बहुउद्देशीय परि-योजनाओं से सिंचाई की सुविधा के अलावा बाढ़ नियंत्रण, पेयजल आपूर्ति, जलविद्युत उत्पादन, नहरी परिवहन, पर्यटन आदि अनेक कार्य किए जा सकते हैं। इसलिए जवाहर लाल नेहरू जी ने इसे आधुनिक भारत का मन्दिर (Temples of Modern India) एवं नये तीर्थ भी कहा था।* वर्तमान समय में यद्यपि इन परियोजनाओं की प्रासंगिकता पर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं। फिर भी सिंचाई, पेयजल आपूर्ति, जलविद्युत उत्पादन आदि के व्यापक संभावनाओं को देखते हुए इनके महत्व से इनकार नहीं किया जा सकता। भारत की कुछ प्रमुख बहुद्देश्यीय परियोजनाएँ निम्न हैं-
1. दामोदर घाटी परियोजना- यह स्वतंत्र भारत की प्रथम बहुउद्देशीय परियोजना है।* झारखण्ड, बिहार और प. बंगाल राज्यों में फैली दामोदर घाटी का U.S.A. की टेनेसी घाटी परियोजना (1933) के आधार पर संयुक्त विकास के लिए 1948 में दामोदर घाटी निगम (DVC) की स्थापना की गई। दामोदर नदी छोटानागपुर की पहाड़ियों से निकलकर प. बंगाल में हुगली नदी से मिल जाती है। इनमें तिलैया, कोनार, मैथान, पंचेत पहाड़ी बोकारो, बाल पहाड़ी, बर्मों तथा दुर्गापुर नामक 8 बांध बनाए गए हैं और बोकारो, दुर्गापुर, चन्द्रपुर तथा पतरातू में ताप विद्युत गृहों का निर्माण किया गया है। ध्यातव्य है कि यह एक ऐसी बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है जिसमें जलविद्युत से अधिक ताप विद्युत का उत्पादन होता है।

2. भाखड़ा नांगल परियोजना- यह पंजाब, हरियाणा, एवं राजस्थान राज्य की सतलज नदी पर बनाई गई देश की सबसे बड़ी बहुउद्देश्यीय योजना है। (UPPCS-94, 97; BPSC- 01) भाखड़ा बाँध संसार का सबसे ऊँचा गुरूत्वीय बाँध (नदी तल से 226 मीटर) तथा दूसरा सबसे ऊँचा बाँध है। जिसका निर्माण 1963 में किया गया। बांध के पीछे बनी झील का नाम गोविन्द सागर (हिमाचल प्रदेश) है।* नांगल नामक स्थान पर एक दूसरा बाँध बनाया गया है। हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और केन्द्रशासित प्रदेश दिल्ली को इस परियोजना का लाभ मिला है।
3. कोसी परियोजना- कोसी नदी तिब्बत पठार से निकलकर नेपाल होते हुए बिहार में भागलपुर के निकट गंगा के बायें तट से आकर मिलती है। मार्ग परिवर्तन तथा विनाशकारी बाढ़ों के कारण कोसी को ‘उत्तरी बिहार का शोक’ कहा जाता था। मुख्य नहर कोसी पर बने हनुमान नगर बैराज (नेपाल) से निकाली गई है। यह नेपाल एवं बिहार की संयुक्त परियोजना है। इसका मूल उद्देश्य जल विद्युत उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण एवं सिंचाई प्रदान करना है। भविष्य में इस योजना के शक्तिगृहों को दामोदर घाटी परियोजना के शक्तिगृहों से मिलाकर नेटवर्क बनाने की भी योजना है।
4. रिहन्द बाँध परियोजना- यह उत्तर प्रदेश में सोन की प्रसिद्ध तंग घाटी में उसकी सहायक नदी रिहन्द पर सोनभद्र जिले में पिपरी नामक स्थान पर बनाया गया है। इस बांध के पीछे ‘गोविन्द बल्लभ पन्त सागर’ नामक एक कृत्रिम झील बनायी गयी है जो भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। यह मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित है।

