पौधों को जानिए : अध्याय 4

बाहर निकलकर अपने चारों ओर के पौधों का प्रेक्षण कीजिए। क्या आप देखते हैं कि कुछ पौधे छोटे हैं और कुछ विशालकाय, जबकि कुछ धरती पर हरे धब्बों की तरह दिखाई देते हैं? कुछ पौधों की पत्तियाँ हरी होती हैं जबकि कुछ की पत्तियाँ लालिमायुक्त होती हैं। कुछ पौधों के फूल बड़े एवं लाल हैं, कुछ नीले तथा कुछ पौधों में पुष्प ही नहीं होते। आपने अपने घर के आस-पास, विद्यालय के रास्ते में, बाग-बगीचे एवं विद्यालय प्रांगण में अनेक हरे पौधे देखे होंगे।

आइए, हम पौधे के विभिन्न भागों के विषय में जानें इससे हमें विभिन्न प्रकार के पौधों के बीच अंतर समझने में सहायता मिलेगी। क्या आप चित्र 4.1 में पौधे के तने, शाखाओं, जड़, पत्तियों इत्यादि को नामांकित कर सकते हैं? इन भागों में रंग भरिए।

आइए, प्रकृति की सैर करें और पौधों से मित्रता कर उनके विषय में अधिक जानकारी प्राप्त करें (चित्र 4.2)।

4.1 शाक, झाड़ी एवं वृक्ष

क्रियाकलाप 1

उन पौधों के तने एवं शाखाओं को ध्यानपूर्वक देखिए :

• जो आपसे कम लंबे हैं।
• जिनकी लंबाई लगभग आपके बराबर है तथा
• जो आपसे बहुत अधिक लंबे हैं।

तने को स्पर्श कीजिए तथा यह जानने के लिए कि तना कोमल है अथवा कठोर, इसे धीरे से एक ओर मोड़ने का प्रयास कीजिए। ध्यान रखें कि वह टूटे नहीं। लंबे पौधों के तने की मोटाई मापने का प्रयास करें।

सुझाव : पौधों को कम से कम क्षति पहुँचे इसलिए आप 4-5 विद्यार्थियों के समूह में कार्य कर सकते हैं।

कोमल तने वाले पौधों के अध्ययन के लिए खरपतवार का प्रयोग करें। क्या आप जानते हैं कि खरपतवार क्या हैं? खेतों में, बगीचे एवं गमलों में कुछ अनचाहे पौधे स्वतः ही उग आते हैं। क्या आपने किसानों को इन खरपतवारों को खेतों से उखाड़ते हुए देखा है?

इन लक्षणों के आधार पर हम अधिकांश पौधों को 3 संवर्गों में वर्गीकृत कर सकते हैं। ये वर्ग हैं : शाक, झाड़ी एवं वृक्ष। इन्हें चित्र 4.3 में दर्शाया गया है।

हरे एवं कोमल तने वाले पौधे शाक कहलाते हैं। ये सामान्यतः छोटे होते हैं [चित्र 4.3 (a)] और अक्सर इनमें कई शाखाएँ नहीं होतीं।

कुछ पौधों में शाखाएँ तने के आधार के समीप से निकलती हैं। तना कठोर होता है परंतु अधिक मोटा नहीं होता। इन्हें झाड़ी कहते हैं [चित्र 4.3 (b)]।

कुछ पौधे बहुत ऊँचे होते हैं तथा इनके तने सुदृढ़ एवं गहरे होते हैं। इनमें शाखाएँ भूमि से अधिक ऊँचाई पर तने के ऊपरी भाग से निकलती हैं। इन्हें वृक्ष कहते हैं [चित्र 4.3 (c)]।

कमजोर तने वाले पौधे सीधे खड़े नहीं हो सकते और ये भूमि पर फैल जाते हैं। इन्हें विसर्पी लता (चित्र 4.4) कहते हैं।

जब कि कुछ पौधे सहायता से ऊपर चढ़ जाते हैं। ऐसे पौधे आरोही (चित्र 4.5) कहलाते हैं। ये शाक, झाड़ी और पेड़ों से भिन्न हैं।

संभवतः आप अपने विद्यालय अथवा घर पर कुछ पौधों की देखभाल करते होंगे। अपने घर अथवा विद्यालय में पाए जाने वाले वृक्ष, झाड़ी अथवा विसर्पी लता के दो-दो पौधों के नाम लिखिए।

