राज्य शासन कैसे काम करता है : अध्याय 3

पिछले वर्ष हमने यह चर्चा की थी कि शासन तीन स्तरों पर काम करता है- स्थानीय, राज्य और केंद्र। हमने कुछ विस्तार के साथ स्थानीय शासन के कार्यों के बारे में जाना भी था। इस अध्याय में हम जानेंगे कि राज्य स्तर पर शासन कैसे कार्य करता है। लोकतंत्र में राज्य का शासन किस तरह किया जाता है? विधानसभा सदस्यों और मंत्रियों की क्या भूमिका है? लोग शासन के सामने अपने विचार कैसे रखते हैं या किसी कार्य की माँग कैसे करते हैं? हम इन प्रश्नों पर विचार करने के लिए ‘स्वास्थ्य’ का उदाहरण लेते हैं।

विधायक कौन होता है?

उपरोक्त भाग में आपने पातालपुरम के की कुछ घटनाओं के बारे में पढ़ा। आप शायद जिलाधीश, चिकित्सा अधिकारी जैसे अधिकारियों के नामों से परिचित भी होंगे। परंतु क्या आपने विधायक और विधानसभा के बारे में सुना है? क्या आप अपने क्षेत्र के विधायक यानी एम.एल.ए. से परिचित हैं? क्या आपको पता है कि वे किस पार्टी के हैं?

विधानसभा के सदस्य को ‘विधायक’ (एम.एल.ए.) कहा जाता है। एम.एल.ए., ‘मेम्बर ऑफ लेजिस्लेटिव असेंबली’ का संक्षिप्त रूप है। एम.एल.ए. का चुनाव जनता द्वारा किया जाता है। फिर वे लेजिस्लेटिव असेंबली के मेंबर यानी विधानसभा के सदस्य बन जाते हैं और सरकार बनाते हैं। इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि विधायक जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं। नीचे दिए गए उदाहरण से यह बात और अधिक स्पष्ट हो जाएगी।

भारत के हर राज्य में एक विधानसभा है। हर राज्य कई निर्वाचन क्षेत्रों में बँटा हुआ है, उदाहरण के लिए – यहाँ दिए गए मानचित्र को देखिए। इसमें दर्शाया गया है कि हिमाचल प्रदेश 68 निर्वाचन क्षेत्रों में बँटा है। हर निर्वाचन क्षेत्र से जनता एक प्रतिनिधि चुनती है, जो विधानसभा का सदस्य यानी विधायक बन जाता है। आपने ध्यान दिया होगा कि चुनाव में लोग अलग-अलग पार्टियों के नाम से खड़े होते हैं। इसलिए ये विधायक अलग-अलग राजनीतिक दलों के होते हैं।

जो लोग विधायक होते हैं, वे मंत्री या मुख्यमंत्री कैसे बन जाते हैं? जिस राजनीतिक दल के विधायक आधे से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में जीत जाते हैं, राज्य में उस दल को बहुमत में माना जाता है। बहुमत प्राप्त करने वाले राजनीतिक दल को सत्ता पक्ष और अन्य सबको विरोधी पक्ष वाला कहा जाता है। उदाहरण के लिए हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में विधायकों के 68 निर्वाचन क्षेत्र हैं।

विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों ने 2017 का विधानसभा चुनाव जीता और वे विधायक बन गए। विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 68 है। इसलिए बहुमत प्राप्त करने के लिए किसी भी राजनीतिक दल को 34 से अधिक विधायकों की आवश्यकता होगी। भारतीय जनता पार्टी के 44 विधायक होने के कारण उन्हें बहुमत मिल गया और वे सत्ताधारी दल के सदस्य बन गए। अन्य सब विधायक विरोधी दल के सदस्य बन गए। इस उदाहरण में इंडियन नेशनल काँग्रेस मुख्य विरोधी दल बनी, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के बाद सर्वाधिक विधायक उसी के थे। विरोधी पक्ष में कुछ अन्य पार्टियाँ भी थीं और कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी थे, जो चुनाव जीतकर आए थे।

चुनाव के बाद सत्ताधारी दल के विधायक अपने नेता का चुनाव करते हैं, जो मुख्यमंत्री बनता है। इस उदाहरण में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने श्री जयराम ठाकुर को अपना नेता चुना और वे मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद मुख्यमंत्री, मंत्रियों का चयन करता है। चुनाव के बाद राज्य का राज्यपाल मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है।

मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रियों का यह दायित्व है कि वे शासन के विभिन्न विभागों या मंत्रालयों को चलाएँ। उनके अलग-अलग कार्यालय होते हैं। विधानसभा ऐसा स्थान होता है, जहाँ सभी विधायक, चाहे वे सत्ताधारी दल के हों अथवा विरोधी दल के, विभिन्न विषयों पर चर्चा करने के लिए एकत्रित होते हैं। इस तरह कुछ विधायकों की दोहरी ज़िम्मेदारी हो जाती है – एक विधायक के रूप में और दूसरी मंत्री के रूप में। इसके बारे में हम आगे पढ़ेंगे।

विधानसभा में एक बहस

आफ़रीन, सुजाता और उनके विद्यालय के कई अन्य विद्यार्थियों ने विधानसभा देखने के लिए राजधानी की यात्रा की। विधानसभा एक अत्यंत भव्य तथा प्रभावशाली भवन में स्थित थी। बच्चे बहुत उत्सुक थे। सुरक्षा जाँच के बाद उन्हें ऊपर ले जाया गया। ऊपर एक दर्शक दीर्घा थी, जहाँ से वे नीचे के विशाल हॉल को देख सकते थे। हॉल में डेस्कों की अनेक कतारें लगी थीं।

यह विधानसभा उन दिनों की किसी तत्कालीन समस्या पर बहस करने वाली थी। विधानसभा की बहसों में विधायक अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं, संबंधित विषय पर प्रश्न पूछ सकते हैं या सुझाव दे सकते हैं कि सरकार को इस संबंध में क्या करना चाहिए। सदस्य इस विषय पर जो भी प्रतिक्रिया व्यक्त करना चाहें, कर सकते हैं। इसके बाद मंत्री प्रश्नों के उत्तर देते हैं और सदन को आश्वस्त करते हैं कि ज़रूरी कदम उठाए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रियों को निर्णय लेने होते हैं और सरकार चलानी होती है। हम प्रायः उन निर्णयों के बारे में सुनते हैं या समाचार चैनलों अथवा समाचारपत्रों में उन्हें देखते व पढ़ते हैं। हालाँकि जो भी निर्णय लिए जाते हैं, उन्हें विधानसभा के सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया जाना होता है। लोकतंत्र में विधानसभा सदस्य, मंत्रियों व मुख्यमंत्री से प्रश्न पूछ सकते हैं, किसी महत्त्वपूर्ण विषय पर बहस कर सकते हैं, निर्णय ले सकते हैं कि धन कहाँ खर्च किया जाना चाहिए आदि। इस तरह मुख्य अधिकार उन्हीं का होता है।

विधायक 1 – अखंडगाँव के मेरे निर्वाचन क्षेत्र में पिछले तीन हफ़्तों में हैजे के कारण 15 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। मेरे विचार में सरकार के लिए यह बड़ी शर्मनाक स्थिति है। वह सरकार, जो अपने को प्रौद्योगिकी में सर्वश्रेष्ठ घोषित कर रही है, हैजे जैसी साधारण बीमारी को रोकने में असफल रही है। मैं स्वास्थ्यमंत्री का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूँगा कि वे स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए तत्काल ज़रूरी कदम उठाएँ।

विधायक 2 – मेरा प्रश्न यह है कि सरकारी अस्पतालों की दशा इतनी खराब क्यों है? सरकार जिला अस्पतालों में डॉक्टरों व चिकित्सा कर्मचारियों की ठीक से नियुक्ति क्यों नहीं कर रही? में यह भी जानना चाहूँगा कि सरकार इस स्थिति का सामना किस प्रकार करने जा रही है, जिससे लोग बड़ी संख्या में प्रभावित हैं और यह संख्या बढ़ती ही जा रही है? अब यह महामारी का रूप ले चुकी है।

विधायक 3 – मेरे निर्वाचन क्षेत्र तोलपट्टी में भी पानी की कमी की गंभीर समस्या है। औरतों को पानी लाने के लिए 3-4 किलोमीटर तक चलना पड़ता है। मैं जानना चाहूँगा कि पानी पहुँचाने के लिए कितने टैंकरों को काम में लगाया गया है? कितने कुँओं और तालाबों की सफ़ाई करवाकर उन्हें संक्रमण मुक्त किया गया है?

