टिल्लू जी स्कूल गए,
बस्ता घर पर भूल गए।
रस्ते भर थे डरे-डरे,
पहुँचे गेट पर अरे अरे।

छुट्टी का नोटिस चिपका,
देख खुशी से फूल गए।
दोनों बाँहें माँ के,
डाल गले में झूल गए।

यह भी पढ़ें: चींटा : पाठ -6
शब्दों का खेल
पढ़िए, समझिए और लिखिए

Ans.

मिलकर पढ़िए
नटखट दिवाकर
दिवाकर पाँच वर्ष का नटखट लड़का है। सारे दिन ठिठोली करता है और सबको हँसाता है।
उसे गणित सीखने की बहुत लगन है। उसकी बड़ी बहिन मीना उसे संख्याओं को जोड़ना सिखाती है और दिवाकर ध्यान से सीखता है।

दिवाकर कहता है, “एक और दो तीन!” मीना कहती है, “सपेरा बजाता बीन !” दिवाकर कहता है, “तीन और चार, सात!” मीना कहती है, “लाओ कलम दवात !”
दिवाकर दौड़कर कलम दवात ले आता है और मीना उसे संख्याओं के जोड़ लिखना सिखाती है।
1+2= 3 3+4=7

आज इतवार का दिन है। दादाजी ने आज कुल्फ़ी बनाने के लिए बहुत सारा दूध मँगाया था। दादी ने सवेरे 9 बजे कढ़ाई में दूध दूध उबालने के लिए रख दिया। दूध को कभी माँ और कभी चाचाजी थोड़ी-थोड़ी देर में चमचे से चलाते रहे।
10 बजे तक दूध गाढ़ा हो गया और माँ ने उसे ठंडा होने के लिए रख दिया। दिवाकर बड़ी उत्सुकता से सब देख रहा था।
11 बजे चाचाजी बाज़ार से बरफ़ ले आए और उसे कूटकर मटके में भर दिया। उसमें नमक भी मिला दिया। दादी और माँ ने गाढ़े दूध में चीनी, केसर तथा पिस्ते और बदाम काट कर डाले। फिर कुल्फ़ी के तिकोनों में दूध भरकर मटके में डाल दिए।

तब तक 1 बज गया था। दिवाकर ने दादाजी से पूछा, “दादाजी, कुल्फ़ी कब तक बनेगी?” दादाजी ने कहा, “बेटा, 5 बजे तक बनेगी।”
दिवाकर मीना के साथ खेलने चला गया। कुछ देर बाद दिवाकर ने दादाजी के पास जाकर पूछा, “दादाजी, क्या बजा है?” दादाजी ने अपने कमरे में लगे घंटे की ओर देखकर कहा, “बेटा, 2 बजे हैं।” दिवाकर बेचैनी से 5 बजने की प्रतीक्षा करता रहा।

कुछ समय बाद वह फिर दादाजी के पास गया और पूछा, “दादाजी, अब क्या बजा है?” दादाजी ने फिर घंटे की ओर देखा और बोले, “बेटा, 3 बजे हैं।”
दिवाकर ने भोलेपन से खुश होकर कहा, “दादाजी, 2 और 3, 5 होते हैं तो अब 5 बज गए। इसलिए कुल्फ़ी खा सकते हैं!”
दादाजी हँस पड़े। उन्हें दिवाकर की कुशाग्र बुद्धि पर बहुत आनंद आया।