थाथू और मैं: पाठ -5

मैं अपने दादाजी के साथ रहती हूँ।
उन्हें मैं ‘थाथा’ कहती हूँ।
लेकिन जब उन पर प्यार आता
है, तो मैं उन्हें ‘थाथू’ बुलाती हूँ।

कभी-कभी थाथू मुझे सिनेमा दिखाने बाहर ले जाते हैं
मैं उनकी गोदी में बैठकर हॉर्न बजाती हूँ- पॉम ! पॉम! रास्ते की सब बकरियाँ और गायें दूर हट जाती हैं।

“थाथू क्यों न हम चाँद पर चलें?” मैं पूछती हूँ। वे सिर हिलाकर हँस देते हैं। थाथा के दाँत नहीं हैं। जब वे हँसते हैं तो एक गुलाबी-सी दीवार दिखाई देती है… और फिर… एक गुलाबी-सी गुफा।

जब बारिश होती है, तो थाथा खिड़की के बाहर इशारा करते हैं और कहते हैं, “देखो! बरसात हो रही है। चलो ! बाहर चलें।”

थाथू और मैं हमेशा कुछ अलग करते हैं। हम समुद्र तट पर जाते हैं। ऊँची-नीची लहरें मेरे चारों तरफ़ उठती-गिरती हैं।

चाँद हमारे साथ-साथ चलता है और हवाएँ सीटी बजाती हैं।

मछलियाँ थाथू और मुझे ढूँढ़ती हुई आती हैं। मेरी उँगलियाँ कुतरती हैं और मुझे खेलने को बुलाती हैं।

हम दौड़ लगाते हैं और कलाबाज़ियाँ खाते हैं। जब अँधेरा हो जाता है, तो मैं थाथू का हाथ पकड़ लेती हूँ। उनके साथ मैं कूदती-फाँदती घर आ जाती हूँ। और फिर थाथू अपनी मनपसंद किताब पढ़ने बैठ जाते हैं।

‘थाथू’यह कोई जादुई किताब है?”
मैं पूछती हूँ। थाथू मुस्कुराते हैं। “क्या मैं भी जादूगर बनूँगी?” मैं फिर पूछती हूँ, “आपकी तरह?” वे कहते हैं, “अब सो जाओ।”

उनकी गोद में सिर रखकर, मैं सो जाती हूँ।

मुझे अपने थाथू से बेहद प्यार है। मैं प्रार्थना करती हूँ… कि एक दिन, मैं भी उनके जैसी बनूँ।

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बातचीत के लिए

इस कहानी के आधार पर कुछ प्रश्न बनाइए और अपने मित्रों से पूछिए।

Q1. मैं अपने दादाजी को किस नाम से पुकारती हूँ?

Q2. थाथू मुझे कहाँ-कहाँ घुमाने ले जाते हैं?

Q3. जब बारिश होती है तो थाथा मुझे क्या करने के लिए कहते हैं?

Q4. थाथा के दाँत नहीं हैं, तो वे हँसते समय कैसे दिखाई देते हैं?

Q5. समुद्र तट पर जाकर मैं और थाथू क्या-क्या करते हैं?

Q6. जब अँधेरा हो जाता है तो मैं क्या करती हूँ?

Q7. थाथू की मनपसंद चीज़ क्या है?

Q8. मैं थाथू से क्यों प्रार्थना करती हूँ?

Q9. कहानी की नायिका अपने दादाजी से किस तरह का रिश्ता रखती है?

Q10. तुम्हें अपने दादा-दादी या नाना-नानी में किसके साथ समय बिताना अच्छा लगता है और क्यों?

शब्दों का खेल

1. सही जगह पर चंद्रबिंदु लगाकर अपनी कॉपी में लिखिए-

(क) ऊची-नीची लहरें मेरे चारों तरफ़ उठती-गिरती हैं।
Ans.
ऊँची-नीची लहरें मेरे चारों तरफ़ उठती-गिरती हैं।

(ख) “थाथू क्यों न हम चाद पर चलें?”
Ans.
“थाथू क्यों न हम चाँद पर चलें?”

(ग) मेरी उगलिया कुतरती हैं।
Ans.
मेरी उँगलियाँ कुतरती हैं।

(घ) उनके साथ मैं कूदती-फादती घर आ जाती हूँ
Ans.
उनके साथ मैं कूदती-फाँदती घर आ जाती हूँ।

2. नीचे दिए गए शब्द उलट-पलट हो गए हैं। शब्दों को सही क्रम में लगाकर वाक्य अपनी कॉपी में लिखिए-

(क) साथ के रहती हूँ मैं दादाजी।
Ans.
मैं दादाजी के साथ रहती हूँ।

(ख) तट समुद्र जाते हम पर हैं।
Ans.
हम समुद्र तट पर जाते हैं।

(ग) हैं थाथू मुस्कुराते।
Ans.
थाथू मुस्कुराते हैं।

(घ) हूँ मैं कहती ‘थाथा’ उन्हें।
Ans.
मैं उन्हें ‘थाथा’ कहती हूँ।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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