नई प्रौद्योगिकियों में 5G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, नैनोटेक्नोलॉजी, और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकें शामिल हैं। ये नवाचार जीवन को बेहतर बनाने, उद्योगों को बदलने और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
प्रधानमंत्री जी-वन योजना
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने प्रधानमंत्री जी-वन (जैव ईंधन वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण) योजना के लिए वित्तीय मदद को मंजूरी दे दी है। इसके तहत ऐसी एकीकृत बायो-इथेनॉल परियोजनाओं को, जो लिग्नोसेलुलॉसिक बायोमास और अन्य नवीकरणीय फीडस्टॉक का इस्तेमाल करती हैं, के लिए वित्तीय मदद कर प्रावधान है।
ध्यातव्य है कि इस योजना के लिए 2018-19 से 2023-24 की अवधि में कुल 1969.50 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय को मंजूरी दी गई है। परियोजनाओं के लिए स्वीकृत कुल राशि में से 1800 करोड़ रुपये 12 वाणिज्यिक परियोजनाओं की मदद के लिए, 150 करोड़ रुपये 10 प्रदर्शित परियोजनाओं के लिए और बाकी बचे 9.50 करोड़ रुपये केन्द्र को उच्च प्रौद्योगिकी प्रशासनिक शुल्क के रूप में दिए जाएंगे। इन परियोजनाओं को दो चरणों में वित्तीय मदद दी जाएगी।
1. पहला चरण (2018-19 से 2022-23) इस अवधि में 6 वाणिज्यिक परियोजनाओं और 5 प्रदर्शन के स्तर वाली परियोजनाओं को आर्थिक मदद दी जाएगी।
2. दूसरा चरण (2020-21 से 2023-24) इस अवधि में बाकी बची 6 वाणिज्यिक परियोजनाओं और 5 प्रदर्शन स्तर वाली परियोजनाओं को मदद की व्यवस्था की गई है।
इन परियोजना के तहत दूसरी पीढ़ी के इथेनॉल क्षेत्र को प्रोत्साहित करने और मदद करने का काम किया गया है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 2022 तक पेट्रोल में इथेनॉल का मिश्रण 10 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इथेनॉल की कीमत ज्यादा रखने और इथेनॉल खरीद प्रक्रिया को आसान बनाने के तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद 2017-18 के दौरान इथेनॉल की खरीद 150 करोड़ लीटर ही रही, हांलाकि यह देशभर में पेट्रोल में इथेनॉल के 4.22 प्रतिशत मिश्रण के लिए पर्याप्त है। इथेनॉल इसी वजह से बायोमास और अन्य कचरों से दूसरी पीढ़ी का इथेनॉल प्राप्त करने की संभावनाएँ पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा तलाशी जा रही हैं। इससे ईबीपी कार्यक्रम के तहत किसी तरह होने वाली कमी को पूरा किया जा सकेगा। प्रधानमंत्री जी-वन योजना इसी को ध्यान में रखते हुए लागू की गई है। इसके तहत देश में दूसरी पीढ़ी की इथेनॉल क्षमता विकसित करने और इस नए क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने का प्रयास किया गया है।
इस योजना को लागू करने का अधिकार पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत काम करने वाली एक तकनीकी इकाई सेंटर फॉर हाई टेक्नोलॉजी को सौंपा गया है। ध्यातव्य है कि भारत सरकार ने इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम 2003 में लागू किया था। इसके जरिए पेट्रोल में इथेनॉल का मिश्रण कर पर्यावरण को जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान से बचाना, किसानों को क्षतिपूर्ति दिलाना तथा कच्चे तेल के आयात को कम कर विदेशी मुद्रा बचाना है। वर्तमान में ईबीपी 21 राज्यों और 4 संघ शासित प्रदेशों में चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत तेल विपणन कम्पनियों के लिए पेट्रोल में 10 प्रतिशत तक इथेनॉल मिलाना अनिवार्य बनाया गया है।
