1857 का विद्रोह
1857 का विद्रोह, 29 मार्च, 1857 में बहरामपुर की 19वीं नेटिव इन्फैन्ट्री विघटित इसलिए कर दी गई क्योंकि सिपाहियों ने नई इनफिल्ड राइफल का प्रयोग करने से इंकार कर दिया था।
• 29 मार्च, 1857 ई. को 34वीं नेटिव इन्फैन्ट्री बैरकपुर के मंगल पाण्डे ने अपने सार्जेन्ट मेजर बाग की हत्या कर दी और मेजर सार्जेण्ट ह्यूरसन को गोली मार दी। मंगल पांडे को 18 अप्रैल, 1857 ई. को फांसी दी गई।
• चर्बी युक्त कारतूस का प्रयोग न करने के कारण 9 मई, 1857 को उड़ी के घुड़सवार रेजिमेन्ट के 85 सैनिकों को मुअत्तल कर 10 वर्ष की सजा दी गई।
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• 1857 के महान विद्रोह की शुरुआत 10 मई, 1857 ई. को मेरठ से हुई।
• 11 मई, 1857 को बहादुरशाह द्वितीय को भारत का बादशाह घोषित किया गया।
1857 के विद्रोह का नाम
① सर जॉन सीले – सैनिक विद्रोह: सर जॉन सीले भारतीय सेना के एक अधिकारी थे जो 1857 के सिपाही विद्रोह (सिपाही मुटिनी) में शामिल हुए थे। उन्होंने अपनी सेना के साथ इस विद्रोह में शामिल होकर ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ा।
② वी. डी. सावरकर – एक सुनियोजित राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम: वी. डी. सावरकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता थे जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ उत्कृष्ट योजनाओं में शामिल हुए थे। उन्होंने हिंदू महासभा की स्थापना की और स्वतंत्रता संग्राम में भी योजना बनाई।
③ एस.एन. सेन – स्वतंत्रता संग्राम: एस.एन. सेन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सक्रिय सदस्यों में से एक थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ा।
④ आर. सी. मजूमदार – न तो राष्ट्रीय तथा न ही स्वतंत्रता संग्राम: आर. सी. मजूमदार एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने न तो राष्ट्रीय आंदोलनों में हिस्सा लिया और न ही स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए।
⑤ बेंजामिन डिजरायली – एक राष्ट्रीय विद्रोह: बेंजामिन डिजरायली ने 1857 के सिपाही विद्रोह में भाग लिया और उन्होंने एक राष्ट्रीय विद्रोह की नींव रखी। उन्होंने दिल्ली के बाहर स्थित असफल एक स्वतंत्रता सेना का नेतृत्व किया था।
भारतीय नायक (विद्रोह के) | समय (विद्रोह का) | केंद्र | ब्रिटिश नायक (विद्रोह दबाने के) | समय (विद्रोह दबाने का) |
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बहादुर शाह जफर एवं बख्त खां (सैन्य नेतृत्व) | 11, 12 मई, 1857 ई. | दिल्ली | जॉन निकलसन, हडसन | 20 सितम्बर, 1857 ई. |
नाना साहब एवं तांत्या टोपे | 5 जून, 1857 ई. | कानपुर | सर कैंपबेल | 6 दिसम्बर, 1857 ई. |
बेगम हजरत महल | 4 जून, 1857 ई. | लखनऊ | कैंपबेल | मार्च 1858 ई. |
रानी लक्ष्मीबाई एवं तांत्या टोपे | जून 1857 ई. | झांसी, ग्वालियर | ह्यूरोज | 3 अप्रैल 1858 ई., 17 जून 1858 ई. |
लियाकत अली | जून 1857 ई. | इलाहाबाद, बनारस | कर्नल नील | 1858 ई. |
खान बाहदुर खां | 1857 ई. | बरेली (रुहेलखंड) | कैंपबेल | 1858 ई. |