4.2 तना

अपने आसपास के पेड़-पौधों को देखें तथा उनके तने पर पायी जाने वाली विभिन्न संरचनाओं एवं भागों को देखें। अपने अवलोकन की तुलना अपने साथी द्वारा लिए गये अवलोकन से करें। आपने क्या देखा? तने में पत्तियाँ, शाखाएँ, कली, फल व फूल होते हैं।

क्रियाकलाप 2

आवश्यक सामग्री: एक गिलास, जल, लाल स्याही, शाकीय पौधा तथा एक ब्लेड। शाकं गिलास को एक तिहाई जल से भरें। जल में लाल स्याही की कुछ बूंदें डाल दें। शाक के तने को गिलास में रखें, जैसा कि चित्र 4.6 में दिखाया गया है। अगले दिन इन शाखाओं का अवलोकन कीजिए।

क्या इस शाक के कुछ भाग लाल नजर आते हैं! आपने देखा कि तने में रंग ऊपर चढ़ गया। अगर इसे लंबे समय तक रखा जाए तो रंग पत्तियों और शिराओं में भी आ जाता है। तो क्या आप बता सकते हैं कि यह लाल रंग यहाँ तक कैसे पहुँचा ?

इस क्रियाकलाप में हमने देखा कि जल तने में ऊपर की ओर चढ़ता है अर्थात् तना जल का संवहन करता है। लाल स्याही की भाँति जल में विलीन खनिज, जल के साथ तने में ऊपर पहुँच जाते हैं।

4.3 पत्ती

अपने आस-पास के पौधों की पत्तियों को देखकर अपनी नोटबुक में उनके चित्र बनाइए। क्या इन सभी की आकृति, आकार एवं रंग एक जैसे हैं?

यह तने से किस प्रकार जुड़ी हैं? पत्ती का वह भाग जिसके द्वारा वह तने से जुड़ी होती है, पर्णवृंत कहलाता है। पत्ती के चपटे हरे भाग को फलक कहते हैं (चित्र 4.8)। क्या आप आपने आस-पास के पौधों की पत्तियों में इन भागों की पहचान कर सकते हैं? क्या सभी पत्तियों में पर्णवृंत होता है।

पत्ती के विषय में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आइए उसकी छाप लें। यदि आप सोचते हैं कि पत्ती विशेष छाप नहीं छोड़ सकती तो यह क्रियाकलाप आपको पुनर्विचार पर मजबूर कर देगा।

क्रियाकलाप 3

एक पत्ती को एक सफेद कागज़ अथवा अपनी कॉपी के पन्ने के नीचे रखिए। इसे चित्र 4.9 में दर्शाए गए तरीके से एक ही स्थान पर दबाकर पकड़ कर रखें। अपनी पेंसिल को तिरछा पकड़िए तथा इसकी नोक से कागज़ के उस भाग को जिसके नीचे पत्ती है, धीरे-धीरे रगड़िए। क्या आपको कुछ रेखाओं के साथ छाप दिखाई देती है? क्या यह छाप पत्ती की तरह है?

पत्ती की इन रेखित संरचनाओं को शिरा कहते हैं। क्या आपको पत्ती के मध्य में एक मोटी शिरा दिखाई देती है। इसे मध्य शिरा कहते हैं। पत्तियों पर शिराओं द्वारा बनाए गए डिजाइन को शिरा-विन्यास कहते हैं। यदि यह डिजाइन मध्य शिरा के दोनों ओर जाल जैसा है, तो यह शिरा-विन्यास, जालिका रूपी कहलाता है [चित्र 4.10 (a)]। आपने देखा होगा कि घास की पत्तियों में यह शिराएँ एक दूसरे के समांतर हैं। ऐसे शिरा-विन्यास को समांतर शिरा-विन्यास कहते हैं [चित्र 4.10 (b)]। विभिन्न पौधों की पत्तियों को बिना तोड़े उनके शिरा-विन्यास का अध्ययन कीजिए।

आइए, अब यह जानने का प्रयास करें कि पत्तियाँ क्या कार्य करती हैं?

