प्राणियों में पोषण : अध्याय 2

प्राणियों में पोषण

आपने अध्याय 1 में पढ़ा है कि पादप (पौधे) अपना भोजन प्रकाश संश्लेषण द्वारा स्वयं बना सकते हैं परन्तु प्राणी (जंतु) ऐसा नहीं कर सकते। …

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वन के मार्ग में : अध्याय 14

वन के मार्ग में

सवैया पुर तें निकसी रघुबीर-बधू, धरि धीर दए मग में डग द्वै।झलकीं भरि भाल कनी जल की, पुट सूखि गए मधुराधर वै।।फिरि बूझति हैं, “चलनो …

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नौकर: अध्याय 13

नौकर

आश्रम में गांधी कई ऐसे काम भी करते थे जिन्हें आमतौर पर नौकर चाकर करते। है। जिस ज़माने में वे बैरिस्टरी से हजारों रुपये कमाते …

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लोकगीत : अध्याय 12

लोकगीत

लोकगीत अपनी लोच, ताजगी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। घर, गाँव और नगर की जनता के …

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मैं सबसे छोटी होऊँ : अध्याय 11

मैं सबसे छोटी होऊँ

मैं सबसे छोटी होऊँ,तेरी गोदी में सोऊँ,तेरा अंचल पकड़ पकड़करफिरूँ सदा माँ! तेरे साथ,कभी न छोहूँ तेरा हाथ !बड़ा बनाकर पहले हमकोतू पीछे छलती है …

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झाँसी की रानी : अध्याय 8

झाँसी की रानी

सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,दूर फ़िरंगी …

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टिकट – अलबम : अध्याय 7

टिकट - अलबम

अब राजप्पा को कोई नहीं पूछता। आजकल सब के सब नागराजन को घेरे रहते। ‘नागराजन घमंडी हो गया है’, राजप्पा सारे लड़कों में कहता फिरता। …

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