• हाइड्रोजन ऊर्जा- हाइड्रोजन को वैकल्पिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल और उसके उत्पादन तथा भंडारण के विभिन्न पहलुओं पर अनुसंधान और विकास परियोजनाएँ। चलायी जा रही हैं। हाइड्रोजन ऊर्जा रोड मैप बनाने एवं हाइड्रोजन ऊर्जा पर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के माध्यम से इसके कार्यान्वयन पर नजर रखने एवं नीतियों के निर्माण के लिए एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा बोर्ड का गठन किया गया है। परिवहन (यातायात) में उपयोग तथा विकेंद्रित ऊर्जा उत्पादन के लिए आंतरिक दहन इंजनों में हाइड्रोजन के सीधे इस्तेमाल के साथ फ्यूल सेल में हाइड्रोजन के इस्तेमाल को प्रदर्शित किया गया है। हाइड्रोजन पर आधारित छोटे जेनरेटर, दुपहिया वाहन और केटालिटिक बर्नरों को विकसित और प्रदर्शित किया गया है। शराब कारखानों से प्राप्त होने वाले अपशिष्ट से हाइड्रोजन पैदा करने के लिए एक पूर्व व्यापारिक पायलट संयंत्र की स्थापना की गयी है। नवंबर, 2005 में नेशनल हाइड्रोजन एनर्जी रोडमैप तैयार किया गया जिसमें हाइड्रोजन पर आधारित एक मिलियन वाहन को रोड पर चलाने के साथ-साथ 2020 तक हाइड्रोजन ईंधन पर आधारित 1,000 मेगावाट क्षमता वाले विद्युत प्रोजक्ट को पूरा करने का लक्ष्य है।
• फ्यूल सेल्स- विभिन्न प्रकार के फ्यूल सेलों-प्रोटोन एक्सचेंज मेंब्रेन फ्यूल सेल्स (PEMFC), फॉस्फोरिक एसिड सेल्स (PAFC) सॉलिड आक्साइड फ्यूल सेल्स (SOFC), डायरेक्ट मेथेनॉल फ्यूल सेल्स (DMFC), डायरेक्ट इथेनाल फ्यूल सेल्स (DEFC) तथा मोल्टेन कार्बोनेट फ्यूल सेल्स (MCFC) के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास करने, फ्यूल सेल्स के लिए उपकरणों एवं सामग्री, जिसमें नियंत्रण एवं यंत्रीकरण प्रणाली शामिल हैं, संबंधी कार्य को बढ़ावा दिया जा रहा है।
बिजली उत्पादन के लिए भेल (बी.एच.ई.एल.) ने 25 किलो वोल्ट क्षमता के PAFC फ्यूल सेल का विकास एवं प्रदर्शन किया है। एस.पी.आई.सी. सांइस फाउंडेशन ने भी एक 5 किलो वोल्ट क्षमता का फ्यूल सेल-बैट्री हाइब्रिड वैन का विकास एवं प्रदर्शन किया है। निर्बाध बिजली उत्पादन के लिए एस.पी.आई.सी. साइंस फांउडेशन द्वारा विकसित एक 3 किलो वोल्ट पी.ई.एफ.सी. क्षमता के संयंत्र में इस समय परिशोधन कार्य किया जा रहा है जिससे इसकी क्षमता में सुधार किया जा सके। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टैक्नोलॉजी, हैदराबाद में मीथेनॉल के प्रयोग से चलने वाले 50 किलो वोल्ट क्षमता की फ्यूल सेल प्रणाली के विकास पर कार्य चल रहा है, जिसमें बाद में हाइड्रोजन का प्रयोग किया जा सकेगा।
• बैटरी से चलने वाले वाहन- बैटरी चालित वाहनों के लिए उच्चतम क्षमता वाली बैटरियों जैसे निकेल धातु के हाइड्राइड, लीथियम आयन और लीथियम पोलीमर, इलेक्ट्रोलाइट बैटरियों तथा सुपर कैपिसिटर्स से संबंधित अनुसंधान और विकास परियोजनाओं को सहायता प्रदान की जा रही है। बिजली से चलने वाले स्कूटर को चलाने के लिए विकसित की गई निकेल धातु हाइड्राइड बैटरियों का व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा है।
भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी
दि इंडियन रिन्युबल एनर्जी डेवलेपमेंट एजेंसी (IREDA) अथवा भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी एक I.S.O. 9001-2001 प्रमाणित सार्वजनिक क्षेत्र की गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी है जो ग्रिड की अन्योन्य क्रिया अक्षय ऊर्जा परियोजना का वित्त पोषण करती है। यह अक्षय ऊर्जा और ऊर्जा कुशलता/संरक्षण परियोजनाओं को इस तरह की परियोजनाएं स्थापित करने के लिए रियायती दरों पर वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है।
शीर्ष अक्षय ऊर्जा (Renewable Energy ) उत्पादक राष्ट्र 2019 | |
देश | उत्पादन (टेरावाट में) |
• चीन | 732.3 |
• यू.एस.ए. | 489.8 |
• जर्मनी | 224.1 |
• भारत | 134.9 |
