मानव-पर्यावरण अन्योन्यक्रिया उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्ण प्रदेश : अध्याय 6

रेणुका बहुत उत्साहित थी। उसके चाचा श्रीकांत लगभग चार महीने के बाद आज घर में थे। वह एक वन्यजीव फोटोग्राफ़र थे तथा बहुत यात्रा करते थे। बहुत छोटी उम्र से ही रेणुका की रुचि वन्यजीव एवं वनों में थी जब उसके चाचा ने प्रकृति संबंधी पुस्तकों से उसका परिचय कराया। दूरस्थ भूस्थल एवं वहाँ रहने वाले लोगों की तसवीरें उसे हमेशा आकर्षित करती थी।

“रेणुका, इन तसवीरों में तुम विश्व के विभिन्न भागों के लोगों को देख सकती हो। इनमें कुछ शुष्क रेगिस्तान से हैं, कुछ बर्फीले प्रदेशों से एवं कुछ गर्म-नम वर्षा वनों से हैं।” “वे मुझसे कितना अलग दिखते हैं”, रेणुका ने कहा। “वे देखने में भले ही अलग हों लेकिन उनके भोजन, कपड़ा एवं मकान जैसी जीवन की मूल आवश्यकताएँ हमारे समान ही है”, श्रीकांत चाचा ने कहा। “उनके बच्चे भी शायद तुम्हारी ही तरह खेलते हैं, कभी झगड़ते हैं फिर समझौता कर लेते हैं, गाते हैं, नाचते हैं एवं घरेलू कार्यों में अपने परिवार की मदद करते हैं। वे प्रकृति के करीब रहते हैं एवं जीवन की शुरुआत में ही प्रकृति की देखभाल करना सीख जाते हैं। वे मछली पकड़ना एवं वनों से सामग्री एकत्र करना सीख जाते हैं।”

अमेज़न बेसिन में जीवन

अमेज़न बेसिन के विषय में जानने से पहले हम मानचित्र देखें (चित्र 6.2)। ध्यान दें कि उष्णकटिबंधीय प्रदेश कर्क रेखा और मकर रेखा के मध्य स्थित हैं। भूमध्य रेखा के 10° उत्तर से 10° दक्षिण के मध्य के भाग को भूमध्यरेखीय प्रदेश कहते है। अमेजन नदी इसी प्रदेश से होकर बहती है। ध्यान दें कि यह पश्चिम में पर्वतों से निकल कर पूर्व में अंधमहासागर में कैसे पहुँचती है।

जिस स्थान पर कोई नदी किसी अन्य जल राशि में मिलती है उसे नदी का मुहाना कहते हैं। अमेजन नदी में बहुत सारी सहायक नदियाँ मिलकर अमेजन बेसिन का निर्माण करती हैं। यह नदी बेसिन ब्राजील के भागों, पेरू के कुछ भागों, बोलीविया, इक्वाडोर, कोलंबिया तथा वेनेजुएला के छोटे भाग से अपवाहित होती है।

क्या आप इस बेसिन में स्थित उन देशों के नाम बता सकते हैं जिनसे भूमध्य रेखा गुजरती है?

जलवायु

जैसा कि अब आप जानते हैं अमेजन बेसिन भूमध्य रेखा के आस-पास फैला है और पूरे वर्ष यहाँ गर्म एवं नम जलवायु रहती है। यहाँ का मौसम दिन एवं रात दोनों ही समय लगभग समान रूप से गर्म एवं आर्द्र होता है तथा शरीर में चिपचिपाहट महसूस होती है। इस प्रदेश में लगभग प्रतिदिन वर्षा होती है और वह भी बिना किसी पूर्व चेतावनी के। दिन का तापमान उच्च एवं आर्द्रता अति उच्च होती है। रात के समय तापमान कम हो जाता है लेकिन आर्द्रता वैसी ही बनी रहती है।

वर्षा वन

इन प्रदेशों में अत्यधिक वर्षा के कारण यहाँ की भूमि पर सघन वन उग जाते हैं (चित्र 6.3)। वन इतने सघन होते हैं कि पत्तियों तथा शाखाओं से ‘छत’ सी बन जाती है जिसके कारण सूर्य का प्रकाश धरातल तक नहीं पहुँच पाता है। यहाँ की भूमि प्रकाश रहित एवं नम बनी रहती है। यहाँ केवल वही वनस्पति पनप सकती है जिसमें छाया में बढ़ने की क्षमता हो। परजीवी पौधों के रूप में यहाँ आर्किड एवं ब्रोमिलायड पैदा होते हैं।

