प्रायद्वीपीय पठारी भाग के पूर्व व पश्चिम में दो संकरे तटीय मैदान मिलते हैं जिन्हें क्रमशः पूर्वी तटीय एवं पश्चिमी तटीय मैदान कहा जाता है। इनकी उत्पत्ति आदिनूतन काल (Eocene period) में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी क्षेत्रों के स्थलीय खण्डों के निमज्जन के कारण हुई थी। पश्चिमी तटीय मैदान पूर्वी तटीय मैदान की तुलना में अधिक संकरा है। इनका निर्माण सागरीय तरंगों द्वारा अपरदन व निक्षेपण एवं पठारी नदियों द्वारा लाए गए अवसादों के जमाव से हुआ है। इनकी लंबाई 6100 किमी. है। दोनों तटीय किनारे तमिलनाडु राज्य के नागरकोयल एवं कन्याकुमारी कटक द्वारा अलग किया गया है, जो भारत के वृहद जल-विभाजक का ही दक्षिण की तरफ बढ़ा भाग है।
पश्चिम तटीय मैदान
पश्चिमी घाट के पश्चिम में कच्छ की खाड़ी से लेकर कुमारी अन्तरीप तक पश्चिम तटीय मैदान फैला है। यह पूर्वी तट की अपेक्षा अधिक विभिन्नताएँ रखता है। इस मैदान की औसत चौड़ाई 64 किमी. है।* नर्मदा और ताप्ती नदियों के मुहानों के निकट इसकी सर्वाधिक चौड़ाई 80 किमी. है। अनेक स्थानों पर यह 50 किमी से भी कम चौड़ा है। इस तटीय मैदान में बहने वाली नदियाँ छोटी और तीव्रगामी हैं। अधिकतर नदियाँ मुहाने पर डेल्टा न बनाकर ज्वार नदमुख (एश्चयरी) का निर्माण करती हैं। यह 720 किमी. लम्बा समुद्री तट है, जिसमें महाराष्ट्र एवं गोवा के तटीय जिले आते हैं पश्चिमी तट पर कुछ पश्चजल (Back water) पाये जाते हैं जिन्हें केरल में कयाल (एक प्रकार लैगून) कहते हैं।* जैसे-अस्थामुडी तथा बेम्बानाड।
पश्चिमी तट को चार भौगोलिक क्षेत्रों में विभक्त किया गया है। यथा :
(1) गुजरात का मैदान : गुजरात का तटवर्ती क्षेत्र।
(2) कोंकण का तट : दमन से गोवा के बीच।
(3) कन्नड (कर्नाटक) तट : गोवा से मंगलोर के बीच।
(4) मालाबार का मैदान : मंगलोर से कन्याकुमारी के बीच।
• गुजरात का मैदान (तट)
गुजरात के तटवर्ती क्षेत्र को गुजरात का मैदान या तट क्षेत्र कहा जाता है। यह सौराष्ट्र से सूरत तक विस्तृत है। इसके तट पर सरक्रीक, कोरी क्रीक, कच्छ की खाड़ी एवं खंभात की खाड़ी अवस्थित है।
• कोंकण तट
उत्तर में दमन से दक्षिण में ‘गोवा तक का तटीय मैदान ‘कोंकण तट’ कहलाता है। इसे पश्चिमी तटीय मैदान के उत्तरी भाग की भी संज्ञा प्रदान की जाती है। यह 720 किमी. लम्बा समुद्री तटीय मैदान है, जिसमें महाराष्ट्र एवं गोवा के तटीय जिले हैं। कलांगुट नामक सागर पुलिन गोवा में ही स्थित है थालघाट एवं भोरघाट दरै, जो क्रमशः मुंबई और गोवा के दक्षिण-पूर्व में स्थित हैं, इसी तटीय क्षेत्र में अवस्थित हैं। पिंजल, बसाक, भोगराना एवं जुवारी इस क्षेत्र की प्रमुख नदियाँ है।*
• कन्नड़ तट
