ईंधन खनिजों की उपलब्धि औद्योगिक विकास की महत्वपूर्ण सीढ़ी है। भारत में शक्ति के अनेक साधन उपलब्ध हैं, जिनमें से व्यापारिक दृष्टि से कोयला एवं लिग्नाइट, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस अधिक महत्वपूर्ण हैं। ध्यातव्य है कि मिनरल ईयर बुक 2016 के अनुसार वर्ष 2015-16 में ईंधन खनिज उत्पादन का मूल्य (67%); जो कि कुल खनिज मूल्य का आधे से अधिक है; में सर्वाधिक अंश कोयला (31.23%), पेट्रोलियम (23.73%) एवं प्राकृतिक गैस (9.43%) का था।*
कोयला (Coal)
कोयला देश में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत हैं और देश की व्यावसायिक ऊर्जा की खपत में इसका योगदान 67 प्रतिशत है। इसके अलावा यह इस्पात और कार्बो-रासायनिक उद्योगों में काम आने वाला आवश्यक पदार्थ है। कोयले से प्राप्त शक्ति खनिज तेल से प्राप्त की गयी शक्ति से दोगुनी, प्राकृतिक गैस से पाँच गुनी तथा जल-विद्युत शक्ति से आठ गुना अधिक होती है। इसके महत्व के कारण इसे काला सोना की उपमा दी जाती है।* कोयले के भण्डारण की दृष्टि से भारत का विश्व में पाँचवा स्थान (2018 के अन्त तक) है। भारतीय भू-विज्ञान सर्वेक्षण के अनुसार 1 अप्रैल, 2015 को देश में 1200 मीटर की गहराई तक सुरक्षित कोयले का भण्डार 308.80 बिलियन टन अनुमानित है। इनमें कोकिंग कोल और नॉन कोकिंग कोल सन्निहित है।
कोयले के पाँच शीर्ष भण्डारक राज्य | |
राज्य | भण्डारण (मिलि. टन में) अप्रैल, 2019 तक |
• झारखण्ड | 84505.9 |
• ओडिशा | 80840.3 |
• छत्तीसगढ़ | 59907.7 |
• प. बंगाल | 31690.1 |
• मध्य प्रदेश | 28793.1 |
• इंडियन मिनरल ईयर बुक, 2019 के अनुसार- वर्ष 2017-18(P) के दौरान कोयले का कुल उत्पादन 728.72 मिलियन टन है।
• वर्ष 2017-18 में देश में कोयले के समस्त उत्पादन का 74.5% भाग बिजली उत्पादन में खपत हुआ था। तत्पश्चात् कोयले का उपयोग स्टील उद्योग में (2.36%), स्पंज आयरन में (1.6%), तथा सीमेंट उद्योग में (1.2%) खपत हुआ था। (स्रोत: IMYB : 2019)
• गोंडवाना युगीन कोयला मुख्यतः बिटुमिनस प्रकार का होता है जिसका उपयोग कोकिंग कोयला बनाकर देश के लौह-इस्पात के कारखानों में किया जाता है।
कोयला उत्पादक शीर्ष पाँच राज्य : 2018-19 | |
राज्य | उत्पादन % में |
• छत्तीसगढ़ | 22.22 |
• ओडिशा | 19.80 |
• झारखण्ड | 18.48 |
• म.प्र. | 16.28 |
• तेलंगाना | 8.49 |
भारत में कोयले के प्रकार
कार्बन, वाष्प व जल की मात्रा के आधार पर भारतीय कोयला निम्न चार प्रकार का होता है-
1. एन्थ्रेसाइट कोयला (Anthracite Coal)- यह कोयला सबसे उत्तम है।* इसमें कार्बन की मात्रा 90 से 95 प्रतिशत, जल की मात्रा 2 से 5 प्रतिशत तथा वाष्प 25 से 40 प्रतिशत तक होती है। जलते समय यह धुँआ नहीं देता तथा ताप सबसे अधिक देता – है। यह जम्मू-कश्मीर राज्य से प्राप्त होता है।*
2. बिटुमिनस कोयला (Bituminous Coal)- यह द्वितीय श्रेणी का कोयला है। इसमें कार्बन की मात्रा 55% से 80%, जल की मात्रा 20% से 30% तथा वाष्प 35% से 50% तक होती है। यह जलते समय साधारण धुँआ देता है। गोंडवाना काल का कोयला इसी प्रकार का है।* देश के 90 प्रतिशत से अधिक कोयला भंडार एवं उत्पादन में गोंडवाना क्षेत्र के कोयला का ही योगदान है। यह क्षेत्र देश के कुल 113 कोयला क्षेत्रों में से 80 कोयला क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है।
