1885 कांग्रेस
1885 कांग्रेस, जिसे “इंडियन नेशनल कांग्रेस” भी कहा जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण घटना थी जो देश की स्वतंत्रता के मार्ग में महत्वपूर्ण योगदान करने वाली एक संगठन बनाई। इस अवसर पर 28 दिसम्बर से 31 दिसम्बर 1885 तक मुंबई (बम्बई) में कांग्रेस की पहली अधिवेशन की गई थी। इसे “आइ.ए.सी. (Indian National Congress)” भी कहा जाता है।
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① भारत में कांग्रेस लाने का श्रेय और इसका नाम बदलकर I.N.C (1885) करने का श्रेय दादा भाई नौरोजी को जाता है।
② भारत में कांग्रेस के महासचिव A.O. Hume (Allan Octavian Hume ) को बनाया गया।
③ कांग्रेस सभा का गठन बम्बई में हुआ था।
④ कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन पुणे में होने वाला था। परन्तु फ्लेग फैलने के कारण यह अधिवेशन बम्बई के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत विद्यालय में 28 Dec 1885 को व्योमेश चन्द्र बनर्जी की अध्यक्षता में हुई थी।
⑤ प्रथम अधिवेशन में 72 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था।
• 1907 में सूरत में ताप्ती नदी के किनारे रास बिहारी घोष की अध्यक्षता में कांगेस का अधिवेशन हुआ और कांग्रेस दो दलों में बंट गया :- नरम दल और गरम दल
• 1916 में लखनऊ में अंबिका चरण मजूमदार के नेतृत्व में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ, नरम दल और गरम दल का आपस में विलय हो गया।
• 1930 में लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता नेहरू ने की थी भार 31 Dec 1929 को रावी नदी के किनारे भारतीय तिरंगा फहराया था और 26 Jan 1930 को पूर्ण स्वाधिनता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था।
• 1933 मे कलकता मे नलनी सेन गुप्ता ने कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की थी जो कि भारतीय मूल की तीसरी महिला अध्यक्ष थी ।
1885 कांग्रेस अधिवेशन : कब और कहां
वर्ष | स्थान | अध्यक्ष | महत्व |
---|---|---|---|
1885 | बम्बई | व्योमेशचंद्र बनर्जी | आई. सी. एस. परीक्षा योजना की भारत में माँग |
1887 | मद्रास | बदरुद्दीन तैयबजी | प्रथम मुस्लिम अध्ययन, तमिल भाषा का प्रयोग |
1888 | इलाहाबाद | जार्ज यूले | प्रथम यूरोपीय अध्यक्ष |
1389 | बम्बई | विलियम वेडरबर्न | पहली बार महिलाओं ने भाग लिया |
1890 | कलकत्ता | फिरोजशाह मेहता | सरकारी अधिकारी के भाग लेने पर रोक, कादम्बरी गांगुली द्वारा सम्बोधित |
1896 | कलकत्ता | रहीमतुल्लाह | रविन्द्रनाथ ने ‘वन्दे मातरम्’ गाया |
1901 | कलकत्ता | दिनशा वाचा | गांधी ने हिस्सा लिया |
1905 | बनारस | गोपाल कृष्ण गोखले | बंग-भंग की निंदा, गोखले को विपक्ष के नेता की उपाधि |
1906 | कलकत्ता | दादा भाई नौरोजी | स्वराज का उल्लेख |
1911 | कलकत्ता | विशन नारायण धर | राष्ट्रगान गाया |
1917 | कलकत्ता | एनीवेसेन्ट | पहली महिला अध्यक्ष, तिरंगे झण्डे को कांग्रेस ने अपनाया |
1918 | बम्बई | सैयद हसन इमाम | कांग्रेस का दूसरा विभाजन |
1924 | बेलगाव | गांधी | एकमात्र अधिवेशन की अध्यक्षता |
1925 | कानपुर | सरोजनी नायडू | प्रथम महिला अध्यक्ष, “विजयी सिव तिरंगा प्यारा” गाया गया |
1929 | लाहौर | जवाहर लाल नेहरू | पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित |
1931 | करांची | सरदार पटेल | मैलिक अधिकारों पर प्रस्ताव, आर्थिक नीति का प्रस्ताव पारित |
1937 | फैजपुर | जवाहर लाल नेहरू | पहला गाँव में हुआ अधिवेशन |
1938 | हरिपुरा | सुभाष चन्द्र बोस | सुभाष चन्द्र बोस द्वारा राष्ट्रीय नियोजन समिति का गठन |
