अमेरिकी क्रांति

अमेरिकी क्रांति

अमेरिकी क्रांति, जिसे 1775 से 1783 तक लड़े गए अमेरिकी राष्ट्र के प्रारंभिक रूप की स्थापना के रूप में जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण घटना है जिसने ऐतिहासिक रूप से विश्व को दिखाया कि एक देश अपनी स्वतंत्रता के लिए उठ सकता है। यह घटना न केवल अमेरिका की स्वतंत्रता की बुनियाद रखी, बल्कि यह भूमिका निभाई कि जनता का सामूहिक संघर्ष कैसे एक नया राष्ट्र बना सकता है।

• 18वीं शताब्दी की एक और महान क्रांति अमेरिकी क्रांति थी । इसके परिणाम महत्वपूर्ण एवं व्यापक थे। इस क्रांति के पश्चात् अमेरिका स्वतंत्र हुआ और आज वह विश्व के सबसे शक्तिशाली, धनी और औद्योगिक रूप से उन्नत राष्ट्रों में अग्रणी है।

अमेरिकी क्रांति के कारण

• प्राचीन औपनिवेशिक पद्धति या व्यापारिक पद्धति दमनकारी थी । अमेरिका के औपनिवेशिक राज्य बहुत समय तक यह स्थिति नहीं सह सके और इनका स्वाभाविक परिणाम युद्ध हुआ । इसके लिए निम्नलिखित कारण जिम्मेवार थे-

• इंग्लैंड सरकार द्वारा नियुक्त उपनिवेशों के गवर्नर और प्रशासक सामान्यतः सैनिक अधिकारी होते थे ।

• अमेरिका में इस्पात और ऊनी वस्त्र का निर्माण सीमित या पूर्णतः बन्द था ताकि इस माल के ब्रिटिश निर्माताओं से स्पर्द्धा न हो।

• उपनिवेशों के आयात, निर्यात और विनिर्माण पर ये सारे प्रतिबन्ध वहाँ के लोगों के लिए असह्य थे, अतः औपनिवेशिकों के विद्रोह का मुख्य कारण बनने में ये काफी आगे थे।

• बोस्टन टी-पार्टी औपनिवेशिकों को शान्त करने के लिये लॉर्ड नॉर्थ ने टाउनशैण्ड द्वारा लगाये गये सभी कर चाय के कर को छोड़कर हटा लिये थे। अमेरिकियों को सीधे ही भारत से भी चाय आयात करने की अनुमति थी, जिसपर इंग्लैंड में ड्यूटी नहीं दी जाती थी। परन्तु अमेरिका में आयातित चाय पर तीन पेन प्रति पौंड के हिसाब से ड्यूटी ली जाती रही। यह ड्यूटी लगाने पर भी चाय पहले से सस्ती ही थी । वस्तुतः यह ड्यूटी केवल यह बताने के लिये ली जा रही थी कि ब्रिटिश सरकार को उपनिवेशों पर टैक्स लगाने का अधिकार है। उपनिवेश ब्रिटिश सरकार की चाल को समझ गये। वे टैक्स की अपेक्षा ब्रिटिश सरकार के उपनिवेशों पर टैक्स लगाने के अधिकार के विरोधी थे । अतः जब 16 दिसम्बर, 1773 को चाय के जहाज बोस्टन के बन्दरगाह पर आकर लगे तो कुछ औपनिवेशकों ने रेड-इण्डियनों के वेश में 340 पेटी चाय समुद्र में फेंक दी । इस घटना को ‘बोस्टन टी-पार्टी’ कहते हैं।

• 4 जुलाई, 1776 ई० को वह ऐतिहासिक ‘स्वातन्त्र्य-घोषणा’ की गई जिसके अनुसार 13 उपनिवेशों ने ग्रेट ब्रिटेन की अधीनता समाप्त कर दी। इस घोषणा के साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका के इतिहास का श्रीगणेश हुआ। यह एक अति महत्वपूर्ण घटना थी । यह घोषणापत्र वर्जीनिया के ‘टामस जैफर्सन’ ने तैयार किया था और कुछ सुधारों के बाद कांग्रेस ने इसे स्वीकार किया था। इसने घोषित किया कि ‘सभी मनुष्य जन्म से समान हैं’।