क्रियाकलाप 4

आवश्यक सामग्रीः शाक (पौधा), पॉलिथीन के दो पारदर्शी थैले तथा कुछ धागा।

इस क्रियाकलाप को दिन के समय करना चाहिए जब धूप खिली हो। इस क्रियाकलाप के लिए आपको स्वस्थ, भली-भाँति सिंचित और धूप में रखे हुए पौधे को लेना चाहिए। किसी पौधे की पत्ती वाली शाखा को चित्रानुसार एक पॉलिथीन की थैली से ढककर धागे से बाँध दीजिए (चित्र 4.11)। दूसरे पॉलीथीन की खाली थैली पर भी धागा बाँध कर धूप में रख दीजिए। कुछ घंटों के बाद पॉलिथीन की थैली के आंतरिक पृष्ठ को ध्यानपूर्वक देखिए। आप क्या देखते हैं? क्या किसी थैली के अंदर जल की बूँदें दिखाई देती हैं? किस थैली में जल की बूँदें दिखाई देती हैं? क्या आप बता सकते हैं कि यह बूंदें कहाँ से आई। (क्रियाकलाप के बाद पॉलिथीन की थैली को हटाना मत भूलो) जल की यह बूंदें पत्ती से जल वाष्प के रूप में निकलीं है। इस क्रिया को वाष्पोत्सर्जन कहते हैं। इस प्रक्रम के द्वारा पौधे बड़ी मात्रा में जल को वायुमंडल में छोड़ते हैं।

हमने पत्तियों के ऊपर थैली को क्यों बांधा? क्या पौधों के वाष्पोत्सर्जन से निकली जल वाष्प को हम अन्यथा देख पाते हैं? अध्याय 3 के उन क्रियाकलापों के विषय में स्मरण कीजिए जिसमें जल विभिन्न अवस्थाओं में बदल जाता है। क्या आप इनके नाम बता सकते हैं? उस प्रक्रम का नाम बताइए जिसके कारण जल बूंदों के रूप में पुनः पालिथीन की थैली पर दिखाई देने लगता है।

पत्तियों का और भी कार्य है। आइए इसका अध्ययन करें।

क्रियाकलाप 5

आवश्यक सामग्री : पत्ती, स्प्रिट, बीकर, परखनली, बर्नर, जल, प्लेट एवं आयोडीन विलयन।

परखनली में एक पत्ती रखिए तथा उसमें पर्याप्त मात्रा में स्प्रिट डालें जिससे पत्ती उसमें पूर्णतः डूबी रहे। अब इस परखनली को जल से आधे भरे बीकर में रखिए। बीकर को उस समय तक गर्म करते रहें जब तक पत्ती से हरा रंग पूर्णतः बाहर नहीं निकल जाता। अब पत्ती को परखनली से सावधानीपूर्वक बाहर निकालकर जल से भलीभाँति धोएँ। इसे प्लेट में रखकर आयोडीन विलयन की कुछ बूँदें डालिए (चित्र 4.12)1

आप क्या देखते हैं? अपने प्रेक्षण की तुलना अध्याय 1 में खाद्य पदार्थों में विभिन्न पोषकों की उपस्थिति का परीक्षण के समय किए गए प्रेक्षण से कीजिए। क्या इसका अर्थ है कि पत्ती में मंड है?

हमने अध्याय 1 में देखा था कि कच्चे आलू में भी मंड उपस्थित होता है। आलू में यह मंड पौधे के अन्य भाग से आकर एकत्रित हो जाता है। परंतु, पत्तियाँ प्रकाश और हरे रंग के एक पदार्थ की उपस्थिति में अपना भोजन बनाती हैं। इस प्रक्रिया में जल एवं कार्बन डाइआक्साइड का उपयोग करती हैं। इस प्रक्रम को प्रकाश-संश्लेषण कहते हैं। इस प्रक्रम में ऑक्सीजन निष्कासित होती है। पत्तियों द्वारा संश्लेषित भोजन अंततः पौधे के विभिन्न भागों में मंडल के रूप में संग्रहित हो जाता है।

अब तक हमने जो क्रियाकलाप किए उनसे हमने देखा कि तना पत्ती को जल पहुँचाता है। पत्ती जल का उपयोग अपना भोजन बनाने के लिए करती है, पत्तियों से जल की कुछ मात्रा का ह्रास वाष्पोत्सर्जन द्वारा होता है। तने और पत्ती को जल कैसे प्राप्त होता है? यह कार्य जड़ें करती हैं।

टिप्पणीः क्योंकि इस क्रियाकलाप में स्प्रिट को गर्म करना होता है। अतः अध्यापक को कक्षा में यह प्रयोग स्वयं करके दिखाना चाहिए।

4.4 जड़

चित्र 4.13 को ध्यानपूर्वक देखिए। पहेली और बूझो में से कौन अपने पौधे को ठीक प्रकार से जल दे रहा है? क्यों?

