पिछली कक्षाओं में हमने उन खाद्य पदार्थों की सूची बनाई थी, जिन्हें हम खाते हैं। भारत के विभिन्न भागों में खाए जाने वाले भिन्न-भिन्न व्यंजनों के बारे में भी हमने बताया था तथा इन्हें मानचित्र में अंकित किया था।
एक प्रकार के भोजन में चपाती, दाल और बैंगन का भरता हो सकता है तो दूसरे में चावल, सांबर तथा भिंडी हो सकती है। इसके अतिरिक्त अन्य भोजन में अप्पम, मछली तथा सब्जियाँ हो सकती हैं।
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क्रियाकलाप 1
आमतौर पर हमारे आहार में अन्न से बना कम से कम एक व्यंजन होता है। दूसरे खाद्य पदार्थों में दाल या मांस का कोई व्यंजन तथा सब्जी हो सकती है। इसमें दही, मट्ठा तथा अचार भी शामिल हो सकते हैं। इस तरह के आहार के कुछ उदाहरण सारणी 1.1 में दिए गए हैं। इस सूची में कुछ अन्य व्यंजन जोड़िए तथा इस सारणी को पूरा कीजिए।
कभी-कभी हम अपने भोजन में वस्तुतः इन सभी व्यंजनों को नहीं ले पाते। यदि हम यात्रा में हों तब हम वही खा लेते हैं जो रास्ते में उपलब्ध हो। हममें से कुछ लोगों के लिए यह संभव नहीं हो पाता है कि इस तरह के विविध व्यंजन हर समय खा सकें।
आहार में विभिन्न खाद्य पदार्थों के इस तरह के वितरण का कोई न कोई आधार होना चाहिए। क्या हमारे शरीर को विशेष प्रयोजन के लिए विभिन्न प्रकार के भोजन की आवश्यकता होती है?
1.1 विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों में क्या होता है?
हम जानते हैं कि प्रत्येक व्यंजन एक या एक से अधिक प्रकार की कच्ची सामग्री से बना होता है, जो हमें पादपों या जंतुओं से मिलते हैं। इस कच्ची सामग्री के संघटक क्या हैं? इस कच्ची सामग्री में हमारे शरीर के लिए कुछ आवश्यक घटक होते हैं। इन घटकों को हम पोषक कहते हैं। हमारे भोजन में मुख्य पोषक – कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन तथा खनिज लवण हैं। इसके अतिरिक्त हमारे भोजन में रुक्षांश तथा जल भी शामिल हैं, जिनकी हमारे शरीर को आवश्यकता है।
सारणी 1.1: विभिन्न क्षेत्रों/राज्यों के कुछ सामान्य भोजन
क्षेत्र/राज्य | अन्न का व्यंजन | दाल/मांस का व्यंजन | सब्जियाँ | अन्य व्यंजन |
पंजाब | मक्के की रोटी | राजमा | सरसों का साग | दही, घी |
आंध्रप्रदेश | चावल | अरहर की दाल तथा रसम (चारू) | कुंदरू | मट्ठा, घी, अचार |
क्या सभी खाद्य पदार्थों में ये सभी पोषक उपलब्ध होते हैं? कुछ साधारण विधियों से हम यह जान सकते हैं कि कच्ची सामग्री या पके हुए भोजन में कौन-सा एक या अधिक पोषक उपस्थित है। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के परीक्षण, अन्य पोषकों के परीक्षणों की अपेक्षा सरल हैं। आइए, हम इन परीक्षणों को करके प्रेक्षणों को सारणी 1.2 में लिखें।
इन परीक्षणों को करने के लिए आपको आयोडीन, कॉपर सल्फेट तथा कॉस्टिक सोडा विलयनों की आवश्यकता होगी। आपको कुछ परखनलियों तथा एक ड्रॉपर की भी आवश्यकता होगी।
इन परीक्षणों को पके हुए भोजन तथा कच्ची सामग्री पर करें। इन परीक्षणों से प्राप्त प्रेक्षणों को सारणी 1.2 में दर्शाए गए तरीके से लिख सकते हैं। इस सारणी में कुछ खाद्य पदार्थ दर्शाए गए हैं। अपना परीक्षण इन पर या अन्य किसी उपलब्ध खाद्य पदार्थ पर कर सकते हैं। इन परीक्षणों को सावधानी से कीजिए और किसी भी रसायन को खाने या चखने का प्रयास मत कीजिए।