विधायक 4 – मुझे लगता है कि मेरे साथी समस्या को बढ़ा-चढ़ाकर बता रहे हैं। सरकार ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कदम उठाए हैं। पानी के टैंकरों को काम में लगा दिया गया है। ओ.आर.एस. के पैकेट बाँटे जा रहे हैं। सरकार लोगों की मदद के लिए भरसक प्रयास कर रही है।

विधायक 5- हमारे अस्पतालों में सुविधाओं की हालत बहुत खस्ता है। कई ऐसे अस्पताल हैं, जिनमें कोई डॉक्टर नहीं है और चिकित्सा कर्मचारी पिछले कई सालों से नियुक्त ही नहीं किए गए है। दूसरे अस्पताल में डॉक्टर लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। यह शर्मनाक स्थिति है। मेरे ख्याल से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। हम यह कैसे सुनिश्चित करने वाले हैं कि प्रभावित क्षेत्र के सब परिवारों तक ओ.आर.एस. के पैकेट पहुँच जाएँ?

विधायक 6- विरोधी पक्ष के सदस्य बिना वजह ही सरकार पर दोषारोपण कर रहे हैं। पिछली सरकार ने सफ़ाई पर कोई ध्यान नहीं दिया था। अब हमने कई बरसों से चारों तरफ़ फैले कूड़े को साफ़ कराने का अभियान शुरू किया है।

उक्त भाग में आपने विधानसभा में चल रही एक बहस के बारे में पढ़ा। सदस्य, सरकार द्वारा की गईं या न की गई कार्रवाई पर बहस कर रहे थे। ऐसा इसलिए है, क्योंकि विधायक सामूहिक रूप से सरकार के काम के लिए उत्तरदायी होते हैं। सामान्य भाषा में ‘सरकार’ शब्द से तात्पर्य शासन के विभिन्न विभागों और मंत्रियों से होता है, जो उनके प्रभारी हैं। इन सबका सामूहिक प्रमुख ‘मुख्यमंत्री’ होता है। सही मायने में तो यही सरकार का कार्यकारी हिस्सा यानी कार्यपालिका कहलाता है। दूसरी तरफ़ सारे विधायक, जो विधानसभा में एकत्र 9 होते हैं, विधायिका कहलाते हैं। विधायिका के रूप में वे सरकार के कार्यकारी हिस्से को काम करने का अधिकार देते हैं और फिर उसके काम की जाँच भी करते हैं। जैसा कि आपने पाठ के प्रारंभ में देखा था, इन्हीं में से कार्यपालिका का प्रमुख या मुख्यमंत्री बनाया जाता है।

शासन की कार्यप्रणाली

केवल विधानसभा में ही सरकार के काम के बारे में टीका-टिप्पणी और सरकार से कार्रवाई करने की माँग नहीं की जाती। आप नियमित रूप से अखबारों, टी.वी. चैनलों और अन्य संगठनों को सरकार के बारे में बातें करते देखते हैं। लोकतंत्र में अनेक माध्यमों द्वारा लोग अपने विचार व्यक्त करते हैं और कार्रवाई करते हैं। इसी तरह का एक तरीका यहाँ देखिए।

विधानसभा में चर्चा होने के थोड़े ही समय बाद स्वास्थ्य मंत्री की प्रेसवार्ता की गई। इसमें विभिन्न समाचारपत्रों के प्रतिनिधि काफ़ी संख्या में आए। इसमें मंत्री और कुछ शासकीय अधिकारी भी उपस्थित थे। मंत्री ने सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताया। इस प्रेसवार्ता में अखबारों के संवाददाताओं ने अनेक प्रश्न पूछे। इन चर्चाओं की रिपोर्ट विभिन्न समाचारपत्रों में प्रकाशित हुईं। अगले पृष्ठ पर ऐसी ही एक रिपोर्ट दी गई है।

