बौद्ध धर्म
• बौद्ध धर्म की स्थापना गौतम बुद्ध ने की थी।
• गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु के लुम्बिनी ग्राम में शाक्य कुल में 563 ई. पू. में हुआ था।
• बुद्ध की माता का नाम महामाया था जो कोसल राजतंत्र की कन्या थीं।
• बुद्ध का अर्थ ज्ञान होता है।
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भगवान बुद्ध से संबंधित तथ्य
महामाया | गौतम बुद्ध की माँ। |
राहुल | गौतम बुद्ध का पुत्र। |
चन्ना | बुद्ध का सारथि। |
चुन्द सुनार | जिसका दिया मांस खाने से बुद्ध की मृत्यु हुई। |
कंथक | बुद्ध का प्रिय घोड़ा। |
सुजाता | कृषक बाला, जिसकी दी खीर बुद्ध ने खाई। |
प्रजापति गौतमी | बुद्ध की मौसी, प्रथम बौद्ध भिक्षुणी। |
अलार कलाम | जिससे बुद्ध ने योग एवं उपनिषद् की शिक्षा ली। |
सुभक्क्ष | जिसे बुद्ध ने अपना अंतिम उपदेश दिया था। |
देवदत्त | बुद्ध का चचेरा भाई। |
अश्वत्थ | वह पीपल वृक्ष जिसके नीचे बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ। |
स्तूप | महापरिनिर्वाण के प्रतीक। |
वैशाली | यहाँ बुद्ध का अंतिम वर्षा काल बीता था। |
शालवृक्ष | जिसके नीचे बुद्ध की मृत्यु हुई। |
शुद्धोधन | बुद्ध के पिता एवं शाक्य कुल के मुखिया। |
यशोधरा | बुद्ध की पत्नी। |
बुद्ध के जीवन से जुड़े प्रतीक
1. हाथी | बुद्ध के गर्भ में आने का प्रतीक |
2. कमल | जन्म का प्रतीक |
3. सांड़ | यौवन का प्रतीक |
4. घोड़ा | गृह-त्याग का प्रतीक |
5. पीपल | ज्ञान का प्रतीक |
6. शेर | समृद्धि का प्रतीक |
7. पदचिह्न | निर्वाण का प्रतीक |
8. स्तूप | मृत्यु का प्रतीक |
• उरुवेला से बुद्ध सारनाथ (ऋषिपत्तनम एवं मृगदाव) आये। यहाँ पर उन्होंने पांच ब्राह्मण संन्यासियों को अपना प्रथम उपदेश दिया जिसे बौद्ध ग्रन्थों में ‘धर्मचक्र प्रवर्तन’ नाम से जाना जाता है।
• बौद्ध धर्म ने वर्ण व्यवस्था एवं जाति व्यवस्था का विरोध किया।
• भारतीय दर्शन में तर्कशास्त्र का विकास बौद्ध धर्म के प्रभाव परिणाम था।
• बुद्ध का महापरिनिर्वाण कुशीनारा में हुआ था।
• जैन एवं बौद्ध धर्म, दोनों ईश्वर को नहीं मानते थे।
• गौतम बुद्ध ने 29 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग दिया। बुद्ध के गृहत्याग की घटना को महाभिनिष्क्रमण कहा गया है।
महात्मा बुद्ध के जीवन से जुड़े चार दृश्य, जिन्हें देखकर उन्हें वैराग्य की भावना प्रबल हो उठी
1. प्रथम दृश्य | वृद्ध व्यक्ति |
2. द्वितीय दृश्य | रोगग्रस्त व्यक्ति |
3. तृतीय दृश्य | मृतक व्यक्ति |
4. चतुर्थ दृश्य | प्रसन्न संन्यासी |
• गौतम बुद्ध को बोधगया में, फल्गु नदी के किनारे पीपल वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था।
• बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ के हिरण्य उद्यान में दिया था। इनके प्रथम उपदेश को धर्मचक्रप्रवर्तन के नाम से जाना जाता है।
• बौद्ध धर्म के त्रिरल हैं- बुद्ध, धम्म तथा संघ।
• बौद्ध भिक्षुओं के निवास स्थान को विहार कहा जाता है। इनके पूजास्थल को चैत्य कहा गया है।
• बौद्ध धर्म हीनयान एवं महायान नामक दो पंथों में विभक्त हो गया।
गौतम बुद्ध के जीवन की घटनाएं
1. महाभिनिष्क्रमण | गृह त्याग की घटना |
2. सम्बोधि | ज्ञान प्राप्त होने की घटना |