यदि आवश्यक विलयन तत्काल उपलब्ध नहीं हैं तो आपके अध्यापक निम्न विधि से उन्हें तैयार करा सकते हैं।
आइए, विभिन्न खाद्य पदार्थों की जाँच करके देखें कि किसमें कार्बोहाइड्रेट उपस्थित हैं। कार्बोहाइड्रेट कई प्रकार के होते हैं। हमारे भोजन में पाए जाने वाले मुख्य कार्बोहाइड्रेट, मंड तथा शर्करा के रूप में होते हैं। यदि किसी खाद्य पदार्थ में मंड है तो हम इसका आसानी से परीक्षण कर सकते हैं।
आयोडीन का तनु विलयन बनाने के लिए जल से आधी भरी परखनली में कुछ बूँदें टिंचर आयोडीन की मिला दीजिए। |
कॉपर सल्फेट विलयन, 100 मिलीलीटर जल में 2 ग्राम कॉपर सल्फेट घोलने से बन जाता है। |
100 मिलीलीटर जल में 10 ग्राम कॉस्टिक सोडा घोलने से हमें अभीष्ठ कॉस्टिक सोडा विलयन मिल जाएगा। |
क्रियाकलाप 2
मंड के लिए परीक्षण
परीक्षण के लिए खाद्य या कच्ची सामग्री की अल्प मात्रा लीजिए। इसमें तनु आयोडीन विलयन की 2 या 3 बूँदें डालिए (चित्र1.1)। खाद्य पदार्थ के रंग में होने वाले परिवर्तन को देखिए। क्या यह नीला या काला हो गया है? यह नीला या काला रंग, मंड की उपस्थिति दर्शाता है।
इस परीक्षण को किसी अन्य खाद्य पदार्थ के साथ दोहराइए और जाँच कीजिए कि किसमें मंड है। अपने प्रेक्षणों को सारणी 1.2 में लिखिए।
प्रोटीन के लिए परीक्षण
प्रोटीन के परीक्षण के लिए किसी खाद्य पदार्थ की थोड़ी मात्रा लीजिए। जिस खाद्य पदार्थ का परीक्षण करना है, यदि वह ठोस है तो पहले उसका पेस्ट अथवा चूर्ण बनाने की आवश्यकता होती है। खाद्य पदार्थ की थोड़ी मात्रा को पीसकर या मसलकर उसके चूर्ण को एक साफ परखनली में डाल दें और दस बूँद जल डालकर उसे अच्छी तरह हिलाएँ।
अब ड्रॉपर की सहायता से परखनली में दो बूँद कॉपर सल्फेट का विलयन तथा दस बूँद कास्टिक सोडा का विलयन डालिए (चित्र1.2)। अच्छी तरह हिलाकर कुछ मिनट के लिए परखनली को रख दीजिए। आपने क्या देखा? क्या परखनली का पदार्थ बैंगनी रंग का हो गया? बैंगनी रंग खाद्य पदार्थ में प्रोटीन की उपस्थिति दर्शाता है।
अब, आप इस परीक्षण को किसी दूसरे खाद्य पदार्थ के साथ दोहरा सकते हैं।
वसा के लिए परीक्षण
खाद्य पदार्थ की अल्प मात्रा लीजिए। इसे एक कागज़ के टुकड़े में लपेटकर कूटिए। ध्यान रखें,
सारिणी 1.2 : खाद्य पदार्थों में उपस्थित पोषक
खाद्य पदार्थ | मंड (उपस्थित) | प्रोटीन (उपस्थित) | वसा (उपस्थित) |
कच्चा आलू | ✓ | ✓ | × |
दूध | × | ✓ | ✓ |
मूँगफली | ✓ | ✓ | ✓ |
बिना पका चावल (चूर्ण) | ✓ | ✓ | × |
पका हुआ चावल | × | ✓ | × |
सूखा नारियल नारिद | ✓ | ✓ | ✓ |
बिना पकी अरहर की दाल (चूर्ण) | ✓ | ✓ | × |
पकी हुई दाल | × | ✓ | ✓ |
किसी सब्जी का एक टुकड़ा | × | ✓ | × |
किसी फल का एक टुकड़ा | × | × | × |
उबला अंडा (सफ़ेद भाग) | × | ✓ | ✓ |
कागज़ फट न जाए। अब कागज़ को सीधा कीजिए और ध्यानपूर्वक देखिए। क्या इस पर तेल के धब्बे हैं? कागज़ को किसी प्रकाश के सामने लाएँ। क्या आपको इस धब्बे से होकर आने वाला धुँधला प्रकाश दिखाई देता है?
