क्या आप मानवरहित विश्व की कल्पना कर क् सकते है? संसाधनों का उपयोग एवं सामाजिक तथा सांस्कृतिक वातावरण का निर्माण कौन करता है? समाज एवं अर्थव्यवस्था के विकास में मानव का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। मानव, संसाधनों का निर्माण एवं उपयोग तो करते ही हैं, वे स्वयं भी विभिन्न गुणों वाले संसाधन होते हैं। कोयला तब तक चट्टान का एक टुकड़ा था जब तक कि मानव ने उसे प्राप्त करने की तकनीक का आविष्कार करके उसे एक संसाधन नहीं बनाया। प्राकृतिक घटनाएँ, जैसे बाढ़ या सुनामी, जब किसी घनी आबादी वाले गाँव या शहर को प्रभावित करते हैं, तभी वो ‘आपदा’ बनते हैं।
इसलिए, सामाजिक अध्ययन में जनसंख्या एक आधारी तत्त्व है। यह एक संदर्भ बिंदु है जिससे दूसरे तत्त्वों का अवलोकन किया जाता है तथा उसके अर्थ एवं महत्त्व ज्ञात किए जाते हैं। ‘संसाधन’, ‘आपदा’ एवं ‘विनाश’ का अर्थ केवल मानव के लिए ही महत्त्वपूर्ण है। उनकी संख्या, वितरण, वृद्धि एवं विशेषताएँ या गुण पर्यावरण के सभी स्वरूपों को समझने तथा उनकी विवेचना करने के लिए मूल पृष्ठभूमि प्रदान करते हैं।
मानव पृथ्वी के संसाधनों का उत्पादन एवं उपभोग करता है। इसलिए यह जानना आवश्यक है कि एक देश में कितने लोग निवास करते हैं, वे कहाँ एवं कैसे रहते है, उनकी संख्याओं में वृद्धि क्यों हो रही है तथा उनकी कौन-कौन सी विशेषताएँ हैं। भारतीय जनगणना हमारे देश की जनसंख्या से संबंधित जानकारी हमें प्रदान 4.
जनसंख्या का आकार एवं वितरण
भारत की जनसंख्या का आकार एवं संख्या के आधार पर वितरण
मार्च 2011 तक भारत की जनसंख्या 12,106 लाख थी, जो कि विश्व की कुल जनसंख्या के 17 प्रतिशत से अधिक थी। यह 12.1 करोड लोग भारत के 32.8 लाख वर्ग कि० मी० (विश्व के स्थलीय भूभाग का 2.4 प्रतिशत) के विशाल क्षेत्र में असमान रूप से वितरित हुए हैं (चित्र 6.1)। 201 की जनगणना के अनुसार देश की अधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश है जहाँ की कुल आबादी 1990 लाख है। उत्तर प्रदेश में देश की कुल जनसंख्या का 16 प्रतिशत हिस्सा निवास करता है। दूसरी ओर हिमालय क्षेत्र के राज्य, सिक्किम की आबादी केवल 6 लाख ही है तथा लक्षद्वीप में केवल 64,429 हजार लोग निवास करते हैं।
भारत की लगभग आधी आबादी केवल पाँच राज्यों में निवास करती है। ये राज्य हैं उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं आंध्र प्रदेश। क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान सबसे बड़ा राज्य है, जिसकी आबादी भारत की कुल जनसंख्या का केवल 5.5 प्रतिशत है।
घनत्व के आधार पर भारत में जनसंख्या वितरण
जनसंख्या घनत्व, असमान वितरण का बेहतर चित्र प्रस्तुत करता है। प्रति इकाई क्षेत्रफल में रहने वाले लोगों की संख्या को जनसंख्या घनत्व कहते हैं। भारत विश्व के घनी आबादी वाले देशों में से एक है।
2011 में भारत का जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि॰मी॰ था। जहाँ बिहार का जनसंख्या घनत्व 1,102 व्यक्ति प्रति कि॰मी॰ है, वहीं अरुणाचल प्रदेश में यह 17 व्यक्ति प्रति कि॰मी॰ है। चित्र 6.3 राज्यस्तरीय जनसंख्या घनत्व के असमान वितरण को दर्शाता है।
250 व्यक्ति प्रति वर्ग कि॰मी॰ से कम जनसंख्या घनत्व वाले राज्यों के नाम बताइए। पर्वतीय क्षेत्र तथा प्रतिकूल जलवायवी अवस्थाएँ इन क्षेत्रों की विरल जनसंख्या के लिए उत्तरदायी है। किस राज्य का जनसंख्या घनत्व 250 व्यक्ति प्रति वर्ग कि॰मी॰ से भी कम है और क्यों?
