नीति आयोग (NITI Aayog)
• 1950 के दशक में गठित ‘योजना आयोग’ के स्थान पर एक नई संस्था लाने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2014 को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने सम्बोधन में की थी, मंत्रिमण्डल के एक प्रस्ताव के अंतर्गत यह नई संस्था 1 जनवरी, 2015 से अस्तित्व में आ गई है।
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• इस नई संस्था को राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान (National Institution for Trans- forming India-NITI) नाम दिया गया है तथा आमतौर पर ‘नीति आयोग’ (NITI Aayog) के नाम से इसे जाना जा रहा है।
• नीति आयोग की मुख्य भूमिका राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व के विभिन्न नीतिगत मुद्दों पर केन्द्र तथा राज्य सरकारों को जरूरी रणनीतिक तथा तकनीकी परामर्श देने की होगी। आयोग के लिए 13 सूत्री उद्देश्य रखे गए हैं।
नीति आयोग की संरचना
• नीति आयोग की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे। प्रो. अरविंद पनगढ़िया को इसका प्रथम उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
• इस आयोग में राज्य के मुख्यमन्त्रियों तथा निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को अधिक अहम भूमिका दी गई है, जो संघीय ढाँचे को मजबूत करेगी, जबकि योजना आयोग में केन्द्रियता को महत्त्व दिया गया था। इसकी संरचना निम्न प्रकार की बनाई गई है।
नीति आयोग के अध्यक्ष | भारत का प्रधानमन्त्री |
उपाध्यक्ष | भारत के प्रधानमन्त्री द्वारा नियुक्त किया जाएगा। |
गवर्निंग काउन्सिल | भारत के सभी मुख्यमंत्री, केन्द्र शासित प्रदेशों के राज्यपाल/प्रशासक |
विशेष आमन्त्रित सदस्य | विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ (प्रधानमंत्री द्वारा नामित) |
पूर्णकालिक सदस्य | इनकी संख्या पाँच होगी। |
अंशकालिक सदस्य | दो पदेन सदस्य तथा विश्वविद्यालयों के शिक्षक क्रम के अनुसार |
पदेन सदस्य | भारत के चार केन्द्रीय मन्त्री |
सीईओ | केन्द्र के सचिव स्तर का अधिकारी, जिसे निश्चित कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाएगा। |
नीति आयोग के उद्देश्य
• इसका मुख्य उद्देश्य है-भारतीय सशक्त राज्य से सशक्त राष्ट्र का निर्माण, सरकारी संघवाद को समृद्ध करना।
• भारत में ग्राम स्तर पर योजनाएँ बनाने के तन्त्र को विकसित करना।
• रणनीतिक और दीर्घावधि के लिए नीति तथा कार्यक्रमों का ढाँचा तैयार करना।
• राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों तथा आर्थिक नीति में तालमेल ।
• आर्थिक प्रकति से वंचित रहे वर्गों पर विशेष ध्यान देना।
• प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाला यह आयोग सरकार के थिंक टैंक (बौद्धिक संस्थान) के रूप में कार्य करेगा तथा केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों के लिए भी नीति निर्माण करने वाले संस्थान की भूमिका यह निभाएगा।
• केन्द्र एवं राज्य सरकारों को राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय महत्व के महत्वपूर्ण मुद्दों पर यह रणनीतिक एवं तकनीकी सलाह भी देगा।
• सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों तथा केन्द्रशासित क्षेत्रों के उपराज्यपालों को नीति आयोग की अधिशासी परिषद् (Governing Council) में शामिल किया गया है। इस प्रकार नीति आयोग का स्वरूप योजना आयोग की तुलना में अधिक संघीय बनाया गया है।
• प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले इस आयोग में एक उपाध्यक्ष एवं एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (Chief Executive Officer CEO) का प्रावधान किया गया है।
• पूर्ववर्ती योजना आयोग की सभी परिसम्पत्तियाँ एवं देनदारियाँ आदि नए नीति आयोग के नाम से सरकार ने कर दी है।
प्रथम से बारहवीं पंचवर्षीय योजना का मुख्य तथ्य
● प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-1956)
• प्रथम योजना हेरॉड-डोमर मॉडल पर आधारित थी।
• प्रथम योजना में ही भाखड़ा नांगल, दामोदर घाटी एवं हिराकुण्ड जैसी बहुउद्देश्यीय नदी परियोजनाएँ चालू की गई।
● द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-61)
• द्वितीय योजना पी. सी. महालनोबिस द्वारा विकसित 4 क्षेत्रीय मॉडल पर आधारित थी। मॉडल में सम्मिलित क्षेत्र थे- पूंजीगत वस्तु क्षेत्र, फैक्ट्री उत्पादित उपभोग वस्तु क्षेत्र, लघु इकाई उत्पादन क्षेत्र तथा घरेलू उद्योग क्षेत्र ।
• द्वितीय योजना में ही राऊरकेला (ओडिशा), भिलाई (छत्तीसगढ़), दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल), इस्पात सयंत्र की स्थापना की गई।
● तृतीय पंचवर्षीय योजना (1961-1966)
• यह योजना भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने तथा स्वतः स्फूर्त बनाने के लक्ष्य के साथ चालू की गई।
• तृतीय योजना के प्लान मॉडल का स्पष्ट उल्लेख नहीं था किन्तु इस योजना पर महालनोबिस के चार क्षेत्रीय मॉडल, डॉ. सैण्डे के डिमॉन्सट्रेसन प्लानिंग मॉडल तथा सुखमय चक्रवर्ती मॉडल का प्रभाव था।
• तीसरी योजना की विफलता का प्रमुख कारण भारत चीन युद्ध (1962), भारत पाकिस्तान युद्ध (1965), तथा 1965-66 का सूखा था। फलस्वरूप योजनान्तर्गत मूल्य स्तर में वृद्धि, खाद्यान्नों में कमी, विदेशी विनिमय संकट, भारी मात्रा में व्यापार खाते में प्रतिकूल शेष आदि समस्याओं से जूझना पड़ा।
● चतुर्थ पंचवर्षीय योजना (1969-1974)
• योजना का प्रारूप योजना आयोग के उपाध्यक्ष डी. आर. गाडगिल ने तैयार किया।
• चौथी योजना का मूल उद्देश्य “स्थिरता के साथ आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता की प्राप्ति” था।
• द्रुत गति से औद्योगिक विकास तथा आधारभूत एवं भारी उद्योगों पर विशेष बल दिया गया।
● पाँचवीं पंचवर्षीय योजना (1974-1978)
• इस योजना का उद्देश्य गरीबी निवारण एवं आत्मनिर्भरता की प्राप्ति था।
• इस योजना को जनता पार्टी की सरकार ने समय से एक वर्ष पूर्व ही समाप्त कर दिया और छठी योजना (1978-83) लागू किया जिसे अनवरत योजना (Rolling Plan) का नाम दिया गया इसका प्रतिपादन गुनार मिर्डाल ने किया तथा इसे भारत में लागू करने का श्रेय डी. टी. लकड़ावाला को है।
● छठी पंचवर्षीय योजना (1980-1985)
• गरीबी निवारण, आर्थिक विकास, आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता तथा सामाजिक न्याय योजना के प्रमुख उद्देश्य थे।
• ग्रामीण बेरोजगार के उन्मूलन से सम्बन्धित कार्यक्रम IRDP, NREP, TRYSEM, DWACRA, RLEGP इसी योजना में लागू किए गए
