पूर्वांचल की पहाड़ियाँ (Hills of Purvanchal)


हिमालय की उत्तर से दक्षिण म्यांमार-भारत सीमा के सहारे फैली और अरूणाचल प्रदेश (तिराप मण्डल), नागालैण्ड, मणिपुर एवं मिजोरम से गुजरने वाली पहाड़ी श्रेणियों को समवेत रूप में पूर्वांचल की पहाड़ियाँ संज्ञा से जाना जाता है। अरूणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग में मिशमी तथा पटकाई बुम पहाड़ियाँ हैं। पटकाई बुम अरूणाचल प्रदेश तथा म्यांमार की सीमा बनाती है। पटकाई बुम के दक्षिण नगा श्रेणी और इसके दक्षिण में कोहिमा पहाड़ी स्थित हैं। इन दोनों पहाड़ियों के सर्वोच्च शिखर का नाम क्रमशः सारामती (3826मी.) एवं जापवी (2995 मी.) है। बरेली श्रेणी उत्तर-दक्षिण दिशा में नगालैण्ड तथा असम राज्यों में विस्तृत हैं। मणिपुर राज्य में मणिपुर पहाड़ियाँ एवं मिजोरम राज्य मिजो पहाड़िया हैं। बराक मणिपुर और मिज़ोरम की एक मुख्य नदी है। मिज़ोरम जिसे ‘मोलेसिन बेसिन’ की भी संज्ञा दी जाती हैं मृदुल और असंगठित चट्टानों से बना है। मिजो पहाड़ियों के पश्चिम में त्रिपुरा पहाड़ियाँ हैं। ध्यातव्य है कि त्रिपुरा तीनों ओर से बांग्लादेश से घिरा है।

पूर्वांचल पहाड़ी की एक अन्य शाखा, जो कि भूगार्भिक संरचना की दृष्टि से प्रायद्वीपीय पठार का उत्तर-पूर्वी विस्तार है-पूरब-पश्चिम में विस्तृत है, यह मेघालय की पहाड़ियों के नाम से जानी जाती है। इसकी तीन प्रमुख पहाड़ियाँ हैं, इसके पूर्वी भाग में जयन्तिया, पश्चिम भाग में गारो तथा इन दोनों के बीच में खासी पहाड़ी है।

गारो पहाड़ी के दक्षिण की ओर सुरमा नदी का मैदान है।, जबकि खासी पहाड़ी के दक्षिण की ओर चेरापूँजी का पठार है। ध्यातव्य है कि सभी श्रृंखला के रूप में हिमालय का दक्षिणतम विस्तार अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह एवं इण्डोनेशिया तक पाया जाता है।

हिमालय का प्रादेशिक विभाजन (Regional Divison of the Himalaya)

सिडनी बुरार्ड नामक भूगर्भशास्त्री ने हिमालय का वर्गीकरण नदी घाटियों के आधार पर किया है। इन्होंने हिमालय की पश्चिमी सीमा सिंधु नदी तथा पूर्वी सीमा ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा निर्धारित की है।

इन्होंने हिमालय के चार प्रदेश बताए हैं- यथा-

हिमालय का प्रादेशिक वर्गीकरण : एक दृष्टि में
नाम
स्थिति
मध्यवर्ती दूरी
• पंजाब हिमा.
सिंधु व सतलज नदियों के मध्य
560 किमी.
• कुमायूं हिमा.
सतलज व काली के मध्य
320 किमी.
• नेपाल हिमा.
काली व तिस्ता के मध्य
800 किमी.
• असम हिमा.
तिस्ता व दिहांग के मध्य
720 किमी.

