पुनर्जागरण | Renaissance |

पुनर्जागरण का क्या अर्थ है?

• ‘पुनर्जागरण‘ का शाब्दिक अर्थ है पुनर्जन्म । सन् 1300 से 1600 ई० का यही वह काल था जिसमें अनेक परिवर्तन हुए और इसी के प्रभाव से मध्य युग आधुनिक युग में बदल गया।

• पुनर्जागरण का प्रारंभ इटली में हुआ । इसका एक अत्यंत महत्वपूर्ण कारण यह था कि यूरोप और पूर्व के देशों के बीच हुए व्यापार के पुनरुत्थान ने इटली के शहरों को सर्वाधिक सम्पन्न बना दिया था। यह समूचा व्यापार लगभग पूर्णतः इटली के शहरों के नियंत्रण में था ।

पुनर्जागरण की प्रमुख विशेषताएँ

1. सांस्कृतिक पुनरुत्थान: रेनेसॉंस ने प्राचीन ग्रीस और रोम से सांस्कृतिक कला, साहित्य, और शिक्षा में रुचि की पुनरुत्थान को देखा। विद्वानों ने प्राचीन ग्रंथों को पुनः खोजा और अध्ययन किया, जिससे मानवता में पुनरुत्थान की भावना बढ़ी।

2. ह्यूमेनिज्म: ह्यूमेनिज्म ने रेनेसॉंस के दौरान महत्वपूर्ण बुद्धिजीवन बनाया। इसमें प्राचीन साहित्य, इतिहास, और दर्शन का अध्ययन करने का जोर था, जिसमें मानव जीवन की संभावनाओं और उपलब्धियों पर विचार किया गया।

3. कला की प्राप्तियाँ: रेनेसॉंस कला ने मध्यकाल स्टाइल से अलग रूप में नजर आई। लिओनार्डो दा विंची, माइकेलेंजेलो, और राफेल जैसे कलाकारों ने मानव रूप का और व्यक्तिगतता की और अधिक महत्व दिया।

4. वैज्ञानिक प्रगति: रेनेसॉंस में विज्ञान में महत्वपूर्ण प्रगति हुई। कॉपर्निकस, गैलिलीयो, और केप्लर जैसे प्रवर्तकों ने ब्रह्मांड के पारंपरिक दृष्टिकोणों को चुनौती दी, जिससे कॉपर्निकन क्रांति और वैज्ञानिक क्रांति हुई।

5. मुद्रण क्रांति: मध्यकाल के बीच जोहानेस गुटेनबर्ग द्वारा मुद्रण प्रेस की खोज ने विचार और ज्ञान को फैलाने में क्रियाशील भूमिका निभाई। पुस्तकें अधिक पहुंचने लगीं, जिससे रेनेसॉंस के आदान-प्रदानों का प्रसार हुआ।

6. अन्वेषण और विस्तार: रेनेसॉंस काल में अन्वेषण की आयु थी। यूरोपीय राजा और यात्रा करने का प्रयास करने वाले लोग ने नए स्थानों की खोज की और व्यापारिक मार्ग स्थापित किए। इस युग को वैश्विकीकरण की शुरुआत माना जाता है।

7. राजनीतिक परिवर्तन: रेनेसॉंस का राजनीतिक प्रभाव था, जो नगर-राज्यों और साम्राज्यों की संरचना को प्रभावित करता था। नए राजनीतिक विचार, जैसे कि मैकियावेली का “द प्रिंस”, ने शक्ति और शासन के स्वभाव की जांच की।

8. साहित्यिक योगदान: रेनेसॉंस के काल में लेखकों के द्वारा साहित्य का विकास हुआ, जैसे कि विलियम शेक्सपियर, दान्ते अलीगियेरी, और पेत्रार्क। मुद्रण प्रेस की खोज ने साहित्यिक कार्यों का विस्तार करने में सहायक होती रही।

9. धार्मिक परिवर्तन: रेनेसॉंस ने लौकिकता की दिशा में एक परिवर्तन का दृष्टिकोण लिया, जिसमें विभिन्न पहलुओं में धार्मिक प्राधिकृत्य में कमी हुई।

10. विरासत: रेनेसॉंस ने विचारमणि, वैज्ञानिक अन्वेषण, और सांस्कृतिक प्राप्तियों के लिए आधार रखकर मॉडर्न दुनिया की शुरुआत की। इसकी विरासत ने शताब्दियों तक बुद्धिजीवन, कला, और वैज्ञानिक विकासों को प्रभावित किया।

