रहीम के दोहे : अध्याय 8

रहीम के दोहे

कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।।।।। जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।रहिमन मछरी नीर …

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