सवैये : अध्याय 9
1 मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं व्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।जौ पसु हौं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मँझारन ।।पाहन …
1 मानुष हौं तो वही रसखानि बसौं व्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।जौ पसु हौं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मँझारन ।।पाहन …