3. धर्मचक्रप्रवर्तन | उपदेश देने की घटना |
4. महापरिनिर्वाण | निर्वाण |
बौद्ध साहित्य के तीन पिटक निम्नलिखित हैं :
1. सूत्त पिटक – बुद्ध के धार्मिक विचार और वचनों का संग्रह
2. विनय पिटक – बौद्ध दर्शन की विवेचना और नियम
3. अभिधम्म पिटक – बुद्ध के दार्शनिक विचार
बुद्ध के जीवन के चार स्थल
1. लुम्बिनी | जन्म |
2. बोधगया | ज्ञान प्राप्ति |
3. सारनाथ | प्रथम धर्मोपदेश |
4. कुशीनारा | मृत्यु |
• बुद्ध का पालन-पोषण मौसी प्रजापति गौतमी ने किया था। बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति से पूर्व अलार कलाम तथा उदक रामपुत्र नामक दो गुरुओं से शिक्षा ली थी। अलार-कलाम सांख्य सम्प्रदाय के अनुयायी थे।
• बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति तथा महापरिनिर्वाण वैशाख पूर्णिमा को हुई। अपने प्रिय शिष्य आनन्द के आग्रह पर बुद्ध ने संघ में स्त्रियों के प्रवेश को अनुमति दी।
• अल्पवयस्क, चोर, हत्यारे, ऋणी, राजा के सेवक, दासी तथा रोगी बौद्ध संघ में प्रवेश से वंचित थे।
• बौद्ध संघ में प्रस्तावित पाठ को अनुसावन कहा जाता था।
• बुद्ध के पाँच प्रिय शिष्य अनिरुद्ध, आनन्द, उपालि, सारिपुत्र तथा मोद्गल्यायन थे।
• बौद्ध दर्शन में केन्द्रीय सिद्धान्त चार आर्यसत्य एवं प्रतित्यसमुत्पाद है।
• बुद्ध ने सर्वाधिक उपदेश श्रावस्ती में दिये।
• आजीवक सम्प्रदाय की स्थापना मक्खलि गोशाल ने की थी। यह सम्प्रदाय बुद्ध के समकालीन था।
पाँच बुद्ध: |
1. कुकुच्छानंद |
2. कनक भंजन |
3. कश्यप |
4. शाक्य मुनि (गौतम बुद्ध) |
5. मैत्रेय (भावी बुद्ध) |
* अंतिम बुद्ध सामंतभद्र होंगे। |
• बौद्ध धर्म की पवित्र दिशा दक्षिण थी।
• बौद्ध धर्म का प्रचार पालि भाषा में किया गया।
• बौद्ध ग्रंथों में संस्कृत का प्रयोग अभिधम्म पिटक से प्रारम्भ होता है।
• हीनयान के दो भाग हैं-वैभाषिक एवं सौत्रान्तिका
• बौद्ध धर्म के अनुसार इच्छा सब कष्टों का कारण है।
• मिलिंदपन्हो पुस्तक (मिलिंद के प्रश्न) 100ई.पू. के एक बौद्ध काव्य है जिसमें भारतीय यूनानी राजा मिनेंडर प्रथम के प्रश्नों का उत्तर बौद्ध विद्वान नागसेन द्वारा किया गया है। इसमें राजा मिलिंद और नागसेन का संवाद है।
• बौद्धधर्म ने समाज के दो वर्गों को अपने साथ जोड़कर एक महत्वपूर्ण प्रभाव छोड़ा। ये वर्ग स्त्रियां एवं शूद्र थे।
• बौद्ध धर्म का सर्वाधिक प्रचार कोशल राज्य में हुआ।
• बुद्ध को तथागत एवं शाक्यमुनि नामों से भी जाना जाता है।
• बुद्ध अनात्मवादी थे, पर पुनर्जन्म में विश्वास करते थे।
• कालान्तर में महायान सम्प्रदाय दो भागों में बंट गया-शून्यवाद (माध्यमिक) और विज्ञानवाद (योगाचार)।
• शून्यवाद के प्रवर्तक नागार्जुन थे।
विज्ञानवाद के प्रवर्तक मैत्रेय नाथ थे।
• बुद्ध वर्षाकाल में वेलुवन तथा जेतवन में निवास करते थे।
• बुद्ध के प्रसिद्ध अनुयायी शासक बिम्बिसार, प्रसेनजित तथा उदयन थे।
• महात्मा बुद्ध ने सर्वप्रथम उरुवेला में तपस्या की।
• बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग का स्रोत तैत्तिरीय उपनिषद् है।
