प्रकाश (Light)

प्रकाश (Light) एक प्रकार की ऊर्जा (Energy) है, जो विद्युत चुंबकीय तरंगों (Electro Magnetic Waves)* के रूप में संचरित (Transmit) होती है और जो हमें देखने में सहायता प्रदान करती है।

सभी प्रकाश स्रोत एक प्रकार का विकिरण (Radiation) उत्सर्जित (Emit) करते हैं। यह विकिरण वस्तुओं पर पड़ता है, फिर वस्तुओं से परावर्तित (Reflect) होकर हमारी आँख पर पड़ता है तो हमें वस्तुएँ दिखायी देने लगती हैं। इसी विकिरण को प्रकाश कहते हैं। और इससे संबंधित विज्ञान को प्रकाशिकी (Optics) कहते हैं। जो वस्तुएं स्वतः प्रकाश का उत्सर्जन करती हैं उन्हें प्रदीप्त वस्तुएं कहते हैं जैसे- सूर्य, लालटेन, विद्युत बल्ब आदि। जो वस्तुएं प्रकाश का उत्सर्जन नहीं करती उन्हें अप्रदीप्त (Non-luminous) वस्तु कहते हैं। जैसे-मेज, कुर्सी, पृथ्वी, चन्द्रमा, इत्यादि।

प्रकाश की दोहरी प्रकृति (Dual Nature of Light)

प्रकाश कभी कण (Particle) के समान व्यवहार करता है तो कभी तरंग (wave) की तरह। इसे ही प्रकाश की दोहरी प्रकृति (Dual Nature of Light) कहते हैं। प्रकाश के कुछ गुण जैसे- व्यतिकरण (Interference), विवर्तन (Diffraction), ध्रुवण (Polarisation), परावर्तन (Reflection), अपवर्तन (Refraction), व ऋजु रेखीय गमन (Straight Line Motion) आदि की व्याख्या प्रकाश की तरंग प्रकृति (Wave Nature of Light) को मानकर की जाती है और कुछ गुणों यथा- प्रकाश वैद्युत प्रभाव (Photo Electric Effect) एवं क्राम्पटन प्रभाव (Crompton Effect) आदि की व्याख्या प्रकाश के फोटॉन (कणिका) सिद्धान्त द्वारा की जाती है।* जब प्रकाश तरंग (Wave) की भांति व्यवहार करता है तो उसकी कण प्रकृति (Particle Nature) या फोटॉन प्रकृति (Photonic Nature) अप्रभावी (inactive) रहती है और जब प्रकाश फोटॉन की भाँति व्यवहार करता है तो उसकी तरंग प्रकृति (Wave Nature) अप्रभावी रहती है। प्रकाश का कणिका सिद्धान्त न्यूटन ने दिया जिसके अनुसार प्रकाश अत्यन्त सूक्ष्म कणों से मिलकर बने होते हैं और ये सीधी रेखा में गमन (Motion) करते हैं।

इसके बाद डच भौतिकविद् हाइगेन्स ने प्रकाश का तरंग सिद्धान्त दिया जिसके अनुसार प्रकाश एक विद्युत चुंबकीय तरंग (Electro Mag- netic Wave) है।* इसके बाद थॉमस यंग नामक वैज्ञानिक ने प्रकाश के व्यतिकरण का सिद्धान्त दिया तथा मैक्सवेल ने विद्युत चुम्बकत्व का गणितीय सिद्धान्त प्रस्तुत किया, जिसके अनुसार चुंबकीय व विद्युत बलों का सम्मिलित प्रभाव ही तरंगों की गति का कारक है। इन सिद्धान्तों ने प्रकाश के तरंग स्वरुप को और अभिपुष्ट किया।

इसके पश्चात् 1900 ई० में मैक्स प्लांक ने बताया कि किसी प्रकाश स्रोत की सतह से प्रकाश का उत्सर्जन ऊर्जा की छोटी-छोटी इकाइयों में होता है जिन्हें क्वाण्टम कहा जाता है।* 1905 में आइन्सटीन ने भी स्पष्ट किया कि प्रकाश भी क्वांटाइज्ड होता है जो कि छोटे-छोटे ऊर्जा बंडलों में आता है जिन्हें फोटॉन कहा गया। क्वाण्टाइज्ड ऊर्जा (फोटॉन) की परिकल्पना प्रकाश के कण (Particle) होने का प्रमाण है। इस प्रकार प्रकाश एक तरंग भी है और एक कण (Particle) भी। इसे ही प्रकाश की दोहरी प्रकृति कहते हैं।

➤  प्रकाश का उत्पादन या उत्सर्जन (Production or Emission of Light)

जब किसी पिण्ड को अत्यधिक गरम किया जाता है तो वह ऊष्मीय विकिरण (Thermal Radiation) व प्रकाश (Light) का उत्सर्जन करने लगता है। जैसे-विद्युत बल्ब, विद्युत हीटर, अति तप्त लोहे की छड़ इत्यादि।

जब किसी वस्तु या पदार्थ को ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलाते हैं तो उससे भी ऊष्मा व प्रकाश का उत्सर्जन होता है। उत्सर्जित प्रकाश का रंग स्रोत के ताप पर निर्भर करता है।*