वर्षावन में प्राणिजात की प्रचुरत होती है। ट्रकन. गुंजन पक्षी, रंगीन पक्षति वाले मकाओ एवं भोजन के लिए बड़ी चोंच वाले विभिन्न प्रकार के पक्षी जो भारत में पाए जाने वाले सामान्य पक्षियों से भिन्न होते हैं यहाँ पाए जाते हैं। प्राणियों में बंदर, स्लॉथ एवं चीटीं खाने वाले टैपीर भी यहाँ पाए जाते हैं। साँप एवं सरीसर्प की विभिन्न प्रजातियां भी इन वनों में पाई जाती हैं। मगर, साँप, अजगर तथा एनाकोंडा एवं बोआ कुछ ऐसी ही प्रजातियाँ हैं।

इसके अतिरिक्त हजारों कीड़े-मकोड़े भी इस बेसिन में निवास करते हैं। मांस खाने वाली पिरान्या मत्स्य समेत मछलियों की विभिन्न प्रजातियाँ भी अमेज़न नदी में पाई जाती हैं। इस प्रकार जीवों की विविधता की दृष्टि से यह बेसिन असाधारण रूप से समृद्ध है।

वर्षावन के निवासी

यहाँ के लोग छोटे-से क्षेत्र में वन के कुछ वृक्षों को काटकर अपने भोजन के लिए फसल उगाते हैं। यहाँ के पुरुष शिकार करते हैं तथा नदी में मछली पकड़ते हैं जबकि महिलाएँ फसलों का ध्यान रखती हैं। वे मुख्यतः टेपियोका, अनन्नास एवं शकरकंद उगाते हैं। क्योंकि मछली या शिकार मिलना अनिश्चित होता है ऐसे में महिलाएँ ही अपनी उगाई शाक-सब्जियों से अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं। वे “कर्तन एवं दहन कृषि पद्धति” का प्रयोग करते हैं। इनका मुख्य आहार मेनियोक है, जिसे कसावा भी कहते हैं तथा यह आलू की तरह जमीन के अंदर पैदा होता है। ये चींटियों की रानी एवं अंडकोष भी खाते हैं। कॉफी, मक्का एवं कोको जैसी नगदी फसल भी यहाँ उगाई जाती हैं।

वर्षावन अत्यधिक मात्रा में घरों के लिए लकड़ी प्रदान करते हैं। कुछ परिवार मधुमक्खी के छत्ते के आकार वाले छप्पर के घरों में रहते हैं। जबकि कुछ लोग ‘मलोका’ कहे जाने वाले बड़े अपार्टमेंट जैसे घरों में रहते हैं जिनकी छत तीव्र ढलान वाली होती हैं।

अमेजन बेसिन के लोगों का जीवन धीरे-धीरे बदल रहा है। पुराने समय में वन के अंदर पहुँचने के लिए नदी मार्ग ही एकमात्र उपाय था। 1970 में ट्रांस अमेजन महामार्ग बनने से वर्षावन के सभी भागों तक पहुँचना संभव हो गया। अनेक स्थानों पर पहुँचने के लिए हवाईजहाजों तथा हेलीकॉप्टरों का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया के फलस्वरूप वहाँ की मूल आबादी को उस क्षेत्र से बाहर निकलकर नए क्षेत्र में बसना पड़ा जहाँ वे अपने पौराणिक तरीके से खेती करते रहे हैं।

विकास की गतिविधियों के कारण जैविक विविधता वाले वर्षावन धीरे-धीरे नष्ट हो रहे हैं। ऐसा अनुमान है कि प्रतिवर्ष अमेज़न बेसिन के वर्षावन का बड़ा भाग लुप्त होता जा रहा है। आप देख सकते हैं कि वर्षावनों के लुप्त होने से व्यापक प्रभाव होता है (चित्र 6.6)। वर्षा के कारण मिट्टी की ऊपरी परत बह जाती है एवं सघन वन बंजर भूमि में बदल जाता है।

गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन में जीवन

गंगा तथा ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियाँ मिलकर भारतीय उपमहाद्वीप में गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन का निर्माण करती है (चित्र 6.8)। यह बेसिन उपोष्ण में 10° उत्तर से 30° उत्तर अक्षांश के मध्य स्थित है। घाघरा, सोन, चंबल, गंडक, कोसी जैसी गंगा की सहायक नदियाँ एवं ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियाँ इसमें अपवाहित होती हैं। एटलस की सहायता से ब्रह्मपुत्र की कुछ सहायक नदियों के नाम ढूँढें।

गंगा एवं ब्रह्मपुत्र के मैदान, पर्वत एवं हिमालय के गिरिपाद तथा सुंदरवन डेल्टा इस बेसिन की मुख्य विशेषताएँ हैं। मैदानी क्षेत्र में अनेक चापझील पाई जाती हैं। यहाँ की जलवायु मुख्यतः मानसूनी हैं। मानसून में मध्य जून से मध्य सितंबर के बीच वर्षा होती है। ग्रीष्म ऋतु में गर्मी एवं शीत ऋतु में ठंड होती है।