असम एवं अधिकतर प्रायद्वीपीय राज्यों का जनसंख्या घनत्व मध्यम है। पहाड़ी, कटे-छँटे एवं पथरीले भूभाग, मध्यम से कम वर्षा, छिछली एवं कम उपजाऊ मिट्टी इन राज्यों के जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करती है।
उत्तरी मैदानी भाग एवं दक्षिण में केरल का जनसंख्या घनत्व बहुत अधिक है, क्योंकि यहाँ समतल मैदान एवं उपजाऊ मिट्टी पायी जाती है तथा पर्याप्त मात्रा में वर्षा होती है। उत्तरी मैदान के अधिक जनसंख्या घनत्व वाले तीन राज्यों के नाम बताएँ।
जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या परिवर्तन की प्रक्रिया
जनसंख्या एक परिवर्तनशील प्रक्रिया है। आबादी की संख्या, वितरण एवं संघटन में लगातार परिवर्तन होता है। यह परिवर्तन तीन प्रक्रियाओं- जन्म, मृत्यु एवं प्रवास के आपसी संयोजन के प्रभाव के कारण होता है।
जनसंख्या वृद्धि
जनसंख्या वृद्धि का अर्थ होता है, किसी विशेष समय अंतराल में, जैसे 10 वर्षों के भीतर, किसी देश/राज्य के निवासियों की संख्या में परिवर्तन। इस प्रकार के परिवर्तन को दो प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है। पहला, सापेक्ष वृद्धि तथा दूसरा, प्रति वर्ष होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के द्वारा।
प्रत्येक वर्ष या एक दशक में बढ़ी जनसंख्या, कुल संख्या में वृद्धि का परिमाण है। पहले की जनसंख्या (जैसे 2001 की जनसंख्या) को बाद की जनसंख्या (जैसे 2011 की जनसंख्या) से घटा कर इसे प्राप्त किया जाता है। इसे ‘निरपेक्ष वृद्धि’ कहा जाता है।
जनसंख्या की वृद्धि का दर दूसरा महत्त्वपूर्ण पहलू है। इसका अध्ययन प्रति वर्ष प्रतिशत में किया जाता है, जैसे प्रति वर्ष 2 प्रतिशत वृद्धि की दर का अर्थ है कि दिए हुए किसी वर्ष की मूल जनसंख्या में प्रत्येक 100 व्यक्तियों पर 2 व्यक्तियों की वृद्धि। इसे वार्षिक वृद्धि दर कहा जाता है।
भारत की आबादी 1951 में 3,610 लाख से बढ़ कर 2011 में 12,100 लाख हो गई है।
सारणी 6.1: भारत की जनसंख्या वृद्धि का परिमाण एवं दर
वर्ष | कुल जनसँख्या ( दस लाख में ) | एक दशक में सापेक्ष वृद्धि ( लाख में ) | वार्षिक वृद्धि दर ( प्रतिशत ) |
1951 | 361.0 | 42.43 | 1.25 |
1961 | 439.2 | 78.15 | 1.96 |
1971 | 548.2 | 108.92 | 2.20 |
1981 | 683.3 | 135.17 | 2.22 |
1991 | 846.4 | 163.09 | 2.16 |
2001 | 1028.7 | 182.32 | 1.97 |