कागज पर तेल का धब्बा खाद्य पदार्थ में वसा की उपस्थिति दर्शाता है। खाद्य पदार्थ में कभी-कभी जल की भी कुछ मात्रा हो सकती है। इस दशा में, इन पदार्थों को कागज़ पर धीरे-धीरे रगड़िए और कुछ समय के लिए कागज़ को सुखा दीजिए ताकि यदि खाद्य पदार्थ से कुछ जल आया हो तो वह सूख जाए। इसके बाद यदि कागज़ पर तेल का कोई धब्बा न रहे तो, यह पता चलता है कि खाद्य पदार्थ में वसा उपस्थित नहीं है।
ये परीक्षण क्या दर्शाते हैं? क्या वसा, प्रोटीन तथा मंड उन सभी खाद्य पदार्थों में उपस्थित है जिनका आपने परीक्षण किया है? क्या एक खाद्य पदार्थ में एक से अधिक पोषक तत्त्व उपस्थित होते हैं? क्या आपने कोई ऐसा खाद्य पदार्थ पाया जिसमें इनमें से कोई भी पोषक तत्त्व उपस्थित न हो ?
हमने तीन पोषकों कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के लिए खाद्य पदार्थों का परीक्षण किया था। विटामिन तथा खनिज लवण जैसे अन्य पोषक भी हमारे विभिन्न खाद्य पदार्थों में उपस्थित रहते हैं। इन सभी पोषकों की हमें क्यों आवश्यकता होती है?
1.2 विभिन्न पोषक हमारे शरीर के लिए क्या करते हैं?
कार्बोहाइड्रेट मुख्य रूप से हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। वसा से भी ऊर्जा मिलती है। वास्तविकता यह है कि कार्बोहाइड्रेट की तुलना में वसा की समान मात्रा से हमें अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है। वसा और कार्बोहाइड्रेटयुक्त भोजन को ‘ऊर्जा देने वाला भोजन’ भी कहते हैं (चित्र1.3 तथा चित्र1.4)।
प्रोटीन की आवश्यकता शरीर की वृद्धि तथा स्वस्थ रहने के लिए होती है। प्रोटीनयुक्त भोजन को प्रायः ‘शरीर वर्धक भोजन’ कहते हैं।
विटामिन रोगों से हमारे शरीर की रक्षा करते हैं। विटामिन हमारी आँख, अस्थियों, दाँत और मसूढ़ों को स्वस्थ रखने में भी सहायता करते हैं। विटामिन कई प्रकार के होते हैं, जिन्हें अलग- अलग नामों से जाना जाता है। इनमें से कुछ को विटामिन A, विटामिन B. विटामिन C, विटामिन D. विटामिन E तथा विटामिन K के नाम से जाना जाता है।
विटामिनों के एक समूह को विटामिन B-कॉम्प्लैक्स कहते हैं। हमारे शरीर को सभी प्रकार के विटामिनों की अल्प मात्रा में आवश्यकता होती है। विटामिन A हमारी त्वचा तथा आँखों को स्वस्थ रखता है। विटामिन C बहुत-से रोगों से लड़ने में हमारी मदद करता है। विटामिन D हमारी अस्थियों और दाँतों के लिए कैल्सियम का उपयोग करने में हमारे शरीर की सहायता करता है। विभिन्न विटामिनों से भरपूर भोजन,चित्र1.6 से चित्र 1.9 में दिखाए गए हैं।
हमारे शरीर को खनिज लवणों की आवश्यकता अल्प मात्रा में होती है। शरीर के उचित विकास तथा अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रत्येक खनिज लवण आवश्यक हैं। विभिन्न खनिज लवणों के कुछ स्रोत चित्र1.10 में दर्शाया गया है।
खनिज लवण | स्रोत |
आयोडीन | दही, ब्राउन राइस, सी फूड, लहसुन, अदरक |
फॉस्फोरस | आमला, संतरा, दूध, केला |
लोह | अंकुरित दलहन, सेब, मेवे, गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां |
कैल्सियम | दूध, सोयाबीन, सिंघाडा, मूंगफ़ली, अंडा |
अधिकांश खाद्य पदार्थों में एक से अधिक पोषक होते हैं। आपने भी सारणी 1.2 में प्रेक्षणों को लिखते समय इस बात को अवश्य देखा होगा। फिर भी किसी कच्ची सामग्री में एक निश्चित पोषक की मात्रा दूसरे पोषकों की मात्रा से अधिक हो सकती है। उदाहरणतः चावल में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा दूसरे पोषकों से अधिक होती है। इस आधार पर हम यह कह सकते हैं कि चावल कार्बोहाइड्रेट समृद्ध भोजन है।