पौधे का कौन-सा भाग मिट्टी के अंदर है? आइए निम्न क्रियाकलापों के द्वारा पौधे के इस भाग के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं।

क्रियाकलाप 6

आवश्यक सामग्री : दो गमले, कुछ मिट्टी, खुरपी, ब्लेड अथवा कैंची एवं जल। यह क्रियाकलाप 4-5 विद्यार्थियों के समूह में करना चाहिए।

बगीचे से किसी खरपतवार के एक-जैसे दो पौधे सावधानी से उखाड़िए। ध्यान रहे, कि उनकी जड़ों को कोई क्षति न हो। खरपतवार के एक पौधे को एक गमले में मिट्टी डालकर लगा दीजिए [चित्र 4.14 (a)]। दूसरे पौधे की जड़ों को काट दीजिए। अब इसे दूसरे गमले में लगा दीजिए [चित्र 4.14 (b)]। इनमें नियमित रूप से जल दीजिए। एक सप्ताह पश्चात इनका प्रेक्षण कीजिए। क्या दोनों पौधे स्वस्थ हैं?

दोनों पौधों में नियमित रूप से जल दिया गया, परंतु एक की जड़ नहीं थी। क्या आप इस क्रियाकलाप से जड़ के एक महत्वपूर्ण कार्य के विषय में जान पाते हैं?

जड़ का एक अन्य कार्य जानने के लिए आइए एक और क्रियाकलाप करें।

क्रियाकलाप 7

आवश्यक सामग्री : मक्का और चने के बीज, रुई, कटोरी तथा जल।

दो कटोरियाँ लीजिए। इनमें भीगी हुई रुई रखिए। एक कटोरी में चने के 3-4 बीज और दूसरी में मक्का के दाने रखिए। जल डालकर रुई को हमेशा नम रखिए जब तक कि बीज अंकुरित होकर नवोद्भिद नहीं बन जाएँ। एक सप्ताह बाद उन्हें खींचकर रुई से बाहर निकालने का प्रयास कीजिए (चित्र 4.15)।

क्या नवोद्भिद सरलता से रुई से बाहर खिंच आता है? क्यों?

क्रियाकलाप 6 में हमने देखा कि हम पौधों को भूमि से खींचकर आसानी से नहीं निकाल पाते। उन्हें मिट्टी खोदकर निकालना पड़ता है। जड़ें पौधे को मिट्टी में मजबूती से जमाए (जकड़े) रखती हैं। इन्हें मिट्टी में पौधे का स्थिरक कहा जाता है।

आपने देखा कि तने एवं पत्तियाँ विभिन्न प्रकार की होती हैं। क्या जड़ों में भी विविधता दिखाई देती है? आइए इसका पता लगाएँ।

क्रियाकलाप 8

चित्र 4.16 (a) एवं 4.16 (b) को ध्यानपूर्वक प्रेक्षण कीजिए। अब चने के पौधे की जड़ों को देखिए। क्या यह चित्र 4.16 (a) के समान दिखती हैं अथवा चित्र 4.16 (b) की तरह? मक्का के पौधे की जड़ें कैसी हैं? जड़ों की आकृतियों के चित्र के साथ मिलान कर खाली स्थान में मक्का अथवा चना लिखिए।

चने एवं मक्का की जड़ों में क्या समानता है? वे किस रूप में एक-दूसरे से भिन्न हैं? ऐसा प्रतीत होता है कि जड़ें दो प्रकार की होती हैं। क्या जड़ों के कुछ और भी प्रकार हैं? आइए, इसका पता लगाएँ।

क्रियाकलाप 9

खुले मैदान में जाइए जहाँ बहुत से खरपतवार उग रहे हों। कुछ खरपतवार पौधों की मिट्टी खोद कर निकालिए और जड़ों से मिट्टी धोकर अलग कर उनका निरीक्षण कीजिए। क्या आपने ध्यान दिया कि सभी खरपतवार पौधों की जड़ें या तो चित्र 4.16 (a) की तरह हैं अथवा चित्र 4.16 (b) की तरह?

