मूली : पाठ -16

नानाजी ने बगीचे में मूली बोयी। मूली से नानाजी बोले, “उगो-उगो मूली। मज़बूत बनो और लंबी हो।”

उग आयी मोटी और लंबी मूली। नानाजी गए उसे निकालने।
खींचते रहे, अपना पूरा जोर लगाया, मगर मूली को बाहर न ला पाए।

तो फिर नानी को आवाज़ लगायी। नानी ने थामा नाना को, नाना ने थामा मूली को।
दोनों ने पूरा ज़ोर लगाया। मगर मूली को दोनों निकाल न पाए।

तभी नानी ने नातिन को बुलाया। नातिन ने थामा नानी को, नानी ने थामा नाना को, नाना ने थामा मूली को, सबने मिलकर खींचा।

मिलकर पूरा जोर लगाया। मगर मूली को निकाल न पाए।

तब नातिन ने अपने कुत्ते को बुलाया। कुत्ते ने नातिन को थामा, नातिन ने नानी को थामा, नानी ने नाना को थामा, नाना ने मूली को थामा, सभी ने मिलकर ज़ोर लगाया। आखिर मिलकर सबने मूली को बाहर निकाल ही डाला!

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बातचीत के लिए

1. मूली इतनी बड़ी कैसे हुई होगी?
Ans.
मूली को अच्छी मिट्टी, पर्याप्त पानी, खाद और धूप मिली होगी। इसलिए वह बहुत बड़ी और मज़बूत हो गई।

2. नानाजी इतनी बड़ी मूली का क्या करेंगे?
Ans.
नानाजी उसे सबके साथ बाँटकर खाएँगे। उससे सब्ज़ी, पराठे और सलाद बनाएँगे।

3. मूली से क्या-क्या बनता है?
Ans.
मूली से पराठा, सलाद, अचार, सब्ज़ी और रायता बनता है।

4. मूली से बनी कौन-सी चीज़ आपको पसंद है?
Ans.
मुझे मूली का पराठा सबसे ज़्यादा पसंद है।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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