गोवा से कर्नाटक के मंगलौर तट का क्षेत्र कन्नड़ तट कहलाता है। इसका उत्तरी भाग संकरा किन्तु दक्षिणी भाग अपेक्षाकृत चौड़ा है। यहां पर पूर्व की ओर ढाल पाया जाता है तथा सीढ़ीनुमा ढालों पर काजू, सुपारी, कहवा, एवं कालीमिर्च की बागानी की जाती है। कालिन्दी, शरावती एवं नेत्रावती इस तटीय क्षेत्र की प्रमुख नदियाँ हैं।*
• मालाबार तट
मंगलौर से कन्याकुमारी तक का तटीय मैदान मालाबार तट कहलाता है। इस क्षेत्र में लम्बे तथा संकरे ‘लैगून’ या ‘कयाल’ पाये जाते हैं। इस क्षेत्र की मिट्टी कॉप एवं महीन लैटराइट प्रकार की होती है, जिसमें रबर, सिनकोना, कहवा, गर्म मसाले एवं नारियल आदि के फार्म पाये जाते हैं। पेरियार यहाँ की एक प्रमुख नदी है।* इसके तट पर मोनोजाइट, जिरकान एवं थोरियम जैसे- आण्विक खनिज पाये जाते हैं।
पूर्वी तटीय मैदान
यह मैदान पूर्वी घाट और बंगाल की खाड़ी के मध्य अवस्थित है। यह उत्तर में गंगा के मुहाने से दक्षिण में कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। यह मुख्यतः अभिनव (Recent) एवं टर्शियरी जलोढ़ से निर्मित है। यह मैदान पश्चिमी तटीय मैदान की तुलना में अधिक चौड़ा है। इसका मुख्य कारण कृष्णा, गोदावरी एवं कावेरी जैसी नदियों के द्वारा डेल्टा का निर्माण करना है। गंगा के मुहाने एवं मन्नार की खाड़ी के अलावा बंगाल की खाड़ी के मग्न तट, अरब सागर की अपेक्षा सँकरे हैं (I.A.S.)। महाराष्ट्र एवं गुजरात तटों के अपेक्षा इनकी चौड़ाई अधिक पायी जाती है। ध्यातव्य है कि ‘ऐडम सेतु’ (Adam’s bridge), जोकि भारत एवं श्रीलंका को जोड़ता है, सागर तल से 4 मीटर गहराई पर है। इस तटीय मैदान को तीन लघु भूआकृतिक इकाईयों में विभक्त किया गया है। यथा-
1. उत्कल का (ओडिशा) मैदान
2. काकीनाडा (आंध्र) का मैदान
3. कोरोमण्डल (तमिलनाडु) का मैदान
• उत्कल का मैदान
यह लगभग 400 किमी. की लम्बाई में ओडिशा तट के सहारे स्थित है। इसका विस्तार गंगा के डेल्टा से कृष्णा के डेल्टा तक है। इसमें महानदी एवं कृष्णा नदियों के मध्य के मैदान को ‘उत्तरी सरकार’ (Northern Circars) तट की संज्ञा दी जाती है।* महानदी के मुहाने के पास डेल्टा जमाव के कारण मैदान की चौड़ाई बढ़कर 100 किमी. हो जाती है। इसके दक्षिण में देश की सबसे बड़ी खारे पानी (लैगून) की चिल्का झील 65 किमी. x 8 किमी.) स्थित है। गोपालपुर संज्ञक सागर पुलिन इसी तट पर स्थित है। इस मैदान की तट रेखा सीधी एवं सपाट है जिसके किनारे बालुका स्तूपों की बहुलता है। इसमें उन्मज्जन के संकेत मिलते हैं।
• काकीनाडा का मैदान
इसका विस्तार पुलिकट झील (आन्ध्र एवं तमिलनाडु की सीमा पर) एवं बेरहामपुर के मध्य पाया जाता है जिसके निर्माण में कृष्णा एवं गोदावरी के डेल्टा जमाओं का योगदान है। इन दोनों डेल्टा जमाओं के बीच अवस्थित कौलेरू (Kolleru) झील (आन्ध्र प्रदेश) पुरानी तट रेखा को प्रदर्शित करती है। इस तट पर विशाखापत्तनम का प्राकृतिक पत्तन डोल्फिन नामक चट्टान के पीछे सुरक्षित है। काकीनाडा एवं मुसलीपत्तनम इस तट के अन्य प्रमुख पत्तन हैं।