1. कश्मीर या पंजाब, हिमालय

इसका विस्तार सिंधु नदी से लेकर सतलज नदी तक 560 किमी. की लम्बाई में मिलता है। यह कश्मीर व हिमाचल प्रदेश राज्यों में फैला है। दक्षिण से उत्तर की ओर इसमें पीरपंजाल, जास्कर, लद्दाख, कराकोरम, धौलाधर श्रेणियाँ शामिल हैं।* सुप्रसिद्ध एवं मनोरम कश्मीर घाटी एवं डलझील वृहत हिमालय तथा पीरपंजाल पर्वत श्रेणियों के मध्य अवस्थित है। सियाचीन तथा बलटोरो सदृश्य प्रसिद्ध हिमानी नदियाँ और जोजीला, बानिहाल फोटुला, खर्दुगुला आदि दरें इसी पर्वत श्रेणी में स्थित है। कश्मीर हिमालय करेवा (Karewa) के लिए भी विख्यात है, जहाँ जाफरान (देशी केसर) की खेती होती है। यहाँ वैष्णो देवी, अमरनाथ गुफा तथा चरार-ए-शरीफ जैसे सुप्रसिद्ध तीर्थ स्थल अवस्थित हैं। यहाँ पर दक्षिणी ढालों पर वनों की प्रचुरता है जबकि उत्तरी ढाल निर्जन, ऊबड़-खाबड़ तथा शुष्क है। शुष्क होने के कारण हिम रेखा अधिक ऊँचाई पर पाई जाती है।*

2. कुमायूँ हिमालय

इसका विस्तार सतलज नदी से लेकर काली नदी तक 320 किमी. की लम्बाई में उत्तराखण्ड राज्य में है। इसका पश्चिमी भाग गढ़वाल व पूर्वी भाग कुमायूँ हिमालय कहलाता है। यह पंजाब हिमालय की अपेक्षा अधिक ऊँचा है। यहाँ की प्रमुख चोटियाँ बद्रीनाथ, केदारनाथ, त्रिशूल, माना, गंगोत्री, यमुनोत्री, हेमकुंठ साहिब, नन्दा देवी, कामेत है। गंगा और यमुना नदियों के उद्गम स्थान यहीं पर हैं। इसी क्षेत्र में अनेक संगम अवस्थित हैं, जिनमें देवप्रयाग, कर्णप्रयाग, विष्णु प्रयाग एवं रुद्रप्रयाग उल्लेखनीय है। नन्दा देवी कुमायूँ हिमालय का सर्वोच्च शिखर है।* दून घाटियाँ शिवालिक व मध्य हिमालय के बीच स्थित हैं। सुप्रसिद्ध ‘फूलों की घाटी’ भी इसी पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है।* नैनीताल के निकट नैनीताल, भूमिताल तथा सातताल झीलें स्थित हैं। माना एवं नीति दर्रों द्वारा यह भाग तिब्बत के निकट है। * गंगोत्री क्षेत्र में ही गंगोत्री हिमनद से पवित्र गंगा के प्रमुख स्रोत के रूप में भागीरथी का उद्भव होता है।

3. नेपाल हिमालय

इसका विस्तार काली से लेकर तिस्ता नदी तक 800 किमी. की लम्बाई में मिलता है। यह कुमायूँ हिमालय की अपेक्षा अधिक ऊँचा है तथा हिमालय की सबसे ऊँची चोटियाँ इसी भाग में पायी जाती हैं। कंचनजंघा, मकालू, एवेरस्ट यहीं पर स्थित हैं। इसका विस्तार नेपाल देश में भी है। काठमाण्डु घाटी यहाँ की प्रमुख घाटी है।

4. असम हिमालय

इसका विस्तार तिस्ता नदी से लेकर ब्रह्मपुत्र नदी तक 720 किमी. की लम्बाई और लगभग 67,500 वर्ग किमी. क्षेत्र पर पाया जाता है। इसमें अरूणाचल प्रदेश (भारत) और भूटान के भाग सम्मिलित हैं। नामचा बरवा के उपरान्त हिमालय श्रेणियों की दिशा मुड़कर म्यांमार-भारत सीमा के सहारे उत्तर से दक्षिण हो जाती है। असम हिमालय को पूर्वी हिमालय भी कहा जाता है जो अचानक मैदान से ऊपर उठा हुआ दिखायी पड़ता है। इस क्षेत्र में निवास करने वाली प्रमुख जनजातियों के आधार पर असम हिमालय को कई भौगोलिक लघु खंडों में श्री और दिकराय नदियों के मध्य अका पहाड़ियाँ, भैरेली और रांगानाद के बीच दफला पहाड़ियाँ, सुबन श्री मण्डल के उत्तरी भाग में मिरी पहाड़ियाँ, सियोम एवं दिबांग के मध्य अबोर पहाड़ियाँ तथा दिबांग और दिहांग (ब्रह्मपुत्र) के बीच मिश्मी पहाड़ियाँ उल्लेखनीय हैं। इनकी क्रमशः कुला कांगड़ी (7554 मी.), चोमोवहारी (7327 मी.), टोवा डज, कांगटो (7090 मी.), ग्यालापेरी (7151 मी.), एवं नामचा बरवा (7756 मी.), प्रमुख शिखर है। जैलेप ला (4538 मी.), बुम ला (4331 मी.), टिसी ला (4740 मी.), तुंगा (5044 मी.), योंग्याप (3962 मी.), कांगडी कर्पो ला (5636 मी.) प्रमुख दरें हैं। इसमें सिक्किम की चुम्बी घाटी में जेलेप ला और अरूणाचल प्रदेश में बुम ला तिब्बत की राजधानी ल्हासा तक पहुंचने के प्रमुख मार्ग हैं।

