गांव का प्रशासन : अध्याय -5


गाँव में झगड़ा

मोहन हन एक किसान है। उसके परिवार के पास थोड़ी-सी खेतिहर ज़मीन है जिस पर वह कई सालों से खेती कर रहा है। उसके खेत से लगा हुआ ही रघु का खेत है। दोनों के खेत एक छोटी-सी मेड़ से अलग होते हैं।

एक सुबह मोहन ने देखा कि रघु ने मेड़ को थोड़ा आगे बढ़ा लिया था। ऐसा करके उसने मोहन की कुछ ज़मीन अपने खेत में मिला ली और अपने खेत का आकार बढ़ा लिया। मोहन को बहुत गुस्सा आया, मगर वह थोड़ा डरा हुआ भी था। रघु के परिवार के पास बहुत ज़मीन थी और इसके अलावा उसके ताऊ गाँव के सरपंच थे। फिर भी मोहन ने हिम्मत जुटाई और रघु के घर पहुँच गया। दोनों के बीच कहासुनी हुई। रघु ने तो मानने से ही इनकार कर दिया कि उसने मेड़ को आगे बढ़ाया था। थोड़ी ही देर में झगड़ा शुरू हो गया।

रघु ने अपने एक मज़दूर को बुला लिया। दोनों मिलकर मोहन पर चिल्ला रहे थे। फिर उन्होंने मोहन को मारना शुरू कर दिया। हो-हल्ला सुनकर पड़ोसी बाहर आ गए। उन्होंने देखा कि मोहन की पिटाई हो रही है, बीच-बचाव करके उन्होंने मोहन को बचाया। मोहन को सिर पर और हाथ में बहुत चोट आई थी। एक पड़ोसी ने उसकी मरहम-पट्टी की। मोहन के एक दोस्त ने, जो गाँव के डाकघर में काम करता था, सुझाव दिया कि उन्हें स्थानीय पुलिस थाने जाकर रपट लिखवानी चाहिए। जबकि कुछ लोग इसके खिलाफ़ थे। उनको लग रहा था कि बहुत सारा पैसा बर्बाद हो जाएगा और नतीजा कुछ नहीं निकलेगा। कुछ लोगों ने कहा कि रघु के परिवार वाले तो पहले ही पुलिस थाने पहुँच चुके होंगे। काफ़ी विचार-विमर्श के बाद अंततः यह तय हुआ कि जिन पड़ोसियों की आँखों के सामने यह घटना हुई थी, मोहन उनको लेकर पुलिस थाने जाएगा।

पुलिस थाने का क्षेत्र

थाने के रास्ते में एक पड़ोसी ने पूछा, “क्यों न हम थोड़ा और पैसा खर्च करके शहर के बड़े थाने चलें?” मोहन ने समझाया कि बात पैसे की नहीं है। हम इसी थाने में अपना मामला दर्ज करवा सकते हैं क्योंकि हमारा गाँव इसी के कार्यक्षेत्र में आता है।

*हर पुलिस थाने का एक कार्यक्षेत्र होता है जो उसके नियंत्रण में रहता है। लोग उस क्षेत्र में हुई चोरी, दुर्घटना, मारपीट, झगड़े आदि की रपट उसी थाने में लिखवा सकते हैं। यह वहाँ के थानेदार की ज़िम्मेदारी होती है कि वह लोगों से घटना के बारे में पूछताछ करे, जाँच-पड़ताल करे और अपने क्षेत्र के अंदर के मामलों पर कार्रवाई करे।*

पुलिस थाने में होने वाला काम

जब सब लोग पुलिस थाने पहुँचे तो मोहन थानेदार के पास गया और उसे पूरा मामला बताया। उसने यह भी बताया कि वह अपनी शिकायत लिखित रूप में देना चाहता है। थानेदार ने बड़ी बेरुखी से कहा कि उसके पास छोटी-छोटी शिकायतों की जाँच-पड़ताल का समय नहीं है। मोहन ने अपने घाव भी दिखाए, लेकिन थानेदार पर कोई असर नहीं हुआ। मोहन हैरान था कि उसकी शिकायत आखिर दर्ज क्यों नहीं की जा रही थी!