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3. लिग्नाइट कोयला (Lignite Coal)- यह घटिया किस्म का भूरा कोयला है। इसमें कार्बन की मात्रा 40 प्रतिशत से 55 प्रतिशत, जल का अंश 30 प्रतिशत से 55 प्रतिशत तथा वाष्प 35 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक होती है। इसमें गंधक की प्रचुर मात्रा (2 से 7%) होने के कारण यह कुछ उद्योगों के लिए प्रयुक्त नहीं होता है। यह कोयला तमिलनाडु (मन्त्रारगुड़ी), राजस्थान, मेघालय, असोम (माकूम), वेल्लोर, दार्जिलिंग (पं. बंगाल) में मिलता है।
4. पीट (Peet)- कोयले का स्वरूप जिसमें कार्बन की मात्रा 40 प्रतिशत से कम तथा जो जलाने पर अधिक राख एवं धुआँ निकालता है, पीट कोयला कहलाता है। यह सबसे निम्न कोटि का कोयला होता है, जिसमें आर्द्रता अधिक होती है।
कोयला क्षेत्र
(क) गोंडवाना कोयला क्षेत्र- गोंडवाना क्षेत्र के अन्तर्गत दामोदर घाटी, महानदी घाटी, सोनघाटी, गोदावरी घाटी, वर्घाघाटी, पेंचघाटी एवं कान्हन घाटी क्षेत्रों के अलावा सतपुड़ा और राजमहल के कोयला क्षेत्र आते हैं।
1. रानीगंज क्षेत्र- पं. बंगाल का रानीगंज कोयला क्षेत्र ऊपरी दामोदर घाटी में है जो देश का सबसे महत्वपूर्ण एवं बड़ा कोयला क्षेत्र है।* इस क्षेत्र से देश का लगभग 35% कोयला प्राप्त होता है।
2. धनबाद जिले में स्थित झरिया कोयला क्षेत्र झारखण्ड राज्य का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक क्षेत्र है। देश के 90% से अधिक बिटुमिनस कोयले के भण्डार यहाँ स्थित हैं। कोयला धोवन शालाएँ सुदामडिह तथा मोनिडिह में स्थित हैं।
3. गिरिडीह क्षेत्र- झारखण्ड राज्य में स्थित, यहां के कोयले की मुख्य विशेषता यह है कि इससे अति उत्तम प्रकार का स्टीम कोक तैयार होता है जो धातु शोधन के लिए उपयुक्त है।
4. बोकारो क्षेत्र- यह हजारी बाग में स्थित है। यहां भी कोक बनाने योग्य उत्तम कोयला मिलता है। यहां मुख्य तह करगाली है जो लगभग 66 मीटर मोटी है।
5. करनपुरा क्षेत्र- यह झारखण्ड राज्य के ऊपरी दामोदर की घाटी में बोकारो क्षेत्र से तीन किलोमीटर पश्चिम में स्थित है।
6. सोन घाटी कोयला क्षेत्र- इस क्षेत्र के अन्तर्गत मध्य प्रदेश के सोहागपुर, सिंगरौली और ओडिशा के औरंगा, हुटार के क्षेत्र आते हैं।
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7. महानदी घाटी कोयला क्षेत्र- इस क्षेत्र के अन्तर्गत ओडिशा के तलचर और सम्भलपुर क्षेत्र, मध्य प्रदेश के सोनहट तथा विश्रामपुर-लखनपुर क्षेत्र मुख्य हैं।
8. छत्तीसगढ़ में कोरबा क्षेत्र की खाने हैं। इसका उपयोग भिलाई के इस्पात कारखाने में होता है। कोरबा के पूर्व में रायगढ़ की खानें हैं। तलवर खानें ब्राह्मणी नदी की घाटी में हैं। तातापानी-रामकोला, सोनहट, बिसरामपुर, बिलासपुर कोयला क्षेत्र इसी राज्य में स्थित है।
9. आन्ध्र प्रदेश के सिंगरैनी क्षेत्र में उच्च किस्म का कोयला मिलता है-
(ख) सिंगरैनी युग के कोयला क्षेत्र- सम्पूर्ण भारत का 2 प्रतिशत कोयला टर्शियरी युग की चट्टानों से प्राप्त होता है।* इसके मुख्य क्षेत्र राजस्थान, असोम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और तमिलनाडु हैं। राजस्थान में लिग्नाइट कोयले के भण्डार पलाना, बरसिंगसर, बिथनोक (बीकानेर) कपूरड़ी, जालिप्पा (बाड़मेर) और कसनऊ-इग्यार (नागौर) में है।
• तमिलनाडु राज्य के दक्षिण में अर्काट जिले में नवेली नामक स्थान पर लिग्नाइट कोयला मिलता है। लिग्नाइट का सर्वाधिक भण्डार तथा उत्पादन तमिलनाडु में होता है। मन्नारगुड़ी (तमिलनाडु) में लिग्नाइट का सबसे बड़ा भण्डार अवस्थित है।*
तेल परिष्करण (Oil Refining)