इन पोषकों के अलावा हमारे शरीर को आहारी रेशों तथा जल की भी आवश्यकता होती है। आहारी रेशे रुक्षांश के नाम से भी जाने जाते हैं। हमारे खाने में रुक्षांश की पूर्ति मुख्यतः पादप उत्पादों से होती है। रुक्षांश के मुख्य स्रोत साबुत खाद्यान्न, दाल, आलू, ताजे फल और सब्जियाँ हैं। रुक्षांश हमारे शरीर को कोई पोषक प्रदान नहीं करते हैं, फिर भी यह हमारे भोजन का आवश्यक अवयव है और इसका आयतन बढ़ा देते हैं। रुक्षांश बिना पचे भोजन को बाहर निकालने में हमारे शरीर की सहायता करता है।
जल भोजन में उपस्थित पोषकों को अवशोषित करने में हमारे शरीर की सहायता करता है। यह कुछ अपशिष्ट पदार्थों, जैसे कि मूत्र तथा पसीने को शरीर से बाहर निकालने में सहायता करता है। सामान्यतः हमारे शरीर को जितने जल की आवश्यकता होती है, वह हमें उन वस्तुओं से प्राप्त होता है जिन्हें हम द्रव रूप में लेते हैं, जैसे कि जल, दूध और चाय आदि। इसके अतिरिक्त हम जो भी भोजन पकाते हैं उसमें भी पानी का प्रयोग किया जाता है। आइए देखें कि क्या कोई अन्य स्रोत हमारे शरीर को जल प्रदान करता है?
क्रियाकलाप 3
एक टमाटर अथवा नींबू जैसा कोई फल लें। इसे छोटे-छोटे हिस्सों में काट लें। क्या ऐसा करते समय आपके हाथ गीले होते हैं?
जब भी आपके घर में किसी फल या सब्जी को काटा, छीला या मसला जाता है तब ध्यानपूर्वक उसका निरीक्षण करें। क्या ऐसा करते समय आपको किसी ऐसे ताजे फल या सब्जी के बारे में पता चलता है जिसमें पानी की मात्रा नहीं होती?
हम देखते हैं कि कई खाद्य पदार्थों में जल होता है। कुछ सीमा तक हमारे शरीर के लिए आवश्यक जल की पूर्ति इसी जल से हो जाती है। इसके अतिरिक्त कई खाद्य पदार्थों को पकाते समय हम उसमें जल डालते हैं।
1.3 संतुलित आहार
सामान्यतः पूरे दिन में जो कुछ भी हम खाते हैं, उसे आहार कहते हैं। हमारे शरीर की वृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए हमारे आहार में वे सभी पोषक तत्व उचित मात्रा में होने चाहिए जिनकी हमारे शरीर को आवश्यकता है। कोई भी पोषक तत्व न आवश्यकता से अधिक हो और न ही कम। हमारे आहार में पर्याप्त मात्रा में रुक्षांश तथा जल भी होना चाहिए। इस प्रकार के आहार को संतुलित आहार कहते हैं।
क्या आप सोचते हैं कि प्रत्येक आयु वर्ग के लोगों को एक ही प्रकार के आहार की आवश्यकता होती है? क्या आप यह भी सोचते हैं कि हमारा संतुलित आहार हमारे शारीरिक कार्य पर निर्भर करता है?
एक सप्ताह की अवधि में आप जो भी खाते हैं, उसका एक चार्ट तैयार कीजिए। जाँच कीजिए कि प्रतिदिन जो भोजन आप करते हैं क्या उसमें सभी पोषक तत्त्व उपस्थित हैं?
दालें, मूँगफली, सोयाबीन, अंकुरित बीज (मूँग व चना), किण्वित भोजन (दक्षिण भारतीय भोजन जैसे, इडली), आटे का मिश्रण (मिस्सी रोटी, थेपला-अनाज व दालों से बना) केला, पालक, सत्तू, गुड़, उपलब्ध सब्जियाँ तथा इसी प्रकार के अन्य भोजन, कई पोषक उपलब्ध कराते हैं। इसलिए कोई व्यक्ति अल्प व्यय में भी संतुलित आहार खा सकता है।
उचित प्रकार का भोजन करना ही पर्याप्त नहीं है। इसे उचित तरीके से पकाना भी चाहिए ताकि इसके पोषक तत्त्व नष्ट न हों। क्या आप जानते हैं कि पकाते समय कुछ पोषक नष्ट हो जाते हैं?
