रस्साकशी: पाठ -10

जोर लगाओ, हेई सा!
हेई सा! भई, हेई सा!

सीना ताने रहो अकड़ कर,
रस्सा दोनों ओर पकड़ कर,
तिरछे पड़ कर, कमर जकड़ कर,
जोर लगाओ, हेई सा!
हेई सा! भई, हेई सा!

खींचो, खींचो, जोर लगाओ,
पैर गड़ा कर, पीठ अड़ाओ,
आड़ी-तिरछी चाल भिड़ाओ,
जोर लगाओ, हेई सा!
हेई सा! भई, हेई सा!

रस्सा नहीं फिसलने पाए,
साथी नहीं बिचलने पाए,
जोश-खरोश न ढलने पाए,
जोर लगाओ, हेई सा!
हेई सा! भई, हेई सा!

हुए पसीने से तर सारे,
सफल हुए सब दाँव करारे,
इधर हमारे, उधर तुम्हारे,
जोर लगाओ, हेई सा!
हेई सा! भई, हेई सा!

यह भी पढ़ें: प्रकृति पर्व – फूलदेई : पाठ -9

बातचीत के लिए

1. आप कौन-कौन से खेल खेलते हैं?
Ans.
मैं क्रिकेट, फुटबॉल, कबड्डी और बैडमिंटन खेलता हूँ।

2. आपका सबसे प्रिय खेल कौन-सा है?
Ans.
मेरा सबसे प्रिय खेल क्रिकेट है।

3. ऐसे खेलों के नाम बताइए जिनमें दो टीमें आमने-सामने होती हैं?
Ans.
क्रिकेट, फुटबॉल, कबड्डी, हॉकी और खो-खो।

4. आपने रस्सी का प्रयोग करते हुए कौन-कौन से खेल खेले हैं?
Ans.
मैंने रस्साकशी और रस्सी कूद जैसे खेल खेले हैं।

5. वे कौन से खेल हैं जिन्हें खेलने के लिए हमें अधिक साथियों की आवश्यकता पड़ती है?
Ans.
क्रिकेट, फुटबॉल, कबड्डी, हॉकी और खो-खो जैसे खेलों के लिए अधिक साथियों की आवश्यकता पड़ती है।

सोचिए और लिखिए

1. कविता में “जोर लगाओ हेई सा! हेई सा! भई, हेई सा!” क्यों कहा गया है?
Ans.
यह पंक्तियाँ रस्साकशी के खेल में बच्चों को उत्साह और हिम्मत देने के लिए कही गई हैं ताकि वे मिलकर पूरी ताक़त से रस्सी खींचें।

2. कविता में शरीर से जुड़े किन-किन अंगों का वर्णन हुआ है? ढूँढ़कर लिखिए।
Ans.
कविता में सीना, कमर, पैर, पीठ का वर्णन हुआ है।

3. रस्साकशी के खेल में जीतने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है?
Ans.
रस्साकशी में जीतने के लिए खिलाड़ियों को मिलकर पूरी ताक़त लगानी पड़ती है, पैर जमाकर खड़ा रहना पड़ता है, रस्सी को मज़बूती से पकड़ना पड़ता है और एक-दूसरे का हौसला बढ़ाना पड़ता है।

4. चित्र में दिखाया गया खेल रस्साकशी कैसे खेला जाता है, लिखिए-
Ans.
चित्र में दिखाया गया खेल रस्साकशी है। इस खेल में दो टीम बनाई जाती हैं। दोनों टीमें रस्सी के दोनो सिरों को मज़बूती से पकड़ती हैं। खिलाड़ी पूरी ताक़त लगाकर अपनी ओर रस्सी खींचते हैं। जो टीम दूसरी टीम को अपनी ओर खींच लेती है, वही टीम जीत जाती है।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

1 thought on “रस्साकशी: पाठ -10”

Leave a Comment