● सातवीं योजना (1985-1990)
• इस योजना का लक्ष्य अनाजों के उत्पादन में वृद्धि, रोजगार के अवसरों और उत्पादकता में वृद्धि, आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता और सामाजिक न्याय की मूलभूत अवधारणा को समाहित करते हुए सामाजिक प्रणाली की स्थापना आदि था।
• बेरोजगारी और साथ ही गरीबी दूर करने के लिए पहले से चल रहे कार्यक्रमों के अलावा जवाहर रोजगार योजना जैसे विशेष कार्यक्रम शुरू किए गए।
● आठवीं योजना (1992-97)
• आठवीं योजना उदारीकृत अर्थव्यवस्था के रूप में परिणित जॉन डब्ल्यू मिलर मॉडल पर आधारित थी तथा इसका लक्ष्य मानव संसाधन विकास था।
● नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002)
• नौवीं योजना का मुख्य उद्देश्य मानव विकास के साथ-साथ न्यायपूर्ण वितरण और समानता के साथ विकास करना था।
• इसमें सात बुनियादी न्यूनतम सेवाओं पर बल दिया गया। इन सेवाओं में शुद्ध, पेयजल, प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, घर, बच्चों के लिए पोषक आहार, गाँवों और बस्तियों तक सड़क, गरीबों के लिए सार्वजनिक वितरण व्यवस्था बेहतर करना शामिल था।
● दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-2007)
• अधिक व्यापक आगत निर्गत मॉडल पर आधारित।
• योजनान्तर्गत 5 करोड़ रोजगार (1 करोड़ रोजगार वार्षिक की दर से) अवसरों का सृजन।
• 10 वीं योजना में सर्वाधिक बल कृषि विकास पर था जबकि ऊर्जा पर सर्वाधिक व्यय रहा।
● 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012)
• यह योजना तीव्रतर और अधिक समावेशी विकास की एक व्यापक रणनीति प्रस्तुत करती है।
● 12 वीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017)
• 12 वीं पंचवर्षीय योजना का उपशीर्षक है- तीव्र धारणीय और अधिक समावेशी विकास है।
• ग्रामीण भारत में 12 वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक 50 प्रतिशत ग्राम पंचायत को निर्मल ग्राम का स्तर प्राप्त करना।
• 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक 90% भारतीय परिवारों में बैंकिंग सुविधाओं को पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है।
• पर्यावरण के क्षेत्र में ग्रीन कवर को 1 मिलियन हेक्टेयर प्रतिवर्ष बढ़ाना लक्ष्य रखा गया है। साथ ही उत्सर्जन क्षमता को भी 2020 तक 25% तक कम करना लक्ष्य है।
भारत की पंचवर्षीय योजनाओं की स्थिति
योजना काल | विकास लक्ष्य % में | वास्तविक % औसत में | मॉडल | प्राथमिकता के क्षेत्र |
पहली (1951-56) | 2.1 | 3.61 | हैरॉड-डोमर | कृषि, सिंचाई तथा विद्युत |
दूसरी (1956-61) | 4.5 | 4.27 | प्रो. पी. सी. महालनोबिस | भारी उद्योग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य |
तीसरी (1961-66) | 5.6 | 2.84 | सुखमनी चक्रवर्ती तथा जे. सैण्डी सुब्रह्मणियम | खाद्यान्न तथा उद्योग |
चौथी (1969-74) | 5.7 | 3.40 | अशोक रुद्र तथा ए.एस. मैनी | कृषि तथा सिंचाई |
पाँचवीं (1974-79) | 4.4 | 4.9 | डी. पी. धर | जन स्वास्थ्य, समाज कल्याण |
छठी (1980-85) | 5.2 | 5.4 | ग्रोथ (आगत-निर्गत) मॉडल | कृषि, उद्योग तथा ऊर्जा |
सातवीं (1985-90) | 5.0 | 5.6 | प्रणब मुखर्जी (वस्तु- मजदूरी) | खाद्यान्न तथा ऊर्जा |