अगले सप्ताह मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री पातालपुरम जिले के दौरे पर गए। उन्होंने उन परिवारों से भेंट की, जिनके रिश्तेदारों की मृत्यु हो गई थी। वे अस्वस्थ लोगों को देखने अस्पताल भी गए। सरकार ने इन परिवारों के लिए मुआवज़ा राशि की भी घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके विचार से समस्या केवल सफ़ाई की नहीं है, वरन् पीने के स्वच्छ पानी की कमी की भी है। उन्होंने कहा कि एक उच्चस्तरीय जाँच समिति गठित की जाएगी, जो सफ़ाई सुविधाओं के लिए जिले की ज़रूरतों के बारे में विचार करेगी और लोक निर्माण मंत्री को दिशा-निर्देश देगी; ताकि वे क्षेत्र में पानी की उचित व्यवस्था पर ध्यान दे सकें।

जैसा आपने ऊपर देखा, वे लोग जो सत्ता में हैं, जैसे – मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री – उन्हें समस्याओं पर कार्रवाई करनी होती है। वे यह कार्य विभिन्न विभागों द्वारा करवाते हैं, जैसे – लोक निर्माण विभाग, कृषि विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग आदि। उन्हें विधानसभा में उठाए गए प्रश्नों का भी उत्तर देना होता है और प्रश्न करने वाले लोगों को आश्वस्त करना होता है कि उचित कदम उठाए जा रहे हैं। इसके साथ-साथ समाचारपत्रों व अन्य माध्यमों में भी इन विषयों पर चर्चा होती है, जिसका उत्तर सरकार को देना होता है, जैसे – प्रेसवार्ता आयोजित करना।

सरकार, सफ़ाई और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए नए कानून बनाने का भी निर्णय ले सकती है। उदाहरण के लिए – वह कानून बनाकर हर नगर निगम के लिए यह अनिवार्य कर सकती है कि शहरी क्षेत्रों में पर्याप्त शौचालयों की व्यवस्था हो। यह भी सुनिश्चित किया जा सकता है कि हर ग्राम में एक स्वास्थ्यकर्मी की नियुक्ति हो। किसी विषय पर कानून बनाने का यह कार्य प्रत्येक राज्य की विधानसभा द्वारा किया जाता है। इसके पश्चात् विभिन्न शासकीय विभाग इन कानूनों का क्रियान्वयन करते हैं। पूरे देश के लिए कानून संसद में बनाए जाते हैं। संसद के बारे में आप अगले वर्ष पढ़ेंगे।

लोकतंत्र में विधायकों (एम.एल.ए.) के रूप में जनता अपने प्रतिनिधि चुनती है और इस तरह शासन मुख्यतः जनता का ही होता है। फिर सत्ता पक्ष के सदस्य सरकार बनाते हैं और कुछ सदस्यों को मंत्री बनाया जाता है। ये मंत्री सरकार के विभिन्न विभागों के प्रभारी होते हैं, जैसे – ऊपर दिए गए उदाहरण में स्वास्थ्य विभाग। इन विभागों द्वारा जो भी कार्य किया जाता है, उसे विधायिका द्वारा अनुमोदित या स्वीकृत कराया जाता है।

विभाग का नामउनके कार्यों के उदाहरण
स्कूल शिक्षा विभागस्कूलों के शिक्षा और पाठ्यक्रम का प्रबंधन, शिक्षकों की नियुक्ति और प्रशिक्षण, शैक्षिक सुधारों का संचालन।
लोक निर्माण विभागसड़क, पुल, इमारत, जल संरचनाओं जैसे जन सेवा यानी सार्वजनिक निर्माण का कार्य और प्रबंधन।
कृषि विभागकृषि संबंधित काम जैसे खेती, वाणिज्यिक उत्पादन, किसानों की सहायता, खाद्य सुरक्षा, कृषि विकास योजनाएं, बीज एवं फसल की बागवानी।

वॉलपेपर की परियोजना

वॉलपेपर एक मज़ेदार गतिविधि है, जिसके माध्यम से रुचि के किसी विषय पर शोध किया जा सकता है। यहाँ जो तसवीरें दी गई हैं, वे कक्षा में वॉलपेपर बनाने के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत करती हैं।

शिक्षिका चुने गए विषय का पूरी कक्षा को परिचय देती हैं और संक्षिप्त चर्चा करके कक्षा को कुछ समूहों में बाँट देती हैं। समूह उस मुद्दे पर चर्चा करता है और तय करता है कि वॉलपेपर में क्या-क्या रखना चाहेगा। इसके बाद बच्चे अपने-आप या दो-दो की जोड़ी में इकट्ठी की गई सामग्री को पढ़ते हैं और अपने अनुभवों और विचारों को लिखते हैं। इसके लिए वे कविताओं, कहानियों, साक्षात्कारों, विवरणों आदि की रचना कर सकते हैं।

