रवि एवं उसके मित्र खेलते थे, वह भी एक पारितंत्र बनाता था?

मानवीय पर्यावरण

मानव अपने पर्यावरण के साथ पारस्परिक क्रिया करता है और उसमें अपनी आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन करता है। प्रारंभिक मानव ने स्वयं को प्रकृति के अनुरूप बना लिया था। उनका जीवन सरल था एवं आस पास की प्रकृति से उनकी आवश्यकताएँ पूरी हो जाती थी। समय के साथ कई प्रकार की आवश्यकताएँ बढ़ीं। मानव ने पर्यावरण के उपयोग और उसमें परिवर्तन करने के कई तरीके सीख लिए। उसने फ़सल उगाना, पशु पालना एवं स्थायी जीवन जीना सीख लिया। पहिए का आविष्कार हुआ, आवश्यकता से अधिक अन्न उपजाया गया, वस्तु-विनिमय पद्धति का विकास हुआ, व्यापार आरंभ हुआ एवं वाणिज्य का विकास हुआ। औद्योगिक क्रांति से बड़े पैमाने पर उत्पादन प्रारंभ हो गया। परिवहन तेज गति से प्रारंभ हुआ। सूचना क्रांति से पूरे विश्व में संचार, सहज और द्रुत हो गया।

क्या आप जानते हैं कि आप गर्मी में रसीला तरबूज एवं सर्दी में भुनी हुई मूँगफली खाना क्यों पसंद करते हैं? प्राकृतिक एवं मानवीय पर्यावरण के बीच सही संतुलन होना आवश्यक है। मानव को पर्यावरण के साथ समरसता से रहने एवं उसका उपयोग सीखना चाहिए।

रवि की कक्षा में मिजोरम की एक लड़की है, नूरी। वह अकसर अपने स्थान की हरियाली की बात करती रहती है। खेल का मैदान नष्ट होने के कारण रवि की उदासी देखकर, नूरी ने उसे आने वाली छुट्टियों में अपने घर मिजोरम आने को कहा। रवि के शिक्षक ने सभी बच्चों से कहा कि छुट्टियों में वे जिन स्थानों पर जाएँगे, वहाँ के भू-दृश्य, घरों एवं लोगों के क्रियाकलापों का चित्र बनाकर लाएँ।

यह भी पढ़ें : बाज़ार में एक कमीज़ : अध्याय 8

अभ्यास

1. निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(क) पारितंत्र क्या है?
Ans. वह तंत्र जिसमें समस्त जीवधारी आपस में एक-दूसरे के साथ तथा पर्यावरण के उन भौतिक एवं रासायनिक कारकों के साथ परस्पर क्रिया करते हैं, जिसमें वे निवास करते हैं पारितंत्र कहलाता है। ये सब ऊर्जा और पदार्थ के स्थानान्तरण द्वारा संबद्ध हैं।

(ख) प्राकृतिक पर्यावरण से आप क्या समझते हैं?
Ans.
भूमि, जल, वायु, पेड़-पौधे एवं जीव-जंतु मिलकर प्राकृतिक पर्यावरण बनाते हैं। दूसरे शब्दों में पृथ्वी पर उपस्थित उन समस्त जैविक और अजैविक तत्त्वों का योग प्राकृतिक पर्यावरण कहलाता है।

(ग) पर्यावरण के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं?
Ans.
पर्यावरण के प्रमुख घटक प्राकृतिक घटक, खनिज, भूमि, पेड़-पोधे, पशु-पक्षी, जल, वायु आदि।

(घ) मानव-निर्मित पर्यावरण के चार उदाहरण दीजिए।
Ans.
मानव निर्मित पर्यावरण के उदाहरण यातायात के साधन, संचार के साधन, उद्योग, पार्क आदि।

(च) स्थलमंडल क्या है?
Ans.
पृथ्वी की ठोस पर्पटी या कठोर ऊपरी परत को स्थलमंडल कहते हैं। यह बट्टानों एवं खनिजों से बना होता है एवं मिट्टी की पतली परत से ढंका होता है। यह पहाड़, पठार, मैदान, घाटी आदि जैसी विभिन्न स्थलाकृतियों वाला विषम धरातल होता है। ये स्थलाकृतियाँ महाद्वीपों के अलावा महासागर की सतह पर भी पाई जाती हैं।