पुनर्जागरण के कारण

• धर्मयुद्ध के कारण ईसाइयों का परिचय पूर्व की इस्लाम संस्कृति से हुआ । उल्लेखनीय है कि उस समय मुसलमानों का सामाजिक विकास ईसाईयों से अधिक था । इंग्लैंड, फ्रांस आदि राष्ट्रों के अनेक विद्यार्थी काहिरा (मिस्र), कुफ्रा (लीबिया) और कार्डोना (स्पेन) आदि मुस्लिम विश्वविद्यालयों में अध्ययन के लिए गए। वापस लौटने पर पश्चिम यूरोप के देशों में उन्होंने पूर्व के ज्ञान एवं नए विचारों का प्रसार किया ।

• कुस्तुंतुनिया के पतन से ज्ञान-विज्ञान का प्रसार संपूर्ण यूरोप में हुआ । पुनर्जागरण से पहले छापाखाना, कागज, बारूद और नागरिक दिक् सूचक-यंत्र आदि के आविष्कार हुए। इससे पश्चिमी यूरोप में पुनर्जागरण की गति तीव्र हुई ।

• इटली का संपन्न नगर फ्लोरेंस पुनर्जागरण का प्रथम केन्द्र था। इसके शासक कोसिनी मेडिसी और लारेंजों मेडिसी ‘महाप्रभु’ के नाम से विख्यात थे, क्योंकि उन्होंने बहुत से विद्वानों को संरक्षण प्रदान किया ।

• नाविक दिक्सूचक यंत्र के अविष्कार की सहायता से कोलम्बस पश्चिम की ओर से 1492 में अटलाण्टिक के पार पहुँचा। अनेक कठिनाइयों और खतरों का सामना करने के बाद वह भारत के बदले वेस्टइण्डीज पहुँच गया। उसके समय से इस नई दुनिया की कई बार समुद्री यात्राएँ की गईं। इन्हीं वर्षों में पुर्तगालियों ने अन्य मार्ग द्वारा इन्डीज पहुँचने का प्रयत्न किया और अन्ततः 1498 ई० में वास्को-डि-गामा ने भारतभूमि पर कदम रखा । 1519 से 1522 ई० के बीच पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करने का श्रेय मैगलेन को है । ऐसा करके उसने ‘पृथ्वी गोल है’ की नई धारणा को सत्य प्रमाणित किया ।

पुनर्जागरण के प्रभाव

पुनर्जागरण के प्रभाव को समझने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में उसके प्रभावों की चर्चा कर सकते हैं:

1. सांस्कृतिक प्रभाव: पुनर्जागरण ने सांस्कृतिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन की शुरुआत की। इस दौरान, पुनर्जागरण ने प्राचीन ग्रीक-रोमन साहित्य, कला, और विज्ञान की पुनर्जीवनी की, जिससे सांस्कृतिक धारा में एक नई ऊर्जा आई।

2. ह्यूमेनिज्म और शिक्षा: ह्यूमेनिज्म ने पुनर्जागरण के दौरान शिक्षा में एक नई दृष्टिकोण लाया। यह उत्कृष्टता, विचारशीलता, और मानवता के संबंध में नए दृष्टिकोणों को प्रोत्साहित करता था।

3. कला और साहित्य: पुनर्जागरण ने कला और साहित्य में एक नई रूपरेखा लाई, जिसमें मानव रूप का और व्यक्तिगतता की ओर ज्यादा ध्यान दिया गया। लिओनार्डो दा विंची, माइकेलेंजेलो, और शेक्सपियर जैसे कलाकारों ने नए और अद्वितीय कला का निर्माण किया।

4. वैज्ञानिक प्रगति: पुनर्जागरण ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण योगदान किया। नए गणित, भौतिकी, और खगोलशास्त्रीय आविष्कारों ने सांस्कृतिक एवं तकनीकी परिवर्तन की नींव रखी।

5. व्यापार और उद्यमिता: पुनर्जागरण ने व्यापार और उद्यमिता में वृद्धि को प्रोत्साहित किया। यह व्यापारिक उद्यमिता को बढ़ावा देने और नए व्यापारिक सेटलमेंट्स स्थापित करने में मदद की।

6. राजनीतिक परिवर्तन: पुनर्जागरण ने राजनीतिक मानवाधिकारों के संरक्षण की दिशा में एक नई दृष्टिकोण बनाया। नए राजनीतिक विचारों ने साम्राज्यिक और शहरी स्वतंत्रता की मांग की।

7. समाज और सामाजिक परिवर्तन: पुनर्जागरण ने समाज में बदलाव लाया, जिसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामाजिक समानता की अधिक महत्वपूर्णता दी गई।

8. यात्रा और विस्तार: पुनर्जागरण ने यूरोपीय राजाओं को यात्रा और विस्तार की ओर प्रेरित किया, जिससे नए स्थानों की खोज हुई और वैश्विक नेटवर्क बने।