• जापान | 112.2 |
शीर्ष अक्षय ऊर्जा उपभोग (Comsumption) वाले राष्ट्र 2019 | |
रैंक | देश |
• प्रथम | चीन |
• द्वितीय | यू.एस.ए. |
• तृतीय | जर्मनी |
• चतुर्थ | भारत |
• पंचम | जापान |
नेशनल क्लीन एनर्जी फण्ड (NCEF)
‘ग्रीन’ एनर्जी परियोजनाओं व सम्बन्धित अनुसंधान कार्यों के वित्तीयन हेतु एक नेशनल क्लीन एनर्जी फण्ड (NCEF) के गठन के प्रस्ताव को केन्द्रीय मंत्रिमण्डल की 6 अप्रैल, 2011 की बैठक में मंजूरी प्रदान की गई थी। कोयला, लिग्नाइट व पीट पर 50 रुपए प्रति क्विंटल का उपकर (Cess) लगाकर ऐसे कोष के गठन का प्रस्ताव 2010-11 के केन्द्रीय बजट में किया गया था। इसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा के लिए की जा रही पहलों का वित्त पोषण करना एवं उन्हें बढ़ावा देना तथा स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अनुसंधान या इससे संबंधित किसी अन्य प्रयोजन के लिए वित्तपोषण करना है।
बायोडीजल मिशन
1300 करोड़ रुपये के बायोडीजल मिशन के जरिए देश में योजनाबद्ध ढंग से रतनजोत की खेती होनी थी। मिशन वर्ष 2011-12 तक डीजल में करीब 20 फीसदी बायोडीजल मिलाने के लक्ष्य को सामने रखकर तैयार किया गया था। ग्यारहवीं योजना के अन्त तक देश में डीजल की कुल मांग करीब 6.7 करोड़ टन थी। डीजल में 20 फीसदी बायोडीजल मिलाने के लक्ष्य के आधार पर वर्ष 2011-12 तक कुल 1.4 करोड़ टन बायोडीजल की जरुरत थी। इस मिशन को दो चरणों में बांटा जा रहा है। पहला चरण देश में विभिन्न पंचायतों के अधीन परती भूमि पर जटरोफा की खेती का है, जबकि दूसरा चरण बायोडीजल के उत्पादन पर आधारित है। इसके तहत करीब पाँच लाख हेक्टेयर भूमि पर जटरोफा उगाया जाना हैं। देश में कुल 55.27 लाख हेक्टेयर परती भूमि है, जिसमें से 43.15 लाख हेक्टेयर भूमि पर उपज हो सकती है। बायोडीजल के लिए जटरोफा यानी रतनजोत मुख्य फसल होगी, लेकिन इसके साथ ही पनगैमिया यानी करंजा की खेती पर भी प्रयोग किए जाएगें। आन्ध्र प्रदेश में इसकी प्रायोगिक खेती शुरु हो गई है।
आन्ध्र प्रदेश के काकीनाड़ा में देश का पहला बायोडीजल संयन्त्र 13 अक्टूबर, 2007 को शुरू हुआ। इस संयन्त्र में बायोडीजल का उत्पादन हैदराबाद की कम्पनी नेचुरल बायोइनर्जी द्वारा प्रारम्भकिया गया। यहाँ प्रतिवर्ष 20 मिलियन गैलन बायोडीजल का उत्पादन होने की सम्भावना थी, जो मुख्यतः अमेरिका एवं यूरोपीय देशों को निर्यात किया जाना था। ध्यातव्य है कि पश्चिमी देशों में ईंधन के वैकल्पिक तौर पर बायोडीजल को प्राथमिकता दी जा रही है। 80 डॉलर प्रति बैरल तेल के मुकाबले बायोडीजल के सस्ता होने के कारण पाश्चात्य देशों में इसकी मांग बढ़ी है। वैसे अमेरिका में बायोडीजल के स्थान पर ग्रीन डीजल का निर्माण किए जाने पर बल दिया जा रहा है।
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FAQs
Q1. ओटेक ऊर्जा का विचार सर्वप्रथम किसने दिया था?
Ans. आर्सेल डी आर्सोनवल (फ्रान्सीसी)
Q2. भारत में ज्वारीय ऊर्जा की सर्वाधिक सम्भावना कहाँ पायी जाती है?
Ans. लक्षद्वीप, अण्डमान निकोबार द्वीप समूह एवं खम्भात की खाड़ी
Q3. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी कहाँ स्थित है?
Ans. गोवा में
Q4. ओटेक ऊर्जा उत्पादन के लिए समुद्र के सतही जल का तापमान कितने डिग्री सेंटीग्रेट से ऊपर होना चाहिए?
Ans. 25-27°C
Q5. भारत का प्रथम समुद्री तरंग विद्युत संयंत्र कहाँ लगाया गया है?
Ans. विझिंगम (केरल)
Q6. अक्षय ऊर्जा दिवस कब मनाया जाता है?
Ans. 20 अगस्त (राजीव गाँधी का जन्म दिन)
Q7. सभी इंजीनियरिंग कालेजों एवं टेक्नोलॉजी संस्थानों में स्थापित अक्षय ऊर्जा क्लब (R.E.C.) को कितना अनुदान दिया जाता है?
Ans. 25000 रु.
Q8. बायो-डीजल के आविष्कारक कौन थे?
Ans. जोस-दे-सा पैरेंत (ब्राजील)