दीवानों की हस्ती : अध्याय 3

दीवानों की हस्ती

हम दीवानों की क्या हस्ती,हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले,मस्ती का आलम साथ चला,हम धूल उड़ाते जहाँ चले। आए बनकर उल्लास अभी,आँसू बनकर बह चले …

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