छिलका उतार कर यदि सब्जियों और फलों को धोया जाता है तो यह संभव है कि उनके कुछ विटामिन नष्ट हो जाएँ। सब्जियों और फलों की त्वचा में कई महत्वपूर्ण विटामिन तथा खनिज लवण होते हैं। चावल और दालों को बार-बार धोने से उनमें उपस्थित विटामिन और कुछ खनिज-लवण अलग हो सकते हैं।
हम सभी जानते हैं कि पकाने से भोजन का स्वाद बढ़ता है तथा इसे पचाने में आसानी होती है। इसके साथ-साथ पकाने में कुछ पोषक तत्त्वों की हानि भी हो सकती है। यदि भोजन पकाने में अत्यधिक जल का उपयोग किया जाता है और बाद में उसे फेंक दिया जाता है तो कई लाभदायक प्रोटीन तथा खनिज-लवणों की हानि हो जाती है।
पकाने में विटामिन C आसानी से गर्मी से नष्ट हो जाता है। क्या यह उचित नहीं होगा कि हम अपने आहार में फल और कच्ची सब्जियों को सम्मिलित करें?
बूझो ने सोचा कि हर समय वसायुक्त खाना ही सर्वोतम भोजन है। एक कटोरी कार्बोहाइड्रेटयुक्त भोजन की अपेक्षा एक कटोरी वसायुक्त भोजन अधिक ऊर्जा देगा। क्या ऐसा नहीं होता? अतः उसने तली हुई चीजें समोसा, पूरी, मलाई, रबड़ी, पेड़ा आदि प्रचुर वसायुक्त भोजन ही खाया और इसके अलावा कुछ नहीं खाया।
क्या आप सोचते हैं कि वह ठीक था? निःसंदेह, नहीं। इतना अधिक वसायुक्त भोजन खाना हमारे लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। हमारे भोजन में वसा की मात्रा अत्यधिक मोटापे का कारण बनती है।
1.4 अभावजन्य रोग
एक व्यक्ति खाने के लिए पर्याप्त भोजन पा रहा है, लेकिन कभी-कभी उसके भोजन में किसी विशेष पोषक की कमी हो जाती है। यदि यह कमी लंबी अवधि तक रहती है तो वह व्यक्ति उसके अभाव से ग्रसित हो सकता है। एक या अधिक पोषक तत्त्वों का अभाव हमारे शरीर में रोग अथवा विकृतियाँ उत्पन्न कर सकता है। वे रोग जो लंबी अवधि तक पोषकों के अभाव के कारण होते हैं, उन्हें अभावजन्य रोग कहते हैं।
यदि कोई व्यक्ति अपने भोजन में पर्याप्त प्रोटीन नहीं ले रहा है तो उसे कुछ रोग हो सकते हैं जैसे वृद्धि का अवरुद्ध होना, चेहरे पर सूजन, बालों के रंग का उड़ना, त्वचा की बीमारियाँ और पेचिश आदि।
यदि प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट दोनों ही किसी व्यक्ति के आहार से एक लंबे समय तक अनुपस्थित रहें तो उसकी वृद्धि पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाएगी। ऐसा व्यक्ति बहुत दुबला-पतला हो जाएगा। वह इतना दुर्बल हो जाएगा कि चलने में भी असमर्थ होगा।
विभिन्न विटामिनों और खनिज लवणों के अभाव से विभिन्न रोग अथवा विकृतियाँ हो सकती हैं। इनमें से कुछ सारणी 1.3 में दर्शाए गए हैं।
सभी अभावजन्य रोगों की रोकथाम संतुलित आहार लेने से की जा सकती है।
इस अध्याय में हमने स्वयं से यह जानने की कोशिश की कि विभिन्न क्षेत्रों के भोजन में इतनी अधिक विविधता होते हुए भी आहार में पोषक तत्त्वों का वितरण सामान्य है। यह वितरण हमारे भोजन में आवश्यक पोषक तत्त्वों की उपस्थिति सुनिश्चित करता है।
सारणी 1.3 : विटामिन और खनिज लवणों के अभाव के कारण होने वाले कुछ रोग/विकार
विटामिन/खनिज | अभावजन्य रोग/विकार | लक्षण |
विटामिन A | क्षीणता दृष्टिहीनता | कमज़ोर दृष्टि, अंधेरे (रात) में कम दिखाई देना, कभी-कभी पूरी तरह से दिखाई देना बंद हो जाना |