5. चंबल परियोजना- यमुना की सहायक चम्बल नदी के जल का उपयोग करने के लिए मध्य प्रदेश व राजस्थान में यह परियोजना संयुक्त रूप से बनाई गई है। इस परियोजना के अन्तर्गत मध्य प्रदेश में चौरासी गढ़ नामक स्थान पर गाँधी सागर बांध तथा राजस्थान के रावतभाटा एवं कोटा में राणा प्रताप सागर बांध, जवाहर सागर बांध बनाए गए हैं। इस परियोजना का प्रमुख उद्देश्य चंबल नदी की द्रोणी में मृदा का संरक्षण करना है।

6. हीराकुण्ड परियोजना (Hirakund Project)- यह ओडिशा राज्य में महानदी पर एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। हीराकुण्ड बाँध के निर्माण से पूर्व महानदी अपनी भयंकर बाढ़ों के कारण ‘ओडिशा का शोक’ (Sorrow of Odisha) कहलाती थी। हीराकुण्ड बाँध 4801 मीटर लम्बा तथा 61 मीटर ऊँचा है, जो विश्व का सबसे लम्बा बाँध है।* महानदी पर हीराकुण्ड,तिकरपाड़ा तथा बैराज बाँध बनाये गये हैं। हीराकुण्ड इस परियोजना का मुख्य बाँध है।

हीराकुण्ड बाँध बाढ़ों की पुनरावृत्ति के कारण होने वाली गाद की समस्या से ग्रस्त है जिससे इसकी जल भण्डारण क्षमता घट गयी है। ब्रजराज नगर में स्थापित कागज के कारखाने से निकले बहिर्वाह (Affluent) से महानदी की सहायक ईब नदी का जल प्रदूषित होता है, जिससे बाँध को भी खतरा है।
शीर्ष बांध (Dams) वाले राष्ट्र (2020) | |
राष्ट्र | बांधों की संख्या |
• चीन | 23842 |
• यू.एस.ए. | 9261 |
• भारत | 5701 |
• जापान | 3112 |
• ब्राजील | 1411 |
7. गण्डक परियोजना (Gandak Project)- यह परियोजना उत्तर प्रदेश तथा बिहार का संयुक्त प्रयास है। 1959 के एक समझौते के अनुसार नेपाल भी इसमें सम्मिलित हो गया है। इस परियोजना के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं-
(i) गण्डक नदी पर वाल्मीकि नगर में एक बैराज,
(ii) चार नहरें-दो भारत तथा दो नेपाल में।
(iii) 15 मेगावाट का एक शक्ति गृह जो नेपाल के तराई क्षेत्र की शक्ति की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
8. इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना- इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना विश्व की विशालतम सिंचाई परियोजना है। इसका उद्घाटन 30 मार्च, 1958 को तत्कालीन गृहमंत्री गोविन्द वल्लभ पंत ने किया था (RAS/RTS-2007)। यह राजस्थान के शुष्क तथा अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों को सिंचाई की सुविधा प्रदान करती है तथा इसने इस प्रदेश की अर्थव्यवस्था एवं विकास को नया स्वरूप प्रदान किया है।
सतलज और व्यास के संगम पर हरि के बैराज निर्मित है*, जहाँ से राजस्थान फीडर नहर निकाली गयी है तथा इस फीडर नहर से राजस्थान की मुख्य नहर अर्थात् इन्दिरा गाँधी नहर की जल आपूर्ति होती है।
राजस्थान फीडर 215 किमी लम्बी पूर्णतः चिनाई से निर्मित नहर है जो इन्दिरा गाँधी नहर को जल प्रदान करती हैं। 649 किमी लम्बी मुख्य नहर गंगा नगर, बीकानेर, जैसलमेर तथा बाड़मेर जिलों की लगभग 14.5 लाख हेक्टेअर भूमि को सिंचित करती है (UPPCS-92; 99)। ध्यातव्य है कि इन्दिरा गाँधी नहर में घग्घर (गंगानगर) नदी के जल का उपयोग किया जाता है (IAS-2000)। इस नहर ने थार मरुस्थल को हरियाली में बदल दिया है। इससे कपास जैसी वाणिज्यिक उपजों तथा चारा उगाने में बहुत सफलता मिली है। इससे प्रदेश में कृषि तथा पशु आधारित उद्योगों के विकास में सहायता मिलेगी। अतिरिक्त खाद्यान्न, पेय जल की उपलब्धता, मरुस्थल के प्रसार पर नियंत्रण आदि इस परियोजना के अतिरिक्त लाभ हैं।