• वर्ष 1775 ई० में लैक्सिग्टन में प्रारंभ हुआ। यह युद्ध आठ वर्ष तक चलता रहा ।

• 1775 में अग्रेजों ने औपनिवेशकों पर आक्रमण करने की संयुक्त योजना बनाई ।

• रूस, डेनमार्क और स्वीडन ने 1780 ई० में एक ‘सैनिक तटस्थता’, तटस्थ परंतु अँग्रेज द्वारा उत्तेजित किए जाने पर युद्ध की घोषणा के लिए तैयार, की स्थापना की जो ग्रेट ब्रिटेन की विरोधी थी ।

• 1781 ई० में ब्रिटिश सेनापति कार्नवालिस ने चार्ल्स टाउन और अन्य कई स्थानों पर अधिकार कर लिया। परन्तु इसके बाद शीघ्र ही समुद्र पर फ्रांसीसी बेड़े तथा थल पर वाशिंगटन ने उसकी नाकाबंदी कर दी। अंततः उसे आत्मसमर्पण करना पड़ा । अब ब्रिटेन के अधिकार में केवल न्यूयॉर्क बचा ।

अमेरिकी क्रांति की विशेषताएँ

अमेरिकी क्रांति की विशेषताएँ निम्नलिखित है:-

● इडियोलॉजी और तात्कालिक सोच: अमेरिकी क्रांति का आधारभूत सिद्धांत राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता पर आधारित था। यह विचारधारा भारतीय सामंजस्य और संघर्ष के लिए उत्साहित करने वाली थी और इसने एक नए राष्ट्र की रूपरेखा तैयार की। यहां समाज के विभिन्न वर्गों को एक समझौते में मिलाने वाली आत्मनिर्भर और समृद्धि की भावना थी।

● युद्ध रणनीति: अमेरिकी सेना ने ब्रिटिश सेना के खिलाफ अद्वितीय रणनीतियों का अभ्यास किया। सामरिक समर्थन, गुणवत्ता, और आत्म-प्रशिक्षण के माध्यम से उन्होंने युद्ध क्षेत्र में महत्वपूर्ण जीत हासिल की, जिसने अमेरिकी क्रांति को एक असली चुनौती दी।

● गुणवत्ता और आत्म-प्रशिक्षण: अमेरिकी सेना की गुणवत्ता और आत्म-प्रशिक्षण की प्रणाली ने इसे अपने समर्पित सैनिकों की तैयारी में सुदृढ़ बनाया। सेना ने सैनिकों को आत्म-नियंत्रण, सामरिक तकनीक, और लड़ाई कौशलों की शिक्षा दी और उन्हें शक्तिशाली बनाया जिससे युद्ध में सफलता हासिल की जा सकती थी।

● गणतंत्र सिद्धांत: अमेरिकी क्रांति ने गणतंत्र सिद्धांत को प्रमोट किया और इसे स्थायी रूप से स्थापित किया। स्वतंत्रता के बाद, अमेरिका ने इंटरकोन्टिनेंटल आर्टिकल्स ऑफ कॉन्फेडरेशन को स्वीकृत किया, जिससे एक संघीय सरकार की शुरुआत हुई।

● आदिकालीन राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्रह: अमेरिकी क्रांति की सबसे आदिकालीन घटना 1774 में हुई, जब पर्लिएमेंट के विरोध में फिलाडेल्फिया में पहली बैठक आयोजित हुई। इस बैठक ने अमेरिकी राजनीतिक अनुभव की शुरुआत की और इसने स्थानीय स्वतंत्रता संग्रह की शुरुआतिकरण की।