• कोरोमण्डल का मैदान
यह कुमारी अन्तरीप से पुलिकट झील व कृष्णा डेल्टा (फाल्स डी०बी० प्वाइंट) तक लगभग 675 किमी. की लंबाई और 100 किमी. की चौड़ाई में विस्तृत है। कावेरी नदी के मुहाने के समीप इसकी चौड़ाई बढ़कर 130 किमी. हो जाती है। पेन्नार, मालर एवं वैगेई आदि नदियों द्वारा एक विशाल उर्वर मैदान का निर्माण किया जाता है। मुख्य स्थल एवं मन्नार की खाड़ी और पाक जल संधि के मध्य कई लघु प्रवाल द्वीप स्थित हैं जो मछली पकड़ने के लिए उपयोगी हैं। चेन्नई, तूतीकोरिन व नागपत्तनम यहाँ के मुख्य पत्तन है।* चेन्नई का मरीना पुलिन तथा श्रीहरिकोटा द्वीप (आंध्र), जो कि सागर से पृथक पुलिकट झील में अवस्थित है, इस भाग की अन्य विशेषताएँ हैं। *
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FAQs
Q1. कोरी क्रीक तथा सरक्रीक कहाँ स्थित है?
Ans. कच्छ के रन में
Q2. कौन-सी भारतीय नदियाँ ज्वारनँदमुख का निर्माण करती हैं?
Ans. पश्चिमी तट की नर्मदा, ताप्ती, शरावती, मांडवी (गोवा), एवं पेरियार आदि
Q3. भारत का कौन-सा तटीय मैदान दोनों मानसूनों से वर्षा प्राप्त करता है?
Ans. पूर्वी तटीय मैदान
Q4. प्रशांत एवं अटलांटिक तटों के सादृश्य भारत के किन तटों की संज्ञा दी जाती है?
Ans. क्रमशः पूर्वी एवं पश्चिमी तट
Q5. भारत के किस तट के पत्तन प्राकृतिक पत्तन हैं और क्यों?
Ans. पश्चिमी तट के पत्तन क्यों कि इनका तटीय किनारा कटा-छंटा है।
Q6. प्रायद्वीपीय भारत के पश्चिमी एवं पूर्वी तटीय भाग किस ‘कटक’ द्वारा एक दूसरे से विभक्त होते हैं?
Ans. तमिलनाडु राज्य के नागर कोयल एवं कन्याकुमारी कटक द्वारा
Q7. दक्षिणी एशिया का एक मात्र सक्रिय ज्वालामुखी कौन-सा है?
Ans. बैरेन द्वीप
Q8. पश्च जल (Back water) क्या है?
Ans. यह नदियों के मुहाने पर बालू के जमाव से निर्मित एक प्रकार लैगून है, जिसे मालाबार तट (केरल) पर ‘कयाल’ की संज्ञा दी जाती है।
Q9. भारत के पश्चिमी एवं पूर्वी तटों का उद्भव कब और कैसे हुआ ?
Ans. आदिनूतन काल अर्थात् Eocene Period में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी क्षेत्रों के स्थलीय
Q10. उत्तरी सरकार तट किसे कहते हैं?
Ans. महानदी एवं कृष्णा नदी के बीच के भू-भाग का।
Q11. किस झील के मध्य में श्री हरिकोटा द्वीप अवस्थित है?
Ans. पुलीकट झील
Q12. केप कॉमोरिन (कुमारी अन्तरीप) संज्ञा किसे प्रदान किया गया है?
Ans. कन्याकुमारी को
Q13. दीघा नामक समुद्री पुलिन किस राज्य में स्थित है?
Ans. पश्चिमी बंगाल
Q14. रायल सीमा तट क्या है?
Ans. आंध्र प्रदेश के कर्नूल, कुड़प्पा अनंतपुर और चित्तूर जिलों का तटीय अनाधिकारिक भौगोलिक क्षेत्र को रायल सीमा तट कहते हैं।
Q15. काठियावाड तट कहाँ पर स्थित है?
Ans. भावनगर एवं द्वीव के मध्य तटीय भाग को कठियावाड़ तट कहते है।
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