भारत का मानचित्र देखिए। उन राज्यों के नाम बताइये जहाँ गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन स्थित है (चित्र 6.8)।

बेसिन क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की स्थलाकृति हैं। जनसंख्या के वितरण में पर्यावरण की प्रमुख भूमिका होती है। तीव्र ढाल वाले पर्वतीय क्षेत्र बसने के लिए प्रतिकूल हैं अतः गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन के पर्वतीय क्षेत्र में कम लोग रहते हैं। मानव प्रवास के लिए मैदानी क्षेत्र सबसे उपयुक्त है, अतः यहाँ जनसंख्या घनत्व अधिक है। यहाँ की मिट्टी उपजाऊ है। जिन स्थानों पर फसल उगाने के लिए समतल भूमि उपलब्ध है वहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। धान यहाँ की मुख्य फसल है (चित्र 6.9)। चूँकि धान की खेती के लिए पर्याप्त जल की

आवश्यकता होती है, यह उसी क्षेत्र में उगाया जाता है जहाँ अधिक वर्षा होती है। यहाँ उगायी जाने वाली अन्य फसलें गेहूँ, मक्का, ज्वार, चना एवं बाजरा हैं। गन्ना एवं जूट जैसी नगदी फसलें भी उगायी जाती हैं। मैदान के कुछ क्षेत्रों में केले के बागान भी देखे जाते हैं। पश्चिम बंगाल एवं असम में चाय के बागान मिलते हैं (चित्र 6.10)। बिहार एवं असम के कुछ भागों में सिल्क के कीड़ों का संवर्धन कर सिल्क का उत्पादन किया जाता है। मंद ढलान वाले पर्वतों एवं पहाड़ियों पर वेदिकाओं में फसलें उगायी जाती हैं।

विभिन्न भू-आकृतियों के अनुसार वनस्पति में भी विभिन्नता पायी जाती है। गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानों में सागवान, साखू एवं पीपल के साथ उष्णकटिबंधीय पर्णपाती पेड़ भी पाए जाते हैं। ब्रह्मपुत्र के मैदानी क्षेत्रों में घने बाँस के घने झुरमुट पाए जाते हैं। डेल्टा क्षेत्र मैंग्रोव वन से घिरा है। उत्तराखंड, सिक्किम एवं अरुणाचल प्रदेश की ठंडी जलवायु एवं तीव्र ढाल वाले भागों में चीड़, देवदार एवं फर जैसे शंकुधारी पेड़ पाए जाते हैं।

बेसिन में विविध प्रकार के वन्यजीव पाए जाते हैं। इनमें हाथी, बाघ, हिरण एवं बंदर आदि सामान्य रूप से पाए जाने वाले जीव हैं। एक सींग वाला गैंडा ब्रह्मपुत्र के मैदानों में पाया जाता है (चित्र 6.11)। डेल्टा क्षेत्र में बंगाल टाइगर एवं मगर पाए जाते हैं (चित्र 6.12)। नदी के साफ़ जल, झील एवं बंगाल की खाड़ी में प्रचुर मात्रा में जलीय जीव पाए जाते हैं। रोहू, कतला एवं हिलसा मछलियों की सबसे लोकप्रिय प्रजातियाँ हैं। मछली एवं चावल इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों का मुख्य आहार है।

झील: जीविका का साधन ( एक केस अध्ययन)

विनोद एक मछुआरा है जो बिहार के मतवाली मौन गाँव में रहता है। आज वह एक प्रसन्न व्यक्ति है। मछलियों की विभिन्न प्रजातियों को पालने के लिए उसने अपने साथी मछुआरों-रविन्द्र, किशोर, राजीव तथा अन्य के साथ मौन या चापझील को साफ़ किया। झील में उगने वाले स्थानीय खरपतवार (वैलीनेरिया, हाइड्रिला) मछलियों का भोजन बनते हैं।

झील के आस-पास की भूमि उपजाऊ है। वह इस जमीन पर धान, मक्का एवं दलहन जैसी फसलें बोता है। खेत की जुताई के लिए भैंसे का उपयोग किया जाता है। वहाँ के लोग बहुत संतुष्ट हैं। नदी में पकड़ने, खाने व बेचने के लिए काफी मछलियाँ हैं जिन्हें पकड़कर वो पास के शहरों में भी बेचते हैं। यह समुदाय प्रकृति के साथ समरसता बनाकर रहता है। जब तक पास के शहरों का प्रदूषण इस झील तक नहीं पहुँचता तब तक मत्स्य पालन को कोई खतरा नहीं है।

गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानों में कई बड़े शहर एवं कस्बे स्थित हैं। इलाहाबाद, कानपुर, वाराणसी, लखनऊ, पटना एवं कोलकाता जैसे 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहर गंगा नदी के तट पर ही स्थित हैं (चित्र 6.13)। इन शहरों तथा यहाँ स्थित उद्योगों का गंदा पानी बहकर नदी में ही जाता है जिससे नदी प्रदूषित होती है।