स्थलमंडल वह क्षेत्र है, जो हमें वन, कृषि एवं मानव बस्तियों के लिए भूमि, पशुओं को चरने के लिए घासस्थल प्रदान करता है। यह खनिज संपदा का भी एक स्रोत है।

(छ) जीवीय पर्यावरण के दो प्रमुख घटक क्या है?
Ans. जीवीय पर्यावरण के दो घटक

1. पेड़-पौधे

2. पशु-पक्षी।

(ज) जैवमंडल क्या है?
Ans.
पादप एवं जीव-जंतु मिलकर सजीव संसार का निर्माण करते हैं, जिसे जीवमंडल कहते हैं। यह पृथ्वी का वह संकीर्ण क्षेत्र है, जहाँ स्थल, जल एवं वायु मिलकर जीवन को संभव बनाते हैं।

2. सही (✓) उत्तर चिह्नित कीजिए-

(क) इनमें से कौन-सा प्राकृतिक परितंत्र नहीं है?

(i) मरुस्थल

(ii) ताल

(iii) वन

Ans. ताल

(ख) इनमें से कौन-सा मानवीय पर्यावरण का घटक नहीं है?

(i) स्थल

(ii) धर्म

(iii) समुदाय

Ans. स्थल

(ग) इनमें से कौन-सा मानव निर्मित पर्यावरण है?

(i) पहाड़

(ii) समुद्र

(iii) सड़क

Ans. सड़क

(घ) इनमें से कौन-सा पर्यावरण के लिए खतरा है?

(i) पादप-वृद्धि

(ii) जनसंख्या वृद्धि

(iii) फ़सल वृद्धि

Ans. जनसंख्या वृद्धि

3. निम्नलिखित स्तंभों को मिलाकर सही जोड़े बनाइए-

कॉलम Aकॉलम B
जैवमंडलपृथ्वी को घेरने वाली वायु की चादर
वायुमंडलजलीय क्षेत्र
जलमंडलपृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल
पर्यावरणहमारे आस-पास का क्षेत्र
जीवों एवं उनके परिवेश के बीच संबंध
वह संकीर्ण क्षेत्र जहाँ स्थल, जल एवं वायु पारस्परिक क्रिया करते हैं।

Ans.

जैवमंडलवह संकीर्ण क्षेत्र जहाँ स्थल, जल एवं वायु पारस्परिक क्रिया करते हैं।
वायुमंडलपृथ्वी को घेरने वाली वायु की चादर
जलमंडलजलीय क्षेत्र
पर्यावरणहमारे आस-पास का क्षेत्र

4. कारण बताइए –

(क) मानव अपने पर्यावरण में परिवर्तन करता है
Ans.
मानव अपने पर्यावरण के साथ पारस्परिक क्रिया करता है और उसमें अपनी आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन करता है। वह अपनी आवश्यकता के लिए फसल उगाता है, पशुओं को पालता है, वस्तुओं को निर्मित करने के उद्योगों की स्थापना करता है। आवागमन के लिए यातायात के साधनों का निर्माण करता है। नदियों पर बाँध बनाकर बाढ़ पर नियंत्रण और सिंचाई का प्रबंध करता है। ये सभी मनुष्य को पर्यावरण से प्राप्त नहीं होता, बल्कि वह पर्यावरण में बदलाव करके प्राप्त करता है।

(ख) पौधे एवं जीव-जंतु एक-दूसरे पर आश्रित है
Ans.
सभी पेड़-पौधे, जीव-जन्तु एवं मानव अपने आस-पास के पर्यावरण पर आश्रित होते हैं। प्रायः वे एक-दूसरे पर भी आश्रित हैं। जीवधारियों का आपसी एवं अपने आस-पास के पर्यावरण के बीच का संबंध ही पारितंत्र का निर्माण करता है। अधिक वर्षा वाले वन, घासस्थल, रेगिस्तान, पर्वत, झील, नदी, महासागर एवं छोटे से ताल का भी एक पारितंत्र हो सकता है।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

1 thought on “पर्यावरण : अध्याय 1”

Leave a Comment