कैदी और कोकिला : अध्याय 10

क्या गाती हो?
क्यों रह-रह जाती हो?
कोकिल बोलो तो ! क्या लाती हो?
संदेशा किसका है?
कोकिल बोलो तो!

ऊँची काली दीवारों के घेरे में,
डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में,
जीने को देते नहीं पेट भर खाना,
मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना!
जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है,
शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है?
हिसकर निराश कर चला रात भी काली,
इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली?

क्यों हूक पड़ी?
वेदना बोझ वाली-सी;
कोकिल बोलो तो!
क्या लूटा?

मृदुल वैभव की
रखवाली-सी,
कोकिल बोलो तो!

क्या हुई बावली?
अर्द्धरात्रि को चीखी,
कोकिल बोलो तो!
किस दावानल की
ज्वालाएँ हैं दीखीं?
कोकिल बोलो तो!

क्या? देख न सकती जंजीरों का गहना?
हथकड़ियाँ क्यों? यह ब्रिटिश राज का गहना,
कोल्हू का चर्रक चूँ? जीवन की तान,
गिट्टी पर अँगुलियों ने लिखे गान!
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ,
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कुँआ।
दिन में करुणा क्यों जगे, रुलानेवाली,
इसलिए रात में गज्जब ढा रही आली?

इस शांत समय में,
अंधकार को बेध, रो रही क्यों हो?
कोकिल बोलो तो !
चुपचाप, मधुर विद्रोह-बीज
इस भाँति बो रही क्यों हो?
कोकिल बोलो तो!

काली तू, रजनी भी काली,
शासन की करनी भी काली,
काली लहर कल्पना काली,
मेरी काल कोठरी काली,
टोपी काली, कमली काली,
मेरी लौह-श्रृंखला काली,
पहरे की हुंकृति की ब्याली,
तिस पर है गाली, ऐ आली!

इस काले संकट-सागर पर
मरने की, मदमाती !
कोकिल बोलो तो !
अपने चमकीले गीतों को
क्योंकर हो तैराती !
कोकिल बोलो तो!

तुझे मिली हरियाली डाली,
मुझे नसीब कोठरी काली!
तेरा नभ-भर में संचार
मेरा दस फुट का संसार !
तेरे गीत कहावें वाह,
रोना भी है मुझे गुनाह !
देख विषमता तेरी-मेरी,
बजा रही तिस पर रणभेरी!

इस हुंकृति पर,
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ?
कोकिल बोलो तो!
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर दूँ!
कोकिल बोलो तो!

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प्रश्न अभ्यास

1. कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी?
Ans.
कोयल की कूक सुनकर कवि को लगा कि वह मानो उसे कुछ कहना चाहती है। या तो वह उसे निरंतर लड़ते रहने की प्रेरणा देना चाहती है या उसकी यातनाओं के दर्द को बाँटना चाहती है। उसे लगता है कि कोकिल कवि के कष्टों को देखकर आँसू बहा रही है और चुपचाप अँधेरे को बेधकर विद्रोह की चेतना जगा रही है। इसलिए अंत में कवि उसके इशारों पर आत्म-बलिदान करने को तैयार हो जाता है।

2. कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई?
Ans.
कवि ने कोकिल के बोलने पर निम्नलिखित कारणों की संभावना जताई है-

  • कोयल जेल में बंद क्रांतिकारियों को देशवासियों की दुर्दशा के बारे में बताने आयी है।
  • कोयल कैदी क्रांतिकारियों को धैर्य बँधाने एवं दिलासा देने आई है।
  • कोयल कैदी क्रांतिकारियों के दुखों पर मरहम लगाने आई है।
  • कोयल पागल हो गई है जो आधी रात में चीख रही है।

3. किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों?
Ans.
अंग्रेज़ी शासन की तुलना कवि ने अंधकार के प्रभाव से की है क्योंकि अंग्रेज़ी सरकार की कार्य प्रणाली अंधकार की तरह काली है। यहाँ अन्याय अंधकार का प्रतीक है क्योंकि अंग्रेज़ों की शासन प्रणाली अन्यायपूर्ण थी।

4. कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए।
Ans.
पराधीन भारत की जेलों में भारतीयों को पशुओं की भाँति-रखा जाता था। उन्हें ऐसी यातनाएँ दी जाती थीं कि सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

  • उन्हें ऊँची-ऊँची दीवार वाली जेलों में रखा जाता था।
  • उन्हें दस फुट की छोटी-छोटी कोठरियों में रखा जाता था।
  • उन्हें भरपेट खाना नहीं दिया जाता था।
  • उनके साथ पशुओं-सा व्यवहार किया जाता था।
  • उन्हें बात-बात पर गालियाँ दी जाती थीं।
  • उन्हें तड़प-तड़पकर मरने के लिए छोड़ दिया जाता था।

5. भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो!
Ans.
कवि के अनुसार, वैसे तो संसार में कष्ट-ही-कष्ट हैं। यदि कहीं कुछ मृदुलता और सरसता बची है तो वह कोयल के मधुर स्वर में बची है। अतः कोयल मृदुलता की रखवाली करने वाली है। वह उससे पूछता है कि आखिर वह जेल में अपना मधुर स्वर गुँजाकर उसे क्या कहना चाहती है!

(ख) हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जुआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कुँआ।
Ans.
इसमें जेल की असहनीय यातनाएँ झेलता हुआ कवि स्वाभिमानपूर्वक कहता है कि वह अपने पेट पर कोल्हू का जूआ बाँधकर चरसा चला रहा है। आशय यह है कि उससे पशुओं जैसा सख्त काम लिया जा रहा है। फिर भी वह हार नहीं मान रहा। इससे ब्रिटिश सरकार की अकड़ ढीली पड़ रही है। अंग्रेज़ों को बोध हो गया है कि अब अत्याचार करने से भी वे सफल नहीं हो सकते।

6. अद्धरात्रि में कोयल की चीख से कवि को क्या अंदेशा है?
Ans.
आधी रात में कोयल की चीख सुनकर कवि को यह अंदेशा होता है कि उसने भारतीयों के आक्रोश एवं असंतोष की ज्वाला देख ली होगी। यह ज्वाला जंगल में लगने वाली आग के समान भयंकर रही होगी। कोयल उसी ज्वाला (क्रांति) की सूचना देने जेल परिसर के पास आई है।

7. कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है?
Ans.
कवि को कोयल से इसलिए ईर्ष्या हो रही है क्योंकि कोयल स्वतंत्र है, जबकि कवि बंदी है। कोयल हरियाली का आनंद ले रही है, जबकि कवि दस फुट की अँधेरी कोठरी में जीने के लिए विवश है। कोयल के गान की सभी सराहना करते हैं, जबकि कवि के लिए रोना भी गुनाह हो गया है।

8. कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों को कौन सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है?
Ans.
 कवि के स्मृति पटल पर कोयल की कर्णप्रिय अत्यंत मधुर स्वर की स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें अब वह नष्ट करने पर तुली है।

9. हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है?
Ans.
कवि ने हथकड़ियों की तुलना गहनों से की है क्योंकि भले ही यह कवि के लिए हथकड़ी है परन्तु यह ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गई पराधीनता है। यह ब्रिटिश राज का प्रतीक है, जो अंग्रेज़ों द्वारा पहनाया गया है।

10. ‘काली तू….. ऐ आली!’ इन पंक्तियों में ‘काली’ शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए।
Ans.
इन पंक्तियों में कवि ने कुल नौ बार काली शब्द का प्रयोग किया है। यहाँ काली शब्द का प्रयोग कई अर्थों में किया गया है। कहीं इसकी तुलना ब्रिटिश सरकार की काली करतूत से की गई है, कहीं यह वातावरण की कालिमा का प्रतीक है तो कहीं इसका अर्थ निराशा के रुप में किया गया है।

11. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

(क) किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं?
Ans.
 यहाँ कवि कोयल की वेदना पूर्ण आवाज़ पर अपनी आशंका व्यक्त कर रहा है। अपनी प्रश्नात्मक शैली से कवि कोयल के कष्ट का अनुमान लगा रहा है। कवि ने विम्बात्मक शैली का प्रयोग किया है, भाषा में सहजता तथा सरलता है।

(ख) तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह ! देख विषमता तेरी-मेरी, बजा रही तिस पर रणभेरी!
Ans.
प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में कवि ने अपने तथा कोयल के जीवन की विषमताओं की ओर संकेत किया है। कवि ने यहाँ तुकबंदी का प्रयोग किया है, अपनी तथा कोयल के जीवन की तुलना की है तथा सरल भाषा का प्रयोग किया है।

रचना और अभिव्यक्ति

12. कवि जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना भी सुनता होगा लेकिन उसने कोकिला की ही बात क्यों की है?
Ans.
अल्पपक्षियों का चहकना सुनकर भी कवि केवल कोयल से ही बातें करता है क्योंकि कोयले का स्वर अन्य पक्षियों की अपेक्षा मधुर एवं कर्णप्रिय होता है। कोयल ही आधी रात के सुनसान में केंक रही थी। कोयल की कैंक में ही उसे क्रांतिकारियों का संदेश होने की संभावना लगी।

13. आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार क्यों किया जाता होगा?
Ans.
 ब्रिटिश सरकार भारत की स्वतंत्रता के विरोध में थी। वह क्रांतिकारियों को दबाना चाहती थी। इसलिए वह उन्हें शारीरिक तथा मानसिक रूप से पीड़ित करती थी। उन्हें मानसिक रूप से तोड़ने के लिए उन्हें चोरों, अपराधियों, बटमारों के साथ रखती थी तथा आम अपराधियों जैसा दुर्व्यवहार करती थी।

माखनलाल चतुर्वेदी

माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई गाँव में सन् 1889 में हुआ। मात्र 16 वर्ष की अवस्था में वे शिक्षक बने। बाद में अध्यापन कार्य छोड़कर उन्होंने प्रभा पत्रिका का संपादन शुरू किया। वे देशभक्त कवि एवं प्रखर पत्रकार थे। उन्होंने कर्मवीर और प्रताप का भी संपादन किया। सन् 1968 में उनका देहांत हो गया।

हिम किरीटनी, साहित्य देवता, हिम तरंगिनी, वेणु लो गूंजे धरा उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं। उन्हें पद्मभूषण एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाएँ राष्ट्रीय भावना से युक्त हैं। उनमें स्वतंत्रता की चेतना के साथ देश के लिए त्याग और बलिदान की भावना मिलती है। इसीलिए उन्हें एक भारतीय आत्मा कहा जाता है। इस उपनाम से उन्होंने कविताएँ भी लिखी हैं। वे एक कवि-कार्यकर्ता थे और स्वाधीनता आंदोलन के दौरान कई बार जेल गए। उन्होंने भक्ति, प्रेम और प्रकृति संबंधी कविताएँ भी लिखी हैं।

चतुर्वेदी जी कविता में शिल्प की तुलना में भाव को अधिक महत्त्व देते हैं। उन्होंने परंपरागत छंदबद्धता रचना के अनुकूल शब्दों का भी प्रयोग किया है।

ब्रितानी उपनिवेशवाद के शोषण तंत्र का बारीक विश्लेषण करती कैदी और कोकिला कविता बहुत लोकप्रिय रही है। यह कविता भारतीय स्वाधीनता सेनानियों के साथ जेल में किए गए दुर्व्यवहारों और यातनाओं का मार्मिक साक्ष्य प्रस्तुत करती है।

कवि जेल में एकाकी और उदास है। कोकिल से अपने मन का दुख, असंतोष और ब्रितानी शासन के प्रति अपने आक्रोश को व्यक्त करते हुए वह कहता है कि यह समय मधुर गीत गाने का नहीं बल्कि मुक्ति का गीत सुनाने का है। कवि को लगता है कि कोयल भी पूरे देश को एक कारागार के रूप में देखने लगी है इसीलिए अर्द्धरात्रि में चीख उठी है।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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