ऊर्जा के नये स्रोतों में नाभिकीय ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्थान है। वर्तमान में नाभिकीय ऊर्जा विद्युत उत्पादन हेतु तापीय ऊर्जा, जलविद्युत एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपरान्त चौथा प्रमुख स्त्रोत है। वास्तव में भारत में परमाणु शक्ति के जनक डा. होमी जे. भाभा के निर्देशन में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना (1948) की गई थी।* परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना 1954 में की गयी।* उसी वर्ष ट्राम्बे में परमाणु ऊर्जा संस्थान स्थापित किया गया, जिसका नाम बदलकर 1967 में भाभा परमाणु अनुसन्धान केन्द्र (BARC) रखा गया। भारतीय परमाणु विद्युत निगम लिमिटेड (NPCIL) का गठन सितम्बर 1987 में किया गया तथा उसे देश के समस्त परमाणु संयंत्रों के प्रारूप, निर्माण कार्य, संचालन एवं उत्पादन सम्बन्धी उत्तरदायित्व को सौंपा गया। देश में नाभिकीय विद्युत की स्थापित क्षमता 31 जनवरी, 2021 तक 6780 मेगावॉट (1.9%) थी।
सन् 2032 तक नाभिकीय क्षमता की स्थापित क्षमता 27500 मेगावाट करने का सरकार का लक्ष्य है। देश में नाभिकीय विद्युत के कुल 22 रिएक्टर वर्तमान में 8 विभिन्न केन्द्रों पर कार्यरत हैं व 1500 मेगावॉट क्षमता के कुल 4 प्लाण्ट निर्माणाधीन हैं, तथा 20600 मेगावॉट के कुल 10 प्लाण्ट प्रस्तावित हैं। ध्यातव्य है, कि कुडनकुलम संयंत्र के दूसरे परमाणु ऊर्जा रियेक्टर का परिचालन देश के 22वें परमाणु ऊर्जा रियेक्टर के रूप में 10 जुलाई, 2016 को प्रारम्भ हो गया, तथा इसे 29 अगस्त, 2016 को दक्षिणी ग्रिड से जोड़ दिया गया। इस प्रकार अब देश की कुल स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता 6780 मेगावॉट हो गई। ज्ञातव्य है कि तमिलनाडु के तिरूनेलवेली जिले में स्थित 1000 मेगावॉट क्षमता वाली यह संयंत्र परियोजना भारत एवं रूस की संयुक्त परियोजना है।
भारत के निर्माणधीन नाभिकीय सयंत्र | ||
राज्य | स्थिति | क्षमता (मेगावाट) |
• गुजरात | काकरापार | 2×700 |
• राजस्थान | रावतभाटा | 2×700 |
• तमिलनाडु | कुडनकुलम | 2×1000 |
कलपक्कम | 500 | |
• हरियाणा | गोरखपुर | 2×700 |
भारत की नई अनुमोदित नाभिकीय परियोजनाएं | ||
राज्य | स्थिति | क्षमता (मेगावाट) |
• हरियाणा | गोरखपुर | 2×700 |
• राजस्थान | माही-बांसवारा | 4×700 |
• कर्नाटक | कैगा | 2×700 |
• म.प्र. | चुटका | 2×700 |
• तमिलनाडु | कुडनकुलम | 2×1000 |
भारत के अनुमोदित भावी नाभिकीय संयंत्र स्थल | |||
राज्य | स्थिति | क्षमता (मेगावाट) | सहयोगी देश |
• महाराष्ट्र | जैतपुर | 6×1650 | फ्रांस |
• आन्ध्रप्रदेश | कोवाडा | 6×1208 | यू०एस०ए० |
• गुजरात | मीठी विर्डी | 6×1000 | |
• पं. बंगाल | हरिपुर | 6×1000 | रूस |
• म०प्र० | भीमपुर | 4×700 | स्वदेशी PHWR |
• शीर्ष 3, परमाणु ऊर्जा खपत वाले देश यथा- USA, फ्रांस तथा चीन (2019) हैं।
भारत में परमाणु शक्ति के विकास के लिए अनेक अनुसंधान रिएक्टर बनाये गये हैं। इनमें अप्सरा-1 (1956), साइरस (1960, अब बन्द), जर्लिना (1961), पूर्णिमा-1 (1972), पूर्णिमा-II (1984), ध्रुव (1985)* कामिनी तथा पूर्णिमा-III (1990) सम्मिलित हैं। भारत मैं तीन शताब्दी से अधिक समय तक परमाणु ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति के लिये थोरियम के पर्याप्त भण्डार उपलब्ध हैं।*
