दोहे : अध्याय 7

दोहे

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय ।टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय ।। रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो …

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