9. भाषा और साहित्यिक संबंध: भाषा के क्षेत्र में पुनर्जागरण ने एक नया साहित्यिक और भाषाई संबंध स्थापित किया, जिसने विभिन्न भाषाओं के साहित्य को एक नई पहचान दी।

पुनर्जागरण के प्रभावों का समावेशी रूप से मूल्यांकन करना व्यापक और विषयवार छायाचित्र बनाने में सहायक हो सकता है, क्योंकि इसने विभिन्न क्षेत्रों में समृद्धि और विकास की दिशा में एक नई क्रांति शुरू की।

पुनर्जागरण काल के दार्शनिक

पुनर्जागरण काल के दार्शनिक (Renaissance philosophers) ने मानवता, ज्ञान, और समाज के विभिन्न पहलुओं पर नए और सृजनात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किए। इन दार्शनिकों ने अपने समय के सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवर्तनों का समर्थन किया और नए रूपांतरण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान किया।

1. एरास्टोस्तेनेस: एरास्टोस्तेनेस ने यूरोपीय दार्शनिकों के बीच एक प्रमुख स्थान बनाया। उन्होंने मानवता, समाज, और राजनीति के क्षेत्र में विचार किए और ह्यूमेनिज्म की प्रेरणा दी।

2. थॉमस मोर: थॉमस मोर ने अपने दर्शन में नैतिकता और न्याय की महत्वपूर्णता पर बल दिया। उनका लोकप्रिय ग्रंथ “उतोपिया” नैतिक और सामाजिक विचारों को लेकर विख्यात है।

3. निचोलस मचियावेली: मचियावेली ने अपने काम “द प्रिंस” के माध्यम से राजनीति के क्षेत्र में अपने नैतिक दृष्टिकोणों के लिए प्रसिद्ध हुए। उन्होंने विचार किए कि शासन में नैतिकता का स्थान नहीं है और राजा को शक्ति का उपयोग करना चाहिए ताकि वह अपने राज्य की सुरक्षा कर सके।

4. जॉन लॉक: जॉन लॉक ने न्यायशास्त्र और सरकार के क्षेत्र में अपने सांस्कृतिक योगदान के लिए प्रसिद्ध हुए। उनका काम “दो निबंध व्यावसायिक सरकार” मानव स्वतंत्रता और न्याय के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।

5. फ्रांसिस बेकन: फ्रांसिस बेकन ने वैज्ञानिक मेथड्स और प्रयोगशास्त्र के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्ध हुए। उनका योगदान वैज्ञानिक अनुसंधान की प्रेरणा से भरा हुआ है और उन्हें वैज्ञानिक योगदान का “पिता” माना जाता है।

6. रेने डेसकार्ट: रेने डेसकार्ट ने तात्त्विकता और विचारशीलता के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं। उनका लोकप्रिय उक्ति “कोगितो, एर्गो सम” (मैं सोचता हूँ, इसलिए मैं हूँ) ने विचारशीलता को महत्वपूर्ण बना दिया।

7. गालीलियो गैलीली: गालीलियो गैलीली ने भौतिकी विज्ञान और तथ्यों के प्रयोगशास्त्र में अपनी अद्वितीय योगदान के लिए प्रसिद्ध हुए। उनकी तथ्यात्मक अनुसंधान और उनका समर्थन कायलीक सिद्धांत के लिए विख्यात हैं।

8. जॉर्ज फ्रेडरिक हेगेल: हेगेल ने राजनीति, तात्त्विकता, और इतिहास के क्षेत्र में अपने दृष्टिकोणों के लिए प्रसिद्ध हुए। उनका काम “फेनॉमेनोलॉजी ऑफ स्पिरिट” और “थिओरी ऑफ राइट” विचारशीलता और राजनीतिक सिद्धांतों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण हैं।

9. जॉन डन: जॉन डन ने न्यायशास्त्र और भौतिकता के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं। उनका काम “आनुमानिक” और “नैतिक डाइलीमा” मानवता के तत्वों पर उनके विचारों को लेकर महत्वपूर्ण हैं।

10. माचिवेली: निकोलो माचियावेली ने अपने काम “द प्रिंस” के माध्यम से राजनीति, शक्ति, और नैतिकता के मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण को साझा किया। उनके विचार राजनीतिक विज्ञान में एक सर्वोत्तम क्षेत्र में महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

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निष्कर्ष:

हम आशा करते हैं कि आपको यह पोस्ट पुनर्जागरण जरुर अच्छी लगी होगी। पुनर्जागरण के बारें में काफी अच्छी तरह से सरल भाषा में समझाया गया है। अगर इस पोस्ट से सम्बंधित आपके पास कुछ सुझाव या सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताये। धन्यवाद!

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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