जिन पौधों की जड़ें चित्र 4.17 (a) की तरह हैं, उनकी मुख्य जड़ को मूसला जड़ कहते हैं तथा छोटी जड़ों को पार्श्व जड़ कहते हैं। जिन पौधों की जड़ें चित्र 4.17 (b) के समान हैं, उनमें कोई मुख्य जड़ नहीं होती। सभी जड़ें एक समान दिखाई देती हैं। इन्हें झकड़ा जड़ अथवा रेशेदार जड़ कहते हैं।

एकत्र किए गए खरपतवार पौधों को उनकी जड़ के आधार पर दो समूहों में छाँटिए। मूसला जड़ वाले पौधों को समूह (a) में तथा रेशेदार जड़ वाले पौधों को समूह (b) में रखिए। समूह (a) के पौधों की पत्तियों को देखिए। इनका शिरा-विन्यास किस प्रकार का है? समूह (b) के पौधों की पत्तियों का शिरा-विन्यास किस प्रकार का है?

क्या आपने ध्यान दिया कि पौधे की पत्ती के शिरा-विन्यास एवं जड़ के प्रकार में एक रोचक संबंध है? क्या उन सभी पौधों, जिनका आप अध्ययन कर चुके हैं, की पत्तियों का शिरा-विन्यास एवं जड़ के प्रकार को सारणी 4.2 में सही रूप में भर सकते हैं?

सारणी 4.2 : जड़ के प्रकार एवं पत्तियों में शिरा-विन्यास के प्रकार

पौधे का नामशिरा-विन्यास का प्रकारजड़ के प्रकार
अशोकसंतानी शिरा-विन्यासप्रवाल
बरगदसंतानी शिरा-विन्यासफ़ुटार
नीमवृक्षाकार शिरा-विन्यासअंडाकार

हमने देखा कि जड़ें मिट्टी से जल जल का अवशोषण करती हैं तथा तना, जल एवं खनिज को पत्ती एवं पौधे के अन्य भागों तक पहुँचाता है। पत्तियाँ भोजन संश्लेषित करती हैं। यह भोजन तने से होकर पौधे के विभिन्न भागों में संग्रहित हो जाता है। इस प्रकार की कुछ जड़ों जैसे- गाजर, मूली, शकरकंद, शलजम एवं टेपियोका आदि को हम खाते हैं। हम पौधे के अन्य भागों को भी खाते हैं जहाँ भोजन भंडारित रहता है।

क्या आप इस बात से सहमत हैं कि तना दो-तरफा मार्ग (चित्र 4.18) की तरह कार्य करता है? चित्र में लिखिए कि तने से कौन-से पदार्थ ऊपर की ओर जाते हैं और कौन-से नीचे की ओर आते हैं।

अगले परिच्छेद में हम पुष्प की संरचना का अध्ययन करेंगे।

4.5 पुष्प

गुलाब के पौधे के तीन आरेख चित्र 4.19 (a), (b), तथा (c) में दर्शाए गए हैं। कौन-सी स्थिति में आप पौधों को भली-भाँति पहचान सकते हैं? क्यों?

चित्र 4.1 में पुष्प को रंगने के लिए आपने किस रंग का प्रयोग किया था? क्या सभी पुष्प रंग-बिरंगे होते हैं? क्या आपने घास, गेहूँ, मक्का, आम अथवा अमरूद के पुष्प भी देखे हैं? क्या वे चटकीले हैं? आइए, कुछ पुष्पों का अध्ययन करें।

नोट: अध्ययन के लिए पुष्पों का चयन करते समय गेंदा, सूरजमुखी अथवा गुलदाउदी न लें, क्योंकि यह एक पुष्प नहीं है वरन् पुष्पों का गुच्छ है, जैसा कि आप अगली कक्षाओं में पढ़ेंगे।

क्रियाकलाप 10

आवश्यक सामग्रीः एक पुष्प कलिका तथा निम्न में से किसी पौधे के दो पुष्प : धतूरा, गुड़हल, गुलाब, सरसों, बैंगन, भिंडी, गुलमोहर; एक ब्लेड, स्लाइड अथवा कागज़, आवर्धक लेंस एवं जल।

खिले हुए पुष्प का प्रमुख भाग कौन-सा है? यह पुष्प की पंखुड़ियाँ हैं। विभिन्न पुष्पों की पंखुड़ियाँ अलग-अलग रंगों की होती हैं।

आपके विचार में कलिका में यह पंखुड़ियाँ कहाँ बंद थीं? कली का प्रमुख भाग कौन-सा है? क्या आपने ध्यान दिया कि यह भाग छोटी पत्ती की भाँति दिखाई देता है? इन्हें बाह्यदल कहते हैं पुष्प के बाह्यदल एवं पंखुड़ियों का भलीभांति अवलोकन कीजिए तथा निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

