पर्वत प्रदेश में पावस : अध्याय 4

पर्वत प्रदेश में पावस

पावस ऋतु थी, पर्वत प्रदेश,पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश। मेखलाकार पर्वत अपारअपने सहस्र दृग-सुमन फाड़,अवलोक रहा है बार-बारनीचे जल में निज महाकार, जिसके चरणों में पला तालदर्पण-सा …

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