2011 | 1210.6 | 181.4 | 1.64 |
सारणी 6.1 एवं चित्र 6.4 (अ) व 6.4 (ब) दर्शाते हैं कि 1951 से 1981 तक जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर नियमित रूप से बढ़ रही थी। ये जनसंख्या में तीव्र वृद्धि की व्याख्या करता है, जो 1951 में 3,610 लाख से 1981 में 6.830 लाख हो गई।
किंतु 1981 से वृद्धि दर धीरे-धीरे कम होने लगी। इस दौरान जन्म दर में तेजी से कमी आई, फिर भी केवल 1990 में कुल जनसंख्या में 1,820 लाख की वृद्धि हुई थी (इतनी बड़ी वार्षिक वृद्धि इससे पहले कभी नहीं हुई)।
इस पर ध्यान देना आवश्यक है कि भारत की आबादी बहुत अधिक है। जब विशाल जनसंख्या में कम वार्षिक दर लगाया जाता है तब इसमें सापेक्ष वृद्धि बहुत अधिक होती है। जब 10 करोड़ जनसंख्या में न्यूनतम दर से भी वृद्धि होती है तब भी जुड़ने वाले लोगों की कुल संख्या बहुत अधिक होती है। भारत की वर्तमान जनसंख्या में वार्षिक वृद्धि संसाधनों एवं पर्यावरण के संरक्षण को निष्क्रिय करने के लिए पर्याप्त है।
वृद्धि दर में कमी, जन्म दर नियंत्रण के लिए किए जा रहे प्रयासों की सफलता को प्रदर्शित करता है। इसके बावजूद जनसंख्या की वृद्धि जारी है तथा 2023 में भारत, चीन को पीछे छोड़ते हुए विश्व के सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया।
जनसंख्या वृद्धि/परिवर्तन की प्रक्रिया
जनसंख्या में होने वाले परिवर्तन की तीन मुख्य प्रक्रियाएँ हैं – जन्म दर, मृत्यु दर एवं प्रवास। जन्म दर एवं मृत्यु दर के बीच का अंतर जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि है।
एक वर्ष में प्रति हज़ार व्यक्तियों में जितने जीवित बच्चों का जन्म होता है, उसे ‘जन्म दर’ कहते हैं। यह वृद्धि का एक प्रमुख घटक है क्योंकि भारत में हमेशा जन्म दर, मृत्यु दर से अधिक रहा है।
एक वर्ष में प्रति हज़ार व्यक्तियों में मरने वालों की संख्या को ‘मृत्यु दर’ कहा जाता है। मृत्यु दर में तेज़ गिरावट भारत की जनसंख्या में वृद्धि की दर का मुख्य कारण है।
1980 तक उच्च जन्म दर एवं मृत्यु दर में लगातार गिरावट के कारण जन्म दर तथा मृत्यु दर में काफी बड़ा अंतर आ गया एवं इसके कारण जनसंख्या वृद्धि दर अधिक हो गई। 1981 से धीरे-धीरे जन्म दर में भी गिरावट आनी शुरू हुई जिसके परिणामस्वरूप जनसंख्या वृद्धि दर में भी गिरावट आई। इस प्रकार के चलन का क्या कारण है?
