UP DELED 1st Semester Sanskrit Question Paper 2025

UP DELED 1st Semester Sanskrit Question Paper 2025 आप यहां से प्राप्त कर सकते हैं। जिसका कोई भी शुल्क आपसे नही लिया जाएगा, आप आसानी से इसे हल कर सकेंगे । आइए विस्तार से सभी प्रश्नो को जानें –

प्रश्न-पुस्तिका
प्रथम सेमेस्टर-2025
सप्तम् प्रश्न-पत्र
(संस्कृत)

1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। प्रत्येक प्रश्न के निर्धारित अंक प्रश्न के सम्मुख दिये गये हैं।

2. इस प्रश्न-पत्र में तीन प्रकार के (वस्तुनिष्ठ, अतिलघु उत्तरीय तथा लघु उत्तरीय) प्रश्न हैं। वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के सही विकल्प छाँटकर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखें। अति लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर लगभग तीस (30) शब्दों में, लघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर लगभग पचास (50) शब्दों में लिखिए।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. ‘मासान्’ शब्द का हिन्दी में अर्थ लिखिए-

(1) महीना (2) मूंगफली
(3) उड़द (4) अरहर

Ans. (1) महीना

2. ‘मार्गशीर्षः’ शब्द किस महीने का बोधक है-

(1) क्वार (2) माघ
(3) अगहन (4) पूस

Ans. (3) अगहन

3. ‘मधु’ का सप्तमी विभक्ति बहुवचन लिखिए-

(1) मधुना (2) मधुने
(3) मधुनि (4) मधुषु

Ans. (4) मधुषु

4. ‘संस्कृत विश्व की प्राचीनतम भाषा है’ वाक्य में किस पद में सम्बन्ध कारक है-

(1) प्राचीनतम् (2) संस्कृत
(3) भाषा (4) विश्व

Ans. (4) विश्व

5. ‘गम्’ धातु लड्. लकार मध्यम पुरुष द्विवचन का रूप है-

(1) अगच्छतम् (2) अगच्छताम्
(3) अगच्छत (4) अगच्छत्

Ans. (1) अगच्छतम्

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

6. किन्हीं चार वस्त्रों के नाम संस्कृत में लिखिए।
Ans.
वस्त्राणि – वस्त्रम्, वासः, पटः, अम्बरम्।

7. नपुंसक लिंग शब्द किसका बोध कराते हैं? सोदाहरण लिखिए।
Ans.
जो शब्द न पुल्लिंग हों न स्त्रीलिंग, वे नपुंसकलिंग कहलाते हैं।
उदाहरण – फलम्, जलम्, पुष्पम्।

8. ‘बंदर दौड़ेंगे’ का संस्कृत में अनुवाद कीजिए।
Ans.
वानराः धाविष्यन्ति।

9. ‘उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मी’ सूक्ति का हिन्दी में अर्थ लिखिए।
Ans.
परिश्रमी और पुरुषार्थी व्यक्ति के पास ही लक्ष्मी आती है।

10. चौदह, उन्नीस एवं बीस संख्याओं को संस्कृत में लिखिए।
Ans.
चतुर्दश, एकोनविंशतिः, विंशतिः।

11. ‘मातृ’ शब्द के द्वितीया विभक्ति के तीनों वचनों के रूप लिखिए।
Ans.

  • एकवचन – मातरम्
  • द्विवचन – मातरौ
  • बहुवचन – मातॄन्

लघु उत्तरीय प्रश्न

12. संज्ञा के भेद सोदाहरण लिखिए।
Ans.
संज्ञा उस शब्द को कहते हैं जिससे किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, जाति या भाव का बोध हो। संस्कृत में संज्ञा के प्रमुख तीन भेद माने जाते हैं—

  1. व्यक्तिवाचक संज्ञा – जिससे किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु का बोध हो।
    उदाहरण: रामः, सीता, अयोध्या।
  2. जातिवाचक संज्ञा – जिससे किसी जाति या वर्ग के सभी व्यक्तियों का बोध हो।
    उदाहरण: बालकः, गजः, वृक्षः।
  3. भाववाचक संज्ञा – जिससे गुण, भाव या अवस्था का बोध हो।
    उदाहरण: ज्ञानम्, सुखम्, दुःखम्।

13. प्राथमिक स्तरीय संस्कृत शिक्षण में आदर्शवाचन की विशेषताएं बताइए।
Ans.
प्राथमिक स्तर पर संस्कृत शिक्षण में आदर्शवाचन का विशेष महत्त्व होता है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं—