मौलवी अहमदुल्लाह खां | 1857 ई. | फैजाबाद | जनरल रेनार्ड | 1858 ई. |
अजीमुल्ला | 1857 ई. | फतेहपुर | जनरल रेनार्ड | 1858 ई. |
कुंवर सिंह | अप्रैल 1858 ई. | जगदीशपुर (बिहार) | विलियम टेलर, मेजर विंसेट आयर | दिसंबर 1858 ई. |
• बहादुरशाह-II की पत्नी जीनत महल संदेशवाहक के रूप में अंग्रेजों की सहायता कर रही थी।
• नाना साहब का असली नाम धोंधूपंत था।
1856 ई. में हिन्दू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, धार्मिक अयोग्यता अधिनियम एवं सेना भर्ती अधिनियम लागू हुए।
1857 के विद्रोह के समय यूरोपीय एवं भारतीय सैनिकों का अनुपात 1 : 6 था।
• इनफिल्ड राइफल ब्राउन बेस बन्दूक के स्थान पर लाई गई थी।
• फैजाबाद में विद्रोहियों का नेता मौलवी अहमदुल्लाह थे। मौलवी अहमदुल्लाह मद्रास के रहने वाले थे।
• मद्रास इस विद्रोह से अछूता रहा।
• 1857 के विद्रोह में व्यापारी, शिक्षित वर्ग, तथा भारतीय शासक वर्ग शामिल नहीं हुआ।।
• बहादुरशाह-II को हुमायूँ के मकबरे से पकड़ा गया।
• बहादुरशाह-II को बंदी बनाकर रंगून निर्वासित कर दिया गया।
• विद्रोह के समय भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग था।
अन्य तथ्य
• बिहार में जगदीशपुर (आरा) के कुँवर सिंह ने बगावत का नेतृत्व किया।
• विद्रोह के समय कुंअर सिंह को ‘बिहार का सिंह’ कहा गया।
• पटना के कमिश्नर विलियम टेलर थे।
• बरेली में विद्रोहियों के नेता खान बहादुर खाँ थे।
• बनारस में विद्रोह को कर्नल नील ने दबाया।
• कानपुर में विद्रोहियों के नेता नाना साहब थे। कानपुर के विद्रोह को जॉन कैम्पबेल ने दबाया।
• तांत्या टोपे और अजीमुल्ला खाँ, नाना साहब के विश्वस्त सेवक थे।
• तांत्या टोपे का वास्तविक नाम रामचन्द्र पांडुरंग था।
• नाना साहब नेपाल भाग गये।
• निकल्सन को दिल्ली में मार दिया गया।
• ग्वालियर में विद्रोहियों का नेतृत्व रानी लक्ष्मीबाई कर रही थी। यहाँ के विद्रोह को सर ह्यूरोज ने दबाया।
• रानी लक्ष्मीबाई 17 जून 1858 को एक घोड़े पर सवार होकर लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुई।
• रानी लक्ष्मीबाई के मृत्यु पर जनरल ह्यूरोज ने कहा- “भारतीय क्रांतिकारियों में यहां सोई हुई औरत अकेली मर्द है।”
• लेफ्टिनेन्ट हडसन ने जीवन बख्त को छोड़, बहादुरशाह के सभी पुत्रों को गोली मार दी।
• लखनऊ में विद्रोहियों का नेतृत्व बेगम हजरत महल कर रही थी। यहाँ के विद्रोह को कोलिन कैम्पबेल ने दबाया।
• ब्रिटिश कंजरवेटिव पार्टी के सांसद बेंजामिन डिजरायली ने 1857 के विद्रोह के बारे में कहा-“यह एक राष्ट्रीय विद्रोह है।”
• 1857 के विद्रोह का प्रशासनिक परिणाम शक्ति का अंतरण था- ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश सम्राट को।
• सर सैयद अहमद खाँ ने 1857 के विद्रोह के कारणों का विश्लेषण करते हुए, अंग्रेजों तथा मुसलमानों के बीच मेल-मिलाप की वकालत की। अलीगढ़ आंदोलन के संस्थापक सर सैयद अहमद खाँ थे। अलीगढ़ आंदोलन का मुख्य उद्देश्य मुसलमानों को अंग्रेजी शिक्षा देकर उन्हें अंग्रेजी राज का भक्त बनाकर नौकरियों में अधिकाधिक आरक्षण प्राप्त करना था।
सैनिक विप्लव और असैनिक विद्रोह का प्रसार (1857-1858)