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जो भी सामग्री चुनी गई, बनाई गई या लिखी गई, उसे समूह के लोग मिलकर देख लेते हैं। वे एक-दूसरे के लिखे हुए को पढ़ते हैं और अपने सुझाव देते हैं। वे मिल कर यह तय करते हैं कि वॉलपेपर में क्या-क्या जाएगा और फिर उसका ले-आउट बनाते हैं।

इसके बाद प्रत्येक समूह अपना वॉलपेपर पूरी कक्षा के सामने प्रस्तुत करता है। यह महत्त्वपूर्ण है कि समूह के एक से अधिक सदस्य को प्रस्तुत करने को कहा जाए और सभी समूहों को अपना काम बताने के लिए बराबर का समय मिले। जब सभी समूह अपना प्रस्तुतीकरण कर लें, तो समीक्षा के लिए ऐसे प्रश्न पूछना अच्छा रहता है अपने-आप वे और क्या-क्या कर सकते थे? क्या करने से उनका काम और ज़्यादा व्यवस्थित हो जाता? लेखन और प्रस्तुतीकरण में सुधार के लिए क्या किया जा सकता था?

अभ्यास

1. निर्वाचन क्षेत्र व प्रतिनिधि शब्दों का प्रयोग करते हुए स्पष्ट कीजिए कि विधायक कौन होता है और उसका चुनाव किस प्रकार होता है?
Ans.
विधायक का चुनाव जनता करती है, इसलिए यह कहा जाता है कि विधायक जनता के प्रतिनिधि होते हैं। भारत के हर राज्य में एक विधानसभा होती है। हर राज्य को विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में बाँटा गया है। हर निर्वाचन क्षेत्र की जनता अपने विधायक का चुनाव करती है।

2. कुछ विधायक मंत्री कैसे बनते हैं? स्पष्ट कीजिए।
Ans.
मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों की नियुक्ति करता है। मंत्रियों की अधिकतम संख्या विधायकों की संख्या से काफी कम होती है। इसलिए जरूरी नहीं कि सत्तादारी दल का हर विधायक मंत्री बन जाए। इसलिए कुछ विधायक ही मंत्री बन पाते हैं।

3. मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रियों द्वारा लिए गए निर्णयों पर विधानसभा में बहस क्यों होनी चाहिए?
Ans.
हमारे देश में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है। इसलिए विधानसभा के प्रतिनिधि जनता द्वारा चुनकर आते हैं। जनता द्वारा चुने जाने के कारण विधानसभा की जवाबदेही जनता के प्रति होती है। मंत्रीपरिषद के किसी भी निर्णय का सीधा प्रभाव जनता के जीवन पर पड़ता है। इसलिए इन निर्णयों पर बहस जरूरी है ताकि पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद ही उनपर अमल हो।

4. पातालपुरम में क्या समस्या थी? निम्नलिखित के द्वारा इस विषय में क्या चर्चा या कार्य किए गए? निम्न तालिका में भरिए –

आम सभा – स्वास्थ्य समस्या को नियंत्रण में लाने की अपील

विधानसभा – पेयजल और गंदगी की समस्या पर चर्चा

प्रेसवार्ता – जिलाधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग को जरूरी कदम उठाने पर बातचीत

मुख्यमंत्री – पातालपुरम का दौरा और मुआवजे की घोषणा

5. विधानसभा सदस्य द्वारा विधायिका में किए गए कार्यों और शासकीय विभागों द्वारा किए गए कार्यों के बीच क्या अंतर है?
Ans.
विधायिका में विधायक दो मुख्य काम करते हैं। एक काम है सरकार के कामों और ज्वलंत मुद्दों पर बहस करना। दूसरा काम है नये कानून बनाना या पुराने कानूनों में जरूरी बदलाव करना। जब कोई विधायक किसी मंत्री की हैसियत से काम करता है तो वह कार्यपालिका के अंग के रूप में काम करता है। मंत्री का काम है संबंधित विभाग को जरूरी दिशानिर्देश देना। उसके बाद किसी भी काम को अमल में लाने के लिए नौकरशाहों की टीम होती है।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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