9. टिहरी बाँध परियोजना- टिहरी बाँध का निर्माण गढ़वाल हिमालय की महत्वपूर्ण नदी भागीरथी और सहायक भिलंगना के संगम स्थल से 1.5 किमी नीचे टिहरी में किया गया है।

• बाँध की उँचाई 261 मी. तथा लम्बाई 575 मी. है।
• बाँध के पीछे निर्मित ‘स्वामी रामतीर्थ सागर’ सरोवर में 35.39 बिलियन घन मी. जल एकत्र होगा।
• इस परियोजना के द्वारा प्रथम एवं द्वितीय चरण मिलाकर 2400 मेगावाट बिजली का उत्पादन सम्भव होगा।
• यह भूकप क्षेत्र के Zone-V में आता है, जो कि भूकंप संभाविता की दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील है एवं यहाँ रिक्टर स्केल पर 8 से भी अधिक तीव्रता के भूकंप आ सकते हैं। महालियार फॉल्ट पर स्थित होने के कारण यह आशंका और भी बढ़ जाती है। यद्यपि भूकंप वैज्ञानिकों व बांध निर्माताओं का कहना है कि यह बांध इस तीव्रता से भी सुरक्षित है परंतु 8 या अधिक तीव्रता के क्षेत्र होने के कारण बांध के नष्ट होने व उससे व्यापक विनाश की आशंका यहाँ बनी रहेगी। • इस परियोजना से 22 गाँव पूर्णतः एवं 76 गांव अंशतः डूब सकते हैं। इससे 2500 हेक्टेयर कृषि भूमि नष्ट हो सकती है एवं 60,000 लोग विस्थापित हो सकते हैं।
• बाँध की ऊँचाई को कम करने के सम्बन्ध में भी विवाद रहा है।
10. नर्मदा घाटी परियोजना (Narmada Valley Project)- नर्मदा भारत की पाँचवीं विशालतम नदी है। यह देश की सबसे लम्बी पश्चिम की ओर बहने वाली नदी है। इसके जल संसाधन सतलज, व्यास तथा रावी नदियों के संयुक्त विभव से कहीं अधिक हैं। यह 1,312 किमी लम्बी है तथा इसका कमान क्षेत्र 98,796 वर्ग किमी है जिसका 88% मध्य प्रदेश में, 9% गुजरात में 1.7% महाराष्ट्र में तथा छत्तीसगढ़ में 0.73% पड़ता है। इसके बेसिन में सिंचाई, विद्युत उत्पादन तथा बाढ़ नियंत्रण का विचार 1945-46 में प्रस्तुत किया गया था। 1947 में इस पर 29 वृहत्, 450 मध्यम तथा 3,000 छोटे बाँध तथा अवरोधक (बैराज) बनाने का प्रस्ताव रखा गया था। इस नदी पर गुजरात में सरदार सरोवर बाँध तथा मध्य प्रदेश में नर्मदा सागर बाँध दो प्रमुख बाँधों का निर्माण प्रस्तावित किया गया। दोनों बाँधों का कमान क्षेत्र 19 लाख हेक्टेयर है। इस परियोजना से लगभग 3000 मेगावाट शक्ति का उत्पादन होगा। अन्य लाभों में कृषि विकास, पशुपालन, औद्योगीकरण, रोजगार, पेय जल, वृक्षारोपण, नगरीकरण तथा विद्युतीकरण सम्मिलित हैं।

(i) सरदार सरोवर परियोजना- यह परियोजना म. प्र., महाराष्ट्र, गुजरात व राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।इस परियोजना के अन्तर्गत गुजरात के भड़ौच जिले में नवगाँव के निकट नर्मदा नदी पर 163 मीटर ऊँचे बाँध का निर्माण प्रस्तावित है जिसकी जल भण्डारण क्षमता 77 लाख एकड़ फिट होगी। इससे 17.92 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी तथा 82 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्नों का उत्पादन होगा, 1450 मेगावाट शक्ति उत्पादन होगा, 131 नगरीय केन्द्रों तथा 8720 गाँवों को पेय जल उपलब्ध होगा, 4650 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर वृक्षारोपण होगा, 4 लाख व्यक्तियों को रोजगार मिलेगा तथा पशुपालन एवं दुग्ध व्यवसाय को प्रोत्साहन मिलेगा।
मध्य प्रदेश इस परियोजना से सर्वाधिक दुष्प्रभावित राज्य रहेगा जबकि सर्वाधिक लाभ गुजरात को होगा। डूबने वाले क्षेत्र में अधिकांश मध्य प्रदेश के ही रहेंगे। इस परियोजना से 200 गाँव के डूबने, कमान क्षेत्र में 15 लाख के विस्थापित होने तथा 39.1 हजार हेक्टेअर भूमि के जल मग्न होने की आशंका है।
