ऊष्मीय प्रसार (Thermal Expansion)

सामान्यतः पदार्थ का ताप बढ़ाने पर पदार्थ का आयतन (Volume) बढ़ता है, क्योंकि ताप बढ़ाने पर पदार्थ के अणुओं (Molecules) के बीच की दूरी बढ़ जाती है। ठोस पदार्थों का ताप बढ़ाने पर ठोस पदार्थों के किन्हीं दो बिंदुओं के बीच की दूरी बढ़ जाने के कारण उनके किनारों की लंबाई (Length), पृष्ठों का क्षेत्रफल (Area of Surface) व कुल आयतन (Total Volume) भी बढ़ जाता है। ठोस पदार्थों के लिए इन प्रभावों को क्रमशः (i) रेखीय प्रसार (Linear Expansion), (ii) क्षेत्रीय प्रसार (Superficial Expansion) व (iii) आयतन प्रसार (Volume Expansion) कहते हैं।

• ठोस का रेखीय प्रसार गुणांक (Coefficient of Linear Expansion)

किसी पदार्थ की एकांक लंबाई की छड़ का ताप 1°C बढ़ाने पर होने वाली लंबाई में वृद्धि, उस पदार्थ के रेखीय प्रसार गुणांक (a) को व्यक्त करती है।

α = ∆L/ (L×∆r) = लंबाई में वृद्धि / प्रारंभिक लंबाई × ताप वृद्धि

→ इसका मात्रक प्रति डिग्री सेल्सियस (°C-1) होता है। रेखीय प्रसार गुणांक पदार्थ का विशेष गुण होता है।

• ठोस का क्षेत्रीय प्रसार गुणांक

(Coefficient of Superficial Expansion of a Solid) किसी वस्तु के इकाई क्षेत्रफल (Unit area) के पटल (lamina) का ताप 1°C बढ़ाने पर, क्षेत्रफल में होने वाली वृद्धि को क्षेत्रीय प्रसार गुणांक (B) कहते हैं।

β = ΔΑ/(A× ∆t) क्षेत्रफल में वृद्धि / प्रारंभिक क्षेत्रफल × ताप वृद्धि 

यह भी पदार्थ का विशेष गुण होता है जो प्रत्येक पदार्थ के लिए भिन्न होता है।

• ठोस का आयतन प्रसार गुणांक (Coefficient of Volume Expansion of a Solid)

इकाई आयतन (Unit Volume) के किसी पदार्थ का ताप 1°C बढ़ाने पर उसके आयतन में होने वाली वृद्धि को उस पदार्थ का आयतन प्रसार गुणांक (r) कहते हैं।

y = Δν / ν.Δt = आयतन में वृद्धि / प्रारंभिक आयतन × तापवृद्धि

आयतन प्रसार गुणांक भी प्रत्येक पदार्थ के लिए भिन्न-भिन्न होता है। उपर्युक्त सूत्र, ठोसों, द्रवों व गैसों सभी के लिए सत्य है।

• α, β, γ में संबंध (Relation among α, β, γ)

किसी पदार्थ के रेखीय प्रसार गुणांक (α), क्षेत्रीय प्रसार गुणांक (β) व आयतन प्रसार गुणांक (γ) में क्रमशः एक, दो व तीन का अनुपात होता है।*

α: β:γ = 1:2:3

➤ द्रवों का ऊष्मीय प्रसार (Thermal Expansion of Liquids)

द्रवों का ताप बढ़ाने, अर्थात् ऊष्मा (Heat) देने पर उनमें भी प्रसार होता है। परन्तु द्रव की कोई निश्चित आकृति (Shape) न होने के कारण ये जिस बर्तन में रखे जाते हैं उसी का आकार (Shape) ग्रहण कर लेते हैं। अतः इनका केवल आयतन प्रसार ही संभव है।*

➤ जल का असामान्य प्रसार (Abnormal Expansion of Water)

प्रायः गर्म किये जाने पर सभी द्रवों का आयतन बढ़ता है और घनत्व (Density) घटता है परन्तु 0 °C से 4 °C तक जल को गर्म करने पर इसका आयतन घटता है और घनत्व बढ़ता है। इसे ही जल का असामान्य प्रसार कहते हैं।*

यदि जल को उसके क्वथनांक (Boiling Point), 100 °C से ठण्डा किया जाय तो पाया जाता है कि 100 °C से 3.98 °C (लगभग 4 °C ) तक तो जल का आयतन, अन्य द्रवों की भाँति, घटता जाता है परन्तु 3.98 °C से O °C (जब जल ठोस बर्फ (ice) में बदल जाता है) तक जल का आयतन बढ़ता जाता है। * अर्थात् द्रवों का आयतन उनके हिमांक (freezing point) पर न्यूनतम होता है जबकि जल का आयतन उसके हिमांक (freezing point) 0°C से कुछ अधिक ताप (3.98 °C) पर न्यूनतम होता है। इसीलिए जल का घनत्व 3.98 °C पर अधिकतम (1 ग्राम/घन सेमी) होता है तथा इससे अधिक या कम तापों पर घटता जाता है। यही कारण है कि सभी ठोस अपने द्रव में डूबते हैं परन्तु बर्फ जल पर तैरती है। *

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मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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