• इसमें कितने बाह्यदल हैं?
• क्या ये आपस में जुड़े हैं अथवा स्वतंत्र हैं?
•  बाह्यदल एवं पंखुड़ियाँ किन रंगों की हैं?
• आपके फूल में पंखुड़ियों की संख्या कितनी है?
• क्या वे एक-दूसरे से जुड़ी हैं अथवा स्वतंत्र हैं?
• क्या जुड़े हुए बाह्यदल वाले पुष्प की पंखुड़ियाँ अलग-अलग हैं या संयुक्त हैं?

अपनी कक्षा के सभी विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न पुष्पों के अध्ययन संबंधी प्रेक्षण सारणी 4.3 में लिखिए।

सारणी 4.3 : पुष्पों का प्रेक्षण

पौधे का नामबाह्यदलों की संख्याबाह्यदलों का रंगपंखुड़ियों की संख्यापंखुड़ियों का रंगबाह्यदल के साथ जुड़ा/स्वतंत्रपंखुड़ियों का प्रकारस्त्रीकेसर उपस्थित/अनुपस्थित
गुलाबअनेकविविध5लाल, पीला, गुलाबी, नीला, सफेदस्वतंत्रपंखुड़ीउपस्थित

विद्यालय अथवा किसी अन्य बगीचे में जाकर विभिन्न पुष्पों का अध्ययन कीजिए तथा अपने प्रेक्षण इस सारणी में लिखें। इस सारणी के अंतिम दो कॉलम भरें।

आप पुष्प के आंतरिक भाग को स्पष्ट रूप से कब देख सकेंगे, जब पंखुड़ी जुड़ी हों अथवा जब वे स्वतंत्र हों? उदाहरण के लिए धतूरे एवं अन्य घंटाकार पुष्प की पंखुड़ियों को लंबाई में काटकर आप पुष्प के आंतरिक अंगों को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं (चित्र 4.21)1

पुष्प के आंतरिक भागों को स्पष्ट रूप से देखने के लिए बाह्य दल एवं पंखुड़ियों को हटा दीजिए। चित्र 4.22 को ध्यान से देखिए तथा अपने पुष्प में पुंकेसर एवं स्त्रीकेसर को पहचानिए।

चित्र 4.23 को ध्यानपूर्वक देखिए। इसमें विभिन्न पुष्पों में पाए जाने वाले विविध प्रकार के पुंकेसर दिखाए गए हैं। क्या आप पुंकेसर के दोनों भागों को पहचान सकते हैं? अपने पुष्प में पुंकेसर की संख्या ज्ञात कीजिए। एक पुंकेसर का चित्र बनाकर उसे नामांकित कीजिए।

पुष्प के केंद्र में स्थित भाग को स्त्रीकेसर कहते हैं। यदि आप इसे पूरी तरह से नहीं देख पा रहे हों, तो पुंकेसर हटा दीजिए। चित्र 4.24 की सहायता से स्त्रीकेसर के भागों को पहचानिए।

अपने पुष्प के स्त्रीकेसर का स्वच्छ नामांकित चित्र बनाइए।

क्रियाकलाप 11

आइए, अब एक पुष्प के अंडाशय की संरचना का अध्ययन करें (चित्र 4.24)। यह स्त्रीकेसर का सबसे निचला एवं फूला हुआ भाग है। इसकी आंतरिक संरचना के अध्ययन के लिए इसे काटना पड़ता है। यह जानने के लिए कि अंडाशय को किस प्रकार काटा जाए, चित्र 4.25 (a) एवं (b) को ध्यान से देखिए।

अंडाशय को एक स्लाइड अथवा प्लेट पर चित्र 4.25 के अनुसार रखकर उसे दो प्रकार से काट सकते हैं।

अंडाशय की काट को सूखने से बचाने के लिए प्रत्येक काट (सेक्शन) पर जल की बूंद रखिए।

आवर्धक लेंस की सहायता से अंडाशय की आंतरिक रचना का अध्ययन कीजिए (चित्र 4.26)। क्या आपको अंडाशय में छोटी-छोटी गोल संरचनाएँ दिखाई देती हैं? इन्हें बीजांड कहते हैं। अंडाशय के आंतरिक भागों का अपनी नोटबुक में चित्र बनाइए।