(ii) नर्मदा सागर परियोजना- इसे इन्दिरा सागर बाँध के नाम से भी जानते हैं। इस परियोजना की आधारशिला अक्टूबर 1984 में रखी गयी थी। इस परियोजना के अन्तर्गत पुनासा (म.प्र.) के निकट बाँध का निर्माण कार्य जारी है। जिससे 1.40 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई तथा लगभग 1550 मेगावाट शक्ति का उत्पादन होगा। किन्तु इसके जलाशय के निर्माण से 91,000 हेक्टेअर भूमि (80 गाँव पूर्णतः तथा 105 गाँव अंशतः) जलमग्न होगी। इससे हरसुध नगर, 900 वर्ग मील उर्वर कपास उत्पादन क्षेत्र तथा 40,000 हेक्टेयर वन क्षेत्र जलमग्न होंगे। इससे 1.5 लाख लोग विस्थापित होंगे। जिसके पुनर्वास की समस्या उत्पन्न होगी।
उपरोक्त दोनों परियोजनाएँ सरकार द्वारा 1987 में स्वीकृत हुई। पर्यावरणविदों द्वारा तीव्र आलोचना तथा आन्दोलनों द्वारा दोनों ही परियोजनाओं का विरोध जारी है।
11. केन-बेतवा लिंक परियोजना- अमृत-क्रांति के नाम से 25 अगस्त, 2005 को प्रायद्वीपीय नदी विकास योजना के अन्तर्गत शुरु की गई यह योजना देश के प्रमुख नदियों को जोड़ने की दिशा में एक क्रान्तिकारी पहल है।
23 अगस्त 2016 को राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की स्थायी समिति की बैठक के दौरान अनिल माधव दवे (स्वतंत्र प्रभार मंत्री) की अध्यक्षता में केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के प्रथम चरण को मंजूरी प्रदान की गई है। इसके तहत मध्य प्रदेश की 3.5 लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश की 14000 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी। ध्यातव्य है कि यह परियोजना भारत की पहली अन्तर्राज्यीय नदी जोड़ो परियोजना है।
12. बगलिहार परियोजना- यह जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर 450 मेगावाट की जल-विद्युत परियोजना हैं इस बांध के निर्माण को पाकिस्तान 1960 ई. के सिंध जल समझौते का उल्लंघन मानता है। यह समझौता विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था।
13. किशनगंगा परियोजना- यह जम्मू-कश्मीर में झेलम की सहायक नदी किशन गंगा (पाकिस्तान द्वारा दी गयी संज्ञा ‘नीलम’) नदी पर बन रहा 330 मेगावाट की जल-विद्युत परियोजना है। इस परियोजना की शुरुआत वर्ष 2007 में की गयी थी। भारत झेलम नदी की इस शाखा के जल को दूसरी शाखा में भेजना चाहता है। इसके लिए 21 किमी. लंबी भूमिगत सुरंग बनाने की भारत की योजना है। पाकिस्तान इसे 1960 ई. के सिंध जल समझौते का उल्लंघन मानता है। फिलहाल अन्तर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायालय (P.C.A.) ने 2013 में भारत के पक्ष में निर्णय दिया है।
14. व्यास परियोजना- यह परियोजना पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान राज्यों की सम्मिलित परियोजना है। इसके अंतर्गत इंदिरा गांधी नहर में शीत ऋतु में नियमित जलापूर्ति बनाए रखने के लिए व्यास नदी पर पोंग बांध बनाया गया है।
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FAQs
Q1. फरक्का नहर (1975) की जलवहन क्षमता कितनी है?
Ans. 7000 क्यूसेक
Q2. मंगलम, वलयार एवं मलमपुझा सिंचाई परियोजना किस प्रान्त की हैं?
Ans. केरल की
Q3. निचली गंगा नहर का उद्गम स्थल कहाँ हैं?