हिमालय में हिमनद

हिमानी (Glacier) की निचली सीमा को हिम रेखा (Snow line) की संज्ञा दी जाती है। इस रेखा की ऊँचाई भौगोलिक स्थितियों- यथा अक्षाशों, वर्षण की मात्रा एवं स्थलाकृतिक आदि विशेषताओं के ऊपर निर्भर करती है। यही कारण है कि हिमालय के विभिन्न भागों में हिमरेखा की ऊँचाई अलग-अलग मिलती है। हिमालय के उत्तरी भाग (महान हिमालय) में औसत हिमरेखा की ऊँचाई 4500 से 6000 मी. पायी जाती है।


हिमालय में हिमनद रेखा की उँचाई
हिमलाय के भाग
हिम रेखा की ऊँचाई (मीटर में)
• औसत हिमरेखा
4300-6000
• महान हिमालय
4500-6000
• पश्चिमी हिमलाय
5800
• पूर्वी हिमालय
4300

ज्ञातव्य है कि हिमालय के प्रमुख हिमनद महान हिमालय और ट्रांस हिमालय के पर्वतों में पाये जाते हैं। पश्चिमी हिमालय में वर्षा की न्यूनता हिमरेखा को प्रभावित करती है।

वृहद् हिमालय में विश्व के कुछ विशालतम हिमनद (Glaciers) स्थित हैं। Geological survey of India तथा World Glacier inventor के अनुसार हिमालय के अधिकांश हिमनद 3 से 5 किमी. लम्बे हैं, किन्तु कुछ विशाल हिमनद भी हैं। यथाः-

हिमालय के प्रमुख हिमनद : एक दृष्टि में

हिमनदअवस्थितिलम्बाई (किमी.)
• सियाचिनकाराकोरम76.6
• बालटोरोकाराकोरम58
• हिस्पाराकाराकोरम61
• बियाफोकाराकोरम60
• बातुराकाराकोरम58
• चोगोलुंगमाकाराकोरम50
• खार्दोजीनकाराकोरम41
• रिमोंकश्मीर40
• पुन्माहकश्मीर27
• रूण्डुनकाराकोरम19
• गंगोत्रीउत्तराखण्ड (कुमायूँ)26
• जेमूसिक्किम/नेपाल25
• केदारनाथउत्तराखण्ड14
• सासाइनीकाराकोरम17.8
• मिलामउत्तराखण्ड (कुमायूँ)19
• रूपलकश्मीर16
• कंचनजंगासिक्किम/नेपाल16

ज्ञातव्य है कि काराकोरम के हिमनद प्लीस्टोसीन हिमयुग के अवशेष माने जाते हैं। इनके दैनिक खिसकाव की गति औसतन पार्श्वों में 8 से 13 सेमी. और मध्य भाग में 20 से 30 सेमी. पायी जाती है।

• चौड़ीबाड़ी ग्लेशियर केदारनाथ मन्दिर (रूद्रप्रयाग) के उत्तर में अवस्थित है (UPPCS : M : 10)। इस ग्लेशियर के मध्य भाग को पिघलने से एक सरोवर का निर्माण हो गया है, जिसे ‘गाँधी सरोवर’ की संज्ञा प्रदान की गई है।

• हिमालय के हिमनदों के पिघलने की गति सर्वाधिक है।* महान तथा ट्रांस हिमालय में हिमालय के अधिकांश हिमनद पाये जाते हैं। पीर पंजाल तथा धौलाधार श्रेणियों में बड़े ग्लेशियरों (हिमनदों) के अवशेष विद्यमान हैं। सोना पानी ग्लेशियर पीर पंजाल श्रेणी का सबसे बड़ा ग्लेशियर है, जो कि लाहुल और स्पीति प्रदेश की चंद्रा घाटी में स्थित है।