कुछ और पुष्पों का अध्ययन करने के लिए अपने अध्यापक के साथ विद्यालय अथवा किसी पार्क के बगीचे में जाइए एवं अधिक से अधिक पुष्पों का अध्ययन कीजिए। पुष्प के नाम जानने के लिए आप माली की सहायता ले सकते हैं। ध्यान रहे कि आवश्यकता से अधिक पुष्प न तोड़ें।

नोटबुक में जो कुछ आपने सारणी 4.3 में लिखा है उसके आधार पर निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

क्या सभी फूलों में बाह्यदल, पंखुड़ी, पुंकेसर एवं स्त्रीकेसर पाए जाते हैं? क्या पुष्प ऐसे भी है जिनमें उपर्युक्त पुष्पांगों में से कोई भाग नहीं पाया जाता। क्या किसी फूल में इनसे अलग भाग भी मिलते हैं?

क्या आपने ऐसे पुष्प भी देखे हैं जिनमें बाह्यदल और पंखुड़ी समान दिखते हों।

क्या कोई पुष्प ऐसा भी है जिसमें बाह्यदलों की संख्या एवं पंखुड़ियों की संख्या असमान होती है?

क्या अब आप इस बात से सहमत हैं कि सभी पुष्पों की संरचना सदैव एक जैसी नहीं होती? विभिन्न पुष्पों में बाह्यदल, पंखुड़ी, पुंकेसर एवं स्त्रीकेसर की संख्या में अंतर हो सकता है। कुछ पुष्पों में इनमें से कुछ भाग अनुपस्थित भी हो सकते हैं।

आपने पत्ती, तना एवं जड़ के लक्षण एवं कुछ कार्यों के विषय में पढ़ा। हमने विभिन्न पुष्पों की संरचना का भी अध्ययन किया। आप पुष्पों के कार्यों के विषय में अगली कक्षाओं में पढ़ेंगे। हम फलों के विषय में भी अगली कक्षाओं में पढ़ेंगे।

सारांश

• सामान्यतः पौधों का वर्गीकरण उनकी ऊँचाई, तने एवं शाखाओं के आधार पर शाक, झाड़ी एवं वृक्ष में किया जाता है।

• तने पर पत्तियाँ, पुष्प तथा फल होता है।

• सामान्यतः पत्ती में पर्णवृंत और फलक होते हैं।

• पत्ती में शिराओं का प्रतिरूप शिरा-विन्यास कहलाता है। यह जालिका रूपी अथवा समांतर हो सकता है।

• पत्तियाँ वाष्पोत्सर्जन क्रिया द्वारा जलवाष्प को वायु में निष्कासित करती हैं।

• हरी पत्तियाँ सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में वायु एवं जल से प्रकाश-संश्लेषण क्रिया द्वारा भोजन बनाती है।

• जड़ें मिट्टी से जल एवं खनिज पदार्थों का अवशोषण करती है तथा पौधों को मिट्टी में दृढ़ता से जमाए रखती हैं।

• जड़ें मुख्यतः दो प्रकार की होती है: मूसला जड़ एवं रेशेदार जड़।

• जालिका रुपी शिरा-विन्यास युक्त पत्तियों वाले पौधों की जड़ें मूसला जड़ होती हैं जबकि समांतर शिरा-विन्यास युक्त पत्तियों वाले पौधों की जड़े रेशेदार होती हैं।

• तने द्वारा जड़ों से पत्तियों (और दूसरे भागों) को जल और पत्तियों से भोजन, पौधों के अन्य भागों तक पहुँचता है।

• पुष्प के विभिन्न भाग है- बाह्यदल, पंखुड़ी, पुंकेसर एवं स्त्रीकेसर।

अभ्यास

1. निम्न कथनों को ठीक करके लिखिए:

(क) तना मिट्टी से जल एवं खनिज अवशोषित करता है।
Ans.
जड़ मिटटी से जल एवं खनिज अवशोषित करता है।

(ख) पत्तियाँ पौधे को सीधा खड़ा रखती है।
Ans.
तना पौधे को सीधा खड़ा रखती हैं।

(ग) जड़े जल को पत्तियों तक पहुँचाती है।
Ans.
तनें जल को पत्तियों तक पहुँचाती हैं।

(घ) पुष्प में पुंकेसरों एवं पंखुड़ियों की संख्या सदा समान होती है।
Ans.
पुष्प में बाह्यदल एवं पंखुडियों की संख्या सदा असमान होती है।

