वन के मार्ग में : अध्याय 14

वन के मार्ग में

सवैया पुर तें निकसी रघुबीर-बधू, धरि धीर दए मग में डग द्वै।झलकीं भरि भाल कनी जल की, पुट सूखि गए मधुराधर वै।।फिरि बूझति हैं, “चलनो …

Read more