पेरिस की सन्धि

• पेरिस की सन्धि, जो 1783 में पेरिस में हस्ताक्षर हुई, एक ऐतिहासिक घटना थी जो अमेरिका को ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त करने का मार्ग दिखाती है। यह सन्धि न केवल अमेरिकी क्रांति को समाप्त करती है, बल्कि एक नए राष्ट्र की शुरुआत में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

• 3 सितम्बर, 1783 ई० में पेरिस की सन्धि में अमेरिकी स्वातन्त्र्य-युद्ध की इतिश्री हुई। इस सन्धि की मुख्य धाराएँ निम्नलिखित थीं :

1. इंग्लैंड ने 13 उपनिवेशों (संयुक्त राज्य अमेरिका) की स्वतन्त्रता को मान्यता प्रदान की। मिसीसिपी नदी को उनकी पश्चिमी सीमा-रेखा मान लिया गया, जबकि ‘ग्रेट लेक’ उनकी उत्तरी सीमा-रेखा निश्चित हुई ।

2. अमेरिका में केवल कनाडा, नोवा स्कोशिया और न्यूफाऊण्ड लैण्ड के प्रदेश ही अँग्रेजों के पास रह गये ।

3. फ्रांस को पश्चिमी द्वीप-समूह में स्थित सेंट जूसिया और टोबेगो तथा अफ्रीका में स्थित सेनेगल और गौरी के प्रदेश मिले। भारत में स्थित फ्रांसीसी बस्तियाँ माहे, पाण्डिचेरी और चन्द्रनगर भी उन्हें वापस मिल गए। इसके अतिरिक्त न्यूफाऊण्डलैंड के मछली के व्यापार में भाग लेने का भी उन्हें अधिकार मिला ।

4. स्पेन को अँग्रेजों से मिनारका और फ्लोरिडा मिले ।

5. हालैंड के साथ ‘पुनस्थिति’ के मौलिक सिद्धान्त को स्वीकार किया गया और एक-दूसरे के विजय किए हुए प्रदेश वापस कर दिए गये ।

अमेरिकी क्रांति के परिणाम तथा महत्व

• अमेरिकी बस्तियों के इस सफल विद्रोह का इंग्लैंड पर और सारे संसार पर विशेष प्रभाव पड़ा। मानव-जाति के राजनैतिक जीवन को बदलने में यह एक महत्वपूर्ण साधन सिद्ध हुआ । उसने इंग्लैंड के इतिहास को प्रभावित किया ।

• इंग्लैण्ड पर प्रभाव-यद्यपि अमेरिकी बस्तियों के हाथ से निकल जाने से कुछ समय के लिए अँग्रेजों के मान को धक्का लगा; परन्तु अन्त में यह क्रान्ति उनके लिए लाभदायक सिद्ध हुई। उन्होंने अपनी निर्बलताओं और कमियों को अनुभव किया और इनके सुधार करने में जुट गए। उनकी आन्तरिक तथा विदेशी नीति में कई परिवर्तन किए गए।

• जॉर्ज तृतीय के स्वेच्छाचारी शासन का अन्त-ऐसा अनुभव किया गया कि अमेरिकी युद्ध में हुई पराजय तथा महान हानि का कारण जार्ज तृतीय की मूर्खता और उसके मन्त्रियों की अयोग्यता है। 1783 ई० तक जॉर्ज तृतीय का स्वेच्छाचारी रूप से शासन करने का प्रयोग पूर्णतः असफल सिद्ध हो गया।

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निष्कर्ष:

हम आशा करते हैं कि आपको यह पोस्ट अमेरिकी क्रांति जरुर अच्छी लगी होगी। अमेरिकी क्रांति के बारें में काफी अच्छी तरह से सरल भाषा में समझाया गया है। अगर इस पोस्ट से सम्बंधित आपके पास कुछ सुझाव या सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताये। धन्यवाद!

मेरा नाम सुनीत कुमार सिंह है। मैं कुशीनगर, उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हूं।

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