मोहन बाहर गया और अपने पड़ोसियों को बुलाकर अंदर ले आया। पड़ोसियों ने थानेदार को समझाया कि मोहन को उनकी आँखों के सामने पीटा गया है। अगर वे उसे न बचाते तो उसे बहुत ही गंभीर चोटें आतीं। उन्होंने मामला दर्ज करने पर ज़ोर दिया। अंततः थानेदार राजी हो गया। उसने मोहन को अपनी शिकायत लिखकर देने को कहा। थानेदार ने वायदा किया कि अगले दिन एक हवलदार घटना की जाँच-पड़ताल के लिए उनके यहाँ पहुँचेगा।

राजस्व विभाग का काम

आपने पढ़ा कि मोहन और रघु में खेत की मेड़ को लेकर ज़बरदस्त लड़ाई हुई। क्या ऐसा कोई तरीका नहीं था जिससे वह अपना मामला शांतिपूर्वक सुलझा लेते। क्या कोई ऐसे अभिलेख यानी रिकॉर्ड होते हैं जिनसे यह पता चल जाए कि गाँव में किसके पास कौन-सी ज़मीन है? चलिए, पता करते हैं कि यह कैसे किया जाता है।

ज़मीन को नापना और उसका रिकॉर्ड रखना पटवारी का मुख्य काम होता है। अलग-अलग राज्यों में इसको अलग-अलग नाम से जाना जाता है – कहीं पटवारी, कहीं लेखपाल, कहीं कर्मचारी, कहीं ग्रामीण अधिकारी तो कहीं कानूनगो कहते हैं। हम यहाँ ज़मीन का लेखाजोखा रखने वाले कर्मचारी के लिए पटवारी शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। प्रत्येक पटवारी कुछ गाँवों के लिए ज़िम्मेदार होता है। अगले पृष्ठ पर दिए गए नक्शे और उसके अनुसार बने खसरे यानी रजिस्टर के विवरण को देखिए। यह पटवारी द्वारा रखा गया गाँव के लोगों की ज़मीन के रिकॉर्ड का एक हिस्सा है।

आमतौर पर पटवारियों के पास खेत नापने के अलग-अलग तरीके होते हैं। कई जगहों पर वह एक लंबी लोहे की जंजीर का इस्तेमाल करते हैं। इसे जरीब कहते हैं। ऊपर दी गई कहानी में पटवारी, मोहन और रघु के खेतों को नापकर यह देख सकता था कि वह गाँव के नक्शे से मेल खाता है कि नहीं। अगर वह नक्शे से मेल नहीं खाता तो उसको पता चल जाता कि मेड़ खिसका कर खेत की सीमा बदली गई है।

पटवारी किसानों से भूमि कर भी इकट्ठा करता है और सरकार को अपने क्षेत्र में उगने वाली फसलों के बारे में जानकारी देता है। यह काम वह अपने रिकॉर्डों के आधार पर करता है। इसीलिए ज़रूरी है कि वह उनको समय-समय पर दुरुस्त करता रहे। किसान कई बार फसल बदल देते हैं, कुछ और उगाने लगते हैं या कोई कहीं कुआँ खोद लेता है। इन सबका हिसाब रखना सरकार के राजस्व विभाग का काम होता है। इस विभाग के वरिष्ठ लोग इस काम का निरीक्षण करते हैं।

भारत में सभी राज्य ज़िलों में बँटे हुए हैं। ज़मीन से जुड़े मामलों की व्यवस्था के लिए इन ज़िलों को और भी छोटे खंडों में बाँट दिया जाता है। ज़िले के उप-खंडों को कई नामों से जाना जाता है, जैसे- तहसील, तालुका इत्यादि। सबसे ऊपर ज़िला अधिकारी होता है और उसके नीचे तहसीलदार होते हैं। उन्हें विभिन्न मामलों को निपटाना होता है। वे पटवारी के काम का निरीक्षण करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि रिकॉर्ड सही ढंग से रखे जाएँ और राजस्व (विभिन्न तरह के कर) इकट्ठा होता रहे। वे यह भी देखते हैं कि किसानों को अपने रिकॉर्ड की नकल आसानी से मिल जाए। वे विद्यार्थियों को ज़रूरत पड़ने पर जाति प्रमाण-पत्र आदि भी जारी करते हैं। तहसीलदार के दफ़्तर में ज़मीन से जुड़े विवाद के मामले सुने जाते हैं।

**किसानों को अक्सर अपने खेत के नक्शे और रिकॉर्ड की जरूरत पड़ती है। इसके लिए उनको कुछ शुल्क देना पड़ता है। किसानों को इसकी नकल पाने का अधिकार है। हालाँकि कई बार उनको ये रिकॉर्ड आसानी से नहीं मिलते। लोगों को इसको हासिल करने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कई राज्यों में ये सारे रिकॉर्ड कंप्यूटर में डालकर पंचायत के दफ़्तर में रख दिए गए हैं ताकि वे आसानी से लोगों को उपलब्ध हो सकें और नई सूचनाओं के अनुसार नियमित रूप से दुरुस्त होते रहें।

आपको क्या लगता है कि किसानों को इस रिकॉर्ड की ज़रूरत कब पड़ती होगी? नीचे दी गई स्थितियों को पढ़िए और उन मामलों को पहचानिए जिनमें ज़मीन के रिकॉर्ड अनिवार्य होते हैं। यह भी बताइए कि वे किसलिए जरूरी हैं?