प्रकाश ऊर्जा (Light Energy) व ऊष्मीय विकिरण (Thermal Radiation) का अंतिम व आदि स्रोत सूर्य है जिससे सभी रंगों का प्रकाश, ऊष्मा, पराबैंगनी विकिरण, अवरक्त किरणों इत्यादि का उत्सर्जन होता रहता है। दृश्य प्रकाश का तरंग दैर्ध्य 4000Å से 7800Å तक होता है।*

प्रकाश के लक्षण (Characteristics of Light)

• प्रकाश विद्युत चुम्बकीय तरंगों के रूप में चलता है।*

• प्रकाश की चाल गमन पथ (Travelling Path) के माध्यम (medium) पर निर्भर करता है।

• निर्वात (Vacuume) में प्रकाश की चाल सर्वाधिक (3.0 × 108 मी./से.) होती है।*

• प्रकाश सरल रेखा (Straight Line) में गति करता है।

• ठोस व द्रव माध्यमों में प्रकाश को परावर्तित (Reflect) करने का भी गुण होता है।

• ठोस या द्रव माध्यमों में प्रवेश करने पर प्रकाश का अपवर्तन (Refraction) भी होता है।*

दो प्रकाश किरण पुंज (Rays of Light) एक दूसरे के व्यवहार को प्रभावित नहीं करते अर्थात् परस्पर अनिर्भर होते हैं।

प्रकाश का गमन (Motion of Light)

चूँकि प्रकाश भी एक विद्युत चुंबकीय तरंग (Electro Magnetic Wave) है अतः इसे चलने (Travel) के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती। निर्वात में यह तीन लाख किलोमीटर प्रति सेकेण्ड की चाल (Speed) से गति (Travel) करता है। सर्वप्रथम रोमर ने प्रकाश का वेग ज्ञात किया था। किसी माध्यम (medium) में प्रकाश की चाल, निर्वात (vacuume) की अपेक्षा कम होती है। निर्वात से पृथ्वी, के वायुमण्डल में प्रवेश करने पर प्रकाश की चाल में 0.03% की कमी हो जाती है। इसी प्रकार से पानी में प्रकाश की चाल निर्वात से 25% कम तथा कांच (Glass) में 35% तक कम हो जाती है।

विभिन्न महत्वपूर्ण माध्यमों में प्रकाश की चाल निम्नवत् है-

माध्यम प्रकाश की चाल
• निर्वात्3 × 108 मी./से.
• जल (Water)2.25 × 108 मी./से.
• तारपीन का तेल2.04 × 108 मी./से.
• कांच (Glass)2.0 × 108 मी./से.
• नाइलॉन1.96 × 108 मी./से.
• रॉक साल्ट1.96 × 108 मी./से.
• हीरा1.24 × 108 मी./से.

प्रकाश किरणें सदैव सीधी रेखा में चलती हैं। यदि इनके रास्ते में कोई अवरोध उत्पन्न कर दिया जाय अर्थात् कोई वस्तु रख दी जाय तो यदि किरणें उसे भेद पाती हैं तो उस पार निकल जाती हैं और यदि नहीं भेद (cross) पाती हैं तो परावर्तित हो जाती हैं जिससे अवरोधक वस्तु के पीछे उसकी छाया (Shadow) बन जाती है। जिन वस्तुओं को प्रकाश की किरणें पार कर लेती हैं, उन्हें पारदर्शक (Transparent) वस्तु कहते हैं तथा जिन वस्तुओं को प्रकाश की किरणें नहीं भेद पातीं उन्हें अपारदर्शक (Opaque) वस्तु कहते हैं। कुछ वस्तुएँ ऐसी भी होती हैं जिनसे होकर किरणों का कुछ भाग तो पार निकल जाता है और कुछ अवशोषित (Absorb) या परावर्तित (Reflect) हो जाता है। ऐसी वस्तुओं को अर्धपारदर्शक वस्तु या पार भासक (Translucent Bodies) कहते हैं। ऐसी वस्तुओं के एक तरफ कोई वस्तु रखकर दूसरी तरफ से देखने पर वस्तु स्पष्ट रूप से तो नहीं दिखाई देती है परन्तु उसका आभास अवश्य होता है। जैसे- तेल लगा हुआ कागज या घिसी हुई कांच की प्लेट।

➤ प्रकाश का ऋजुरेखीय गमन (Rectilinear Propagation of Light)

यदि प्रकाश के गमन का माध्यम समांग (Homogeneous) है अर्थात् माध्यम के प्रत्येक बिंदु पर घनत्व समान है तो प्रकाश की किरणें सरल रेखा (Straight Line) में ही गति करती हैं। वस्तुओं की छाया (Shadow) का बनना, सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) तथा चन्द्र ग्रहण (Lunar Eclipse) का लगना, व सूची छिद्र कैमरा (Pin-hole Camera) में उल्टे चित्र का बनना आदि इस बात का प्रमाण है कि प्रकाश की किरणें सरल रेखा (Rectilinear Path) में ही गमन करती हैं।

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मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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