तिथि | घटना |
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2 फरवरी 1857 ई. | बहरामपुर में 19वीं स्थानीय पैदल सेना का विप्लव। |
10 मई 1857 ई. | मेरठ में सैनिकों का विप्लव। |
11-30 मई 1857 ई. | विद्रोह का आरंभ – दिल्ली, फिरोजपुर, बम्बई, अलीगढ़, इटावा, बुलन्दशहर, नसीराबाद, बरेली, मुरादाबाद आदि उत्तर प्रदेश के नगरों में। मुग़ल सम्राट को भारत का सम्राट घोषित किया गया। |
जून 1857 ई. | विप्लव – ग्वालियर, भरतपुर, झांसी, इलाहाबाद, सुल्तानपुर, लखनऊ आदि। राजपूताना, मध्य भारत, बंगाल के कुछ भागों में असैनिक विद्रोह। |
जुलाई 1857 ई. | विप्लव – सागर, महू, स्यालकोट जैसे पंजाब के स्थानों पर। |
अगस्त 1857 ई. | सागर एवं नर्मदा की घाटी में असैनिक विद्रोह। |
सितम्बर 1857 ई. | दिल्ली पर अंग्रेजों का अधिकार, मध्य भारत में विद्रोह। |
अक्टूबर 1857 ई. | कोटा राज्य में विद्रोह। |
दिसम्बर 1857 ई. | सर कोलिन कैम्पबेल द्वारा कानपुर को जीतना और तात्या टोपे का भागना। |
मार्च 1858 ई. | अंग्रेजों का लखनऊ पर अधिकार। |
अप्रैल 1858 ई. | अंग्रेजों का झांसी पर अधिकार, बिहार में जगदीशपुर के कुँवर सिंह द्वारा विद्रोह। |
मई 1858 ई. | अंग्रेजों का बरेली, जगदीशपुर, काल्पी पर अधिकार। रुहेलखण्ड में भारतीय विद्रोहियों के छापामार आक्रमण। |
जुलाई से दिसम्बर 1858 ई. | सम्पूर्ण भारत में अंग्रेजी सत्ता पुनः स्थापित होना। |
कुछ महत्वपूर्ण बातें
• भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाली सर्वप्रथम महिला बेगम हजरत महल थी ।
• नाना साहब पेशवा बाजीराव -Ⅱ के दत्तक पुत्र थे और इसका वास्तविक नाम धोदूपन्त था।
• तात्या लोपे का वास्तठिक नाम रामचन्द्र पांडुरंग था । ऐ नाना साहब के कमाण्डर-इन-चीफ थे । जार्ज फॉरेस्ट ने 1857 के विद्रोह में इन्हें सर्वश्रेष्ठ नेता कहा था।
• लक्ष्मीबाई का जन्म बनारस में हुआ था और इनकी समाधि ग्वालियर में स्थित है।
• लक्ष्मीबाई को हबलीबाई, मनु और मणिकर्णिका के नाम से जानते हैं।
• मौलवी अहमुदुल्लाह ने 1857 के विद्रोह में जिहाद को आधार बनाया था
• 1857 के विद्रोह में सबसे दीर्घजीवी चलने वाला विद्रोह जगदीशपुर का विद्रोह था और वीर कुवर सिहं को “बिहार का सिंह” कहते है।
• 1857 के विद्रोह से सबसे युवा शहीद हेमू कलानी थे जिन्हें टोंक में फाँसी दी गई थी।
• 1857 के विद्रोह के बाद 1858 का अधिनियम आया जिससे अंग्रेजो की समस्त शक्तियाँ कम्पनी के हाथों से निकलकर क्राउन के हाथों में चली गई।
• इसी आधिनियम से भारत के गवर्नर जनरल को भारत का वायसराय कहा गया ।
• इस विद्रोह के बाद पील आयोग का गठन हुआ जिसके तहत सेना का औसत 5:1 से बदलकर 2:1 कर दिया गया।
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निष्कर्ष:
हम आशा करते हैं कि आपको यह पोस्ट 1857 के विद्रोह जरुर अच्छी लगी होगी। 1857 के विद्रोह के बारें में काफी अच्छी तरह से सरल भाषा में समझाया गया है। अगर इस पोस्ट से सम्बंधित आपके पास कुछ सुझाव या सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताये। धन्यवाद!
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