1939 | त्रिपुरा | सुभाष चन्द्र बोस | पहली बार अध्यक्ष पद के लिए मतदान, सुभाष चन्द्र बोस का स्तीफा |
1946 | मेरठ | जे. बी. कृपलानी, राजेंद्र प्रसाद | स्वतंत्रता प्राप्ति के समय इन्होंने पद पर आसीन किया |
ब्रिटिश शासन की भू-राजस्व नीतियां
● स्थाई बंदोबस्त
• इसे इस्तमरारी, चिरस्थायी या जमींदारी बंदोबस्त भी कहा जाता था।
• यह 1793 में लार्ड कार्नवालिस द्वारा बिहार बंगाल और उड़ीसा में लागू की गई।
• यह व्यवस्था में जानशोर एवं जेम्स ग्राण्ट भी जुड़े थे।
• किसानों के भूमि संबंधी अधिकार समाप्त कर जमींदारों को भूमि मालिक बनाया गया।
● रैय्यतवाड़ी व्यवस्था
• इसके जन्मदाता थामस मुनरो एवं कैप्टन रीड थे।
• यह व्यवस्था मद्रास एवं बंबई में लागू की गई।
• इसके अंतर्गत प्रत्येक जमीन धारक को भू-स्वामी स्वीकार करके उसके साथ लगान की शर्तें तय की गई।
● महालवाड़ी बन्दोबस्त
• इस पद्धति के जन्मदाता हॉल्ट मैकेंजी (Halt Mackenzie) तथा रॉबर्ट मार्टिन्स बर्ड (Robert Martins Bird)
• इस व्यवस्था के अंतर्गत दक्कन के कुछ जिले, संयुक्त प्रांत, आगरा, अवध, मध्य प्रांत और पंजाब के कुछ हिस्से शामिल थे।
• इसके व्यवस्था में प्रत्येक महाल (जागीर या गाँव) के अनुसार अंग्रेजों ने राजस्व निश्चित किया।
राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन संबंधी प्रमुख वचन एवं नारे
• “स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।” – बाल गंगाधर तिलक
• “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।” – राम प्रसाद बिस्मिल
• “सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।” – इकबाल
• “जय हिन्द।” – सुभाष चन्द्र बोस
• “हे राम।” – महात्मा गाँधी
• “जन-गण-मन-अधिनायक जय हे।” – रवीन्द्रनाथ टैगोर
• “हू लिव्स इफ इण्डिया डाइज।” -जवाहर लाल नेहरू
• “इन्कलाब जिन्दाबाद।” – भगतसिंह तथा बाद में मोहम्मद इकबाल
• “दिल्ली चलो।” -सुभाष चन्द्र बोस
• “करो या मरो।” – महात्मा गाँधी
• “मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के कफन में कील सिद्ध होगी।” – लाला लाजपत राय
• “आराम हराम है।” – जवाहरलाल नेहरू
• “भारतवर्ष को तलवार के बल पर जीता गया था और तलवार के बल पर ही उसे ब्रितानी कब्जे में रखा जाएगा।” – लॉर्ड एल्गिन
• “बन्दे मातरम्।” -बंकिम चन्द्र चटर्जी
• “पूर्ण स्वराज।” -जवाहरलाल नेहरू
• “भारत छोड़ो।”– यूसुफ मेहर अली
• “हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्थान।” भारतेन्दु हरिश्चन्द्र “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा।” – सुभाष चन्द्र बोस
• “समूचा भारत एक विशाल बन्दीगृह है।”-सी. आर. दास
• “यह एक ऐसा चेक था, जिसका बैंक पहले ही नष्ट हो जाने वाला था।” – महात्मा गांधी (क्रिप्स प्रस्ताव के संदर्भ में)
• “हमने घुटने टेककर रोटी माँगी, किन्तु उत्तर में हमें पत्थर मिले।” -महात्मा गांधी (सविनय अवज्ञा आन्दोलन के पूर्व)
• “विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।” – श्याम लाल गुप्ता ‘पार्षद’
• “वेदों की ओर लौटो।” – दयानन्द सरस्वती
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निष्कर्ष:
हम आशा करते हैं कि आपको यह पोस्ट 1885 कांग्रेस अधिवेशन जरुर अच्छी लगी होगी। 1885 कांग्रेस अधिवेशन के बारें में काफी अच्छी तरह से सरल भाषा में समझाया गया है। अगर इस पोस्ट से सम्बंधित आपके पास कुछ सुझाव या सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताये। धन्यवाद!
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