• एक किसान दूसरे किसान से जमीन खरीदना चाहता है।
• एक किसान अपनी फसल दूसरे को बेचना चाहता है।
• एक किसान को अपनी जमीन में कुआँ खोदने के लिए बैंक से कर्ज चाहिए।
• एक किसान अपने खेतों के लिए खाद खरीदना चाहता है।
• एक किसान अपनी जमीन अपने बेटे एवं बेटियों में बाँटना चाहता है।**

एक नया कानून (हिंदू अधिनियम धारा, 2005)

जब हम उन किसानों के बारे में सोचते हैं जिनके पास ज़मीन है तो आमतौर पर हमारे ध्यान में पुरुष होते हैं। महिलाओं की हैसियत खेतों के काम में एक मददगार भर की मानी जाती है। उनके बारे में ज़मीन के मालिक के रूप में कभी नहीं सोचा जाता। अभी तक कई राज्यों में हिंदू औरतों को परिवार की ज़मीन में हिस्सा नहीं मिलता था। पिता की मृत्यु के बाद ज़मीन बेटों में बाँट दी जाती थी। हाल ही में यह कानून बदला गया है। नए कानून के मुताबिक हिंदू परिवारों में बेटों, बेटियों और उनकी माँ को ज़मीन में बराबर हिस्सा मिलता है। यह कानून सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी लागू होगा।

इस कानून से बड़ी संख्या में औरतों को फ़ायदा होगा। उदाहरण के लिए सुधा एक खेतिहर परिवार की सबसे बड़ी बेटी है। वह शादीशुदा है और पास के गाँव में रहती है। अपने पिता की मृत्यु के बाद सुधा अक्सर खेती के काम में माँ का हाथ बंटाने आती है। उसकी माँ ने पटवारी से कहा कि ज़मीन पर अब बेटे के साथ-साथ उसका और दोनों बेटियों का नाम भी रिकॉर्ड में आ जाए।

सुधा की माँ बड़े आत्मविश्वास के साथ छोटे बेटे और बेटी की मदद से खेती का काम सँभालती है। सुधा भी इसी निश्चिंतता में जी रही है कि ज़रूरत पड़ने पर वह अपने हिस्से की ज़मीन से काम चला सकती है।

एक बिटिया की चाह

विरासत में मिला यह घर पापा को अपने पिता से यही घर मिलेगा मेरे भैया को मेरे पिता से पर मैं और मेरी माँ, हमारा क्या?

बता दिया गया है मुझे, पिता के घर में हिस्से की बात औरतें नहीं किया करतीं

लेकिन मुझे चाहिए एक घर अपना बिलकुल मेरा अपना नहीं चाहिए दहेज में रेशम और सोना

अन्य सार्वजनिक सेवाएँ- एक सर्वेक्षण

इस पाठ में हमने सरकार रके कुछ छ प्रशासनिक कायों के के बार बारे में में पढ़ा, खासकर ग्रामीण क्षेत्र के संदर्भ में। पहला उदाहरण कानून व्यवस्था बनाए रखने के बारे में था और दूसरा, जमीन के अभिलेखों की व्यवस्था के बारे में। पहले मामले में हमने पुलिस की भूमिका का परीक्षण किया और दूसरे में पटवारी की भूमिका का। इनके काम का विभाग के अन्य लोगों द्वारा निरीक्षण किया जाता है जैसे पुलिस अधीक्षक या तहसीलदार। हमने यह भी देखा कि लोग कैसे इन सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं और उन्हें किस तरह की समस्याएँ आती है। इन सेवाओं का उपयोग कानूनों के अनुसार होना चाहिए। आपने संभवतः सरकार के अन्य विभागों द्वारा दी जा रही सार्वजनिक सेवाओं को देखा होगा।

अपने गाँव या क्षेत्र के लिए दी जा रही सार्वजनिक सेवाओं की एक सूची बनाइए दुग्ध उत्पादक समिति, राशन की दुकान, बैंक, पुलिस थाना, बीज और खाद के लिए कृषक समिति, डाक बंगला, आंगनवाड़ी, बालवाड़ी, सरकारी स्कूल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अस्पताल इत्यादि।

तीन सार्वजनिक सेवाओं पर जानकारी इकडी कीजिए और अपनी अध्यापिका के साथ चर्चा कीजिए कि इनकी कार्य प्रणाली में कैसे सुधार किया जा सकता है। आपके लिए एक उदाहरण आगे दिया जा रहा है।

यह भी पढ़ें : पंचायती राज : अध्याय -4

अभ्यास

1. पुलिस का क्या काम होता है?
Ans.
पुलिस का काम होता है – चोरी, दुर्घना, चोट, लड़ाई आदि सभी मामलों को दर्ज करना और उसपर उचित कार्यवाही करना।