जनसंख्या वृद्धि का तीसरा घटक है प्रवास। लोगों का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में चले जाने को प्रवास कहते हैं। प्रवास आंतरिक (देश के भीतर) या अंतर्राष्ट्रीय (देशों के बीच) हो सकता है।
आंतरिक प्रवास जनसंख्या के आकार में कोई परिवर्तन नहीं लाता है, लेकिन यह एक देश के भीतर जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करता है। जनसंख्या वितरण एवं उसके घटकों को परिवर्तित करने में प्रवास की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
भारत में अधिकतर प्रवास ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों की ओर होता है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में ‘अपकर्षण’ (Push) कारक प्रभावी होते हैं। ये ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी एवं बेरोज़गारी की प्रतिकूल अवस्थाएँ हैं तथा नगर का ‘अभिकर्षण’ (Pull) प्रभाव रोजगार में वृद्धि एवं अच्छे जीवन स्तर को दर्शाता है।
प्रवास जनसंख्या परिवर्तन का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। ये केवल जनसंख्या के आकार को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि उम्र एवं लिंग के दृष्टिकोण से नगरीय एवं ग्रामीण जनसंख्या की संरचना को भी परिवर्तित करता है। भारत में, ग्रामीण-नगरीय प्रवास के कारण शहरों तथा नगरों की जनसंख्या में नियमित वृद्धि हुई है। 1951 में कुल जनसंख्या की 17.29 प्रतिशत नगरीय जनसंख्या थी, जो 2011 में बढ़कर 31.80 प्रतिशत हो गई। एक दशक (2001 से 2011) के भीतर दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों की संख्या 35 से बढ़कर 53 हो गई तथा 2023 में 59 हो गई।
किशोर जनसंख्या
भारत की जनसंख्या का सबसे महत्त्वपूर्ण लक्षण इसकी किशोर जनसंख्या का आकार है। यह भारत की कुल जनसंख्या का पाँचवाँ भाग है। किशोर प्रायः 10 से 19 वर्ष की आयु वर्ग के होते हैं। ये भविष्य के सबसे महत्त्वपूर्ण मानव संसाधन हैं। किशोरों के लिए पोषक तत्त्वों की आवश्यकताएँ बच्चों तथा वयस्कों से अधिक होती है। कुपोषण से इनका स्वास्थ्य खराब तथा विकास अवरोधित हो सकता है। परंतु भारत में किशोरों को प्राप्त भोजन में पोषक तत्त्व अपर्याप्त होते हैं। बहुत-सी किशोर बालिकाएँ रक्तहीनता से पीड़ित रहती है। विकास की प्रक्रिया में उनकी समस्याओं पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। किशोर बालिकाओं को अपनी समस्याओं के प्रति संवेदनशील बनाना चाहिए। शिक्षा के प्रसार तथा इसमें सुधार के द्वारा उनमें इन समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ायी जा सकती है।
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति
परिवारों के आकार को सीमित रखकर एक व्यक्ति के – स्वास्थ्य एवं कल्याण को सुधारा जा सकता है, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 1952 में एक व्यापक परिवार नियोजन कार्यक्रम को प्रारंभ किया। परिवार कल्याण कार्यक्रम जिम्मेदार तथा सुनियोजित पितृत्व को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत है। राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000, कई वर्षों के नियोजित प्रयासों का परिणाम है।
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000, 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने, शिशु मृत्यु दर को प्रति 1000 में 30 से कम करने, व्यापक स्तर पर टीकारोधी बीमारियों से बच्चों को छुटकारा दिलाने, लड़कियों की शादी की उम्र को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने तथा परिवार नियोजन को एक जन केंद्रित कार्यक्रम बनाने के लिए नीतिगत ढाँचा प्रदान करती है।
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अभ्यास
