फूलों से नित हँसना सीखो, भौंरों से नित गाना। तरु की झुकी डालियों से नित, सीखो शीश झुकाना।
सीख हवा के झोंकों से लो, कोमल भाव बहाना। दूध तथा पानी से सीखो, मिलना और मिलाना।

सूरज की किरणों से सीखो, जगना और जगाना। लता और पेड़ों से सीखो, सबको गले लगाना।
दीपक से सीखो जितना, हो सके अँधेरा हरना। ॐ पृथ्वी से सीखो प्राणी की, सच्ची सेवा करना।
जलधारा से सीखो आगे, जीवन-पथ में बढ़ना। और धुएँ से सीखो हरदम, ऊँचे ही पर चढ़ना।
बातचीत के लिए

1. आपको इस चित्र में क्या-क्या दिखाई दे रहा है?
Ans. इस चित्र में फूल, पक्षी, पेड़-पौधे, सूरज, फल, लता, जलधारा, पत्थर आदि दिखाई दे रहे हैं।
2. इनमें से कौन-कौन सी वस्तुएँ आप प्रतिदिन देखते हैं?
Ans. हम प्रतिदिन फूल, पेड़, सूरज, हवा, पानी, धुआँ और दीपक देखते हैं।
3. उगते हुए सूरज को देखकर आपके मन में किस प्रकार के भाव आते हैं?
Ans. उगते हुए सूरज को देखकर मन में ताजगी, उमंग और नया उत्साह आता है। ऐसा लगता है जैसे एक नई शुरुआत हो रही हो।
4. रंग-बिरंगे फूलों को देखकर आपको कैसा लगता है?
Ans. रंग-बिरंगे फूलों को देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। वे हमें मुस्कुराने और खुश रहने की प्रेरणा देते हैं।
कविता की बात
1. किससे क्या सीखें, मिलान कीजिए-

Ans.

कविता से आगे
1. सूरज से ‘जगना और जगाना’ सीखने की बात कही गई है। हम सूरज से और क्या-क्या सीख सकते हैं? कोई दो बातें लिखिए –
Ans.
• सूरज से हमें निःस्वार्थ सेवा करना सीखना चाहिए।
• सूरज से हमें सबको समान रूप से प्रकाश और ऊष्मा देना सीखना चाहिए।
2. लता और पेडों से एक-दसरे के साथ प्रेम और सदभाव की बात सीखने के लिए कहा गया है। इनसे हम और क्या-क्या सीख सकते हैं? कोई दो बातें लिखिए –
Ans.
• पेड़ों से हमें दूसरों को छाया और शरण देना सीखना चाहिए।
• लता से हमें नम्रता और सबको अपनाने का भाव सीखना चाहिए।
3. हम सभी में कोई न सभी में कोई न कोई विशेषता अवश्य होती है। आप अपने सहपाठी की कौन-सी बात सीखना चाहते हैं?
Ans. मैं अपने सहपाठी की ईमानदारी और मेहनत से पढ़ाई करने की आदत सीखना चाहता हूँ।
1 thought on “सीखो : पाठ -1”