  1. उच्चारण शुद्ध, स्पष्ट एवं संस्कारयुक्त होना चाहिए।
  2. वाचन की गति संतुलित होनी चाहिए, न बहुत तेज़ न बहुत धीमी।
  3. वाचन में स्वर, लय एवं विराम का उचित प्रयोग होना चाहिए।
  4. पाठ के भाव के अनुसार वाचन किया जाना चाहिए।
  5. वाचन ऐसा हो कि छात्र उसे सुनकर सही अनुकरण कर सकें।

इन विशेषताओं से छात्रों में संस्कृत भाषा के प्रति रुचि एवं समझ विकसित होती है।

14. संस्कृत-शिक्षण की प्रमुख विधियों का उल्लेख कीजिए।
Ans.
संस्कृत-शिक्षण को सरल, रोचक और प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न शिक्षण विधियों का प्रयोग किया जाता है। प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित हैं—

  1. व्याकरण-अनुवाद विधि – इसमें व्याकरण नियमों के माध्यम से संस्कृत का हिन्दी में अनुवाद कराया जाता है।
  2. प्रत्यक्ष विधि – इस विधि में संस्कृत का शिक्षण संस्कृत भाषा में ही किया जाता है।
  3. प्रश्नोत्तर विधि – प्रश्न पूछकर छात्रों की सहभागिता बढ़ाई जाती है।
  4. संवाद विधि – छात्र-शिक्षक के बीच सरल संस्कृत संवाद कराया जाता है।
  5. श्रव्य-दृश्य विधि – चित्र, चार्ट, ऑडियो-वीडियो आदि की सहायता से शिक्षण किया जाता है।

इन विधियों के प्रयोग से संस्कृत शिक्षण प्रभावशाली एवं रुचिकर बनता है।

15. ग्यारह से बीस तक के संख्यावाचक शब्दों को संस्कृत में लिखिए।
Ans.

11 – एकादश
12 – द्वादश
13 – त्रयोदश
14 – चतुर्दश
15 – पञ्चदश
16 – षोडश
17 – सप्तदश
18 – अष्टादश
19 – एकोनविंशतिः
20 – विंशतिः

16. प्रथमे नार्जिता विद्या, द्वितीये नार्जितं धनम्।
     तृतीये नार्जितं पुण्यं, चतुर्थे किं करिष्यसि ।।
उपर्युक्त श्लोक का हिन्दी में अर्थ लिखिए।
Ans.
इस श्लोक का अर्थ है—
जीवन के प्रथम चरण में विद्या अर्जित करनी चाहिए, दूसरे चरण में धन कमाना चाहिए, तीसरे चरण में पुण्य अर्जित करना चाहिए। यदि इन तीनों को समय पर प्राप्त नहीं किया, तो चौथे चरण (बुढ़ापे) में मनुष्य क्या करेगा?

भावार्थ:
मनुष्य को जीवन के आरम्भिक काल में शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए, क्योंकि वही आगे के जीवन का आधार होती है।

17. संस्कृत शिक्षण में उपयोगी शिक्षण अधिगम सामग्री का वर्णन कीजिए।
Ans.
संस्कृत शिक्षण को सरल, रुचिकर एवं प्रभावी बनाने में शिक्षण-अधिगम सामग्री का विशेष महत्त्व है। इसके माध्यम से छात्र भाषा को शीघ्र समझते हैं। प्रमुख सामग्री इस प्रकार है—

  1. चित्र एवं चार्ट – शब्दार्थ एवं वाक्य-रचना समझाने में सहायक।
  2. शब्द-कार्ड एवं फ्लैश-कार्ड – शब्द भंडार बढ़ाने में उपयोगी।
  3. श्यामपट्ट (ब्लैकबोर्ड) – लेखन, रूप एवं अभ्यास के लिए आवश्यक।
  4. ऑडियो-वीडियो सामग्री – शुद्ध उच्चारण एवं श्रवण कौशल के विकास हेतु।
  5. पाठ्य-पुस्तक एवं सहायक पुस्तकें – विषयवस्तु के व्यवस्थित अध्ययन के लिए।

इन सामग्रियों के प्रयोग से संस्कृत शिक्षण प्रभावी तथा छात्रों के लिए रुचिकर बनता है।

18. अघोलिखित वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए।

(1) गुरु को नमस्कार है।
Ans.
गुरवे नमः।

(2) हम सब पढ़ते हैं।
Ans.
वयं सर्वे पठामः।

(3) मैं प्रतिदिन विद्यालय जाता हूँ।
Ans.
अहं प्रतिदिनं विद्यालयं गच्छामि।

(4) राम ने पत्र लिखा था।
Ans.
रामः पत्रं अलिखत्।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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