(ङ) यदि किसी पुष्प के बाह्यदल परस्पर जुड़े हों तो उसकी पंखुड़ियाँ भी आपस में जुड़ी होंगी।
Ans.
यदि किसी पुष्प के बाह्यदल परस्पर जुड़े हों तो उसकी पंखुडियाँ भी आपस में पृथक होंगी।

(च) यदि किसी पुष्प की पंखुड़ियाँ परस्पर जुड़ी हों तो स्त्रीकेसर पंखुड़ियों से जुड़ा होगा।
Ans.
यदि किसी पुष्प की पंखुडियाँ परस्पर जुड़ी हों तो स्त्रीकेसर पंखुडियों से स्वतंत्र होगा।

2. निम्न के चित्र बनाइएः

(क) पत्ती

(ख) मूसला जड़

(ग) एक पुष्प जिसका आपने सारणी 4.2 में अध्ययन किया हो।

3. क्या आप अपने घर के आस-पास ऐसे पौधे को जानते हैं जिसका तना लंबा परंतु दुर्बल हो? इसका नाम लिखिए। आप इसे किस वर्ग में रखेंगें?
Ans.
पौधे जिसके तने लंबे परन्तु दुर्बल होते है वे शाक कहलाते है। जैसे – टमाटर, तोरी, सरसों आदि ।

4. पौधे में तने का क्या कार्य है?
Ans.
पौधे में तने का कार्य निम्नलिखित है।
(i) तना पौधे को सहारा देता है।
(ii) तना जल तथा खनिज लवणों का संवहन करता हैं।
(iii) यह पौधे के लिए भोजन संचय करता है।

5. निम्न में से किन पत्तियों में जालिका रूपी शिरा-विन्यास पाया जाता है?
गेहूँ, तुलसी, मक्का, घास, धनिया, गुड़हल
Ans
. तुलसी और गुडहल

Q6. यदि किसी पौधे की जड़ रेशेदार हो तो उसकी पत्ती का शिरा-विन्यास किस प्रकार का होगा?
Ans.
समांतर शिरा-विन्यास

Q7. यदि किसी पौधे की पत्ती में जालिका रूपी शिरा-विन्यास हो तो उसकी जड़ें किस प्रकार की होंगी?
Ans.
मुसला जड़

Q8. क्या आप पत्तियों को देखे बिना उनकी पहचान कर सकते हैं? कैसे ?
Ans
. हाँ, हम पत्तियों के देखे बिना उसकी पहचान हम उसके जड़ के आधार पर कर सकते है। यदि जड़ मुसला जड़ हो तो उसकी पत्ती जालिका रूपी शिरा-विन्यास की होगी जबकि रेशेदार जड़ों वाले पौधे की पत्तियाँ समांतर शिरा-विन्यास की होती है।

9. किसी पुष्प के विभिन्न भागों के नाम लिखिए।

Ans. पुष्प के विभिन्न भागों के नाम निम्नलिखित है।

(i) बह्यदल
(ii) पंखुड़ी
(iii) स्त्रीकेसर (पुष्प का मादा भाग)
      (a) वर्तिकग्र
      (b) वर्तिका
      (c) अंडाशय
(iv) पुंकेसर (पुष्प का नर भाग)
      (a) परागकोष
     (b) तंतु

10. निम्न में से किन पौधे के फुल आपने देखे हैं?
Ans.
घास, मक्का, गेहूँ, मिर्च, टमाटर, तुलसी, पीपल, शीशम, बरगद, आम, जामुन, अमरूद, अनार, पपीता, केला, निम्बू, गन्ना, आलू, मूँगफली।

11. पौधे के उस भाग का नाम लिखिए जो अपना भोजन बनाता है। इस प्रक्रम को क्या कहते हैं?
Ans.
पौधे पत्ती से अपना भोजन बनाते हैं और इस प्रक्रम को प्रकाश संश्लेषण कहते है।

12. पुष्प के किस भाग में अंडाशय मिलता है?
Ans.
स्त्रीकेसर भाग में अंडाशय होता है।

13. ऐसे दो पुष्पों के नाम लिखिए जिनमें से प्रत्येक में संयुक्त और अलग-अलग पंखुडियाँ हों।
Ans
. पुष्प जिनमें संयुक्त बह्यदल और पंखुडियां होती हैं – धतुरा
पुष्प जिनमें पृथक बह्यदल और पंखुडियां होती है – गुलाब

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मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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