• बुद्ध ने निर्वाण को मन की उस परम शांति के रूप में वर्णित किया है, जो तृष्णा, क्रोध और दूसरी विषादकारी मनःस्थितियों से परे हैं। यह शांति तभी प्राप्त होती है जब सभी वर्तमान इच्छाओं के कारण समाप्त हो जाएं और भविष्य में पैदा हो सकने वाली इच्छाओं का जड़ से समाप्त हो जाते हैं, जिससे मनुष्य सभी प्रकार के कष्टों (दुःख) या संसार में पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाता है।
• सूत्तपिटक को प्रारंभिक बौद्ध धर्म का इनसाइक्लोपीडिया कहा जाता है।
• बुद्ध के पूर्व जन्म की कथाएं (जातक कथाएं) सूत्तपिटक में वर्णित है।
• बुद्ध के ‘पंचशील सिद्धांत का वर्णन छान्दोग्य उपनिषद् में मिलता है।
• तिब्बत में बौद्ध धर्म का प्रचार करने वाले बौद्ध भिक्षु पद्मसंभव थे।
• दिव्यवंदना, दोहाकोसा, वज्रवेदिका तथा वामसाथपाकसिनी में से एक भारत में उत्पन्न सबसे बाद वाला बौद्ध धर्म का ग्रंथ वाम साथ पाक सिनी है।
• चतुर्थ बौद्ध संगीति के बाद बौद्धधर्म दो भागों हीनयान एवं महायान में विभाजित हो गया।
हीनयान और महायान में अंतर
हीनयान समप्रदाय | महायान समप्रदाय |
1. हीनयान महात्मा बुद्ध द्वारा स्थापित मूल धर्म था। | 1. महायान इसका संशोधित रूप था। |
2. ये महात्मा बुद्ध को एक महापुरुष मानते हैं। | 2. ये महात्मा बुद्ध की देवीतुल्य उपासना करते थे। |
3. ये बोधिसत्व में विश्वास नहीं करते हैं। | 3. ये बोधिसत्व में विश्वास करते थे। |
4. इनकी धार्मिक ग्रन्थ पालि भाषा में हैं। | 4. इनकी धार्मिक ग्रन्थ संस्कृत भाषा में है। |
5. ये संन्यासी जीवन पर बल देते हैं। | 5. ये गृहस्थ जीवन पर बल देता है। |
6. मूर्ति पूजा के विरोधी थे। | 6. मूर्ति पूजा के समर्थक थे। |
7. हीनयान सम्प्रदाय प्रधानतः दार्शनिक है। | 7. महायान सम्प्रदाय शुद्धतः धार्मिक सम्प्रदाय है। |
8. पढ़ाई वल्लभी विश्वविद्यालय से | 8. पढ़ाई नालंदा विश्वविद्यालय से |
9. मांस खाना वर्जित था | 9. यहां कोई प्रतिबंध नहीं था । |
• चैत्य का शब्दिक अर्थ हैं- चिता संबंधी। शवदाह के पश्चात् बचे हुए अवशेषों को भूमि में गाड़कर उनके ऊपर जो समाधियाँ बनाई गईं, उन्हीं को प्रारंभ में चैत्य या स्तुप कहा गया।
• इन समाधियों में महा पुरुषों के धातु अवशेष सुरक्षित थे, अतः चैत्य उपासना के केन्द्र बन गए। कालांतर में बौधों ने इन्हें अपनी उपासना का केन्द्र बना लिया। चैत्यगृहों के समीप ही भिक्षुओं के रहने के लिए आवास बनाए गए जिन्हें विहार कहा गया।
• बुद्ध अपना प्रचार करते हुए वे मल्लों की राजधानी पावा पहुँचे, जहाँ वे चुंद नामक लुहार की आम्रवाटिका में ठहरे। उसने बुद्ध को सूकर मछव खाने को दिया, इससे उन्हें रक्तातिसार हो गया और भयानक पीड़ा उत्पन्न हुई। इस वेदना के बाद भी वे कुशीनारा (मल्ल गणराज्य की राजधानी) पहुँचे। यहीं 483 ई. पू. में 80 वर्ष की अवस्था में उन्होंने शरीर त्याग दिया इसे बौद्ध ग्रंथों में महापरिनिर्वाण कहा जाता है।
• वज्रयान सम्प्रदाय का उदय सातवीं शताब्दी में हुआ था। यह बौद्ध धर्म में बढ़ते तन्त्र-मन्त्र के प्रभाव का परिणाम था। ये शक्ति की उपासना करते थे। इसमें तारा आदि देवियों को महत्त्व प्राप्त है। इसके सिद्धांत ‘मंजुश्री मूलकल्प’ तथा ‘गुह्य समाज’ नामक ग्रन्थों में निहित है।
• अशोक, मिनाण्डर, कनिष्क, हर्षवर्द्धन ने बौद्ध धर्म के प्रसार में विशिष्ट योगदान किया था।
• बिहार एवं बंगाल के पाल शासकों ने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में अद्वितीय योगदान किया था।