बेसिन में यातायात का सुविकसित तंत्र उपस्थित है। आप देख सकते हैं कि गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन में यातायात के चार मार्ग सुविकसित हैं। मैदानी इलाकों के लोग सड़कमार्ग एवं रेलमार्ग द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाते हैं। नदी के तटीय क्षेत्रों में जलमार्ग यातायात का प्रभावशाली माध्यम है। कोलकाता हुगली नदी पर स्थित एक महत्त्वपूर्ण पत्तन है। मैदानी क्षेत्र में कई बड़े हवाई पत्तन भी स्थित हैं।

पर्यटन इस बेसिन की एक महत्त्वपूर्ण क्रिया है। आगरा में यमुना के किनारे स्थित ताजमहल, इलाहाबाद में गंगा एवं यमुना नदी का संगम, उत्तर प्रदेश एवं बिहार में बौद्ध स्तूप, लखनऊ का इमामबाड़ा, असम का काजीरंगा एवं मानस वन्य प्राणी अभयवन तथा अरुणाचल प्रदेश की विशिष्ट जनजातीय संस्कृति जैसे कई दर्शनीय स्थल हैं (चित्र 6.14)।

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अभ्यास

1. निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(क) उस महाद्वीप के नाम बताएँ जो अमेज़न बेसिन में स्थित है।
Ans.
दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप।

(ख) अमेज़न बेसिन के लोग कौन-सी फ़सल उपजाते हैं?
Ans.
अमेज़न बेसिन के लोग टेपियोका, अनन्नास, कॉफी, मक्का, कोको, शकरकंद, कसावा और गन्ना को प्रमुख रूप से उपजाते हैं।

(ग) अमेजन के वर्षावन में कौन-से पक्षी पाए जाते हैं?
Ans.
अमेज़न के वर्षा वन में ट्रकन और गुंजन पक्षी पाए जाते हैं।

(घ) गंगा नदी के तट पर कौन से प्रमुख शहर स्थित है?
Ans.
गंगा नदी के तट पर स्थित प्रमुख शहर है- हरिद्वार, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, मुंगेर, भागलपुर कोलकाता।

(च) एक सींग वाले गैंडे कहाँ पाए जाते हैं?
Ans.
एक सींग वाले गैंडे ब्रह्मपुत्र नदी के मैदानों में पाया जाता है।

2. सही (✓) उत्तर चिह्नित कीजिए-

(क) टूकन क्या है?

(i) पक्षी

(ii) पशु

(iii) फसलें

Ans. पक्षी

(ख) मैनियॉक कहाँ का प्रमुख भोजन है?

(i) गंगा बेसिन

(ii) अफ्फ्रीका

(iii) अमेजन

Ans. अमेजन

(ग) कोलकाता किस नदी के तट पर स्थित है?

(i) ऑरेन्ज

(ii) हुगली

(iii) भागीरथी

Ans. हुगली

(घ) देवदार एवं फ़र किसके प्रकार हैं?

(i) शंकुधारी वृक्ष

(ii) पर्णपाती वृक्ष

(iii) क्षुप

Ans. शंकुधारी वृक्ष

(च) बंगाल टाईगर कहाँ मिलते हैं?

(i) पर्वतों में

(ii) डेल्टा क्षेत्रों में

(iii) अमेजन मे

Ans. डेल्टा क्षेत्रों में

3. निम्नलिखित स्तंभों को मिलाकर सही जोड़े बनाइए-

वस्तुस्थान
सूती कपड़ेअसम
मलोकावैदिका कृषि
पिरान्यारेशम कीटपालन
रेशम कीटढालू छत
काजीरंगागंगा के मैदान
वाराणसी
मत्स्य

Ans.

सूती कपड़ेगंगा के मैदान
मलोकाढालू छत
पिरान्यामत्स्य
रेशम कीटअसम, रेशम कीटपालन
काजीरंगावैदिका कृषि

4. कारण बताइए –

(क) वर्षावन लुप्त हो रहे हैं।
Ans. वर्षा वन वाले क्षेत्र में कृषि के लिए एवं अन्य मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वर्षा वनों की तेजी से: कटाई हो रही है, जिससे वर्षा वन लुप्त हो रहे हैं।

(ख) गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानों में धान की कृषि होती है।
Ans. गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानों में धान की कृषि अधिक होने के कई कारण हैं:

1. इन क्षेत्रों में 100 से.मी. से अधिक वर्षा होती है।

2. इस क्षेत्र में जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है जो धान के लिए उपयुक्त होती है।

3. इन क्षेत्रों में सस्ते श्रमिक आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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