भारत में सात भारी जल संयंत्र (heavy water plants)-बड़ोदरा (1980), तूतीकोरन (1978), कोटा (1985), तलचर (1985), थाल (महराष्ट्र 1987), हाजिरा (1991) एवं मानुगुरु (तेलंगाना)* (1991) में स्थापित तथा सक्रिय हैं। ध्यातव्य है नांगल भारी जल संयंत्र को 2002 में बन्द कर दिया गया। भारी जल का प्रयोग दाबित भारी जल रिएक्टरों (PHWRs) में मॉडरेटर तथा कूलैन्ट के रूप में होता है। भारत अपनी आवश्यकता की पूर्ति के अतिरिक्त कोरिया रिपब्लिक को भी भारी जल का निर्यात करता है।
विश्व में शीर्ष 5, नाभिकीय विद्युत उत्पादक देश (2018) | |
क्रम | देश |
• प्रथम | यू.एस.ए. |
• द्वितीय | फ्रांस |
• तृतीय | चीन |
• चतुर्थ | रूस |
• पंचम | द. कोरिया |
भारत में परमाणु विद्युत शक्ति का उत्पादन अमेरिका की सहायता से तारापुर (महाराष्ट्र) में 1969 में स्थापित 320 मेगावाट क्षमता के प्रथम परमाणु शक्ति केन्द्र की स्थापना के साथ प्रारम्भ हुआ।* रावतभाटा (राजस्थान) में कनाडा की सहायता से स्थापित दो दाबित भारी जल रिएक्टरों (PHWRs) ने वाणिज्यिक उत्पादन 1972 तथा 1980 में प्रारम्भ किया। तदन्तर, चेन्नई के निकट कलपक्कम में 220 मेगावाट के दो स्वदेशी रिएक्टर 1984 तथा 1986 में स्थापित किये गये। इसके पश्चात् 220 मेगावाट के दो अन्य रिएक्टर नरौरा (उत्तर प्रदेश) में 1989 तथा 1991 में स्थापित किये गये। दाबित भारी जल रिएक्टर की देशी प्राविधिकी से 1992 तथा 1995 में काकरापार (गुजरात)* में 220 मेगावाट क्षमता के दो संयंत्रों की स्थापना के साथ ही वाणिज्यिक प्रौढ़ता प्राप्त कर ली। 1999 तथा 2000 में 220 मेगावाट के दो अन्य दाबित भारी जल रिएक्टर कैगा (कर्नाटक) तथा रावतभाटा (राजस्थान) में स्थापित किये गये।
गोरखपुर, हरियाणा अणु विद्युत परियोजना
देश में विद्युत की बढ़ती हुई जरूरतों की पूर्ति के लिए स्वदेशी तकनीक पर आधारित एक नाभिकीय विद्युत परियोजना की स्थापना हरियाणा के फतेहाबाद जिले के गोरखपुर गाँव में की जा रही है। 2800 मेगावाट की इस गोरखपुर हरियाणा अणु विद्युत परियोजना (GHAVP) का शिलान्यास प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 13 जनवरी, 2014 को गोरखपुर गाँव में किया था। रु. 23502 करोड़ की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना के लिए गोरखपुर के अतिरिक्त काजलहेडी व बड़ोप्पल गाँवों में भूमि अधिगृहीत की गई थी। यह परियोजना देश में आठवीं नाभिकीय विद्युत परियोजना है। इसमें 700-700 मेगावाट के चार भारी पानी दाबित परमाणु रिएक्टर (Pressurised heavy Water Nuclear Reactors) स्थापित किए जाएंगे। इनमें पहले चरण में दो रिएक्टरों की स्थापना 2020-21 तक पूरी होने की सम्भावना है। उसके पश्चात् दूसरे चरण का कार्य शुरू किया जाएगा।
• इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरीमेंट रिएक्टर अर्थात ITER परियोजना में भारत 24 मई, 2006 को शामिल हो गया। संसार की इस सबसे बड़ी वैज्ञानिक परियोजना में भारत को शामिल किया जाना न केवल उसकी वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रतिभा का सम्मान है, बल्कि एक बड़ी राजनयिक जीत भी है। भारत के अलावा इस परियोजना में शामिल अन्य देश हैं- यूरोपीय संघ, रूस, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया एवं संयुक्त राज्य अमेरिका। इस अनुसंधानात्मक परियोजना का निर्माण फ्रांस के केडेरेक (Cadarache) में किया जा रहा है, जिसके 2015 ई. तक पूर्ण होने की सम्भावना थी। ऐसी आशा की जाती है कि 2040 ई. के बाद इसका व्यावसायिक दोहन सम्भव होगा।
• नाभिकीय दुर्घटना क्षतिपूर्ति नागरिक दायित्व विधेयक-2010 को संसद ने अगस्त, 2010 में 18 संशोधनों के पश्चात् पारित कर दिया।
• संवर्द्धित यूरेनियम (Enriched Uranium) – नाभिकीय विखंडन के लिए यूरेनियम-238 की तुलना में यूरेनियम-235 अधिक उपयोगी होता है, क्योंकि यूरेनियम-235 का नाभिक अत्यधिक क्षणभंगुर होता है। फलतः यदि कम गति से भी कोई न्यूट्रॉन उससे टकरा जाये, तो वह उसे खंडित कर सकता है। यूरेनियम रिएक्टर में कुछ विशेष प्रक्रियाओं द्वारा उसमें विखंडन योग्य 26 की मात्रा 0.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 2.34 प्रतिशत तक की जाती है। इसी प्रक्रिया को यूरेनियम सवंर्द्धन (Enrichment of Uranium) तथा इस विधि द्वारा प्राप्त यूरेनियम को संवर्द्धित यूरेनियम कहा जाता है। प्रकृति में यूरेनियम प्रायः पिचब्लेन्ड के रूप में पाया जाता है।
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FAQs
Q1. कुडनकुलम परियोजना से किन-किन राज्यों की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति होगी?
Ans. तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश एवं केरल ।
Q2. सूर्य की असीमित ऊर्जा का कारण क्या है?
Ans. नाभिकीय संलयन
Q3. विश्व में वह कौन-सा देश है जो अपने समस्त ऊर्जा आवश्यकता का 75 प्रतिशत नाभिकीय ऊर्जा से आपूर्ति करता है?
Ans. फ्रांस
Q4. प्राकृतिक यूरेनियम में 99.3% यूरेनियम का कौन सा समस्थानिक पाया जाता हैं?
Ans. U238
Q5. प्राकृतिक यूरेनियम U235 में कितना प्रतिशत यूरेनियम होता है?
Ans. 0.7%
Q6. भारत में नाभिकीय ईंधन कॉम्पलेक्स की स्थापना कब और कहाँ की गई?
Ans. हैदराबाद (1971)
Q7. भारत तथा अमेरिका के बीच तारापुर, परमाणु संयंत्र के लिए ईंधन आपूर्ति बहाल करने का समझौता कब हुआ ?
Ans. 2005
Q8. अल्फा कण का निर्माण कैसे होता है?
Ans. परमाणु नाभिक के 2 प्रोटॉन एवं दो न्यूट्रॉन के परस्पर संयोग द्वारा
Q9. परमाणु नाभिक में न्यूट्रॉन के टूटने से किस कण का निर्माण होता है?
Ans. बीटा कण
Q10. प्रायः परमाणु ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है?
Ans. यूरेनियम-235 एवं प्लूटोनियम
Q11. परमाणु बिजली संयंत्रों में न्यूट्रॉनों की गति को कम करने के लिए मंदक के रूप में भारी जल के अलावा किसका प्रयोग किया जा सकता है?
Ans. बेरीलियम ऑक्साइड अथवा ग्रेफाइट
Q12. नाभिकीय विखंडन की गति को नियंत्रित करने के लिए नियंत्रक के रूप में प्रयोग किया जाता है?
Ans. कैडमियम की छड़
Q13. नाभिकीय विखण्डन की खोज किसने किया था?
Ans. ऑटोहॉन एवं स्ट्रासवर्ग (1939)
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