• नालन्दा तथा विक्रमशिला विश्वविद्यालय बौद्ध शिक्षा के प्रधान केन्द्र थे।
• करमापा लामा तिब्बत के बौद्ध संप्रदाय ‘कंग्यूपा’ वर्ग से संबंधित है।
बौद्ध संगीति
समय | सभा | स्थान | अध्यक्ष | शासनकाल |
प्रथम बौद्ध संगीति | 483 ई. पूर्व | राजगृह | महाकश्यप | अजातशत्रु |
द्वितीय बौद्ध संगीति | 383 ई. पूर्व में | वैशाली | सबाकामी | कालाशोक |
तृतीय बौद्ध संगीति | 255 ई. पूर्व में | पाटलिपुत्र | मोगलिपुत्त तिस्स | अशोक |
चतुर्थ बौद्ध संगीति | ई. की प्रथम शताब्दी | कुण्डलवन (कश्मीर) | वसुमित्र उपाध्यक्ष-अश्वघोष | कनिष्क |
बुद्ध के अवशेष
बुद्ध के अवशेष को निम्न व्यक्तियों ने आपस में बांटकर 8 स्तूप बनाये थे-
1. मगध नरेश अजातशत्रु | 2. वैशाली के लिच्छवि | 3. कपिलवस्तु के शाक्य | 4. अल्लकप्प के बुली |
5. रामग्राम के कोलिय | 6. बेठद्वीप के ब्राह्मण | 7. पावा और कुशीनगर के मल्ल | 8. पिप्पलिवन के मोरिय |
बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग
(1) सम्यक् दृष्टि | (2) सम्यक् संकल्प | (3) सम्यक् वाणी | (4) सम्यक् कर्मान्त |
(5) सम्यक् अजीव | (6) सम्यक् व्यायाम | (7) सम्यक् स्मृति | (8) सम्यक् समाधि। |
बुद्ध के चार आर्य सत्य
1. दुःख : | संसार में सर्वत्र दुःख है। जीवन दुःखों एवं कष्टों से पूर्ण है। |
2. दुःख समुदाय : | प्रत्येक वस्तु का कोई न कोई कारण अवश्य होता है। अत: दुःख का भी कारण है। |
3. दुःख निरोध : | दुःख का अंत संभव है। |
4. दुःख निरोधगामिनी प्रतिपदा: | दुःख के मूल अविद्या के विनाश का उपाय अष्टांगिक मार्ग है। |
आस्तिक षड्दर्शन का संक्षिप्त परिचय
दर्शन | प्रवर्त्तक | अन्य विद्वान/व्याख्याकार |
1. मीमांसा | जैमिनि (मीमांसा-सूत्र) | शबरस्वामी, प्रभाकर कुमारिल इत्यादि। |
2. वेदान्त | बादरायण (ब्रह्म-सूत्र) | शंकराचार्य, वाचस्पति, रामानुज, माध्वाचार्य इत्यादि। |
3. न्याय | गौतम (न्याय-सूत्र) | वात्स्यायन, उदयनाचार्य, जयन्तभट्ट इत्यादि। |
4. वैशेषिक | कणाद (वैशेषिक-सूत्र) | प्रशस्तपाद, केशवमिश्र तथा विश्वनाथ। |
5. सांख्य | कपिल (सांख्य-सूत्र) | ईश्वरकृष्ण (सांख्यकारिका), वाचस्पति इत्यादि। |
6. योग | पतञ्जलि (योग-सूत्र) | व्यास। |
अन्य धर्म-मत तथा उनके संस्थापक
सम्प्रदाय | संस्थापक |
1. पाशुपत | लकुलीश |
2. प्रत्यभिज्ञा | वसुगुप्त |
3. स्पंदस्तार | कलत और सोमानंद |
4. लिंगायत | बासव |
5. अद्वैत | शंकराचार्य एवं बादरायण |
6. विशिष्टाद्वैत एवं श्री सम्प्रदाय | रामानुजाचार्य |
7. ब्रह्म सम्प्रदाय | मध्वाचार्य |
8. सनक सम्प्रदाय | निम्बार्काचार्य |
9. आजीवक | मक्खालि घोषाल |
10. नित्यवादी | पकुघ कच्चायन |
11. अनिश्चयवादी | संजय वेठ्ठलिपुत्र |
12. घोर अक्रियवादी | पुरण कश्यप |
13. भौतिकवादी (यादृच्छावाद) | अजीत केशकाम्बलिन |
निष्कर्ष:
हम आशा करते हैं कि आपको यह पोस्ट बौद्ध धर्म जरुर अच्छी लगी होगी। बौद्ध धर्म के बारें में काफी अच्छी तरह से सरल भाषा में समझाया गया है। अगर इस पोस्ट से सम्बंधित आपके पास कुछ सुझाव या सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताये। धन्यवाद!
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