Ans. नरोरा
Q4. जवाहर सागर बाँध किस राज्य में स्थित है?
Ans. राजस्थान
Q5. गाँधी सागर तथा राणा प्रताप सागर बाँध किस नदी पर स्थित है?
Ans. चम्बल नदी
Q6. विश्व का सबसे लम्बा बाँध कौन है?
Ans. हीराकुण्ड बाँध (महानदी)
Q7. गण्डक किनकी संयुक्त परियोजना है?
Ans. उ.प्र. बिहार तथा नेपाल
Q8. इन्द्रिरा गाँधी नहर परियोजना द्वारा राजस्थान के कितने मरुस्थली जिलों में सिंचाई होती है?
Ans. 11 जिलों में
Q9. माताटीला बाँध किस नदी पर बनाया गया है?
Ans. बेतवा नदी (झांसी के पास )
Q10. सोन नदी के पानी को एकत्रित करने के लिए निर्मित बाण सागर परियोजना किन राज्यों की संयुक्त परियोजना है?
Ans. उ.प्र. बिहार तथा म.प्र.
Q11. सलाल तथा दुलहस्ती परियोजना किस नदी पर स्थित है?
Ans. चिनाब (जम्मू-काश्मीर)
Q12. व्यास नदी पर निर्मित पोंग बाँध परियोजना किन राज्यों की संयुक्त परियोजना है?
Ans. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान एवं हिमाचल प्रदेश
Q13. पार्वती नदी पर निर्मित पार्वती परियोजना किन राज्यों की संयुक्त परियोजना है?
Ans. हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात एवं दिल्ली
Q14. तुलबुल परियोजना किस नदी पर निर्मित है?
Ans. झेलम (जम्मू-काश्मीर)
Q15. चुखा किनकी सम्मिलित परियोजना है?
Ans. भारत एवं भूटान
Q16. शारदा बैराज, टनकपुर बैराज तथा पंचेश्वर परियोजना किसके बीच समन्वित परियोजना है?
Ans. भारत-नेपाल
Q17. संकोश बहुद्देश्यीय परियोजना किसकी संयुक्त परियोजना है?
Ans. भारत-भूटान
Q18. भारत के किस भौगोलिक क्षेत्र में भूमिगत जल सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है?
Ans. गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन
Q19. पापनाशम जलविद्युत परियोजना किस नदी पर स्थित है?
Ans. ताम्रपर्णी नदी (तमिलनाडु)
Q20. टाटा जलविद्युत परियोजना किस प्रदेश में स्थित है?
Ans. महाराष्ट्र (लोनावाला के निकट भोरघाट के ऊपर)
Q21. बालिमेला परियोजना किस नदी पर स्थित है?
Ans. सिलेरू नदी (ओडिशा)
Q22. कोयना परियोजना किस प्रदेश में स्थित है?
Ans. महाराष्ट्र
Q23. नागार्जुन सागर परियोजना किस नदी पर स्थित है?
Ans. कृष्णा
Q24. देश में सर्वाधिक नलकूप किस प्रदेश में मिलते हैं?
Ans. उ.प्र.
Q25. देश में सिंचाई का दूसरा सबसे बड़ा साधन है?
Ans. नहरें
Q26. भारत में नलकूपों द्वारा कितने प्रतिशत क्षेत्रफल पर सिंचाई होता है?
Ans. 46.21 प्रतिशत
Q27. नर्मदा नदी कहाँ से निकलती है?
Ans. अमरकंटक पहाड़ी से (मध्य प्रदेश)
Q28. नर्मदा कितने राज्यों से होकर प्रवाहित होती है?
Ans. चार (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र एवं गुजरात)
Q29. सरदार सरोवर परियोजना से लाभान्वित होने वाले राज्य हैं?
Ans. गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान
Q30. सरदार सरोवर परियोजना की योजना किसने बनायी थी?
Ans. सरदार बल्लभ भाई पटेल (1946)
Q31. सरदार सरोवर परियोजना का शिलान्यास ‘गोरा’ नामक स्थान पर किसने किया था?
Ans. जवाहर लाल नेहरू (1961)
Q32. खोसला समिति किससे सम्बन्धित है?
Ans. सरदार सरोवर परियोजना से
Q33. नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन कब किया गया था?
Ans. 1969 में
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