1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में सही विकल्प चुनिएः
(i) निम्नलिखित में से किस क्षेत्र में प्रवास, आबादी की संख्या, वितरण एवं संरचना में परिवर्तन लाता है
(क) प्रस्थान करने वाले क्षेत्र में
(ख) आगमन वाले क्षेत्र में
(ग) प्रस्थान एवं आगमन दोनों क्षेत्रों में
(घ) इनमें से कोई नहीं
Ans. (ग) प्रस्थान एवं आगमन दोनों क्षेत्रों में
(ii) जनसंख्या में बच्चों का एक बहुत बड़ा अनुपात निम्नलिखित में से किसका परिणाम है
(क) उच्च जन्म दर
(ख) उच्च मृत्यु दर
(ग) उच्च जीवन दर
(घ) अधिक विवाहित जोड़े
Ans. (क) उच्च जन्म दर
(iii) निम्नलिखित में से कौन-सा एक जनसंख्या वृद्धि का परिमाण दर्शाता है
(क) एक क्षेत्र की कुल जनसंख्या
(ख) प्रत्येक वर्ष लोगों की संख्या में होने वाली वृद्धि
(ग) जनसंख्या वृद्धि को दर
(घ) प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या
Ans. (ख) प्रत्येक वर्ष लोगों की संख्या में होने वाली वृद्धि
(iv) 2011 की जनगणना के अनुसार एक ‘साक्षर’ व्यक्ति वह है
(क) जो अपने नाम को पढ़ एवं लिख सकता है।
(ख) जो किसी भी भाषा में पढ़ एवं लिख सकता है।
(ग) जिसकी उम्र 7 वर्ष है तथा वह किसी भी भाषा को समझ के साथ पढ़ एवं लिख सकता है।
(घ) जो पढ़ना-लिखना एवं अंकगणित, तीनों जानता है।
Ans. (ग) जिसकी उम्र 7 वर्ष है तथा वह किसी भी भाषा को समझ के साथ पढ़ एवं लिख सकता है।
2. निम्नलिखित के उत्तर संक्षेप में दें।
(i) जनसंख्या वृद्धि के महत्त्वपूर्ण घटकों की व्याख्या करें।
Ans. जनसंख्या वृद्धि के महत्त्वपूर्ण घटक जन्म दर, मृत्यु दर एवं प्रवास हैं।
● जन्म दर (Birth Rate): एक वर्ष के दौरान 1000 लोगों पर जीवित पैदा हुए बच्चों की संख्या। यह जनसंख्या के आकार तथा घनत्व दोनों में वृद्धि करती है। यदि किसी वर्ष के दौरान जन्मों की संख्या मृतकों की संख्या से अधिक हो तो उस वर्ष के दौरान कुल जनसंख्या में वृद्धि हो जाएगी।
● मृत्यु दर (Death rate): यह एक वर्ष के दौरान 1000 लोगों पर मृतकों की संख्या को प्रदर्शित करती है। यह जनसंख्या के आकार तथा घनत्व दोनों में कमी ला देता है। यदि किसी वर्ष के दौरान मृतकों की संख्या जन्मों की संख्या से अधिक हो तो उस वर्ष के दौरान कुल जनसंख्या में कमी हो जाएगी।
● प्रवास (Migration): लोगों का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में चले जाने को प्रवास कहते हैं। जनसंख्या वितरण एवं उसके घटकों को परिवर्तित करने में प्रवास की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि यह आगमन तथा प्रस्थान दोनों ही स्थानों के जनसांख्यिकीय आंकड़ों को प्रभावित करता है। प्रवास आंतरिक (देश के भीतर) या अंतर्राष्ट्रीय (देशों के बीच) हो सकता है। आंतरिक प्रवास जनसंख्या के आकार में परिवर्तन नहीं करता लेकिन देश में जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करता है।
(ii) 1981 से भारत में जनसंख्या की वृद्धि दर क्यों घट रही है?
Ans. 1981 से भारत में जन्म दर धीरे-धीरे घट रही है। इसके परिणामस्वरूप जनसंख्या वृद्धि में धीरे-धीरे कमी आ रही है।
(iii) आयु संरचना, जन्म दर एवं मृत्यु दर को परिभाषित करें।
Ans. आयु संरचनाः किसी देश में जनसंख्या की आयु संरचना वहाँ के विभिन्न आयु समूहों के लोगों की संख्या को बताता है। यह जनसंख्या की मूल विशेषताओं में से एक है।
● जन्म दर (Birth rate): एक वर्ष के दौरान 1000 लोगों पर जीवित पैदा हुए बच्चों की संख्या ।
● मृत्यु दर (Death rate): एक वर्ष के दौरान 1000 लोगों पर मृतकों की संख्या को प्रदर्शित करता है
(iv) प्रवास, जनसंख्या परिवर्तन का एक कारक।
