माँ : पाठ -4

माँ तुम कितनी भोली-भली
कितनी प्यारी-प्यारी हो
दिल से सच्ची मिसरी जैसी
सारे जग से न्यारी हो।

मेरे मन में जोश तुहीं से
तमसे ही प्रकाश
मझमें साहस तुमसे आता
तमसे ही विश्वास।

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शब्दों का खेल

चन्द्रबिन्दु का कमाल

‘मा’ के ऊपर चंद्रबिंदु लगाने से ‘माँ’ हो गया। आइए, कुछ  और शब्द देखते है।

1. नीचे दिए गए चित्रों को देखिए, शब्दों को पढ़िए और उन्हें लिखने का प्रयास कीजिए-

2. ‘माँ’ कविता में से कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। उनका प्रयोग करते हुए अपने परिवार के सदस्यों के लिए दो चार पंक्ति लिखिए-

भोली-भाली, प्‍यारी-प्‍यारी, दिल से सच्ची, जग से न्यारी

Ans.

(1) माँ के लिए
माँ मेरी प्यारी-प्यारी, मुस्कान में उजियारी,
दिल से सच्ची बातों से, जीवन हो सुखकारी।
भोली-भाली सूरत में, छाया स्नेह तुम्हारा,
जग से न्यारी माँ मेरी, सबसे मुझे दुलारा।

(2) दादी के लिए
दादी मेरी भोली-भाली, कहानियों की थाली,
दिल से सच्ची सीखें दें, हर दिन थोड़ी-थोड़ी।
प्यारी-प्यारी मीठी बोली, थकन सब ले डाली,
जग से न्यारी दादी, घर में खुशियों की डाली।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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