2. पटवारी के कोई दो काम बताइए।
Ans.
पटवारी के दो काम निम्नलिखित हैं-

• पटवारी का मुख्य काम होता है भूमि की पैमाइश करना और उसका रिकॉड रखना है। पटवारी गाँव के रिकॉर्ड को व्यवस्थित और अद्यतन रखता है।

• पटवारी किसान से भूमि कर भी इकट्ठा करता है और सरकार को अपने क्षेत्र में उगने वाली फसलों की जानकारी देता है। यह काम वह अपने रिकॉर्डों के आधार पर करता है। इसलिए जरूरी है कि वह समय-समय पर उसे ठीक करता रहे।

3. तहसीलदार का क्या काम होता है?
Ans.
तहसीलदार राजस्व अधिकारी होता है जो जिला अधिकारी के तहत काम करता है।

• वे ज़मीन से संबंधित विवादों को सुनते है।

• वे पटवारी के काम का निरीक्षण करते हैं और यह सुनिश्चत करते हैं कि रिकॉर्ड सहीं ढंग से रखा जाए और राजस्व इकट्ठा होता रहे।

• वे यह भी देखते हैं कि किसानों को अपने रिकॉर्ड की नकल आसानी से मिल जाए।

• वे विद्यार्थियों को जाति प्रमाण पत्र आदि भी जारी करते हैं।

4. ‘एक बिटिया की चाह’ कविता में किस मुद्दे को उठाने की कोशिश की गई है? क्या आपको यह मुद्दा महत्त्वपूर्ण लगता है? क्यों?
Ans.
इस कविता में इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की गई है कि पत्नी और बेटी को भी अपने पति और पिता की सम्पत्ति में समान हिस्सा मिलना चाहिए।

निस्संदेह यह एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है क्योंकि पति की मृत्यु के बाद पत्नी की आर्थिक आवश्यकताओं को कौन देखेगा। बेटी को भी पिता की संपत्ति में बराबर का अधिकार है। बैटा और बेटी में ज़रा भी भेदभाव नहीं होना चाहिए।

5. पिछले पाठ में आपने पंचायत के बारे में पढ़ा। पंचायत और पटवारी का काम एक-दूसरे से कैसे जुड़ा हुआ है?
Ans.
पटवारी भूमि के मालिक, उसकी स्थिति, नाप और अन्य विशेषताओं का रिकार्ड रखता है। उस रिकॉर्ड की एक कॉपी वह पंचायत के कार्यालय में भी रखता है ताकि कोई भी रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ न कर सके।

6. किसी पुलिस थाने जाइए और पता कीजिए कि यातायात नियंत्रण, अपराध रोकने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस क्या करती है, खासकर त्योहार या सार्वजनिक समारोहों के दौरान।
Ans.
• पुलिस सभी संदेहास्पद अपराधियों का रिकार्ड उनके फोटो के साथ रखती है।

• कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस दिन और रात दोनों समय नियमित गश्त करती है।

• अपराध की सूचना मिलते ही पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) की वैन फौरन कार्रवाई में जुट जाती है।

• त्योहारों और जन सभाओं के दौरान संबंधित स्थलों पर पुलिस बूथ बनाए जाते हैं जिससे अप्रिय घटना के होन पर तत्काल कार्रवाई की जा सके।

7. एक जिले में सभी पुलिस थानों का मुखिया कौन होता है? पता करें।
Ans.
उपायुक्त या जिला मजिस्ट्रेट एक जिले में सभी पुलिस थानों का मुखिया होता है। वह सामान्यतया भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी होता है।

8. चर्चा कीजिए कि नए कानून के तहत महिलाओं को किस तरह फ़ायदा होगा।
Ans.
नया कानून हिन्दू उत्तराधिकार संशोधन कानून, उत्तराधिकार संशोधन कानून, 2005 है। इन नए कानून के अनुसार-बेटों, बेटियों और उनकी माता का ज़मीन पर बराबर अधिकार होता है। सभी राज्यों केन्द शसित प्रदेशों पर यह कानून लागू होगा। यह कानून बहुत से लोगों को लाभांवित करेगा। वे इस निश्चिंतता में जी सकते हैं कि कभी मुसीबत आने पर वे अपने हिस्से की ज़मीन से काम चला सकते हैं।

9. आपके पड़ोस में क्या कोई ऐसी औरत है जिसके नाम जमीन-जायदाद हो? यदि हाँ, तो उसे यह संपत्ति कैसे प्राप्त हई?
Ans.
महिलाओं के नाम पर ज़मीन होने के बहुत से कारण है, यदि महिला नौकरी करती है और उसने काफी बचत की है तो वह अपनी संपत्ति खरीद सकती है। पति के न रहने के बाद महिलाएँ संपत्ति में हिस्सा प्राप्त कर सकती है। इसके अतिरिक्त माता-पिता की सम्पति में हिस्सा मिला हो।

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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