फूली रोटी : पाठ -12

जमाल की माँ रसोई में खाना बना रही थीं। जमाल माँ को देख रहा था। जमाल का मित्र जय बर्तनों के साथ खेल रहा था।

माँ रोटी बना रही थीं। जमाल भी रोटी बनाना चाहता था। उसने माँ से आटा माँगा। माँ ने उसे छोटी-सी लोई दे दी।

जमाल रोटी बेलने लगा। उसने रोटी पर सूखा आटा लगाया। जमाल से रोटी गोल नहीं बन रही थी। रोटी गोल करने के लिए जय ने जमाल को कटोरी दी।

जमाल ने कटोरी रोटी पर रखकर घुमा दी। रोटी गोल हो गई। माँ ने जमाल की रोटी सेंक दी। जमाल की रोटी खूब फूली। जमाल और जय खशी से रोटी खाने लगे।

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बातचीत के लिए

1. जमाल ने माँ से लोई माँगने के बाद क्या-क्या किया?
Ans.
जमाल ने माँ से लोई माँगने के बाद रोटी बेलने की कोशिश की। उसने रोटी पर सूखा आटा लगाया। जब रोटी गोल नहीं बनी, तो उसके मित्र जय ने उसे कटोरी दी। जमाल ने कटोरी को रोटी पर घुमा कर गोल रोटी बना ली। फिर माँ ने उसकी रोटी सेंक दी।

2. आप रोटी को गोल बनाने के लिए क्या करेंगे?
Ans.
रोटी को गोल बनाने के लिए मैं बेलन से धीरे-धीरे और बराबर दबाव डालकर बेलूँगा। अगर रोटी गोल नहीं बनेगी, तो मैं कोई गोल चीज़ जैसे कटोरी या प्लेट का प्रयोग करके उसे गोल बना सकता हूँ।

3. ‘फूली रोटी’ की जगह पर यदि यह कहानी आपको ‘फूली पूरी’ के लिए बतानी हो, तो आप कैसे बताएँगे? छोटे समूह में चर्चा कीजिए और अपनी कक्षा में सनाइए।
Ans.
यदि यह कहानी ‘फूली पूरी’ के बारे में हो, तो हम कुछ बातें इस तरह बदल सकते हैं:

• माँ रोटी की जगह पूरी बना रही होतीं।

• जमाल माँ से लोई माँगता और कहता कि वह भी पूरी बनाना चाहता है।

• माँ उसे छोटी-सी लोई देतीं।

• जमाल उसे बेलता और जय उसे गोल करने में मदद करता।

• माँ फिर उसे तेल में तलतीं।

• जमाल की पूरी फूल जाती और वे दोनों मिलकर फूली पूरी खाते।

आनंदमयी कविता

रोटी अगर गोल न बने

रोटी अगर गोल न बने,
बन जाए कहीं का नक्शा,
नक्शे को फिर कैसे तपाऊँ ,
नक्शे को फिर कैसे पकाऊँ !
तो फिर इसका क्या करूँ,
गोल बना लूं पृथ्वी जैसी,
या उस देश को डाक से भेजूं ,
बन गया है जहाँ का नक्शा?

पढ़िए और मिलाइए

प्रश्‍नों और उनके उत्तरों को रेखा खींचकर जोड़िए –

Ans.

पहेली

बंद रहेगा

1. घर के बाहर जब जाते हैं,
लटकाते दरवाजे़ पर,
अगर नहीं खोलें हम इसको,
बंद रहेगा पूरा घर।

हम पढ़ते हैं

2. मेरे बस्‍ते के भीतर है,
और मेज़ पर धरी हुई,
हम पढ़ते हैं, तुम पढ़ते हो,
तस्‍वीरों से भरी हुई।

शब्दों का खेल

1. नीचे दिए गए शब्दों जैसे और शब्द बताइए। उन्हें लिखने का प्रयत्‍न कीजिए और पढ़कर सुनाइए –
रोटी – छोटी, चोटी, टोटी
फूली – मूली , कूली, सूली

आपने जो नए शब्द बनाए हैं, उन पर एक-एक वाक्य बनाइए –

Ans.

1. छोटी – मेरी बहन मुझसे दो साल छोटी है।
2. चोटी – उसने अपनी चोटी में लाल रिबन बाँधा।
3. टोटी – नल की टोटी से पानी टपक रहा है।

4. मूली – सर्दियों में मूली के पराठे बहुत स्वादिष्ट लगते हैं।
5. कूली – स्टेशन पर कूली ने हमारे सामान को प्लेटफॉर्म तक पहुँचाया।
6. सूली – पुराने ज़माने में अपराधियों को सूली पर चढ़ा दिया जाता था।

2. एक-सी ध्वनियों से आरंभ होने वाले शब्दों को पहचानकर घेरा लगाइए –

Ans.

3. अलग ध्वनि से अंत होने वाले शब्दों को पहचानकर लिखिए –

रोटी,  छोटी,  चोटी,  गोल –   गोल
जय,  लय , भय,  साँप    –     साँप

4. इस कहानी में जय और जमाल हैं। ऐसे और नाम बताइए जिसमें ‘ज’ अक्षर हो–
Ans. 
जहाज, जमीन, जनमत, जनरल,

झटपट कहिए

कच्चा पापड़, पक्का पापड़।
• भालू को आलू भाया, भाया भालू को आलू।

देखिए और लिखिए

1. ‘झ’, ‘ख’, ‘ड़’, ‘ऊ’ की पहचान कीजिए और अक्षर लिखिए –

Ans.

दिए गए अक्षरों को खोजिए और घेरा लगाइए –

Ans.

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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