अप्रैल, 2019 तक देश की तेलशोधन संस्थापित क्षमता 249.36 मिलियन टन प्रतिवर्ष थी, जबकि वर्ष 2018-19 (अ.) में देश की कुल कच्चा तेल शोधन क्षमता 257.20 मिलियन टन थी। ज्ञातव्य है कि स्वतंत्रता के समय देश की कच्चा तेल शोधन क्षमता 0.25 मिलियन टन थी, जो 1998 में बढ़कर 62 मिलियन टन हो गई थी। कच्चा तेल शोधन क्षमता में तीव्र गति से हुए विस्तार के चलते देश अब पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यातक हो गया है। उल्लेखनीय है कि 1 अप्रैल 2017 तक देश में 23 तेल शोधक कारखानें (18 सार्वजनिक क्षेत्र में और 03 निजी क्षेत्र में, 02 संयुक्त उपक्रम) काम कर रहे थे।
सार्वजनिक क्षेत्र के 18 तेल शोधन कारखानों में से 09 का स्वामित्व इंडियन आयल कारपोरेशन लि., चेन्नई पेट्रोलियम के पास 02, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन के पास 02, भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन के पास 02 और तेल एवं प्राकृतिक गैस लि. के पास 01, नूमालीगढ़ रिफाइनरीज लि. के पास 01, मंगलोर रिफाइनरी एण्ड पेट्रोकेमिकल्स लि. के पास 01, निजी क्षेत्र में रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. के पास 02 व एस्सार ऑयल लि. के पास 01 तथा संयुक्त क्षेत्र के पास 02 का स्वामित्व था। यथा-
प्राकृतिक गैस (Natural Gas)
प्राकृतिक गैस अधिकांशतः खनिज तेल के साथ मिलती है। यह तेल भण्डार के ऊपर स्थित होती है तथा तेल कूप वेधन के समय बाहर निकलती है। इसका उपयोग तापीय शक्ति संयन्त्रों, उद्योगों, घरेलू ईंधन (खाना पकाने की गैस) तथा उर्वरकों के उत्पादन में किया जाता है। वर्ष 2018-19 (अ.) में प्राकृतिक गैस का उत्पादन 32.05 बिलियन क्यूबिक (BCM) था। वर्ष 2018-19 (अ.) के कुल गैस उत्पादन में अपतटीय (off shore) क्षेत्र का हिस्सा 68.00 BCM था। देश में प्राकृतिक गैस की खोज तथा उत्पादन ONGC तथा OIL द्वारा इसके प्रसंस्करण, संप्रेषण और वितरण का कार्य GAIL (Gas Authority of India Limited) द्वारा किया गया है।
यह भी पढ़ें: अधात्विक खनिज (Non-Metallic Minerals)
FAQs
Q1. किस प्रकार के कोयला को कोकिंग कोयला कहते हैं?
Ans. एन्थ्रेसाइट
Q2. पीट कोयला का निर्माण कहाँ होता है?
Ans. दलदलों में
Q3. गैस बनाने में कौन-सा कोयला प्रयुक्त होता है?
Ans. केनेल कोयला (कड़ा-भूरा बिटूमिनस)
Q4. तारकोल (Tarcoal) क्या है?
Ans. यह हवा के अभाव में कोयला के अपर्याप्त दाह से बचा अवशिष्ट पदार्थ है।
Q5. भारत में सर्वप्रथम पेट्रोलियम की खोज कब हुई थी ?
Ans. 1860 (असोम)
Q6. सर्वप्रथम तेल की खुदाई कब और कहाँ हुई थी?
Ans. माकुमक्षेत्र (1867 एवं डिगबोई (1889) में
Q7. देश में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग (ONGC) की स्थापना कब हुई थी ?
Ans. 1956
Q8. ऑयल इण्डिया लिमिटेड (OIL-1959) की स्थापना किसके प्रयास से हुई थी ?
Ans. ब्रिटेन की वर्मा शैल कम्पनी एवं भारत के संयुक्त प्रयास से
Q9. बम्बई-हाई क्षेत्र में तेल की खोज कब हुई थी ?
Ans. ONGC के प्रयास से 1976 में
Q10. विश्व की विशालतम पेट्रोलियम शोधनशाला कौन है?
Ans. रिलायन्स पेट्रोलियम शोधनशाला (जामनगर-गुजरात) 1999
Q11. गम्भीर सागरीय भाग से तेल निकालने के लिए ‘सागर सम्राट’ नामक जहाज किस देश से आयात किया गया था?
Ans. जापान
Q12. अपतटीय क्षेत्र खनन विकास एवं विनियमन अधिनियम 1957 में क्या प्रावधान है?
Ans. भारत के समुद्री क्षेत्र एवं महाद्वीपीय ढाल, विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र एवं अन्य समुद्री क्षेत्रों में खनिज उत्खनन हेतु संपूर्ण शक्ति केन्द्रीय सरकार के पास है/रहेगा।
Q13. तेल कुएँ सामान्यतया कहाँ पाये जाते हैं?
Ans. बैथोलिथ और लैकोलिथ चट्टानों के नीचे तथा सिल्ट के ऊपर।
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