आठवीं (1992-97) | 5.6 | 6.6 | जॉन डब्ल्यू, मिलर | मानव संसाधन (शिक्षा) स्वास्थ्य तथा रोजगार विकास |
नौवीं (1997-02) | 6.5 | 5.70 | आगत-निर्गत मॉडल | रोजगार, ग्राम विकास तथा सामाजिक व्यक्ति |
दसवीं (2002-07) | 7.9 | 7.8 | योजना आयोग का पत्र | रोजगार, ऊर्जा-सुधार तथा सामाजिक संरचना का विकास |
ग्यारहवीं (2007-12) | 9.0 | 7.9 | प्रो. सी. रंगराजन (योजना आयोग का पत्र) | तीव्रतर और अधिक समावेशी विकास |
बारहवीं (2012-17) | 8.0 | – | योजना आयोग का पत्र | तीव्र धारणीय और अधिक समावेशी विकास |
वित्त आयोग ( Finance Commission)
• केन्द्र से राज्यों को वित्तीय हस्तांतरण के लिए दिशा-निर्देश सुझाने हेतु वित्त आयोग (Finance Commission) का गठन किया जाता है। संविधान के अनुच्छेद 280 में यह व्यवस्था है कि राष्ट्रपति द्वारा प्रत्येक पाँच वर्ष के पश्चात् या आवश्यकता पड़ने पर उससे पूर्व एक वित्त आयोग का गठन किया जाएगा जिसमें अध्यक्ष के अतिरिक्त चार अन्य सदस्य होंगे।
• अनुच्छेद 280 के अनुसार आयोग का कर्तव्य होगा कि वह राष्ट्रपति को निम्नलिखित के सम्बन्ध में अपनी संस्तुतियाँ दे-
(1) केन्द्र तथा राज्यों के बीच विभाजनीय करों से प्राप्त शुद्ध राजस्व का वितरण तथा इसमें विभिन्न राज्यों का हिस्सा।
(2) भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) में से राज्यों को दिए जाने वाले अनुदानों (Grant-in-aid) के लिए सिद्धांत।
(3) सुदृढ़ वित्त के हित में राष्ट्रपति द्वारा आयोग को निर्दिष्ट किया गया अन्य कोई मामला।
• अब तक गठित चौदह में से 14 वित्त आयोगों ने अपनी सिफारिशें दे दी हैं। इन्हें तीन शीर्षकों के अन्तर्गत विभाजित किया जा सकता है-
(क) आय कर तथा अन्य करों का विभाजन तथा वितरण
(ख) अनुदान एवं
(ग) संघ द्वारा राज्यों के लिए गए ऋण
भारत के वित्त आयोग
क्रमांक | गठन का वर्ष | अध्यक्ष का नाम | क्रियान्वयन वर्ष | रिपोर्ट देने का वर्ष |
पहला | 1951 | के० सी० नियोगी | 1952-1957 | 1952 |
दूसरा | 1956 | के० एस० सन्थानम | 1957-1962 | 1957 |
तीसरा | 1960 | ए० के० चन्दा | 1962-1966 | 1961 |
चौथा | 1964 | डॉ॰ पी॰ वी॰ राजामन्नार | 1966-1969 | 1965 |
पाँचवाँ | 1968 | महावीर त्यागी | 1969-1974 | 1969 |
छठा | 1972 | ब्रह्मानन्द रेड्डी | 1974-1979 | 1973 |
सातवाँ | 1977 | जे० एम० शेलेट | 1979-1984 | 1978 |
आठवाँ | 1983 | वाई० बी० चव्हाण | 1984-1989 | 1984 |
नवाँ | 1987 | एन० के० पी० साल्वे | 1989-1995 | 1989 |
दसवाँ | 1992 | के० सी० पन्त | 1995-2000 | 1994 |
ग्यारहवाँ | 1998 | ए० एम० खुसरो | 2000-2005 | 2000 |
बारहवाँ | 2002 | डॉ. सी. रंगराजन | 2002-2010 | 2004 |
तेरहवाँ | 2007 | डॉ. विजय एल. केलकर | 2010-2015 | 2009 |
चौदहवाँ | 2013 | वाई.वी. रेड्डी | 2015-2020 | 2014 |
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निष्कर्ष:
हम आशा करते हैं कि आपको यह पोस्ट नीति आयोग जरुर अच्छी लगी होगी। नीति आयोग के बारें में काफी अच्छी तरह से सरल भाषा में समझाया गया है। अगर इस पोस्ट से सम्बंधित आपके पास कुछ सुझाव या सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताये। धन्यवाद!
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