विटामिन B1 | बेरी-बेरी | दुर्बल पेशियाँ और काम करने की ऊर्जा में कमी |
विटामिन C | स्कर्वी | मसूढ़ों से खून निकलना, घाव भरने में अधिक समय का लगना |
विटामिन D | रिकेट्स | अस्थियों का मुलायम होकर मुड़ जाना |
कैल्सियम | अस्थियाँ और दंतक्षय | कमज़ोर अस्थियाँ, दंतक्षय |
आयोडीन | घेंघा (गॉयटर) | गर्दन की ग्रंथि का फूल जाना, बच्चों में मानसिक विकलांगता |
लोह | अरक्तता | कमज़ोरी |
सारांश
• हमारे भोजन के मुख्य पोषक तत्त्वों के नाम कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन तथा खनिज लवण हैं। इनके अतिरिक्त भोजन में आहारी रेशे तथा जल भी होता है।
• कार्बोहाइड्रेट तथा वसा हमारे शरीर को मुख्य रूप से ऊर्जा प्रदान करते हैं।
• प्रोटीन तथा खनिज-लवण की आवश्यकता हमारे शरीर की वृद्धि तथा अनुरक्षण के लिए होती है।
• विटामिन हमारे शरीर को रोगों से रक्षा करने में सहायता करते हैं।
• संतुलित आहार में हमारे शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्त्वों तथा पर्याप्त रुक्षांश और जल उचित मात्रा में उपस्थित रहते हैं।
• हमारे आहार में लंबी अवधि तक एक अथवा अधिक पोषक तत्वों की न्यूनता से विशिष्ट रोग अथवा विकार उत्पन्न हो सकते हैं।
अभ्यास
1. हमारे भोजन के मुख्य पोषक तत्त्वों के नाम लिखिए।
Ans. हमारे भोजन के मुख्य पोषक तत्त्वों के नाम कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन तथा खनिज लवण हैं।
2. निम्नलिखित के नाम लिखिए :
(क) पोषक जो मुख्य रूप से हमारे शरीर को ऊर्जा देते हैं।
Ans. कार्बोहाइड्रेट तथा वसा
(ख) पोषक जो हमारे शरीर की वृद्धि और अनुरक्षण के लिए आवश्यक हैं।
Ans. प्रोटीन तथा खनिज-लवण
(ग) वह विटामिन जो हमारी अच्छी दृष्टि के लिए आवश्यक है।
Ans. विटामिन A
(घ) वह खनिज जो अस्थियों के लिए आवश्यक है।
Ans. दूध और अंडा
3. दो ऐसे खाद्य पदार्थों के नाम लिखिए जिनमें निम्न पोषक प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं:
(क) वसा- घी और अंडा
(ख) मंड- कच्चा आलू और मूँगफली
(ग) आहारी रेशे- ताजी सब्जियाँ व फल
(घ) प्रोटीन- दूध और पनीर
4. इनमें सही कथन को (√) अंकित कीजिए :
(क) केवल चावल खाने से हम अपने शरीर की पोषण आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। (×)
(ख) संतुलित आहार खाकर अभावजन्य रोगों की रोकथाम की जा सकती है। (✓)
(ग) शरीर के लिए संतुलित आहार में नाना प्रकार के खाद्य पदार्थ होने चाहिए। (✓)
(घ) शरीर को सभी पोषक तत्त्व उपलब्ध कराने के लिए केवल मांस पर्याप्त है। (×)
5. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
(क) रिकेट्स विटामिन D के अभाव से होता है।
(ख) विटामिन B1 की कमी से बेरी-बेरी नामक रोग होता है।
(ग) विटामिन C के अभाव से स्कर्वी नामक रोग होता है।
(घ) हमारे भोजन में विटामिन A के अभाव से रतौंधी होती है।
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निष्कर्ष
हम आशा करते हैं कि आपको यह पोस्ट भोजन के घटक जरुर अच्छी लगी होगी। भोजन के घटक के बारें में काफी अच्छी तरह से सरल भाषा में समझाया गया है। अगर इस पोस्ट से सम्बंधित आपके पास कुछ सुझाव या सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताये। धन्यवाद!
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