• मिलाम हिमनद (कुमाऊँ) शारदा नदी तथा गंगोत्री हिमनद गंगा नदी का उद्गम स्थल हैं।

• विश्व का सबसे बड़ा ग्लेशियर पामीर क्षेत्र में अवस्थित ‘फेड चेन्को ग्लेशियर’ है, जबकि ‘सियाचिन’ दूसरे नम्बर का सबसे बड़ा ग्लेशियर हैं।

• भारत का सर्वाधिक ठंडा स्थल लद्दाख श्रेणी में द्रास नामक स्थल है।

• हिमालय की प्रादेशिक स्थिति के अनुसार, हिमरेखा की ऊँचाई अधोलिखित है। यथाः

हिमालय की हिमरेखा
• कश्मीर हिमालय
6000 मीटर
• पंजाब हिमालय
5185 मीटर
• कुमायूँ हिमालय
5200 मीटर
• नेपाल हिमालय
4500 मीटर
• असम हिमालय
4420 मीटर

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FAQs

Q1. किस दर्रे का सम्पूर्ण भाग प्राचीन काल में रेशम मार्ग के अन्तर्गत था?
Ans.
खैबर दर्रा (अफगानिस्तान/पाकिस्तान)

Q2. किन श्रेणियों के बीच सिन्धु नदी की घाटी विस्तृत है?
Ans.
जास्कर एवं लद्दाख

Q3. पूर्वी घाट किन पहाड़ियों से निर्मित हैं?
Ans.
नीलगिरि, पालकोण्डा, नल्लामलाई, जावादी और शेवराय

Q4. कच्छ प्रायद्वीप का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है?
Ans.
गिरनार (1117 मी.)

Q5. हिमालय की तीनों श्रेणियों को सतलज नदी ने किस गार्ज द्वारा विच्छेदित किया हैं?
Ans.
शिपकीला गार्ज

Q6. पश्चिमी हिमालय में अधिकांश वर्षा कैसे होती है?
Ans.
पछुआ विक्षोभ द्वारा

Q7. पाक अधिकृत क्षेत्र के अलावा भारतीय हिमालय की सबसे ऊँची चोटी कौन-सी है?
Ans.
कंचनजंगा (8598 मी.), सिक्किम राज्य में

Q8. जम्मू-श्रीनगर मार्ग किस दरें से गुजरता है?
Ans.
बनिहाल दर्रा

Q9. लेह को कुल्लू मनाली और केलांग से जोड़ता है?
Ans.
बड़ालपचा दर्रा (हिमाचल प्रदेश)

Q10. शेवराय पहाड़ियाँ किस राज्य में अवस्थित हैं?
Ans.
तमिलनाडु

Q11. काराकोरम श्रृंखला का प्राचीन नाम क्या था?
Ans.
कृष्णागिरी

Q12. विश्व का सर्वोच्च पर्वत शिखर माउण्ट एवरेस्ट हिमालय के किस भाग में स्थित है?
Ans.
वृहद् अथवा नेपाल हिमालय

Q13. भारतीय प्रायद्वीप किसका भाग है?
Ans.
गोंडवाना लैण्ड

Q14. कुल्लू एवं स्पीति घाटी को जोड़ने वाले दरें हैं?
Ans.
देब्सा और रोहतांग

Q15. कश्मीर घाटी और कारगिल का सम्पर्क किन दरों द्वारा स्थापित होता है?
Ans.
पेंजीली और जोजीला दरों द्वारा

Q16. लद्दाख और तिब्बत के बीच सम्पर्क सम्भव हो पाता है?
Ans.
चांगला, इमिला, लनकला तथा तसका ला दर्री द्वारा

Q17. प्रसिद्ध ‘जवाहर सुरंग’ का नाम किस प्राकृतिक दर्रे को दिया गया है?
Ans.
बनिहाल दर्श

Q18. हिमाचल प्रदेश में स्थित प्रमुख दरें कौन-कौन से हैं?
Ans.
शिपकी ला, रोहतांग एवं बड़ालाचा दर्रा

Q19. जैलेप ला तथा नाथूला दर्रा किस राज्य में अवस्थित है?
Ans.
सिक्किम

Q20. यांग्दाप, दिफू और बोमडिला दर्रा किस राज्य में स्थित है?
Ans.
अरूणाचल प्रदेश

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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