Ans. लोगों का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में चले जाने को प्रवास कहते हैं। जनसंख्या वितरण एवं उसके घटकों को परिवर्तित करने में प्रवास की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि यह आगमन तथा प्रस्थान दोनों ही स्थानों के जनसांख्यिकीय आंकड़ों को प्रभावित करता है। प्रवास आंतरिक (देश के भीतर) या अंतर्राष्ट्रीय (देशों के बीच) हो सकता है। आंतरिक प्रवास जनसंख्या के आकार में परिवर्तन नहीं करता लेकिन देश में जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करता है।
● प्रवास जनसंख्या के गठन एवं वितरण में बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
● भारत में अधिकतर प्रवास ग्रामीण क्षेत्रों से ‘अपकर्षण (Push) कारक प्रभावी होते हैं। ये ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी एवं बेरोजगारी की प्रतिकूल अवस्थाएँ हैं तथा नगर का ‘कर्षण’ (Pull) प्रभाव रोजगार में वृद्धि एवं अच्छे जीवन स्तर को दर्शाता है। 1951 में शहरी जनसंख्या 17.29 प्रतिशत थी जो 2001 में बढ़कर 27.78 प्रतिशत हो गई।
● 1991 से 2001 के बीच एक ही दशक के दौरान “दस लाख से अधिक” की जनसंख्या वाले महानगर 23 से बढकर 35 हो गए हैं।
3. जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या परिवर्तन के बीच अंतर स्पष्ट करें।
Ans. जनसंख्या वृद्धि: जनसंख्या वृद्धि का अर्थ होता है, किसी विशेष समय अंतराल में जैसे, 10 वर्षों के भीतर, किसी देश/ राज्य के निवासियों की संख्या में परिवर्तन। इस प्रकार के परिवर्तन को दो प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है। पहला, सापेक्ष वृद्धि तथा दूसरा, प्रतिवर्ष होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के द्वारा।
जनसंख्या परिवर्तन: जनसंख्या में होने वाले परिवर्तन की तीन मुख्य प्रक्रियाएं हैं – जन्म दर, मृत्यु दर एवं प्रवास। जन्म दर एवं मृत्यु दर के बीच का अंतर जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि है।
4. व्यावसायिक संरचना एवं विकास के बीच क्या संबंध है ?
Ans. व्यावसायिक संरचना से यह पता चलता है कि किस क्षेत्रक में कितने प्रतिशत लोग कार्यरत हैं। किसी खास क्षेत्रक में लोगों की सापेक्ष भागीदारी से हम अर्थव्यवस्था के विकास के स्तर को पहचान सकते हैं। इसे समझने के लिए अपने देश का उदाहरण लेते हैं। हमारे देश में आज भी अधिकतर लोग आजीविका के लिए प्राथमिक क्षेत्रक पर निर्भर हैं। इससे पता चलता है कि भारत अभी भी विकासशील देश है। विकसित देशों में आज अधिकतर लोग तृतीयक क्षेत्रक में कार्यरत हैं।
5. स्वस्थ जनसंख्या कैसे लाभकारी है?
Ans. स्वस्थ जनसंख्या निम्नलिखित प्रकार से लाभकारी है-
(i) स्वस्थ जनसंख्या निश्चित रूप से देश के विकास में सहायक है होती है।
(ii) एक अस्वस्थ व्यक्ति की अपेक्षा एक स्वस्थ व्यक्ति अधिक घंटो तक काम कर सकता है।
(iii) स्वस्थ जनसंख्या उत्पादन को बढ़ाने में मदद कर सकती है जो राष्ट्रीय आय और जीवन स्तर मे बढ़ोतरी में सहायक होगी।
(iv) स्वस्थ जनसंख्या अधिक सकरात्मक सोच रख सकती हैं। यह देश को अधिक सुचारु रुप से चला सकती हैं।
(v) जनसंख्या राष्ट्रीय आय में बढ़ोतरी के द्वारा लोगों के स्तर में सुधार ला सकते हैं।
(vi) अस्वस्थ लोगों पर किए गए खर्च को सरकार विकास कार्य में लगाया जा सकती है।
6. राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं ?
Ans. राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित है-
(i) यह 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करती हैं।
(ii) इसका मुख्य लक्ष्य शिशु मृत्यु दर को कम करना है।
(iii) इसका उद्देश्य टिकरोधी बीमारियों से बच्चों को मुक्त करना हैं।
(iv) यह लड़कियों की शादी की उम्र को बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
(v) यह परिवार नियोजन को एक जन केंद्रिक कार्यक्रम बनाती है।